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उमा भारती ने किया दावा, बोली- लालकृष्ण आडवाणी नहीं चाहते थे कि बाबरी मस्जिद गिराई जाए

अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां देशभर में हो रही हैं। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए हजारों लोग अयोध्या आएंगे। इसमें से कुछ वह लोग भी होंगे, जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन को धार दी थी। इसमें बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती समेत कई लोग हैं। वहीं प्राण प्रतिष्ठा से पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने दावा किया है कि लालकृष्ण आडवाणी नहीं चाहते थे कि बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिराया जाए।

‘ढांचे को कहीं और शिफ्ट कराना चाहते थे आडवाणीजी’

सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स (ट्विटर) पर एक पोस्ट करते हुए उमा भारती ने दावा किया कि आदवनी जी नहीं चाहते थे कि विवादित ढांचे को गिराया जाए। उन्होंने कहा, “जब आडवाणी जी सोमनाथ से रथ यात्रा लेकर चले तो उनका आह्वान था कि इस  विवादास्पद ढांचे को नई टेक्नोलॉजी के द्वारा गिराए बगैर कहीं अन्यत्र शिफ्ट कर दिया जाए।”

‘आडवाणी जी को शायद इसी का खेद था’

वहीं इसके विपरीत जो घटना हुई कि उनकी आंखों के सामने कारसेवकों ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए ढांचा ढहा दिया। आडवाणी जी को शायद इसी का खेद था, वह रामलला जहां विराजमान है वहीं मंदिर चाहते थे। अयोध्या में जो भीड़ मौजूद थी वह रामभक्त, आस्थावान कारसेवक तो थे किंतु उनमें से बहुत सारे लोग हमारे अनुशासित कार्यकर्ता नहीं थे।

‘जन भावनाएं रिमोट कंट्रोल से नियंत्रित नहीं होती’

उमा भारती ने कहा कि कारसेवक किसी भी कीमत पर उस कलंक के ढांचे को गिराने के लिए आतुर थे और ढांचा ढह जाने के कारण ही तो पुरातत्व विभाग खुदाई कर सका, मंदिर होने के सबूत मिले, माननीय कोर्ट ने स्वीकार किया, शिलान्यास हुआ और अब 6 दिसंबर की घटना राम मंदिर का मूल कारण तो बनी ही, एक सबक भी बनी कि जन भावनाएं रिमोट कंट्रोल से नियंत्रित नहीं होती, यह सबके लिए एक सबक बन गया।

BSP निलंबित सांसद दानिश अली बोले- मुझ पर संसद में हमला हुआ, तब राहुल गांधी साथ खड़े रहे

कांग्रेस ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के 12 महीने के बाद राष्ट्रव्यापी अभियान का दूसरा चरण ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ की शुरुआत की है। पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर के थौबल जिले के खोंगजोम से रविवार को यात्रा शुरू हुई। बता दें कि मणिपुर पिछले साल मई से जातीय संघर्षों से घिरा हुआ है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के नेतृत्व में यात्रा निकाली गई है, जो कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के साथ दिल्ली से चार्टर्ड उड़ान पर इंफाल पहुंचे। राहुल गांधी ने 1891 के एंग्लो-मणिपुर युद्ध के मारे गए नायकों के लिए खोंगजोम युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ यात्रा की शुरुआत की। वहीं, बहुजन समाज पार्टी से निलंबित लोकसभा सदस्य दानिश अली राहुल गांधी के साथ ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में शामिल हुए।

दानिश अली ने कहा कि वह इस यात्रा का हिस्सा बनना अपना फर्ज समझते हैं, क्योंकि राहुल गांधी की यह पहल कमजोर लोगों को न्याय दिलाने और भारतवासियों को जोड़ने की पहल है। दानिश अली को बीते 9 दिसंबर को बसपा ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में पार्टी से निलंबित कर दिया था। वह इंफाल के निकट थोबल में आयोजित कांग्रेस के उस कार्यक्रम के मंच पर अगली कतार में बैठे थे, जहां से यात्रा आरंभ हुई। इंफाल पहुंचने के बाद दानिश अली ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “आज मैंने राहुल गांधी जी की ‘भारत जोड़ो न्याय’ यात्रा में शामिल होने का फैसला किया है। ये फैसला मेरे लिए एक बहुत ही अहम फैसला है। इसे मैंने बहुत सोच समझ कर लिया है।” उनका कहना था, “यह फैसला करते समय मेरे सामने दो रास्ते थे। एक यह कि मैं यथास्थिति को चलने दूं, जो स्थितियां हैं उन्हें वैसे ही स्वीकार लूं। जो अन्याय देश के दलित, शोषित, वंचित, अल्पसंख्यक और अन्य गरीब वर्ग के साथ हो रहा है, उसके खिलाफ कोई आवाज ना उठाऊं और दूसरा रास्ता ये था कि मैं समाज में बढ़ते अन्याय के खिलाफ संसद में आवाज उठाने के साथ-साथ सड़क पर भी संघर्ष शुरू करूं, आंदोलन करूं।” दानिश अली ने कहा, “मेरे जमीर ने कहा कि मुझे दूसरा रास्ता लेना चाहिए। ”

“भय और आतंक का माहौल बनाने की कोशिश हो रही”

लोकसभा सदस्य ने बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी की ओर से की गई आपत्तिजनक टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा, “यह फैसला लेने का एक बड़ा कारण यह भी है कि मैं खुद इस अन्यायपूर्ण व्यवस्था का भुक्तभोगी हूं। संसद के अंदर मुझ पर जो आक्रमण हुआ वो सभी ने देखा। सत्ताधारी दल ने मुझ पर आक्रमण करने वाले के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि उसे पुरस्कृत किया।” उन्होंने दावा किया कि यही हाल पूरे देश का है और भय व आतंक का माहौल बनाने की कोशिश हो रही है। अली ने कहा, “जब मुझ पर संसद में आक्रमण हुआ, तब मुझे और मेरे परिवार को हौसला देने वाले राहुल गांधी जी देश के पहले नेता थे। वो उस घड़ी में मेरे साथ खड़े रहे।”

दानिश अली ने कहा, “माननीय राहुल गांधी जी की यह यात्रा कमजोर को न्याय दिलाने की और भारतवासियों को जोड़ने की यात्रा है। यह यात्रा देश की विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ संघर्ष है। राहुल जी ने पूरे देश को जोड़ने के लिए और हर वर्ग को न्याय दिलाने के लिए यह यात्रा शुरू की है, इसलिए मैं आज राहुल जी के साथ खड़ा हूं।” उन्होंने कहा कि इस यात्रा के उद्देश्य की पूर्ति करना राजनीति और समाज सेवा से जुड़े हम सभी लोगों का असली मकसद है। साथ ही उन्होंने यात्रा की सफलता की कामना की।

मुंबई से अयोध्या के लिए हवाई सेवा इस दिन से शुरू, IndiGo ने किया ऐलान, जानें समय

राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर अयोध्या सुखियों में है। देशभर के लोगों के अयोध्या पहुंचने के लिए कई तरह की सुविधा का ऐलान किया जा रहा है। इसी कड़ी में इंडिगो 15 जनवरी से मुंबई से अयोध्या के बीच सीधी उड़ान सेवा शुरू कर रही है। यानी दोनों शहरों के बीच सोमवार से सीधी फ्लाट की शुरुआत होगी। फ्लाइट दोपहर 12:30 बजे मुंबई से उड़ान भरेगी और दोपहर 2:45 बजे अयोध्या पहुंचेगी। वापसी की फ्लाइट दोपहर 3:15 बजे अयोध्या से रवाना होगी और शाम 5:40 बजे मुंबई पहुंचेगी।

दिल्ली-अयोध्या के बीच फ्लाइट सेवा शुरू

इससे पहले इंडिगो ने दिल्ली से अयोध्या के लिए फ्लाइट सेवा का ऐलान किया था। 30 दिसंबर को अयोध्या में महर्षि वाल्मिकी इंटरनेशनल एयरपोर्ट शुरू के बाद इंडिगो ने 6 जनवरी से दिल्ली से अयोध्या के लिए फ्लाइट सेवा शुरू की थी। इंडिगो की अहमदाबाद-अयोध्या रूट की फ्लाइट भी शुरू हो चुकी है। अब 15 जनवरी से मुंबई से अयोध्या रूट के लिए फ्लाइट शुरू हो जाएगी।

22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा

बता दें कि अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की ऐतिहासिक प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए मंदिर में भगवान के बाल रूप की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। ऐसे में इन दिनों राम नगरी में राम नाम की गूंज है। रामलला के आगमन से पहले यहां उमंग और उत्सव का माहौल है। वहीं, अयोध्या के बाहर देशभर में तैयारियां जोरों पर हैं।

शंकराचार्य बोले- राम मंदिर में नहीं हुआ सिर और आंख का निर्माण, इसलिए अभी अधूरा

22 जनवरी को अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। देशभर में इस कार्यक्रम की तैयारियां की जा रही हैं। हालांकि इस कार्यक्रम का कुछ लोग विरोध भी कर रहे हैं। इसमें शंकराचार्य भी शामिल हैं। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का विरोध करने वालों में सबसे प्रमुख नाम उत्तराखंड ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का भी है।

‘यह धार्मिक ग्रंथों के खिलाफ होगा’

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने रविवार को बताया कि वह उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगे क्योंकि मंदिर का निर्माण अभी अधूरा है। यह धार्मिक ग्रंथों के खिलाफ होगा। उन्होंने कहा कि मंदिर भगवान का शरीर है, मंदिर का शिखर भगवान की आंखों का प्रतिनिधित्व करता है और ‘कलश’ सिर का प्रतिनिधित्व करता है। शंकराचार्य ने कहा, मंदिर पर लगा झंडा भगवान के बाल हैं।

उन्होंने कहा कि बिना सिर या आंखों के शरीर में प्राण-प्रतिष्ठा करना सही नहीं है। यह हमारे शास्त्रों के खिलाफ है। इसलिए, मैं वहां नहीं जाऊंगा क्योंकि अगर मैं वहां जाऊंगा तो लोग कहेंगे कि आपके सामने ही शास्त्रों का उल्लंघन किया गया है।” उन्होंने कहा कि मैंने अयोध्या ट्रस्ट के सदस्यों के साथ यह मुद्दा उठाया है कि मंदिर के पूर्ण निर्माण के बाद प्राण प्रतिष्ठा की जानी चाहिए।

‘अयोध्या में होने वाला पूरा प्रोग्राम सियासी’

वहीं इससे पहले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा था कि अयोध्या में होने वाला पूरा प्रोग्राम सियासी है। क्योंकि आधे अधूरे मंदिर का उद्घाटन कर चुनावी फ़ायदा उठाने की कोशिश हो रही है। इसके साथ ही अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि अयोध्या में नया मंदिर नहीं बन रहा ये पहले से मौजूद मंदिर का जीर्णोद्धार हो रहा है।

शीतलहर और घने कोहरे की मार झेल रही राजधानी, जानें बिहार और इस राज्य के मौसम का हाल

दिल्ली-एनसीआर कड़ाके की ठंड से बेहाल हो चुका है। यहां घने कोहरे ने दिल्ली-एनसीआर को जकड़ रखा है। ट्रेन हो या हवाई सेवाएं दोनों ही इससे प्रभावित हुई हैं। साथ ही दिल्ली की रफ्तार में भी कमी देखने को मिल रही है। रविवार को इस सर्दी के मौसम का सबसे कम न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया। मौसम विभाग की मानें तो सोमवार और मंगलवार को भी दिल्ली के मौसम में कुछ खास बदलाव नहीं होने जा रहा है। इस दौरान घने से बहुत घना कोहरा रहने की संभावना है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में 14 जनवरी से 20 जनवरी तक घने कोहरे के साथ शीतलहर चलने की संभावना है।

बिहार का मौसम

उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों में शीतलहर की मार देखने को मिल रही है। बिहार में भी शीतलहर की मार लोग झेल रहे हैं। वहीं कोहरे की मार भी लोगों को झेलना पड़ रहा है। गलन से बचने के लिए लोगों को आग का सहारा लेना पड़ रहा है। रविवार को बिहार के कई जिलों में कोल्ड डे रहा। साथ ही अधिकांश जिलों में घना कोहरा छाया रहा। मौसम विभाग के मुताबिक 16 जनवरी को ठंड से लोगों को राहत मिल सकती है। साथ ही 17 और 18 जनवरी को प्रदेश के गया, जमुई, औरंगाबाद और नवादा में हल्की बारिश हो सकती है।

उत्तर प्रदेश का मौसम

बिहार के बाद अगर यूपी की बात करें तो यूपी में भी कड़ाके की ठंड पड़ रही है। यहां लोगों को भीषण ठंड और गलन का सामना करना पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश समेतर राज्य के अधिकांश हिस्सों में ठंड पड़ रही है। अधिकांश जिलों में न्यूनतम तापमान में गिरावट हुई है। इससे शीतलहर बढ़ गई है। घने कोहरे की वजह से धूप बेअसर है। न्यूनतम तापमान के साथ राज्य के अधिकतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। इस कारण राज्य में शीतलहर बढ़ गई है। सर्दी इतनी भीषण पड़ रही है कि लोगों को आग का सहारा लेना पड़ रहा है।

भारतीय सेना के जवानों को कैसे दी जाती है ट्रेनिंग? जानें प्रशिक्षण के दौरान क्या-क्या करते हैं जवान

भारतीय सेना की गिनती दुनिया की सबसे मजबूत सेनाओं में होती है। भारतीय सेना की यही खासियत होती है कि ये हर मोर्चे पर किसी भी तरह की परिस्थितियों से निपटने में सक्षम होती है। भारतीय सेना में जो जवान भर्ती होते हैं, उन्हें कुछ इस तरह से तैयार किया जाता है कि वह किसी भी हाल में चाहे कैसी भी स्थिति हो वह उससे आसानी से निपट लेते हैं। देश में कोई प्राकृतिक आपदा की स्थिति हो या देश की सीमा की सुरक्षा से लेकर बाहरी आक्रमणों का इंडियन आर्मी डटकर मुकाबला करती है। ऐसे में हम इंडियन आर्मी की इसी खासियत के बारे में विस्तार से जानेंगे।

दरअसल, पूरे भारत की जलवायू और संरचना अपने आप में अलग है। भारत के उत्तर में जहां भीषण ठंड पड़ती है तो वहीं राजस्थान जैसे इलाकों में गर्मी से हाल बेहाल रहता है। इसके अलावा नक्सलियों से मुकाबला करना हो या बाहरी आतंकवादियों से इन सभी मोर्चों से अगर कोई मुकाबला कर सकता है तो उसके लिए इंडियन आर्मी का नाम सबसे ऊपर आता है। इंडियन आर्मी के जवानों को इसके लिए खास ट्रेनिंग दी जाती है। आर्मी के जवानों को इस परिस्थितियों ने निपटने के लिए 20 सप्ताह की कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है।

भारतीय सेना के जवानों का चयन होने के बाद उन्हें देश के अलग-अलग ट्रेनिंग सेंटरों में भेजा जाता है। अलग-अलग स्थानों पर ट्रेनिंग सेन्टर में होती है। 20 सप्ताह तक चलने वाली इस ट्रेनिंग में एक सिविलियन को ट्रेन्ड फौजी बना दिया जाता है। इस दौरान हर जवान को ना सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक और स्वाभावित रूप से भी मजबूत बनाया जाता है। ट्रेनिंग के दौरान जवानों के फिजिकल फिटनेस पर विशेष तौर पर ध्यान दिया जाता है। इसमें जवानों की रनिंग, एक्सरसाइज, वर्टिकल रोप, हॉरिजेंटल रोप, पुश-अप, पुल-अप, फ्रंट रोल और बैक रोल प्रमुख होते हैं।

इसके अलावा जवानों को ड्रिल ट्रेनिंग दी जाती है, जो अक्सर हम गणतंत्र दिवस की परेड पर भी देखते हैं। ड्रिल ट्रेनिंग के तहत जवानों को उनके रहन-सहन, खान-पान, उनका पहनावा आदि चीजों की ट्रेनिंग दी जाती है। यह ट्रेनिंग जवानों को डिसिप्लिन सिखाती है। ड्रिल की ट्रेनिंग के बाद से सेना के जवान हर काम को एक नियम के अनुसार करते हैं। इसके बाद जवानों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है। इसमें जवानों को हथियार चलाने के अलावा हथियारों के बारे में पूरी विस्तार से जानकारी दी जाती है। इसके साथ ही उन्हें शूटिंग के लिए भी ट्रेनिंग दी जाती है।

सुबह 3 से 4 बजे तक सो कर उठ जाना

ट्रेनिंग से पहले आसपास के इलाके की सफाई आदि का काम करना

5:30 बजे के बाद शुरू होती है एक्सरसाइज

7 बजे नाश्ता करने के बाद दोबारा 8 बजे से शुरू होती है ट्रेनिंग

दोपहर 1 बजे तक ड्रिल, वेपन और पीटी की कराई जाती है ट्रेनिंग

2:30 बजे तक लंच और अन्य कार्यों के लिए मिलता है समयॉ

4:30 बजे तक आस-पास के एरिया को करना होता है मेंटेन

शाम के समय स्पोर्ट्स की एक्टिविटी में लेना होता है हिस्सा

6:30 बजे समाप्त होती है ट्रेनिंग

8 बजे डिनर के बाद अगले दिन फिर शुरू होती है ट्रेनिंग

ट्रेनिंग समाप्त होने के बाद जवानों को अलग-अलग जगहों पर पोस्टिंग के लिए भेज दिया जाता है। इसके साथ ही एक सिविलियन को पूरी ट्रेनिंग देकर सेना का जवान बना दिया जाता है जो भारत के हर परिस्थिति में हर मुश्किलों का सामना करने में सक्षम होता है। वहीं ट्रेनिंग पूरी नहीं कर पाने पर जवानों की दोबारा से ट्रेनिंग कराई जाती है और उनकी ट्रेनिंग का समय भी बढ़ा दिया जाता है।

सोमनाथ में भी मंदिर पूरा बनने से पहले शिवलिंग की हुई थी प्राण प्रतिष्ठा, राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद थे मौजूद

अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बन रहा है। इसे लेकर एक विवाद इन दिनों चर्चा में बना हुआ है, जिसमें यह कहा जा रहा है कि राम मंदिर बनकर अभी तैयार नहीं हो सका है। ऐसे में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करना अशुभ है। हालांकि ऐसा ही किस्सा पहले भी देखने को मिल चुका है। दरअसल एक किताब है। किताब का नाम है ‘प्रभास तीर्थ दर्शन सोमनाथ’। इस किताब के लेखक हैं जेडी परमार। इस किताब सोमनाथ मंदिर के निर्माण के ईर्द-गिर्द लिखी गई है। इस किताब के मुताबिक 19 अप्रैल 1950 को सौराष्ट्र के मुख्यमंत्री उच्छंगराय नवलशंकर ढेबर ने सोमनाथ मंदिर की भूमिखनन विधि को संपन्न किया।

सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा

इसके बाद मंदिर का निर्माण कार्य जारी रहा। सबसे पहले पत्थर से मंदिर में फर्श को तैयार किया गया। इसके बाद सोमनाथ मंदिर में गर्भगृह को तैयार किया गया। इसके बाद 11 मई 1951 को देश के तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने सोमनाथ मंदिर में भगवान शिव की प्राण प्रतिष्ठा की। बता दें कि जब प्राण-प्रतिष्ठा की गई, तो उस दौरान भी मंदिर का निर्माण कार्य जारी था। इसके बाद अंत में जब सभामंडर और शिखर का निर्माण पूरा हो गया तब सोमनाथ ट्रस्ट के तत्कालीन अध्यक्ष महाराजा जामसाहेब दिग्विजय सिंह ने महारूद्रयाग करवाया। 13 मई 1965 को सोमनाथ मंदिर में कलश प्रतिष्ठा की गई और कौशेय ध्वज को लहराया गया।

राम मंदिर पर विपक्ष का बवाल

बता दें कि सोमनाथ मंदिर में शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा काफी पहले हो गई। बावजूद इसके मंदिर का निर्माण कार्य जारी रहा। इसके बाद साल 1965 में पूरी तरह बनकर मंदिर तैयार हुआ। बता दें कि देश में इन दिनों राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर एक विवाद चल रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हुए बगैर प्राण प्रतिष्ठा करना अशुभ है। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि पहले भी इतिहास में ऐसा कई बार हो चुका है। बता दें कि विपक्ष भी इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर खूब निशाना साध रहा है।

बॉलीवुड महानायक अमिताभ बच्चन ने अयोध्या में खरीदा करोड़ों का प्लॉट, जानें जमीन की कीमत

अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर का उद्घाटन होने वाला है। इस तारीख तो राम मंदिर के गर्भ गृह में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। माना जा रहा है कि मंदिर के उद्घाटन के बाद अयोध्या दुनिया के सबसे बड़े पर्यटन स्थलों में से एक के रूप में सामने आना वाला है। सरकार और जनता को यहां बड़ी आर्थिक गतिविधियों की उम्मीद है। इस कारण यहां की जमीनों की कीमत भी आसमान छू रही हैं। ऐसे में दिग्गज बॉलीवुड एक्टर अमिताभ बच्चन ने भी अयोध्या में एक बड़ा प्लॉट खरीदा है। आइए जानते हैं इस प्लॉट के बारे में सबकुछ।

कितना प्लॉट, कितनी कीमत?

अमिताभ बच्चन ने मुंबई के एक डेवलपर कंपनी ‘द हाउस ऑफ अभिनंदन लोढ़ा’ के जरिए अयोध्या में प्लॉट खरीदा है। ये प्लॉट 7 स्टार मल्टी-परपरज एक्लेव- द सरयू में स्थित है। अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, अमिताभ के प्लॉट का साइज 10 हजार वर्गफुट है और इसके लिए उन्होंने 14.5 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।

अयोध्या का दिल में विशेष स्थान- अमिताभ

अयोध्या में प्लॉट खरीदने को लेकर अमिताभ बच्चन का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि अयोध्या एक ऐसा शहर है जो मेरे दिल में एक विशेष स्थान रखता है। कालातीत आध्यात्मिकता और अयोध्या की सांस्कृतिक समृद्धि ने एक भावनात्मक संबंध बनाया है जो भौगोलिक सीमाओं से परे है। यह अयोध्या की आत्मा में एक हार्दिक यात्रा की शुरुआत है, जहां परंपरा आधुनिकता मूल रूप से सह-अस्तित्व में है। उन्होंने कहा कि वह वैश्विक आध्यात्मिक राजधानी अयोध्या में अपना घर बनाने के लिए उत्सुक हैं।

अयोध्या में क्या है जमीन की कीमत?

द हाउस ऑफ अभिनंदन लोढ़ा की ओर से शेयर किए गए ब्रोशर के मुताबिक, अयोध्या नगरी में 1250 वर्ग फुट जमीन की कीमत- 1.80 करोड़ रुपये, 1500 वर्ग फुट जमीन की कीमत- 2.35 करोड़ रुपये और 1750 वर्ग फुट जमीन की कीमत- 2.50 करोड़ रुपये है। जहां अमिताभ बच्चन ने प्लॉट खरीदा है वहां से राम मंदिर 10 मिनट, अयोध्या इंटरनेशनल एयरपोर्ट 20 मिनट और सरयू नदी 2 मिनट की दूरी पर है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी से ‘दोस्ती’ निभाने मणिपुर पहुंचे BSP के न‍िलंबित सांसद दानिश अली

पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते बहुजन समाज पार्टी (BSP) से निलंबित हुए लोकसभा सांसद दान‍िश अली की कांग्रेस से नजदीक‍ियां काफी बढ़ रही हैं. इस कड़ी में दान‍िश अली रविवार (14 जनवरी) को मण‍िपुर में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में शामिल होने पहुंचे.

लोकसभा सांसद दान‍िश ने सोशल मीड‍िया मंच ‘एक्‍स’ पर कई पोस्‍ट भी साझा की हैं. एक पोस्‍ट में उन्‍होंने राहुल गांधी के साथ की दो तस्वीरें शेयर की हैं, जोक‍ि उस वक्‍त की हैं, जब संसद में बीजेपी सांसद रमेश ब‍िधूड़ी ने उनको लेकर अवांछित ट‍िप्‍पण‍ियां की थीं. इस पर खूब स‍ियासी बवाल मचा था. इस घटनाक्रम के बाद राहुल गांधी उनके सरकारी आवास पर दानिश अली से म‍िलने पहुंचे थे.

‘मौजूदा हालातों में मेरे पास स‍िर्फ दो विकल्प’   

सोशल मीडिया पोस्ट की स‍ीरीज में राहुल गांधी के साथ फोटो शेयर करते हुए दानिश अली ने कहा, ”आज मैंने राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में शामिल होने का निर्णय लिया है. यह मेरे लिए बेहद ही खास और अहम पल हैं. मैंने काफी आत्‍ममंथन के बाद ही यह फैसला ल‍िया है और आख‍िर में इस नतीजे पर पहुंचा हूं. उन्‍होंने कहा क‍ि आज देश में जो मौजूदा हालात और माहौल बना है, उसमें मेरे पास दो विकल्प थे.

‘एकता और न्याय के लिए सबसे बड़ा अभ‍ियान’

एक अन्‍य पोस्‍ट में उन्‍होंने राहुल गांधी की यात्रा को ज्‍वाइन करने को सही ठहराते हुए इसको ‘एकता और न्याय के लिए सबसे बड़ा अभ‍ियान’ बताया और कहा कि अगर वह इससे नहीं जुड़ेंगे तो वह एक राजनेता के रूप में अपनी ड्यूटी को सही तरह से नहीं न‍िभा पाएंगे.

‘आत्‍ममंथन के बाद अपनाया दूसरा व‍िकल्‍प’ 

उन्‍होंने यह भी कहा कि मेरे पास दो विकल्प थे उनमें एक तो यथास्थिति को स्वीकार करना और दूसरा दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और गरीब वर्गों के शोषण को नजरअंदाज करने से लेकर देश में फूट डालो, को लेकर बने वातावरण के खिलाफ चौतरफा अभियान शुरू करने का रहा. मेरी अंतरात्मा ने मुझे दूसरा विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित किया और मैं इस राहुल गांधी के अभ‍ियान के साथ शाम‍िल हुआ.

‘संसद के भीतर अपशब्‍दों का इस्‍तेमाल हुआ’ 

उन्‍होंने कहा क‍ि दूसरे व‍िकल्‍प का न‍िर्णय चुनना मेरे स्वाभाविक था क्योंकि संसद के भीतर में इस तरह के हमले का शिकार हुआ था जोक‍ि देश में बना हुआ. उन्‍होंने कहा कि सत्तारूढ़ दल के एक सदस्य ने मुझ पर और मेरे धर्म के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया था.