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भ्रष्टाचार के आरोपों में प्रखंड विकास पदाधिकारी के ठिकानों पर की छापेमारी, लाखो की सम्पत्ति को किया जप्त।

पटना:- निगरानी विभाग ने एक प्रखंड विकास पदाधिकारी यानी बीडीओ के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. भ्रष्टाचार के आरोपों में बीडीओ के ठिकानों पर गुरुवार को हुई छापामारी में कई प्रकार के खुलासे हुए और नकदी सहित अन्य सम्पत्ति का खुलासा हुआ. सारण के तरैया प्रखण्ड के प्रखंड विकास पदाधिकारी कृष्ण कुमार सिंह के खिलाफ हुई कार्रवाई में हाजीपुर सारण एवं पटना स्थित आवास/ कार्यालय की तलाशी ली गई.

 

निगरानी की टीम ने मोहल्ला वीर कुँवर सिंह कॉलोनी, हाजीपुर स्थित आवास की तलाशी के क्रम में नकद 79,000/- (उनासी हजार) रुपया, सोने एवं चाँदी के जेवरात कुल मूल्य 37,23,806/- (सैंतीस लाख तेईस हजार आठ सौ छः) रुपया, 25 बैंकों के पासबुक, 6 पॉलिसी में निवेश के कागजात, 10 जमीन के डीड का कागजात बरामद किए.

 

 

निगरानी ने कहा कि उपर्युक्त प्राप्त नकद राशि एवं आभूषणों के अतिरिक्त आरोपित द्वारा अपने एवं अपने परिजनों के नाम से चेक अवधि में अर्जित की गयी अचल संपत्ति का मूल्य 41,61,906/- (एकतालीस लाख एकसठ हजार नौ सौ छः) रुपया एवं चल सम्पत्ति का मूल्य 38,86,000/- (अड़तीस लाख छियासी हजार) रुपया है.

मेरे पास हथियार की कोई कमी नहीं, जो सामने आ जाएगा उसे फाड़ कर रख दूंगा :- गोपाल मंडल

BHAGALPUR : भागलपुर जिला के गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र से जदयू विधायक नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल अपने बड़बोलेपन को लेकर हमेशा सुर्ख़ियों में रहते हैं। आये दिन गोपाल मंडल विवादित बयान देते रहते हैं। हालाँकि आज पत्रकारों के भागलपुर में बातचीत करते हुए उन्होंने कहा की वह राजद सुप्रीमो लालू यादव से बेहद प्रभावित हैं। उन्होंने कहा की यह सब हमने लालू यादव से ही सीखा है। कहा की हमारी भाषा ही ऐसी है। गोपाल मंडल ने कहा की लालू यादव ने पार्लियामेंट में इतना भाषण दिया। लेकिन कभी टॉपिक पर भाषण दिया। बात है की बैकवार्डों के मसीहा वही है। तो गुण उन्हीं का आएगा। हम घाट किनारे, बालू पर चलनेवाले हैं। भाषा कैसे बदल जायेगा। क्रिमिनल और रंगदार को ठंडा करके रखते हैं।

 

सम्राट चौधरी को माथे में हो गया है दिनाय रोग

 

वहीँ गोपालपुर विधायक गोपाल मंडल ने सम्राट चौधरी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के सामने में बच्चा है सम्राट चौधरी। उनके पिताजी कुछ बोलते तो बात सूट करता। यह सोचते हैं हम कुशवाहा का नेता है और कुशवाहा को पलट देंगे। ऐसा बात नहीं है। उनको भारतीय जनता पार्टी ने उल्लू बनाने का काम किया है। सम्राट चौधरी ने कसम खा लिया है कि जब तक नीतीश कुमार को हराऊंगा नहीं तब तक मुरैठा खोलूंगा नहीं। सम्राट चौधरी को माथे में दिनाय बीमारी हो गया है। बीमारी ढकने के लिए वह मुरैठा बांधे रखते हैं। 2024 में भारतीय जनता पार्टी मुंह के बल गिरेगी और इंडिया एलाइंस सभी सीटों पर विजय हासिल करेगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब तेजस्वी यादव को सब कुछ सौंप दिए हैं। लेकिन जब तक नीतीश कुमार हैं तब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बनेंगे।

 

 

नव नियुक्त शिक्षक को त्योहार में भी दी जाएगी ट्रेनिंग

 

बिहार लोक सेवा आयोग के द्वारा शिक्षक की बहाली हुई थी। इसमें सफल अभ्यर्थियों को आज नियुक्ति पत्र दिया गया। अब 4 नवम्बर से सबों का प्रशिक्षण प्रारंभ होगा। इस बीच दीपावली और छठ है। इसमें जमकर शिक्षक काम करेंगे। गोपाल मंडल ने कहा की छुट्टी पर कोई भी शिक्षक ध्यान ना दें। दीपावली छठ भी मनाया जाएगा। लेकिन उस पर विशेष ध्यान ना दें।

 

 

मेरे पास हथियार की कोई कमी नहीं, जो सामने आ जाएगा उसे फाड़ कर रख दूंगा

 

बता दें की नीतीश कुमार के बड़बोले विधायक गोपाल मंडल जो अभी कुछ दिनों पहले पिस्तौल लहराते को लेकर काफी चर्चा में थे। पटना में पत्रकारों द्वारा प्रश्न पूछे जाने पर उन्होंने पत्रकार को भी अनाप शनाप बोल दिया था। उन्होंने आज भागलपुर में पत्रकारों से खुद कहा कि आज पिस्टल के बारे में कुछ नहीं पूछेगा और कई बातों को उन्होंने सामने रख दिया। गोपाल मंडल ने कहा पिस्टल के लिए मैंने बात भी कर लिया और अपील भी हो गई। वैसे मेरे पास हथियार की कोई कमी नहीं है। मेरा शरीर ही हथियार है। जो आएगा आमने-सामने उसे फाड़ दूंगा। अब मैं उस पिस्टल को लेने वाला भी नहीं। मेरे पास कई राइफल और बंदूके हैं। उसके अलावा भी कई हथियार हैं। वही पटना में पत्रकारों से तू तू मैं मैं पर गोपाल मंडल ने कहा की मैं नीतीश कुमार से मिलने पटना गया था। वही पटना के पत्रकार मुझे अंदर ही नहीं जाने दे रहे थे। मैं पत्रकारों को सिर्फ कहा कि पीछे हट जाइए। लेकिन उन लोगों ने मेरी एक नहीं सुनी। मेरी ऐसी कोई मनसा नहीं थी कि मैं किसी को डराउ या धमकाउ। पटना के पत्रकार ने मुझे उझरा दिया। मेरे पर पत्रकार इल्जाम लगा रहे हैं कि मैं गालीबाज विधायक हूं। लेकिन मेरा भाषा ही यही है। अगर मैं गाली नहीं दूंगा तो हमारा विरोधी डरेगा कैसे। मैं गहुअन सांप हूं मैं कोई और सांप नहीं बनना चाहता हूँ। नहीं तो मेरे से लोग डरेंगे कैसे। लालू यादव के नक़्शे कदम पर मैं चलता हूँ। मैंने उन्हीं का सीखा है। क्योंकि बैकवर्ड के मसीहा वही थे। गुण तो उन्हीं का ना आएगा।

मंत्री समीर सेठ ने कहा रोजगार का खुल गया है पिटारा, छोड़ दीजिए 2024 की बात

नवादा:- बिहार सरकार के उद्योग मंत्री समीर सेठ ने गुरुवार को कहा कि बिहार में रोजगार का पिटारा खुल गया है. नवादा पहुंचने पर राजद नेताओं द्वारा उनका जोरदार स्वागत किया गया. जहां मंत्री ने पार्टी की गतिविधियों के बारे में भी नेताओं से विस्तार से जानकारी प्राप्त किया है। नवादा के सर्किट हाउस में राजद के प्रदेश सचिव श्रवण कुशवाहा की देखरेख में मंत्री का स्वागत किया गया है। जहां मंत्री ने मीडिया से बातचीत करते हुए बिहार के सभी जिला में शिक्षक भर्ती परीक्षा में पास हुए लोगों को धन्यवाद दिया।

 

उन्होंने कहा कि बिहार आगे बढ़ रहा है और आगे ही बढ़ते रहेगा। मंत्री समीर सेठ ने कहा कि हम लोग लोगों की भविष्य सुधारने के लिए एक बेहतर प्रयास किये हैं। और यह प्रयास जारी रहेगा। 2024 के चुनाव के सवाल पर मंत्री ने पुरी तरह चुप्पी साध ली. उन्होंने कहा कि पढ़ाई सबसे जरूरी चीज है।और 2024 की बात को छोड़ दीजिए अब बिहार में बाहर से अच्छे शिक्षक आकर लोगों को बेहतर शिक्षा देंगे। मंत्री ने कहा कि उद्योग के क्षेत्र में भी बिहार में काफी विकास हो रही है। आने वाला समय में नवादा में भी बड़े पैमाने काम होंगे. चीनी मिल के सवाल पर उन्होंने कहा कि चीनी मिल में मात्र 3 महीना का काम होता है इसलिए चीनी मिल से वह रोजगार विकसित नहीं हो सकता जो आज रोजगार बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कर कर दिखाया है।

 

उन्होंने कहा कि अभी बिहार में शिक्षा के प्रति सरकार की जो नीति थी वह साफ नीति थी और इसी साफ नीति के साथ बिहार में बड़े पैमाने पर लोगों को नौकरी देने का काम सरकार के द्वारा किया गया है। आज इसी सिलसिला में प्रभारी मंत्री होने के नाते नवादा का दौरा किये हैं। वे कई कार्यक्रम में शिरकत किये हैं। बता दे की सर्किट हाउस में राजद विधायक विभा देवी, रजत प्रदेश सचिव श्रवण कुशवाहा, गौतम कुमार चंद्रवंशी, महिला जिला अध्यक्ष रेनू सिंह, रामचंद्र यादव आदि राजद के कई नेता उपस्थित थे। जहां राजद की प्रदेश सचिव श्रवण कुशवाहा के द्वारा जिले की समस्या पर मंत्री को कई आवेदन दिया गया. जहां लोगों की समस्या को दूर करने की भी बात कही गई है।

नियोजित शिक्षकों को लेकर CM नीतीश का बड़ा ऐलान

PATNA: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नियोजित शिक्षकों को लेकर भी बड़ा ऐलान कियाा है. गांधी मैदान से उन्होंने घोषणा किया कि नियोजित शिक्षकों का भी सरकारीकरण कर देंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि वैसे तो नियोजित शिक्षकों को पैसा दे ही रहे हैं. लेकिन उन लोगों की मांग है. उन्होंने कहा कि हम सोच रहे हैं कि एक मामूली परीक्षा लेकर नियोजित शिक्षकों का सरकारीकरण कर दें. इतना ही नहीं अगले दो महीने में बाकी बचे 1.20 लाख पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति की कार्रवाई होगी. इसके लिए उन्होंने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक और मंत्री चंद्रशेखऱ को मंच से ही आदेश दिया.

 

शिक्षक नियुक्ति के हीरो बने पाठक

 

बिहार में शिक्षक नियुक्ति के हीरो केके पाठक बन गए हैं. गांधी मैदान में नवनियुक्त शिक्षकों के नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में अभ्यर्थी केके पाठक का नाम सुनते ही खूब ताली बजाते थे. लोगों की ताली देख सुनकर मुख्यमंत्री भी काफी खुश हुए. मंच से कहा कि आज हमे काफी खुशी हो रही है. हमने केके पाठक को शिक्षा विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया. इनके काम की तारीफ हो रही है, यह सुनकर खुशी हो रही है.

 

केके पाठक काम देख कर हमको बहुत खुशी हो रही है

 

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को सबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक.हंसते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि आप लोग जो केके पाठक पर इतना ताली बजा रहे हैं, यह देखकर हमको बहुत खुशी हो रही है. हम जिसको बनाए हैं वह अच्छा कर रहे. कोई कोई इनके बारे में बोलते रहता है. यह ठीक नहीं है .देखिए आपको सब लोग प्रशंसा कर रहे हैं. आप ठीक-ठाक कम कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 25 हजार शिक्षकों को बांटा नियुक्ति पत्र

पटना:- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को पटना में एक साथ 25 हजार शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटकर नया इतिहास रचा. बिहार में 1 लाख 20 हजार 336 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटने के सिलसिले में यह कार्यक्रम पटना के गांधी मैदान में हुआ. सीएम नीतीश के साथ उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर, वित्त मंत्री विजय चौधरी, ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव, आवास मंत्री अशोक चौधरी ने मंच पर शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटा.

इसके पहले सीएम नीतीश ने अपनी ही गाड़ी में बैठाकर उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को लेकर गांधी मैदान पहुंचे. इस दौरान उनके साथ विजय चौधरी भी मौजूद रहे. बाद में सभी ने नियुक्ति पत्र बांटा. दरअसल, बिहार में यह अपनी किस्म का सबसे बड़ा नौकरी का हुजूम है. इसमें एक साथ इतनी बड़ी संख्या में नियुक्ति पत्र बांटा गया है. शिक्षक भर्ती की इस पूरी प्रक्रिया को बेहद कम समय में पूरा किया गया.

 

गांधी मैदान में नियुक्ति पत्र वितरण को लेकर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई. वहीं राज्य के कई जिलों से आए चयनित शिक्षकों का पटना आना सुबह से ही शुरू हो गया. उन्हें उनके जिलों के हिसाब से जगह दी गई. नियुक्ति पत्र मिलने के बाद शिक्षकों में जोरदार उत्साह देखा गया.

MD. शमी के पास्ट बोल की क्या है राज, उनके पिता भी थे फास्ट बॉलर

उत्तर प्रदेश :- उत्तर प्रदेश के अमरोहा के लोकल टूर्नामेंट में तौसीफ अली नाम के एक तेज गेंदबाज का बोलबाला था। तौसीफ तेज गेंदबाजी का शौक और हुनर दोनो रखते थे। लोग बाग सलाह भी देते कि क्लब में जाओ, ट्रेनिंग करो डोमेस्टिक में जा सकते हो। पर तौसीफ अली किसान परिवार से थे, डोमेस्टिक या नेशनल के लायक तैयारी के लिए न पैसे थे, ना ही उम्र बची थी। एक समय आया जब तौसीफ अली ने स्वीकार कर लिया कि शायद ये खेती किसानी ही उनका मुकद्दर है, प्रोफेशनल क्रिकेट के लिए देर हो चुकी है। तौसीफ अली भारतीय टीम के फास्ट बॉलर का सपना दिल में दफन करके अपनी आम जिंदगी में लौट आए। शादी हुई, खेती किसानी से परिवार पाला। पांच बेटे हुए, और सबके अंदर क्रिकेट को लेकर दीवानगी। तौसीफ अली को मालूम था कि उनसे कहा कहा गलती हुई थी, क्या क्या नही हुआ जिसकी वजह से उन्हें अपने सपने मारने पड़े। वो अपने बच्चो के साथ ऐसा कुछ नही होने देना चाहते थे। पंद्रह साल तक अपने बेटे को गेंदबाज बनने के लिए खुद ट्रेन करते रहे, अपने तजरबे अपनी गलतियों का निचोड़ उन्होंने अपने बेटे की राह में रख दिए। बेटे को बस चलना था और वो हासिल करना था जिसे हासिल करने की जद्दोजहद का मौका भी उसके अब्बू को हासिल नही हुआ था।

पंद्रह साल की उम्र तक बेटे को ट्रेन करने के बाद तौसीफ अली अपनी सारी जमा पूंजी इकट्ठा करके अपने बेटे को लेकर मुरादाबाद की एक क्रिकेट एकेडमी में कोच बदरुद्दीन के पास लेकर गए। कोच के सामने बेटे ने गेंद फेंकना शुरू किया तो बदरुद्दीन ने तुरंत उसे अपना शागिर्द कुबूल कर लिया। वो लड़का इस कदर मेहनती था कि उसने एक दिन भी ट्रेनिंग का नागा नही किया,मुरादाबाद में ट्रेनिंग के दौरान अगर कोई मैच खत्म होता तो वो लड़का पुरानी इस्तेमाल हुई गेंद मांगने खड़ा हो जाता, वजह पूछी गई तो बताया कि इन पुरानी गेंदों से मैं रिवर्स स्विंग की प्रैक्टिस करूंगा। बदरुद्दीन को पूरा यकीन था कि इस लड़के को अंडर 19 के ट्रायल में तो सिलेक्टर उठा ही लेंगे। इसी उम्मीद के साथ शमी ने ट्रायल दिया, सोच बदरुद्दीन के मुताबिक सिलेक्टर के पक्षपातपूर्ण रवैए के कारण शमी को मौका नहीं दिया गया। बदरुद्दीन से कहा गया कि अगले साल आइए इसे लेकर, लड़के में जान है, कब तक दूर रखेंगे सिलेक्टर इसे इंडियन कैप से। बदरुद्दीन दूर दर्शी आदमी थे, बोले इस लड़के का एक साल और दाव पर नही लगाना है, उन्होंने लड़के के पिता तौसीफ अली से बात की और कहा कि इसे आप कलकत्ता भेजिए। वहा क्लब खेलेगा तो आज नही कल स्टेट टीम में आ ही जायेगा। तौसीफ अली के पास ये जुआ खेलने की सिर्फ एक वजह थी अपने बेटे की काबिलियत और जुनून पर उनका भरोसा।

 

कलकत्ता आकर उस लड़के ने एक क्लब ज्वाइन कर लिया,पर स्टेट और नेशनल टीम का रास्ता दूर भी था और मुश्किल भी। जुनून के भरोसे वो बंगाल तो पहुंच गया, पर जुनून न तो पेट भरता है न सर पर छत रखता है।पर दुनिया में ऐसे लोगो की कमी नही जो जुनून और काबिलियत ही ढूढते है लोगो में,ऐसे ही एक शख्स थे देवव्रत दास, जो की उस वक्त बंगाल क्रिकेट के असिस्टेंट सेकेट्री की हैसियत पर थे। वो उस लड़के की काबिलियत से इतने इंप्रेस हुए कि कलकत्ता में बेघर उस लड़के को अपने साथ रहने के लिए रख लिया। फिर उन्होंने बंगाल के एक चयनकर्ता बनर्जी को उस लड़के की प्रतिभा पर नजर रखने को कहा।बनर्जी ने लड़के को गेंद फेंकते देखा और उसे बंगाल की अंडर 22 की टीम में सिलेक्ट कर लिया। देवदत्त दास से जब उस लड़के पर ऐसी मेहरबानी की वजह पूछी गई तो उन्होंने कहा कि “इस लड़के को रूपया पैसा नही चाहिए,इसे बस एक चीज नजर आती है वो है पिच के आखिर में गड़े हुए तीन स्टंप। स्टंप से गेंद की टकराने की आवाज उस लड़के को इतनी पसंद है कि उसके ज्यादातर विकेट बोल्ड आउट ही है।”

 

वहा से निकलकर उस लड़के ने मोहन बागान क्लब ज्वाइन किया, वहा ईडन गार्डन के नेट्स में उसने सौरव गांगुली को गेंदबाजी की। सौरव के साथ भी वही हुआ, जो अब तक हर उस इंसान के साथ हो रहा था जो उस लड़के को गेंद फेंकते हुए देख रहा था। गांगुली इंप्रेस हुए और फिर उनकी रिकमेंडेशन पर शमी को बंगाल की 2010–11 की रणजी टीम में चुन लिया गया। कुछ साल की मेहनत और जद्दोजहद के बाद 6 जनवरी 2013 के दिन पाकिस्तान के खिलाफ इस लड़के को इंडियन टीम की डेब्यू कैप दी गई। जिसे पहनने के बाद आज तक वो लड़का उस टोपी नंबर 195 का रुतबा दिन ब दिन बढ़ाए जा रहा है। हजारों दर्शको के बीच में, वो लड़का पूरे दम के साथ जब दौड़ना शुरू करता था तो उसके अंदर एक ही लालच रहता, किसी तरह गेंद स्टंप को लगे और वो टक का साउंड आए जिसे सुनकर ही इतने साल वो सांस लेता रहा है। जिंदगी की तमाम उतार चढ़ाव, मुश्किलों परेशानियों के बावजूद आज भी, अमरोहा के तेज गेंदबाज तौसीफ अली का बेटा मोहम्मद शमी, जर्सी नंबर 11 पहन कर जब रनअप पर दौड़ना शुरू करता है, तो उसके पीछे पीछे उसके अब्बू का सपना, कोच बदरुद्दीन की लगन, देवदत्त दास की इंसानियत सब कुछ साथ साथ चलता है दौड़ता है।

बचपन में ही उठ गया पिता का साया, मां ने मेहनत मजदूरी कर पढ़ाया, बेटा बना अफसर

BPSC :- वैशाली जिले के हाजीपुर प्रखंड के मनुआ गांव के रहने वाले शिव शक्ति की बीपीएससी में 205वीं रैंक आई है. जिस लड़के को कभी यह भी पता नहीं था कि मैट्रिक पास करने के बाद इंटर किया जाता है. वह अब प्रशासनिक पदाधिकारी के रूप में बिहार सरकार में अपनी सेवा देगा. शिवशक्ति का चयन नगर कार्यपालक अधिकारी के पद पर हुआ है. शिव शक्ति की इस सफलता से उसके परिजन फूले नहीं समा रहे हैं.

 

दरअसल, शिव शक्ति जब मात्र तीन साल के थे, उसी समय उनके पिता रामाशंकर राय की महज 32 वर्ष की उम्र में मौत हो गई. शिव शक्ति पांच भाई-बहन हैं. इनसे बड़ी तीन बहन और एक छोटा भाई है. मां कालिंदी देवी भैंस पालने के साथ-साथ खेतों में भी खुद से काम करती थी. बावजूद इसके कालिंदी देवी शिक्षा की ताकत को जानती थी. इसलिए वह खेत में काम करके भी बच्चों को बेहतर शिक्षा देना चाहती थी. शिव शक्ति की पढ़ाई स्थानीय सरकारी स्कूल से ही पूरी हुई. मैट्रिक पास करने के बाद आर्थिक अभाव के कारण शिव शक्ति अपने चचेरे भाई के कहने पर दिल्ली चले गए.

 

शिव शक्ति बताते हैं कि दिल्ली की एकफैक्ट्री में उन्होंने महज 3300 रुपए महीने पर काम शुरू किया.कुछ दिनों बाद जब घर आए, तो लोगों ने कहा कि इंटर कर लो. इसके बाद उन्होंने इंटर कर लिया. इसके बाद दिल्ली से ही उन्होंने इग्नू से ग्रेजुएशन किया और इसके बाद यूपीएससी की तैयारी में जुट गए.

 

प्राइवेट नौकरी के साथ-साथ शिव शक्ति की यूपीएससी की तैयारी भी चलती रही. इस दौरान उन्होंने कई बार एग्जाम भी दिया. एक बार वह इंटरव्यू तक पहुंचे थे, लेकिन इस बार उन्होंने अपने सपने को साकार कर लिया. ऐसे में कहा जा सकता है कि जो लोग अभाव का रोना रोते हैं, उनके लिए शिव शक्ति अब एक मिसाल के रूप में सामने आए हैं.

नीतू ने बीपीएससी की परीक्षा पास कर बनी SDM, सरकारी स्कूल से पड़ाई कर अपने सपनों को किया सकार

Patna :- नीतू ने बीपीएससी की परीक्षा अपने दम पर पास की है. लगातार लगन और कड़ी मेहनत करने वाली नीतू को अपने पहले प्रयास में बीपीएससी में सफलता नहीं मिली थी. इसके बाद वह काफी निराश हो गई थी. लेकिन नीतू ने कभी हिम्मत नहीं हारी और अपनी विफलताओं को भूलकर वह मेहनत करने में लगी रही. अपने दूसरे प्रयास में नीतू ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए पूरे बिहार में 219 वां रैंक हासिल किया है. नीतू की इस सफलता पर उसका परिवार सहित पूरा मोहल्ला गौरवान्वित महसूस कर रहा है.

नीतू कुमारी ने 67 वीं बीपीएससी में 219 वां रैंक हासिल किया है तथा वह एसडीएम बनकर बिहार सरकार में अपनी सेवाएं देंगी. एडीएम बनी नीतू की सफलता इस मायने में काफी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि उन्होंने अपने बचपन से लेकर अब तक पूरी पढ़ाई घर पर रहकर की है.

नीतू कुमारी जमुई के एक बड़े ही साधारण परिवार से आती है. उसके पिता राजेश प्रसाद वर्मा सर्राफा कारोबारी है तथा उनकी एक छोटी सी ज्वेलरी की दुकान है. नीतू की प्रारंभिक शिक्षा सिकंदरा मध्य विद्यालय से शुरू हुई तथा उन्होंने वर्ष 2012 में सिकंदरा स्थित परियोजना बालिका उच्च विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा दी और 82.5 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण हुई. वर्ष 2014 में श्री कृष्ण महाविद्यालय लोहंडा से विज्ञान संकाय में इंटरमीडिएट की. इसके उपरांत उन्होंने राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भोपाल से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गई तथा अब इसमें परचम लहराया है.

जूता-चप्पल बेचकर बेटे को बनाया डिप्टी कलेक्टर, रिजल्ट के कुछ घंटों बाद पिता की हो गई मौत

Patna :- बिहार लोक सेवा आयोग की 67वीं परीक्षा परिणाम आने के बाद जमुई जिले के बरहट इलाके के लोगों में खुशी का आलम था. लोग खुश थे कि गरीब परिवार का लाल ललन कुमार भारती ने जूता चप्पल बेचने वाले अपने पिता का सपना पूरा कर दिया. लेकिन, परीक्षा परिणाम आने के समय उसके पिता पटना के अस्पताल में वेंटिलेटर पर थे. इसलिए ललन के पिता बेटे के सीनियर डिप्टी कलेक्टर (एसडीसी) बनने की खुशी तक नहीं मना सके. बीपीएससी परीक्षा में बेटे की सफलता के कुछ घंटे के बाद ही पिता जगदीश दास की मौत हो गई और इसी के साथ परिवार और गांव में जहां लोग ललन की सफलता पर खुशियां मना रहे थे, वहां का माहौल गमगीन हो गया.

दरअसल ललन के पिता जगदीश दास बेटे के अधिकारी बनने की खुशी नहीं मना सके. परीक्षा परिणाम आने के कुछ ही देर के बाद उन्होंने अपने बेटा और परिवार का साथ छोड़ दिया. जानकारी के अनुसार ललन दास कोलकाता में रहकर जूता सीने का काम करते थे. कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण वह कोलकाता से अपने गांव लौटे थे. कोलकाता में जूता चप्पल तैयार कर और फिर उससे जुड़ा रोजगार करते हुए जगदीश दास ने अपने बच्चों को शिक्षा दी थी. जानकारी के अनुसार गांव लौट के बाद पिछले पंचायत चुनाव में ललन कुमार भारती के पिता जगदीश दास चुनाव लड़ते हुए लखए पंचायत से वार्ड सदस्य भी चुने गए थे.

बता दें, जमुई जिले के बरहट प्रखंड के तपोवन भंदरा गांव का ललन कुमार भारती 67वी बीपीएससी परीक्षा में 349 व रैंक हासिल किया है. ललन कुमार भारती का चयन सीनियर डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ है .ललन कुमार भारती बीते 4 साल से बीपीएससी की तैयारी कर रहे थे, तीसरी अटेंप्ट में उन्हें यह सफलता मिली है. ललन कुमार भारती वर्तमान समय में ऑडिटर के पद पर कार्यरत है. अपने गांव में ही प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद सैनिक स्कूल नालंदा से 12वीं तक की पढ़ाई की. इसके बाद अर्थशास्त्र में स्नातक करने के बाद बीपीएससी की तैयारी में जुट गया था.

अपने इस सफलता पर ललन कुमार भारती ने बताया कि इसका सारा श्रेय वह अपने पिता को देना चाहते हैं. ललन कुमार भारती ने बताया कि उनके पिता ने उन्हें बहुत कठिनाई से पढ़ाया है और मुझे इस काबिल बनाया की वह अच्छा काम कर सके, मौत पर ललन कुमार भारती ने बताया कि उनके पिता जगदीश दास उन्हें उनके भाइयों को पढ़ने के लिए ध्यान देते थे, उन्होंने पढ़ाया तभी आज एक भाई मेरा टीचर है, दूसरा भाई इंजीनियर है और अब मैं एसडीसी के पद पर चयनित हुआ हूं.