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डायल 112 सेवा के उपलब्धियों की एडीजी ने दी जानकारी, अबतक 4.50 लाख लोगों की सुनी गयी समस्याएं

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PATNA : एडीजी मुख्यालय जे एस गंगवार ने कहा की आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ईआरएसएस) के तहत डायल 112 सेवा का शुभारंभ 6 जुलाई 2022 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा हरी झंडी दिखाकर किया गया था। इसके बाद तब से लेकर अब तक कुल 4 लाख 50 हजार लोगों की शिकायतें सुनी गई है।

 

उन्होंने कहा की लगातार डायल 112 की निगरानी बिहार पुलिस मुख्यालय द्वारा रखी जाती है। जिसके फलस्वरूप ERSS टीम द्वारा किसी भी कॉल पर रेस्पोंड करने के समय दिसंबर माह में 51 मिनट ,1 महिने में कॉल दर्ज होने की संख्या 26 हजार 114 ,जिसमें 842 पर मामला दर्ज किया गया।

 

वहीँ गंगवार ने बताया की पहले की अपेक्षा जुलाई 2023 में औसत रिस्पॉन्ड टाइम घटकर 21 मिनट 48 सेकेंड हो गया। जबकि कॉल दर्ज की संख्या बढ़ाकर एक दिन में 3 हजार 558 हो गया है। एडीजी मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया कि लगातार मॉनिटरिंग और कार्रवाई से कॉल रिसपौंड की संख्या बढ़ी है।

उन्होंने कहा की ससमय ERSS की ओर से पीड़ितों को मदद मिल रहा है। एडीजी ने लोगो से फिर एक बार अपील करते हुए कहा कि आम जनता के मदद को लेकर डायल 112 की सुविधा 24 घंटे सहायता को लेकर उपलब्ध है।

बिहार कांग्रेस ने साफ कहा है कि नीतीश कुमार चाह रहे कि कल-परसों में ही मोदी जी को हटा दें

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PATNA: बिहार की राजनीति में सत्ता पक्ष में ही शह-मात का खेल जारी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस पर आरोप लगाकर खलमची दी थी. अब बारी कांग्रेस की है. कांग्रेस ने नीतीश कुमार को ऐसा जवाब दिया, जिसकी कल्पना भी नहीं की होगी. बिहार कांग्रेस ने साफ कहा है कि नीतीश कुमार चाह रहे कि कल-परसों में ही मोदी जी को हटा दें.

 

 

अखिलेश ने नीतीश को दिया जवाब

 

बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि नीतीश जी चाहते हैं कि कल परसों ही मोदी को हटा दें. ऐसा संभव नहीं है. क्यों कि चुनाव का समय तो तय है. सदाकत आश्रम में प्रेस कांफ्रेंस कर अखिलेश सिंह ने मुख्यमंत्री को नसीहत भी दे दी. उनसे पूछा गया कि सीएम नीतीश कह रहे कि कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव पर ही ध्य़ान दे रही है, इंडिया गठबंधन को लेकर कांग्रेस की दिलचस्पी नहीं है. सवाल सुनते ही बिहार कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि नीतीश जी का निहितार्थ यह था की और तेजी से कम होना चाहिए.

 

 

नीतीश जी चाहते हैं कि कल परसों ही मोदी जी हट जाएं

 

अखिलेश सिंह ने कहा कि नीतीश जी चाहते हैं कि कल-परसों ही मोदी जी हट जाएं. लेकिन उसका तो समय तय है ना. लोकसभा चुनाव तो अप्रैल महीने में न होगा ? राज्य से ही भारत बना है, राज्य से ही इंडिया बनता है. पांच राज्यों में चुनाव है . छत्तीसगढ़ में हमारी सरकार है, मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार बनने वाली है, राजस्थान में भी कांग्रेस की सरकार बनने वाली है. तेलंगाना में कांग्रेस की लड़ाई एक रीजनल पार्टी से है. एक और राज्य मिजोरम है वहां भी रीजनल पार्टी से सीधे कांग्रेस की लड़ाई है. राज्यों का चुनाव भी महत्वपूर्ण होता है . इन पांचो राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनेगी तो इंडिया गठबंधन को सीधा लाभ होगा. इससे ताकत मिलेगी नीतीश जी को और लालू जी को भी.

 

 

सीएम नीतीश ने कांग्रेस को लेकर क्या कहा था…

 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2 नवंबर को वाम दल द्वारा आयोजित भाजपा हटाओ देश बचाओ रैली के दौरान I.N.D.I.A. गठबंधन में कांग्रेस की मौजूदा भूमिका को लेकर बड़ी बात कही थी. उन्होंने कहा था कि ऐसा लगता है कांग्रेस पार्टी को अब इसकी कोई चिंता नहीं है. फिलहाल कांग्रेस को पांच राज्यों के चुनाव की ज्यादा चिंता है. कांग्रेस इसी में लगी हुई है. इंडिया गठबंधन और 2024 के चुनाव को लेकर कोई चर्चा ही नहीं हो रही है. नीतीश कुमार ने ये भी कहा कि हम सभी लोग एकजुट होकर कांग्रेस पार्टी को ही आगे बढ़ने का काम कर रहे थे लेकिन कांग्रेस को इसकी कोई चिंता नहीं है.

क्या INDIA गठबंधन में सब सही है? बिहार CM नीतीश कुमार को इतनी चिंता क्यों सता रही?

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क्या इन दिनों इंडिया गठबंधन में सब सही चल रहा है? इसे लेकर कई लोग चिंतन और मंथन करने लगे हैं। ‘इंडिया’ गठबंधन के जन्म के बाद से ही भाजपा की नींद उड़ गई और उसने भी अपने ‘एनडीए’ पर पड़ी हुई धूल को तुरंत झाड़ दिया। ‘इंडिया’ का झटका ऐसा लगा कि मोदी और उनके लोगों ने ‘इंडिया’ नाम पर अघोषित बंदी लगा दी।

‘इंडिया’ गठबंधन में मथन शुरू

इसका अर्थ यह है कि सत्ताधारी दल में ‘इंडिया’ पर चिंतन और मंथन शुरू हो गया है। यह ‘इंडिया’ की प्राथमिक सफलता है, लेकिन इंडिया गठबंधन के कुछ साथियों के चिंतित होने की वजह से इस पर मंथन करना जरूरी हो गया है। जम्मू-कश्मीर के उमर अब्दुल्ला और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ‘इंडिया’ पर टिप्पणी की। अब्दुल्ला ने कहा कि ‘इंडिया गठबंधन की स्थिति अभी मजबूत नहीं है। कुछ अंदरूनी कलह है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में तो इस तरह के मतभेद नहीं होने चाहिए।’ उत्तर प्रदेश विधानसभा की सभी सीटों पर लड़ने की घोषणा समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने की।

अब्दुल्ला ने कहा कि यह इंडिया गठबंधन के लिए अच्छा नहीं है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने ‘सपा’ को साथ नहीं रखा, ‘आप’ भी स्वतंत्र रूप से मैदान में है। यह सब सच है, लेकिन चिंताजनक नहीं। ‘इंडिया’ गठबंधन की स्थापना दिल्ली में तानाशाही शासन को उखाड़ फेंकने के लिए की गई थी और इसी पर सभी एकमत हैं। राज्यों की स्थिति और राजनीति अलग-अलग होती है और उन्हीं के अनुसार उस राज्य की प्रमुख पार्टियों को निर्णय लेने होते हैं। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ने वाली मुख्य पार्टी कांग्रेस है और बाकी पार्टियां वहां दूसरे नंबर पर हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का मुकाबला भाजपा से है, जबकि तेलंगाना में कांग्रेस बढ़त के साथ आगे आएगी, यह दिखाई दे रहा है। तेलंगाना में सत्ता परिवर्तन होगा, ऐसी साफ तस्वीर है।

लोकतंत्र बचाने का आखिरी मौका

वहीं बसपा सुप्रीमों मायावती ने मध्य प्रदेश में अपना हाथी घुसाया है तो बस कांग्रेस को कमजोर करने के लिए। कुछ छोटी-मोटी घटनाओं को छोड़ दें तो पांच राज्यों में ‘इंडिया’ गठबंधन को चिंता करने जैसी कोई बात नजर नहीं आ रही है। पांच राज्यों के चुनाव आगामी लोकसभा की रंगारंग रिहर्सल है इसलिए अगर इस चुनाव में कांग्रेस ने राहुल-प्रियंका गांधी को झोंक दिया है तो यह सही फैसला है। उलटे भाजपा की हार के लिए इन राज्यों में ‘इंडिया’ के सभी घटकों को योगदान देना ही चाहिए। लोकतंत्र बचाने का यह सबके पास आखिरी मौका है, लेकिन नीतीश कुमार की चिंताएं थोड़ी अलग हैं। नीतीश कहते हैं कि ‘कांग्रेस को ‘इंडिया’ से ज्यादा चुनाव में दिलचस्पी है।’ नीतीश की बातें गलत नहीं हैं, लेकिन उन्हें हकीकत से इंकार नहीं करना चाहिए।

नीतीश कुमार की चिंता जायज

‘इंडिया’ गठबंधन के सभी दलों को चुनाव में ही दिलचस्पी होनी चाहिए। हम राजनीति में हैं और यदि हमें दिल्ली की सत्ता का आधार मजबूत करना है तो हमें विधानसभा चुनाव जीतना होगा और सभी पांच राज्यों पर कब्जा जमाना होगा। नीतीश कुमार को अफसोस इस बात का है कि ‘इंडिया’ गठबंधन की गतिविधियां रुक गई हैं और इसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार है।

पांच राज्यों के चुनाव जीतने में उन्हें रुचि है। उन्हें विपक्षी मोर्चे को आगे ले जाने की चिंता नहीं हैं। नीतीश कुमार की चिंता और अफसोस गलत नहीं है, इस पर ‘इंडिया’ को एक साथ प्रतिक्रिया देनी चाहिए। सार्वजनिक रूप से मत व्यक्त कर भाजपा को गुदगुदाइए नहीं। कांग्रेस ‘इंडिया’ गठबंधन का एक बड़ा दल है, लेकिन ‘इंडिया’ गठबंधन में विविध विचारों के दल एक साथ आए हैं। इसमें शिवसेना जैसा हिंदुत्ववादी दल भी शामिल है इसलिए ‘इंडिया’ समावेशी है। यह निर्णय लिया गया है कि राज्यों के सीट आवंटन और अन्य मतभेदों को सुलझाने के लिए निचले स्तर पर समन्वय समितियों का सहारा लिया जाए और राष्ट्रीय स्तर पर एक स्वतंत्र समिति काम करेगी।

चुनावों से ग्रस्त है लोकतंत्र

सभी दल चुनाव में अपना अस्तित्व दिखाना चाहते हैं। विधानसभा, स्थानीय स्वराज्य संस्था स्तर पर ‘इंडिया’ का एकत्रित होना उन राज्यों की परिस्थिति और दलों की ताकत पर निर्भर होगा, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर वर्तमान भ्रष्ट, मनमाने, तानाशाही शासन को परास्त करने के लिए ‘इंडिया’ मजबूती के साथ खड़ा है। नीतीश कुमार कहते हैं, कांग्रेस को चुनाव में ज्यादा दिलचस्पी है। ऐसी दिलचस्पी अपने देश में किसे नहीं है? हमारा लोकतंत्र चुनावों से ग्रस्त है। इसलिए हमारे प्रधानमंत्री, गृहमंत्री रक्षामंत्री देश के मुद्दों को मणिपुर की आग में डालकर जब देखो तब चुनाव प्रचार में लगे रहते हैं। ‘इंडिया’ के घटक दलों को भी आनेवाले कुछ-कुछ समय तक यही नीति अपनानी चाहिए। यदि चुनाव नहीं लड़ना है और दृढ़ता से जीतना नहीं चाहते तो एक साथ आने का क्या मतलब?

सत्ता का दुरुपयोग

नीतीश कुमार का कहना है कि मोदी-शाह की तानाशाही विपक्ष पर अत्याचार कर रही है। ‘ईडी’ छापे मारकर भाजपा विरोधियों को जेल में डाल रही है। लोगों द्वारा चुने गए मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों को गिरफ्तार कर रहे हैं और यह सभी कार्रवाई एकतरफा हो रही है। सत्ता का दुरुपयोग और पैसे की मदमस्ती पर अंकुश लगाकर देश में लोकतंत्र की पुर्नस्थापना करनी होगी और इसके लिए पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस को जीत हासिल करनी होगी। यह ‘इंडिया’ गठबंधन की मजबूती के लिए अहम होगा। नीतीश कुमार की चिंताओं का सम्मान किया जाना चाहिए। ‘इंडिया’ गठबंधन का बीज उन्होंने ही बोया है। उमर अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर-लद्दाख की सभी सीटें जीतने का बीड़ा उठाना चाहिए।

‘हकबका गए हैं…’, अमित शाह के आरोपों का तेजस्वी यादव ने दिया जवाब, जानें क्या कहा

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पटना: उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अमित शाह पर हमला करते हुए कहा कि वो हम ही को फायदा पहुंचाने आ रहे हैं. बार बार आएं. तेजस्वी यादव ने सोमवार (06 नवंबर) को विधानसभा परिसर में यह बयान दिया. यह भी कहा कि अमित शाह बार-बार आते रहें. अमित शाह को क्या बोलना था और क्या बोल गए. ये लोग हकबका गए हैं।

सवालों के जवाब में तेजस्वी यादव ने कहा कि एक बात बताएं कि कहा जा रहा है कि आंकड़े बढ़ा दिए गए और घटा दिए गए तो यह किस आधार पर बोल रहे हैं? अनुमान के मुताबिक? बढ़ाया या घटाया किसी आधार पर न ये बात बोलेंगे? बढ़ाना होता तो नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री हैं, कुर्मी समाज का और नहीं बढ़वा देते?

अमित शाह के इस बयान पर कि जातीय गणना में पिछड़ा-अतिपिछड़ा के आंकड़ों को घटा दिया गया है. इस पर तेजस्वी यादव ने कहा कि अमित शाह ने कहा कि यादवों की संख्या बढ़ा दी गई तो क्या यादव पिछड़ा नहीं हैं क्या? 1931 के आंकड़ों में 11 प्रतिशत यादव थे. यह तब था जब ओडिशा और झारखंड साथ में था. दोनों राज्यों के अलग होने के बाद और इतने दिनों के बाद देख लिया जाए कि कितना बढ़ा है. जहां तक मुस्लिम की बात है तो ये तो हर बार बढ़ता रहा है. वो तो सबके सामने है।

सम्राट चौधरी ने सदन में जातीय सर्वेक्षण रिपोर्ट पर की डिबेट कराने की मांग, कहा- ‘प्रक्रिया बताने का काम करे सरकार’

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बिहार में जातीय जनगणना पर सियासत थमने का नाम नहीं ले रहा है. गणना सर्वेक्षण रिपोर्ट पर विपक्षी दल लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं. बिहार विधान मंडल का शीतकालीन सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन पहले ही दिन जोरदार हंगामा देखने को मिला. विपक्षी दलों ने अलग-अलग मुद्दों को लेकर सदन में जमकर बवाल किया. खासकर जातीय सर्वेक्षण रिपोर्ट को लेकर भाजपा के सदस्यों ने सरकार को घेरने की कोशिश की है।

इसको लेकर बीजेपी के लोगों का साफ-साफ कहना है कि बिहार में जो जातीय गणना कराई गई है, उसके आंकड़े सही नहीं है. खास जातियों की संख्या को बढ़ाकर दिखाया गया है जो कहीं से ठीक नहीं है. इधर महागठबंधन के नेताओं का कहना है कि इसमें कहीं कोई गड़बड़ी नहीं है, बीजेपी के लोग दुष्प्रचार करने का काम कर रहे हैं।

बिहार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि सरकार को जातीय गणना के आंकड़ों पर सदन में चर्चा करनी ही होगी. उन्होंने कहा कि सरकार ने कैसे-कैसे, क्या-क्या किया है और रिपोर्ट जारी करने की पूरी प्रक्रिया क्या है, ये हमें बताए और इसपर डिबेट कराए।

 

इस्तीफे की मांग पर बीजेपी को तेजस्वी का दो टूक, कहा – डेली-डेली कहते हैं इस्तीफा दे दो.. काहें दें दे भाई

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बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के पहले दिन बिहार में बिगड़ती कानून व्यवस्था, शिक्षक बहाली और जातीय गणना के आंकड़ों में फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की। बीजेपी ने इन मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से इस्तीफे की मांग की। विपक्ष को मांग पर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने बीजेपी को दो टूक जवाब दिया है।

बिहार में बिगड़ती कानून व्यवस्था, शिक्षक बहाली और जातीय गणना के आंकड़ों को लेकर बीजेपी द्वारा सरकार के ऊपर लगाए जा रहे आरोपों को डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने पूरी तरह से बेबुनियाद बताया है। उन्होंने कहा कि इससे सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। ये लोग हर दिन सिर्फ कहते हैं इस्तीफा दे दो, इस्तीफा दे दो… काहे का इस्तीफा दे दो भाई। लाखों के तादाद में नौकरियां बंट रही है, शिक्षा व्यवस्था को सुधारा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारा जा रहा है, कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। बिहार जो कर रहा है देश में उसकी चर्चा हो रही है। हर राज्य में उसकी मांग उठ रही है, तो किस बात का इस्तीफा दे दिया जाए। हमलोग से इस्तीफा मांगने से क्या होगा, देना ही है तो भारत सरकार के लोग इस्तीफा दे दें।

पटना में शरारती लोगों ने सरकारी स्कूल की पानी की टंकी में जहरीला पदार्थ मिला दिया

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शनिवार को पटना के पास एक सरकारी स्कूल की पानी की टंकी में शरारती तत्वों ने जहरीला पदार्थ मिला दिया, मगर 100 से अधिक स्कूली बच्चे और शिक्षक बाल-बाल बच गए। घटना नौबतपुर थाने के तरेत पाली गांव की है। जब कुछ छात्र पानी पीने के लिए नल के पास गए तो उन्हें कुछ दुर्गंध की गंध आई और उन्होंने तुरंत स्कूल के शिक्षकों और प्रिंसिपल को सूचित किया। तरेत पाली सरकारी स्कूल की प्रिंसिपल कुमारी खुशबू ने कहा कि मैं अभी स्कूल पहुंचा ही था कि कुछ छात्रों ने पानी में दुर्गंध की शिकायत की।

टंकी में जहर

उन्होंने कहा कि हम तुरंत नल के पास गए और देखा कि पानी से दुर्गंध आ रही थी और उसका रंग भी आसमानी नीला हो गया था। हम फिर छत पर गए और देखा कि टैंक के अंदर का पानी नीला था और उसमें से दुर्गंध आ रही थी। उन्होंने कहा कि शुरुआत में हमारे शिक्षकों ने टैंक को खाली करने और उसमें ताज़ा पानी भरने का सुझाव दिया। हालांकि, मुझे संदेह हुआ कि यह एक आपराधिक कृत्य हो सकता है और इसलिए ब्लॉक शिक्षा अधिकारी और नौबतपुर पुलिस स्टेशन के एसएचओ को सूचित किया।

तरेत पाली की घटना

खुशबू ने कहा कि फॉरेंसिक अधिकारी स्कूल आए और टैंक से पानी का नमूना एकत्र किया। सौभाग्य से, एक भी छात्र ने पानी नहीं पिया। हमने उस दिन के लिए मध्याह्न भोजन की तैयारी भी रोक दी। नौबतपुर पुलिस स्टेशन के एसएचओ प्रशांत भारद्वाज ने कहा कि हमें स्कूल के प्रिंसिपल से एक लिखित शिकायत मिली है और अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। हमने टैंक से पानी का नमूना लेने के लिए फोरेंसिक टीम को बुलाया। पुलिस इस कृत्य में शामिल लोगों का पता लगाने के लिए इलाके के सीसीटीवी फुटेज भी स्कैन कर रही है।

समलैंगिता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बिहार में सेम सेक्स का आया पहला मामला, लगभग 20 दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिया फेसला

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PATNA : लगभग 20 दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने लंबी बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता पर फैसला दिया था कि वह शादी नहीं कर सकते हैं। लेकिन साथ रहने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सहमति प्रदान की थी। साथ ही ऐसे जोड़ों के लिए सेफ हाउस का इंतजाम करने और उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद बिहार की राजधानी में पहला ऐसा मामला सामने आया, जब दो बालिग लड़कियों ने अपने लेस्बियन रिलेशन को सुरक्षा देने की मांग पटना के महिला थाना से की। लेकिन पटना महिला थाना ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के विपरीत जाते हुए दोनों लड़कियों को जबरन उनके परिजनों के साथ भेज दिया है। अब इस मामले में उन लड़कियों ने जान का खतरा बताते हुए मदद की मांग की है। जिसका मोबाइल स्क्रीन शॉट वायरल हो रहा है।

 

सीवान की है दोनों लड़कियां

 

सीवान की रहने वाली दोनो बालिग युवतियां आपस में मौसेरी बहन है जिन्होंने एक साथ जीवन जीने का फैसला कर घर से बीते दिनों माता पिता के मर्जी के खिलाफ घर से निकल भागी और पटना पहुंची रविवार को पटना के महिला थाने पहुंच पुलिस से अपने सुरक्षा की गुहार लगाई है । लेकिन महिला थाना से उन्हें मदद नहीं मिली। बल्कि उसकी जगह परिजनों को बुला दिया गया। जब दोनों ने साथ जाने से इनकार कर दिया तो जबरन उन्हें परिजनों के साथ भेज दिया गया।

 

 

पैसे लेने का आरोप

 

मामले में दोनों लड़कियों में से एक का व्हाट्स अप चैट का एक स्क्रीन शॉट भी सामने आया है। जिसमें उसने महिला थाना पुलिस पर आरोप लगाया है कि उन्होंने अम्मी से दस हजार रुपए लेकर परिजनों के हवाले कर दिया। इन युवतियों ने बताया कि देर रात मीडिया वालों के जाने के बाद हमलोगों की थाने में जमकर पिटाई की गई और हमारा सामान भी छीन लिया गया। बाद में जबरन परिजनों के साथ गाड़ी में बैठा दिया गया। उस समय हमारा बैग वापस किया गया।

 

 

दोनों लड़कियों ने कहा हमारी जान का खतरा बढ़ा

 

स्क्रीन शॉट में दोनों लड़कियों ने बताया कि हम अपनी सुरक्षा को लेकर पुलिस से मदद मांगने पहुंचे थे। लेकिन, महिला थाने ने पैसे लेकर हमारी जान को और भी खतरे में डाल दिया। दोनों ने मीडिया से मदद मांगी है और कहा है कि वह महिला थाने से हमारे बारे में पूछे कि इसमें क्या कार्रवाई की गई।

 

यह है सुप्रीम कोर्ट का आदेश

 

समलैंगिकता पर सुप्रीम कोर्ट से कुछ दिन पहले बड़ा फैसला आया था। जिसमें सीजेआई ने कहा, केंद्र और राज्य सरकार इस बात का ध्यान रखे की समलैंगिक समुदाय के खिलाफ किसी भी तरह का भेदभाव न हो। CJI ने केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि इनके लिए सेफ हाउस, डॉक्टर के ट्रीटमेंट, एक हेल्पलाइन फोन नंबर जिस पर वो अपनी शिकायत कर सकें, सामाजिक भेदभाव न हो, पुलिस उन्हे परेशान न करें, अगर वे घर न जाएं तो उन्हें जबरदस्ती घर ना भेजे।

 

सीजेआई ने कहा कि समलैंगिक अधिकारों के बारे में जनता को जागरूक करें. समलैंगिक समुदाय के लिए हॉटलाइन बनाए। समलैंगिक जोड़े के लिए सुरक्षित घर बनाएं. सुनिश्चित करें कि अंतर-लिंगीय बच्चों को ऑपरेशन के लिए मजबूर नहीं किया जाए. किसी भी व्यक्ति को किसी भी हार्मोनल थेरेपी से गुजरने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।

शिक्षक नियुक्त किया, लेकिन उनकी सैलरी के लिए फंड की नहीं की व्यवस्था : भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर

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PATNA : बिहार में आज से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र को लेकर सरकार को घेरने के लिए विपक्षी दल ने पूरी तैयारी कर ली है। शिक्षक नियुक्ति, जातीय गणना सहित बिहार में तेजी से बढ़े भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगने की तैयारी है। भाजपा के फायर ब्रांड विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने कहा कि सरकार तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है।

 

उन्होंने जातीय गणना रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसमें ओबीसी को 36 परसेंट बताया गया है। इसलिए हमारी मांग है ओबीसी को उनकी आबादी के अनुसार हिस्सेदारी दे। बिहार के मुख्यमंत्री का पद अतिपिछड़े से बनाया जाए।

 

 

उन्होंने शिक्षक नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह पूरी तरह से मनी फॉर जॉब है। जिसमें बिहार के युवाओं को मौका नहीं मिला है। सबसे बड़ा सवाल है कि इतनी संख्या में शिक्षकों की सैलरी देने के लिए फंड कहां से आएगा, सरकार ने इसका कोई जिक्र अब तक नहीं किया है। सरकार की इन्ही गलत नीतियों के कारण आनेवाले समय में यही शिक्षक सड़क पर हड़ताल करते हुए नजर आएंगे।

 

 

हजारों एकड़ जमीन का हिसाब नहीं

 

बिस्फी विधायक ने कहा कि नए भू-नीति के कारण हजारों एकड़ जमीन का कोई हिसाब नहीं मिल पा रहा है। जिसका जवाब सरकार को देना होगा।साथ ही राज्य में जिस तेजी से अपराध बढ़े हैं, उसको लेकर भी सरकार से जवाब मांगा जाएगा।