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नीतीश कुमार ने कब-कब बदला सियासी पार्टनर? कभी RJD तो कभी BJP के पाले…

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बिहार में सियासी उलटफेर का सिलसिला जारी है, एक बार फिर बिहार की राजनीति में हलचल है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि सीएम नीतीश कुमार दोबारा से पलटी मार सकते हैं।

बिहार की राजनी​ति किस ओर जा रही है, इसका खुलासा कुछ देर बाद हो जाएगा. राज्य में ऐसा चौथी बार है जब नीतीश सरकार का सहयोगी बदलने वाला है. बिहार में सियासी उलटफेर का सिलसिला जारी है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि सीएम नीतीश कुमार एक बार फिर से पलटी मारने की फिराक में हैं. वे दोबारा भाजपा के साथ सरकार बना सकते हैं. ऐसा बताया जा रहा है कि वे राज्यपाल को किसी भी वक्त इस्तीफा दे सकते हैं. आइए जानते हैं कि अब तक कितनी बार नीतीश कुमार पलटी मार चुके हैं।

2013 में नीतीश ने मारी पहली पलटी 

बिहार के सीएम नीतीश कुमार जिन्हें 10 साल पहले ‘सुशासन बाबू’ के नाम से पुकारा जाता था. वहीं अब इधर उधर के चक्कर में ‘पलटू राम’ हो चुके हैं. नीतीश राजनीति में जब भी असहज हुए तब-तब उन्होंने अपना सियासी पार्टनर बदल लिया. यह बात है साल 2005 की. तब नीतीश कुमार दूसरी बार सीएम बनें. पहली बार नीतीश कुमार 3 मार्च 2000 को सीएम बने थे. हालांकि वे बहुमत नहीं जुटा पाए थे. उन्हें 10 मार्च 2000 को पद से इस्तीफा देना पड़ गया था. 2005 से 2012 तक सब ठीक चल रहा था. नीतीश भी सबकी उम्मीद पर खरे उतरने की कोशिश कर रहे थे. मगर साल 2012 में जब नरेंद्र मोदी के नाम पीएम उम्मीदवार के लिए सामने आया तो साल 2013 में नीतीश कुमार ने NDA से 17 साल पुराना नाता तोड़ लिया. इसके बाद नीतीश को अपने बड़े भाई (लालू यादव) की याद आई. करण-अर्जुन की जोड़ी यानी लालू-नीतीश सत्ता की कमान संभाली. हालांकि ये जोड़ी ज्यादा दिनों तक नहीं चली, नीतीश फिर भाजपा में आ गए।

2014 में लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी प्रचंड बहुमत से जीते और 10 साल बाद बीजेपी सत्ता में दोबारा आई. 2014 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार भाजपा के खिलाफ बिहार में चुनाव लड़े रहे थे. इस दौरान उन्हें केवल 2 सीटें प्राप्त हुईं. इस हार का सदमा नीतीश सह नहीं सके. उन्होंने सीएम की कुर्सी से इस्तीफा दे दिया. नीतीश ने कुर्सी अपनी सरकार के मंत्री और दलित नेता जीतन राम मांझी को सौंप दी. इसके बाद खुद बिहार विधानसभा चुनाव 2015 की तैयारी करने लगे।

साल 2015 के लोकसभा चुनाव में जुटे नीतीश कुमार ने आरजेडी और कांग्रेस के संग मिलकर महागठबंधन तैयार किया. इस महागठबंधन के संग नीतीश ने विधानसभा चुनाव  में भाजपा को हराकर एक बार फिर बिहार की सत्ता पर काबिज हुए।

साल 2017 में दूसरी बार नीतीश ने मारी पलटी 

समय गुजरता गया, करीब दो साल पूरे होने वाले थे मगर उससे पहले ही महागठबंधन में दरार देखने को मिली. यहां एक ओर नीतीश कुमार ने साल 2017 में नोटबंदी और जीएसटी जैसे मामलों पर भाजपा का समर्थन किया. वहीं दूसरी ओर सीबीआई ने लालू यादव और तेजस्वी यादव संग उनके परिवार के कई सदस्यों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया. इसकी आंच जब नीतीश तक पहुंची तो नीतीश ने लालू को मैसेज डाला कि तेजस्वी को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए. मगर लालू इस पर नहीं मानें. इसके बाद नीतीश ने इस्तीफा दे दिया. इसी के साथ महागठबंधन सरकार गिर गई. इसके बाद नीतीश ने भाजपा के समर्थन में सीएम बन गए।

वहीं सत्ता पलटने का पूरा घटनाक्रम नाटकीय तरीके से पूरे 15 घंटे के अंदर हुआ. इसके बाद साल 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की दोबारा वापसी हुई. इस दौरान नीतीश कुमार का दल तीसरे नंबर रहा. इस पर सीएम नीतीश कुमार ही रहें।

साल 2022 में नीतीश ने मारी तीसरी बार पलटी 

साल 2022 में नीतीश कुमार ने तीसरी बार पलटी मारी. जेडीयू ने भाजपा पर पार्टी तोड़ने की साजिश का आरोप लगाया. इसके बाद 15 अगस्त से पहले ही 9 अगस्त 2022 को नीतीश कुमार ने घोषणा की कि जदयू-भाजपा गठबंधन का अंत हो गया. इसके बाद अगले दिन ही नीतीश आरजेडी के समर्थन से दोबारा सीएम बन गए।

नौवीं बार लेंगे CM पद की शपथ

हालांकि पलटी मारने का सिलसिला केवल सत्ता तक नहीं है. 2013 के पहले वे 1990 में नीतीश कुमार लालू यादव के साथ थे.लालू को नीतीश बड़ा भाई कहते थे.नीतीश ने तब पहली पलटी मारी थी. साल 1994 में लालू से बगावत करके जॉर्ज फर्नांडीज के साथ समता पार्टी बनाई. दूसरी पलटी मारी 1998…खुद को मजबूत करने के लिए भाजपा के साथ गठबंधन किया. बिहार के सीएम के रूप में वे इस बार नौवीं बार शपथ ग्रहण करने वाले हैं. वे 2000, 2005, 2010, 2013, 2015, 2017, 2020, 2022 में सीएम पद की शपथ ले चुके हैं।

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