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गृहिणी बन गई डिप्टी SP, घर व बच्चों की ज़िम्मेदारी के साथ पढ़कर पास की BPSC

घरेलू काम करते हुए बिहार की रश्मि कुमारी ने एक दिन सरकारी परीक्षा देने की सोची और अपने बच्चों के साथ पढ़ाई करके बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की परीक्षा पास कर ली। है न कमाल की बात!

दो साल पहले तक पटना की रहने वाली रश्मि कुमारी एक हाउसवाइफ थीं। लेकिन आज वह बीपीएससी की परीक्षा पास कर बिहार सरकार के राजस्व विभाग में डिप्टी एसपी के तौर पर काम कर रही हैं।

यह मुमकिन हो पाया उनके जुनून और कठिन मेहनत के दम पर। अक्सर घर पर रहकर काम करने वाली एक गृहिणी के बारे में यही सोचा जाता है कि वह घरेलू काम के अलावा और कुछ नहीं कर सकती। लेकिन पटना की 40 वर्षीया रश्मि कुमारी ने साबित किया कि अगर आत्मविश्वास हो, तो किसी भी उम्र में सफलता हासिल की जा सकती है। उन्होंने अपने घर और दो बच्चों की ज़िम्मेदारी के साथ, सरकारी नौकरी की तैयारी की और सफलता भी हासिल की।

वह हमेशा से अपनी अलग पहचान बनाने चाहती थीं। रश्मि का बड़ा बेटा जब जेईई की तैयारी कर रहा था, तब उन्होंने सोचा कि कैसा होता अगर वह भी कोई सरकारी नौकरी करतीं!

बस फिर क्या था, बेटे के साथ उन्होंने भी बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी करना घर से ही शुरू कर दिया। वह घर के काम-काज करते हुए ऑडियो-वीडियो सुनकर रोज़ 4 घंटे पढ़ाई भी करती थीं।

इस तरह 40 साल की उम्र में रश्मि कुमारी ने पिछले साल ही 65 बीपीएससी से डिप्टी एसपी और 64 बीपीएससी से राजस्व अधिकारी का रैंक प्राप्त किया है।

उनके साथ ही उनके बेटे को भी जेईई मेन 2021 में ऑल इंडिया 205 रैंक मिली है। माँ और बेटे ने मिलकर यह सफलता बिना किसी कोचिंग या ट्यूशन के हासिल की है।

दोनों ने सेल्फ स्टडी और कड़ी मेहनत की बदौलत सक्सेस पाई और कईयों के लिए एक मिसाल बन गए। उनकी यह जीत साबित करती है कि अगर आत्मविश्वास और जज़्बा हो, तो किसी भी उम्र में सपने पूरे किए जा सकते हैं।

मोटर मैकेनिक पिता ने खूब पढ़ाया, हाई कोर्ट में जज बनकर बेटे ने भी  मान बढ़ाया

दासपा, राजस्थान के बाबूलाल सुथार को अपने जीवन की सबसे बड़ी खुशी तब मिली, जब उनका बेटा रवींद्र सुथार हाई कोर्ट में जज बना। पढ़ें इनकी सफलता की प्रेरणादायी कहानी।

कड़ी मेहनत और लगन के दम पर कोई भी लक्ष्‍य हासिल किया जा सकता है। फिर चाहे राह में कितनी भी परेशानियां क्यों न हों! राजस्‍थान के जालोर जिले के दासपा गांव में रहने वाले रवींद्र सुथार इसका बेहतरीन उदाहरण हैं। उन्होंने हाल ही में गुजरात में हाई कोर्ट जज की नौकरी हासिल की है।

उनकी सफलता के पीछे सिर्फ़ उनकी मेहनत ही नहीं, बल्कि उनके पिता का त्याग भी शामिल है। रवींद्र का परिवार मूल रूप से राजस्‍थान के पाली जिले का रहने वाला है। सालों से उनके पिता बाबूलाल सुथार, मोटर रिपेयरिंग का काम करते हैं। उन्होंने आर्थिक समस्याओं के बावजूद, अपने बेटे को पढ़ने-लिखने का पूरा मौक़ा दिया और नतीजा हम सबके सामने है।

गुजरात ज्‍यूडिशिल सर्विस परीक्षा में रवींद्र ने पांचवीं रैंक हासिल करके पूरे परिवार की मेहनत सफल कर दी। 21 अक्‍टूबर 2022 को आए रिजल्ट में हाई कोर्ट जज के पद के लिए उनका चयन हुआ, जिसके बाद उनके घर में बधाइयां देने वालों का तांता लग गया।

पिता से मिला शिक्षा का अनमोल तोहफ़ा और बन गए हाई कोर्ट जज

गुजरात में हाई कोर्ट जज बने रवींद्र ने साल 2018 में निरमा यूनिवर्सिटी से बीकॉम और एलएलबी की डिग्री ली। फिर गुजरात हाईकोर्ट में वकालत शुरू की। वकालत के साथ-साथ वह गुजरात न्‍यायिक सेवा भर्ती परीक्षा की तैयारी भी करते रहे। उनकी कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि पहले ही प्रयास में पांचवीं रैंक के साथ उनका चयन हो गया।

आज इस सफलता में तारीफ़ के जितने हक़दार रवींद्र हैं, उतने ही उनके पिता भी हैं। रवींद्र के दो भाई और एक बहन हैं। खुद मोटर रिपेयरिंग करके घर ख़र्च चलाने वाले पिता ने बच्चों के शिक्षा की ओर बढ़ते कदम कभी नहीं रोके। यही वजह है कि उनका सबसे बड़ा बेटा सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। दूसरा बेटा होम मिनिस्ट्री में नौकरी कर रहा है, जबकि तीसरे और सबसे छोटे बेटे रवींद्र ने हाई कोर्ट जज की कुर्सी हासिल की। वहीं, उनकी बेटी भी एक निजी कंपनी में जॉब कर रही है।

आर्थिक तंगी में भी मुश्किलों को मेहनत और मजबूत इच्छा शक्ति से हराया जा सकता है, इसका बढ़िया उदाहरण है पूरा सुथार परिवार।

सिर्फ 21 साल की उम्र में UPPSC पास कर अधिकारी बने रचित गोयल, अब कर रहे UPSC की तैयारी

अंबाला शहर के जग्गी गार्डन रहनेवाले रचित गोयल ने सिर्फ 21 साल की उम्र में पास कर ली थी UPPSC परीक्षा।अंबाला (हरियाणा) के रहनेवाले रचित गोयल ने सिर्फ 21 साल की उम्र में यूपीपीएससी (उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग) जैसी कठिन परीक्षा पास कर कमाल कर दिया। उन्होंने यह परीक्षा अपनी पहली ही कोशिश में पास कर ली और पीसीएस अधिकारी बने। अंबाला के जग्गी गार्डन के रहनेवाले रचित ने शहर के ही पीकेआर जैन स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की और 2016 में 12वीं पास कर, पंजाब यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया।

बीएड की पढ़ाई पूरी कर रचित ने UPPSC की तैयारी शुरू की और परीक्षा पास कर बेहद कम उम्र में अधिकारी बन गए। रचित के पिता आईटीआई अंबाला छावनी में वर्ग अनुदेशक के पद पर हैं और माँ, रेखा गोयल शहजादपुर के राजकीय गर्ल्स स्कूल में पढ़ाती हैं।

रचित, बचपन से ही अफसर बनना चाहते थे। उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई के साथ ही UPPSC की तैयारी भी शुरू कर दी थी। रचित ने एक इंटरव्यू में बताया कि परीक्षा पास कर, जब वह साक्षात्कार के लिए प्रयागराज गए, तो वहां उनसे कोविड-19 से जुड़े ढेरों सवाल पूछे गए।

कहां से मिली यूपीपीएससी की तैयारी कर अफसर बनने की प्रेरणा?

रचित को अफसर बनने की प्रेरणा अपने भाई अंशुल गोयल से मिली। अंशुल ने साल 2019 में गेट एग्जाम में ऑल इंडिया टॉप किया था। इसके अलावा IES एग्जाम भी क्लियर किया था और फिर उन्होंने दिल्ली का डीडीए डिपार्टमेंट ज्वाइन कर लिया।रचित ने भाई से प्रेरित होकर काफी कम उम्र से ही परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी।

अब रचित, एक पीसीएस अधिकारी तो बन ही गए हैं, लेकिन आगे वह UPSC क्लियर कर IAS अधिकारी बनना चाहते हैं। जिस हिम्मत और लगन से उन्होंने परीक्षा पास की, उन्हें पूरा यकीन है कि वह UPSC की परीक्षा भी ज़रूर पास कर लेंगे। रचित इस बात के उदाहरण हैं कि किसी चीज़ को पाने के लिए जी-जान से कोशिश की जाए, तो नामुमकिन कुछ भी नहीं।

22 साल की उम्र में क्रैक की UPSC परीक्षा, बनीं बैच की सबसे कम उम्र की IAS अधिकारी

राजस्थान की रहनेवाली स्वाति मीणा ने न सिर्फ बिना किसी कोचिंग के UPSC परीक्षा पास की, बल्कि 260वीं रैंक भी हासिल की। वह अपने बैच की सबसे कम उम्र की IAS अफ़सर थीं।

देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाने वाली UPSC परीक्षा पास करना कोई आसान काम नहीं। लोगों को सालों लग जाते हैं, इसकी तैयारी करने और सफलता हासिल कर पाने में। लेकिन राजस्थान की रहनेवाली स्वाति मीणा ने न सिर्फ बिना किसी कोचिंग के यह UPSC परीक्षा पास की, बल्कि 260वीं रैंक भी हासिल की। वह अपने बैच की सबसे कम उम्र की IAS ऑफिसर थीं।

सिर्फ 22 साल की उम्र में UPSC क्रैक कर IAS बनीं स्वाति मीणा, भले ही अपने बैच की सबसे कम उम्र की IAS अधिकारी थीं, लेकिन आज उनका नाम देश की निडर और दबंग अफसरों में शामिल है। 1984 में राजस्थान में जन्मी स्वाति ने यहीं से अपनी पढ़ाई पूरी की।

उनकी माँ हमेशा से चाहती थीं कि वह डॉक्टर बनें और स्वाति भी बचपन से ही इसी सपने के साथ आगे बढ़ रही थीं, लेकिन जब वह 8वीं कक्षा में थीं, तब उनकी एक रिश्तेदार अधिकारी बनीं और जब स्वाति के पिता उस अधिकारी से मिले तो वह बेहद खुश हुए।

पिता के चेहरे पर गर्व और खुशी को देखकर स्वाति ने तय कर लिया कि अब तो वह भी अधिकारी ही बनेंगी, ताकि अपने पिता को हमेशा के लिए गर्व महसूस करा सकें। स्वाति के पिता राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अफसर थे और उनकी माँ एक पेट्रोल पंप चलाती हैं।

पिता ने लिए स्वाति मीणा के इंटरव्यूज़

अफसर बनने के स्वाति के फैसले से उनके पिता काफी खुश हुए और उन्होंने स्वाति का पूरा साथ दिया। स्वाति ने कला संकाय से इतिहास, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान विषयों में ग्रैजुएशन किया और फिर एक साल जमकर UPSC की तैयारी की। उस दौरान स्वाति के पिता ने उनके कई डेमो इंटरव्यूज़ भी लिए।

स्वाति मीणा ने भी खूब मेहनत की और 2007 में UPSC परीक्षा देकर, अपने पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की। उन्होंने बिना किसी कोचिंग के 260वीं रैंक हासिल की थी और आज वह मध्य प्रदेश कैडर की IAS ऑफिसर हैं। वह एक निडर अधिकारी के रूप में जानी जाती हैं।

स्वाति आज UPSC की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं।

पढ़ाई के साथ सफल बिज़नेस भी! B.Tech पानीपूरी वाली बना रहीं स्ट्रीट फ़ूड को हेल्दी

पानीपूरी खाते समय कैलोरी और हाइजिन की चिंता से परेशान होकर दिल्ली की तापसी उपाध्याय ने शुरू कर दिया खुद का पानीपूरी बिज़नेस। उनकी बिना तेल की बनी पूरी और मिनरल वॉटर से बना पानी लोगों को खूब पंसद आ रहा है।

सड़क पर पानीपूरी खाते समय क्या आपको भी हाइजीन और कैलोरीज़ की चिंता होती है? लेकिन इसके लाजवाब स्वाद से अपने आपको दूर रखना मुश्किल भी लगता है? ऐसी ही दिक्कत तापसी उपाध्याय को भी आती थी। इसलिए उन्होंने इस परेशानी को बिज़नेस में बदलने का सोचा। अपनी बीटेक की डिग्री हासिल करने के साथ-साथ आज 21 वर्षीया तापसी, दिल्ली में पानीपूरी बेच रही हैं।

ऐसा नहीं है कि कहीं नौकरी न मिलने के डर से उन्हें इस बिज़नेस का ख्याल आया। बल्कि सच्चाई तो यह है कि उन्हें यह आइडिया पढ़ाई के दौरान ही आ गया था। द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि वह हमेशा से भारतीय स्ट्रीट फ़ूड का एक हेल्दी विकल्प खोजती थीं। लेकिन उन्हें ऐसी जगह कम ही मिलती थी, जहाँ हेल्थ और सफाई जैसी चीज़ों का ध्यान रखा गया हो।

इसलिए पढ़ाई ख़त्म होते ही उन्होंने पानीपूरी के साथ अपने काम की शुरुआत कर दी। आने वाले समय में वह कई और स्ट्रीट फूड्स का हेल्दी विकल्प लोगों के लिए लेकर आएंगी। तापसी ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर इस काम की शुरुआत की है।

12 युवाओं की दे रहीं रोजगार भी

तापसी का कहना है कि पानीपूरी बनाने में वह एयर-फ्रायर का इस्तेमाल करती हैं, साथ ही खजूर और ऑर्गेनिक गुड़ से मीठी चटनी और हाथ से मिट्टी के बर्तन से पीस कर खट्टा पानी बनता है। साथ ही वह, हर काम के लिए मिनरल वॉटर का इस्तेमाल ही करती हैं।

शुरुआत में उन्हें थोड़ा डर था कि उनका आइडिया लोगों को पसंद आएगा या नहीं? लेकिन आज बीटेक पानीपूरी वाली नाम से वह दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में चार स्टॉल्स चला रही हैं। इस तरह से वह करीबन 12 लोगों को रोज़गार भी दे रही हैं।

तापसी ने कम समय में ही अपने स्वाद और अनोखे अंदाज़ से न सिर्फ दिल्ली, बल्कि देश भर में अपनी अलग पहचान बना ली है। देसी स्ट्रीट फ़ूड को हेल्दी बनाने के उनके प्रयास को सभी पंसद भी कर रहे हैं। अगर आप भी दिल्ली में हैं, तो एक बार बी. टेक पानीपूरी वाली के गोलगप्पे खाना तो बनता है।

पिता ने घूम-घूमकर कपड़े बेच पढ़ाया, बेटे ने बिना कोचिंग पास की UPSC परीक्षा

पिता का संघर्ष, आर्थिक तंगी और मन में कुछ कर गुज़रने की चाह ने बिहार के किशनगंज के रहने वाले अनिल बसाक को ऑफिसर बनने के लिए प्रेरित किया और उन्होंने UPSC परीक्षा पास कर IAS अफसर बनने का सपना पूरा किया।

पिता का संघर्ष, आर्थिक तंगी और मन में कुछ कर गुज़रने की चाह ने बिहार के किशनगंज के रहने वाले अनिल बसाक को ऑफिसर बनने के लिए प्रेरित किया और गांव-गांव, गली-गली घूमकर कपड़े बेचने वाले पिता विनोद बसाक के बेटे ने यूपीएससी परीक्षा न सिर्फ पास की, बल्कि 45वीं रैंक भी हासिल की।

अनिल ने काफी कम उम्र से ही कई तरह की परेशानियां देखी थीं। कभी घर में खाने को कुछ नहीं होता, तो कभी स्कूल तक पहुंच पाना भी मुश्किल हो जाता। लेकिन अनिल रुकने वाले नहीं थे। सारी परेशानियों से लड़ते हुए अनिल ने जमकर मेहनत की और 12वीं पास कर, जेईई की तैयारी में लग गए। जल्द ही उनकी मेहनत रंग लाई और उन्हें IIT दिल्ली में दाखिला मिल गया।

बिना कोचिंग पास की यूपीएससी परीक्षा

दिल्ली में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने के लिए कोचिंग ज्वाइन की। पहली बार जब अनिल ने UPSC परीक्षा दी तो वह फेल हो गए। हालांकि, उन्होंने दूसरे प्रयास में 616वीं रैंक के साथ परीक्षा पास कर ली थी।

लेकिन वह इससे खुश नहीं थे, इसलिए उन्होंने अपनी तैयारी को जारी रखने का फैसला किया। अब परेशानी यह थी कि पढ़ाई पर पहले ही बहुत पैसे खर्च हो चुके थे, ऐसे में कोचिंग की महंगी फीस भरना मुश्किल था। तब उन्होंने 2018 के बाद कोचिंग छोड़कर खुद से ही तैयारी करनी शुरू की और ऐसी तैयारी की कि तीसरी कोशिश में उन्होंने न सिर्फ परीक्षा पास की 616वीं रैंक से सीधा 45वीं रैंक पर पहुंच गए और IAs अफसर बनने का सपना पूरा किया।

सचमुच अनिल बसाक जैसे लोगों को देखकर लगता है कि परिस्थितियां कभी भी पुरुषार्थ से बलवान नहीं हो सकतीं। बस मेहनत लगातार चलती रहनी चाहिए और खुद पर पूरा भरोसा होना चाहिए।

पहले ही प्रयास में पास की IIT और UPSC, 22 साल की उम्र में बनीं अफसर

ओडिशा की रहनेवाली IAS सिमी करन ने बिना कोचिंग किए, अपने पहले ही प्रयास में UPSC की परीक्षा पास कर अखिल भारतीय स्तर पर 31वीं रैंक हासिल की थी।

ओडिशा की रहने वाली सिमी करन ने आईआईटी और यूपीएससी जैसी दो-दो कठिन परीक्षाएं अपनी पहली ही कोशिश में पास कर लीं और उन्होंने इंजीनियरिंग छोड़ अफसर बनने का फैसला किया। IAS सिमी करन का बचपन छत्तीसगढ़ के भिलाई में बिता।उनके पिता डीएन करन, भिलाई स्टील प्लांट में काम करते हैं। वहीं, उनकी माँ सुजाता, दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़ाती हैं।

सिमी ने दिल्ली पब्लिक स्कूल से ही 12वीं तक की पढ़ाई की। पढ़ाई में होनहार सिमी ने 12वीं में 98.4 प्रतिशत नंबर लाकर पूरे राज्य में टॉप किया था। बाद में उन्होंने आईआईटी का एन्ट्रेंस एग्जाम दिया और उनका सलेक्शन आईआईटी बॉम्बे में हो गया। सिमी ने यहां से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।

हालांकि उस समय तक सिमी का प्रशासनिक सेवा में जाने का कोई प्लान नहीं था। लेकिन इंजीनियरिंग के दौरान इंटर्नशिप के समय वह स्लम एरिया में बच्चों को पढ़ाने जाती थीं और यहीं से उनका मन बदला। उन बच्चों की मदद करने के लिए सिमी ने किसी ऐसे प्रोफेशन में जाने का मन बनाया, जिसके ज़रिए वह गरीब लोगों की मदद कर सकें। उन्हें सिविल सर्विसेज़ से बेहतर ऑप्शन और कुछ नहीं, लगा।

IAS सिमी करन ने कैसे की थी तैयारी?

सिमी, जब इंजीनियरिंग के आखिरी साल में थीं, तब उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने बिना किसी कोचिंग के तैयारी करने का फैसला किया। टॉपर्स के इंटरव्यू देखकर और इंटरनेय की मदद से उन्होंने परीक्षा की तैयारी के लिए किताबों की लिस्ट तैयार की। उनका कहना है कि परीक्षा की तैयारी के लिए ज्यादा रिवीजन करना चाहिए।

दो अलग-अलग फील्ड और कोर्स के लिए पढ़ाई करना आसान तो नहीं था, लेकिन सिमी ने सेल्फ स्टडी की औऱ बिना कोचिंग के सिविल सर्विसेज़ एग्जाम में 31वीं रैंक हासिल कर 22 साल की उम्र में अफसर बनीं।

पति हुए बीमार तो पत्नी ने उठाए औज़ार, मैकेनिक बनकर चला रही परिवार

एक माँ अपने बच्चों के लिए क्या-क्या कर सकती है, इसका सच्चा उदाहरण देखना हो, तो जरूर मिलिए गाज़ियाबाद की बाइक मैकेनिक पूनम देवी से!

मुश्किल हालत इंसान से क्या नहीं करवा सकते और बात जब अपने बच्चे के भविष्य और उनके पालन-पोषण की हो, तो माँ किसी भी हद तक जा सकती है। ऐसा कुछ कर रही हैं गाज़ियाबाद की पूनम देवी भी। जिन्होंने कभी घर की चार दीवारों से बाहर पैर तक नहीं रखा था, आज वह मैकेनिक बनकर सड़क के किनारे बैठकर बाइक रिपेरिंग का काम कर रही हैं।

दरअसल, पूनम के पति पेशे से मैकेनिक हैं। लेकिन एक हादसे में वह Paralysis का शिकार हो गए। इसके बाद पूनम के ऊपर घर चलाने की जिम्मेदारी के साथ अपने दो बच्चों के भविष्य की चिंता भी थी। लेकिन पूनम में किसी के सामने हाथ फ़ैलाने के बजाय हाथ में औज़ार उठाना पसंद किया।

हालांकि शुरुआत में उन्हें कई तरह की दिक्क्तों का सामना भी करना पड़ा। लोग पहले रुककर अजीब नज़र से देखते थे। कुछ लोगों को यकीन ही नहीं होता था कि एक महिला ऐसे काम कैसे कर सकती है?

लेकिन पूनम हमेशा डटी रही और सिर्फ अपने काम पर ही ध्यान दिया। धीरे-धीरे अपनी मेहनत से उन्होंने अपनी काबिलियत को साबित करके दिखाया। और यह सबकुछ वह सिर्फ इसलिए कर पाई क्योंकि उनके लिए लोगों के ताने नहीं बल्कि अपने बच्चों का भविष्य ज्यादा मायने रखता था।

उन्होंने पति के औज़ारों से ही छोटे-छोटे काम सीखना शुरू किया और आज वह एक सफल मैकेनिक बनकर अपने परिवार को एक बेहतर जिंदगी दे पा रही हैं।

है न, मुश्किलों से डटकर लड़ने वाली इस मैकेनिक माँ का जज़्बा कमाल का!

रंग-बिरंगी गोभी उगती हैं इस खेत में,जानिए कैसे बनी यह किसानों की एक्स्ट्रा आय का जरिया

किसान के बेटे डॉ. राजेश कुमार सिंह ने एग्रीकल्चर विषय में ही पढ़ाई की, ताकि किसानों की हर छोटी-मोटी दिक्क्तों की खत्म कर सकें और आज वह अपने काम के ज़रिए इसी प्रयास में लगें हैं। उनके नए प्रयोगों से अब तक 2000 किसानों की आय बढ़ चुकी है।

कृषि प्रधान देश में आज भी कई किसान मौसम की मार या बाजार के भाव पर निर्भर हैं। जिसके कारण अक्सर उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ता है। अपने किसान पिता को ऐसी ही समस्या का सामना करते हुए देखकर, डॉ. राजेश सिंह ने बचपन से यह फैसला किया था कि वह किसानों की इस दशा को सुधारने के लिए जरूर कुछ करेंगे।

इसी उदेश्य के साथ उन्होंने एग्रीकल्चर विषय की पढ़ाई की और आज वह कई किसानों की आय बढ़ाने में मददरूप बन रहे हैं। राजेश फ़िलहाल, बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय बांदा उत्तर प्रदेश में सब्जी विज्ञान विभाग में प्रोफेसर के तौर पर काम कर रहे हैं।

जब उन्होंने देखा कि ट्रॉपिकल क्लाइमेट होने के कारण किसान यहां खुले माहौल में नए प्रयोग नहीं कर पा रहें। तब उन्होंने एक पॉली हाउस बनाकर प्रोटेक्टेड क्लाइमेट में एक्सॉटिक फल-सब्जियां उगाना शुरू किया।

Dr. Rajesh Singh

उन्होंने किसानों को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग देने के लिए टमाटर के पौधे के नीचे फूलगोभी, अदरक, लहसुन जैसी सब्जियां उगाना शुरू किया। खास बात यह है कि वह कम पानी और कम जगह में ये सारे प्रयोग कर रहे हैं। हालांकि शुरुआत में किसानों को पॉली हॉउस बनाने का निवेश करना पड़ता है लेकिन डॉ. राजेश इस पूरी प्रक्रिया में किसानों की मदद करते हैं।

जुड़ें 2000 से ज़्यादा किसान

समय के साथ वह कई पारम्परिक खेती से जुड़ें किसानों को सीज़नल सब्जियों की खेती से जोड़कर उनकी आय बढ़ा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, देशभर के करीबन 2000 किसान आज उनसे जुड़कर प्रोटेक्टेड फार्मिंग की जानकारी ले रहे हैं।

अगर आप भी पारम्परिक खेती से हटकर कुछ अलग करना चाहते हैं और सही मार्गदर्शन की तलाश में हैं, तो आप डॉ. राजेश से 98813 03443 पर संपर्क कर सकते हैं।