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भारतीय खिलाड़ी शुभमन गिल का फॉर्म आ सकता है वापस, लेकिन क्या रोहित शर्मा करेंगे ये फैसला

वैसे तो शायद शुभमन गिल इस बात को नहीं मानेंग, लेकिन अगर आंकड़ों पर गौर करें तो पाएंगे कि गिल का फार्म इस वक्त गया हुआ है। वे भारत के तीनों फॉर्मेट प्लेयर हैं, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उनका बल्ला पूरी तरह से खामोशी ओढ़े हुए है। उनसे रन ही नहीं बन रहे हैं। खास तौर पर जब से शुभमन गिल ने तीसरे नंबर पर मोर्चा संभाला है, उनके बल्ले से एक भी बड़ी पारी नहीं आई है। लेकिन शुभमन का फॉर्म एक बार फिर से वापस आ सकता है, लेकिन इसके लिए कप्तान रोहित शर्मा को बड़ा फैसला करना होगा।

शुभमन ने खुद ही ली थी तीसरे नंबर की पोजिशन 

शुभमन गिल भारत के सलामी बल्लेबाज हुआ करते थे। उन्होंने अपना टेस्ट डेब्यू भी वहीं किया था। ओपनिंग करते हुए उन्होंने खूब रन भी बनाए। लेकिन जब भारतीय टीम वेस्टइंडीज गई तो न जाने उनके मन में क्या आया कि खुद ही प्रस्ताव रख दिया कि तीसरे नंबर पर खेलना चाहते हैं। बस तब से लेकर अब तक उनका बल्ला खामोश है। बल्ले से रन न निकलना दूसरी बात है, उनका इंटेंट भी इस तरह का नजर नहीं आता कि वे बड़े रन कर सकते हैं।

गिल फिर से ओपन कर सकते हैं, अगर रोहित शर्मा चाहें तो 

गिल भी शायद अब सोच रहे होंगे कि उन्होंने तीन नंबर पर खेलकर गलत फैसला कर लिया है। लेकिन अगर रोहित शर्मा और टीम मैनेजमेंट चाहे तो उनका फार्म वापस आ सकता है। इसलिए करना इतना होगा कि उन्हें फिर से ओपंिनंग की जिम्मेदारी दी जाए। रोहित शर्मा अगर चाहें तो वे नंबर तीन पर आ सकते हैं। इससे गिल और जायसवाल को ओपनिंग की जिम्मेदारी मिल सकती है। इससे राइट और लेफ्ट हैंड का कॉबिनेशन भी बना रहेगा। रोहित शर्मा वैसे भी पहले नीचे खेलते आए हैं और वे स्पिन के अच्छे बल्लेबाज हैं। ये एक चांस होगा कि शुभमन गिल अपना फार्म वापस हासिल करें।

भारत बनाम इंग्लैंड सीरीज में नहीं चला बल्ला तो होगी दिक्कत 

शुभमन गिल अभी इंग्लैंड के खिलाफ खेली जा रही पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के बचे हुए 4 मैच तो खेलेंगे ही, लेकिन इसके बाद भी अगर उनके बल्ले से रन नहीं आए तो जरूर सेलेक्टर्स उन्हें सेलेक्ट करने से पहले दस बार सोचेंगे। ऐसे में शुभमन गिल के करियर पर भी संकट के बादल मंडरा सकते हैं। वैसे तो शुभमन वनडे और टी20 में ओपनिंग ही करते हैं, इसलिए उनके लिए वापस अपनी पुरानी भूमिका में लौटना कोई बहुत ज्यादा मुश्किल काम नहीं होना चाहिए। देखना होगा कि कोच राहुल द्रविड़ इस बारे में सोचते हैं या फिर ऐसा ही चलने देते हैं।

इस राज्य में जल्द लागू होगा UCC, विधानसभा सत्र में विधेयक लाएगी सरकार, जानें CM ने क्या कहा

उत्तराखंड से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। उत्तराखंड में जल्द यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू होगा। धामी सरकार विधानसभा सत्र में UCC विधेयक लाएगी। 2 फरवरी को कमेटी राज्य सरकार को ड्राफ्ट सौंपेगी। सीएम पुष्कर सिंह धामी का इस मुद्दे पर बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा कि सरकार यूसीसी लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।

यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है?

यूनिफॉर्म सिविल कोड को हिंदी में समान नागरिक संहिता कहते हैं। इसका मतलब होता है एक देश और एक कानून। जिन भी देशों में समान नागरिक संहिता लागू होती है, वहां विवाह, बच्चा गोद लेना, तलाक, संपत्ति के बंटवारे से लेकर अन्‍य सभी विषयों को लेकर जो भी कानून बनाए गए हैं, वो सभी धर्म के नागरिकों पर समान रूप लागू होते हैं।

हालांकि भारत में अभी ऐसा नहीं है। यहां कई निजी कानून धर्म के आधार पर तय होते हैं। ऐसे में समान नागरिक संहिता लागू होने पर सभी धर्मों को वह कानून मानना पड़ेगा, जो संसद में बनेगा।

क्रिकेटर श्रेयस अय्यर का क्या होगा, डेब्यू टेस्ट में शतक, उसके बाद ऐसा घटिया प्रदर्शन

भारतीय क्रिकेट टीम को इंग्लैंड के खिलाफ पहले ही टेस्ट में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है। सीरीज 5 मैचों की है, इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि रोहित शर्मा की कप्तानी में टीम इंडिया यहां से वापसी करेगी। लेकिन जिन कुछ बल्लेबाजों का प्रदर्शन खराब रहा है, उनका आगे की सीरीज में क्या होगा, ये अपने आप में एक बड़ा सवाल है। खास तौर पर श्रेयस अय्यर को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

टेस्ट में धमाकेदार डेब्यू के बाद खामोश हो गया श्रेयस का बैट 

इंग्लैंड के खिलाफ टीम इंडिया की हार के वैसे तो बहुत सारे कारण हैं, उसमें से एक हैं श्रेयस अय्यर। जिनका बल्ला पिछले काफी वक्त से खामोश है। ये वही श्रेयस हैं, जिनका टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू धमाकेदार तरीके से हुआ है। लेकिन पिछले कुछ वक्त से उनसे रन नहीं बन रहे हैं। इंग्लैंड के खिलाफ दोनों पारियों में भी वे रन नहीं बना पाए। उनके आंकड़ों की बात करें तो शतक तो दूर की बात है, वे अर्धशतक तक का आंकड़ा पार नहीं कर पा रहे हैं।

हैदराबाद टेस्ट में भी नहीं बने श्रेयस के रन 

श्रेयस अय्यर ने इंग्लैंड के खिलाफ हैदराबाद टेस्ट की पहली पारी में 35 रन बनाए, वहीं दूसरी पारी में वे केवल 13 रन बनाकर आउट हो गए। ऐसा ही कुछ हाल उस वक्त भी हुआ था, जब वे साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट खेल रहे थे। उस सीरीज के दोनों मैचों में उन्हें प्लेइंग इलेवन में खेलने का मौका मिला था। पहले टेस्ट में उन्होंने 31 और 6 रन बनाए, वहीं दूसरे मैच में उनके बल्ले से शून्य और नाबाद 4 रन आए।

टेस्ट क्रिकेट में एक शतक लगा चुके हैं श्रेयस 

श्रेयस अय्यर ने टेस्ट क्रिकेट में अपना आखिरी अर्धशतक 22 दिसंबर 2022 को बांग्लादेश के खिलाफ लगाया था। यानी पूरा साल 2023 निकल गया और अब 2024 के पहले ही टेस्ट में वे फ्लॉप रहे। श्रेयस अय्यर ने अब तक टेस्ट में एक ही शतक लगाया है और वे पहले ही यानी डेब्यू मुकाबले में आया था। तब न्यूजीलैंड के खिलाफ कानपुर में खेले गए मैच में उन्होंने पहली पारी में 105 और दूसरी में 65 रन बनाए थे। तब उम्मीद जगी थी कि टेस्ट में एक और बड़ा खिलाड़ी मिल गया है, लेकिन उनके पिछले कुछ समय के प्रदर्शन से भारतीय टीम को संकट में तो डाल ही दिया है। देखना होगा कि दूसरे टेस्ट की प्लेइंग इलेवन में उन्हें मौका मिलता है कि नहीं। अगर मिलता है तो वे कैसा प्रदर्शन करते हैं।

लालू प्रसाद यादव ED ऑफिस में मौजूद, बेटी रोहिणी आचार्य भड़कीं, कहा- कितना गिरोगे गीदड़ों?

बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वह आज पटना में ईडी ऑफिस में मौजूद हैं और उनसे नौकरी के बदले जमीन घोटाले मामले में पूछताछ चल रही है। एक दिन पहले ही नीतीश कुमार ने उनकी पार्टी RJD का साथ छोड़कर NDA का हाथ थाम लिया है। ऐसे में लालू परिवार के हाथ से बिहार सरकार का अहम कंट्रोल भी चला गया है। इन तमाम घटनाक्रमों के बीच लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने एक्स हैंडल पर जमकर भड़ास निकाली है।

रोहिणी ने क्या कहा?

रोहिणी ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, ‘सब को मालूम है कि पापा की क्या हालात है। बिना मदद के चल नहीं सकते। फिर भी कितना गिरोगे गीदड़ों..ये गुदड़ी का लाल लालू है। शेर अकेला है कमजोर नहीं है।’ रोहिणी ने लिखा, ‘अगर मेरे पापा को खरोच आई तो मेरे से बुरा कोई नहीं होगा। मेरे पापा को आज कुछ हुआ तो इसका जिम्मेदार गिरगिट के साथ-साथ सीबीआई, ईडी और इनके मालिक होंगे। नीचता की हदें पार, सेम ऑन यू।’

रोहिणी ने लिखा, ‘इनह्यूमन विहेवियर वाई ईडी ऑफीसर्स, सेम ऑन यू एंड योर आका।’ रोहिणी ने कहा, ‘सब को पता है पापा की हालात ,बिना सहारे चल नहीं सकते। फिर भी बिना उनके सहायक के गेट के अंदर घुसा लिया। मीसा दी या उनके एक सहायक को रिक्वेस्ट करने के बाद भी नहीं जाने दिया। प्लीज आप लोग मेरी मदद करें।’

परीक्षा पे चर्चा: तनाव से कैसे रहें दूर, प्रधानमंत्री मोदी बच्चों को दे रहे टिप्स

बोर्ड की परीक्षाएं शुरु होने वाली हैं और इससे पहले PM Narendra Modi आज देश भर के छात्रों के साथ ‘परीक्षा पे चर्चा’ कर रहे हैं। इस साल ‘परीक्षा पे चर्चा’ का कार्यक्रम शुरू हो चुका है, इसका आयोजन दिल्ली के भारत मंडपम में हो रहा है। बता दें कि पीएम मोदी(PM Modi) द्वारा साल 2018 से ‘परीक्षा पे चर्चा’ प्रोग्राम की शुरुआत की गई थी। परीक्षा पर होने वाली यह चर्चा अब देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के स्टूडेंट्स के बीच भी लोकप्रिय हो रही है।

सवाल: स्पेशल करियर चयन की दुविधा कैसे दूर करें? 

पीएम मोदी: कंफ्यूजन सबसे बुरी स्थिति होती है। हमें अनिश्चितता से भी बचना चाहिए, निर्णय करने से पहले उसके सभी पहलुओं को भांप लें। किसी भी हालत में हमें निर्णायक होना ही चाहिए। निर्णायक होने के बाद कंफ्यूजन की स्थिति ही नहीं होगी। हमें आदत डालने चाहिए कि हम निर्णायक बनें। निर्णय लेने से पहले उसके प्लस मानस जरूर देखें।

सवाल: परीक्षा की तैयारी और स्वास्थ्य का संतुलन कैसे बनाएं? 

पीएम मोदी: जीवन को थोड़ा संतुलित बनाना पड़ता है। स्वस्थ्य शरीर, स्वस्थ्य मन के लिए जरूरी। सनलाइट में भी पढ़ने की आदत डालें, स्वस्थ्य शरीर के लिए धूप जरूरी। कम नींद हेल्दी स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होती, अपनी नींद की रिक्वायरमेंट पूरी करें। नींद जितनी गहरी लेंगे स्वास्थ्य उतनी ही अच्छा होगा। स्टूडेंट्स के अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी डाइट भी बेहद जरूरी, साथ ही एक्सरसाज भी जरूरी। कुछ न कुछ डेडीकेटेड फिजिकल एक्टिविटी जरूरी।

सवाल- परीक्षा के दौरान घबराहट और तनाव से कैसे बचा जाए?

पीएम मोदी: माता पिता के अति उत्साह से कुथ गलतियां होती हैं। परीक्षा हॉल में थोड़ा पहले पहुंचे। परीक्षा हॉल में अंदर पहुंचकर थोड़ा समय हंसी मजाक से बिताइए। परीक्षा केंद्र में बिना वजह ध्यान न भटकाएं। सबसे पहले एक बार पूरा प्रश्न पत्र पढ़ लीजिए और फिर तय अपने हिसाब से सॉल्व करिए। एग्जाम का सबसे बड़ा चैलेंज लिखना, छात्र लिखने की आदत न छोड़ें। छात्र लिखने की प्रैक्टिस न छोड़ें।

लिखकर याद करने की आदत डालेः पीएम मोदी

भारत मंडपम में ‘परीक्षा पे चर्चा‘ में मोदी जी ने कहा कि ‘लिखने की आदत डालें। पहले पठन पाठन करें। फिर उसे लिखकर याद करें। पीमए मोदी ने कहा कि ‘ये प्रश्न तो मुझे आता है, लेकिन जब परीक्षा में लिखते हैं तो लगता है कि आ ही नहीं रहा है, लेकिन लिखकर याद करने से उत्तर नहीं भूलते हैं।’

पीएम मोदी ने कहा कि लिखना चैलेंज है। लिखने की प्रैक्टिस कीजिए। एग्जाम हॉल में बैठने पर लिखने का प्रेशर लगेगा ही नहीं, वैसे ही जैसे तैरना आने पर पानी में जाने का डर नहीं लगता।

सवाल- शिक्षक बच्चों को तनाव मुक्त कैसे करें, मोटिवेट कैसे करें? 

शिक्षक और स्टूडेंट का नाता केवल परीक्षा का नहीं हो। टीचर- स्टूडेंट का नाता हमेशा मजबूत होना चाहिए। टीचर का शुरुआत लेकर से परीक्षा तक स्टूडेंट से नाता बढ़ता रहना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो तनाव की नौबत ही नहीं आएगी शायद: पीएम मोदी

‘दबाव को संभालना सिर्फ विद्यार्थी का काम नहीं’

पीएम मोदी ने कहा कि इच्छाशक्ति से हम दबाव के बावजूद सफलता हासिल कर सकते हैं…हमें दबाव से निपटने की कला को जल्दबाजी में नहीं, बल्कि धीरे-धीरे लागू करना चाहिए। दबाव को संभालना सिर्फ विद्यार्थी का काम नहीं है; इस प्रक्रिया को आसान बनाने की जिम्मेदारी घर पर शिक्षकों और अभिभावकों पर भी है।

‘परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम मेरी भी परीक्षा’

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पीपीसी 2024 से पहले भारत मंडपम में एक प्रदर्शनी का निरीक्षण किया। प्रधान मंत्री ने ऐसी शानदार प्रदर्शनी बनाने के लिए छात्रों और शिक्षकों को बधाई दी। पीएम मोदी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम मेरी भी परीक्षा होती है।

2 करोड़ से ज्यादा स्टूडेंट्स ने कराया रजिस्ट्रेशन

‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम दिल्ली के भारत मंडपम में शुरू हो गया है। इस  वर्ष पीएम मोदी के साथ इस चर्चा में भाग लेने के लिए 2 करोड़ से ज्यादा स्टूडेंट्स ने रजिस्ट्रेशन कराया है। इस वर्ष परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम की सभी विश्वविद्यलयों में लाइव स्ट्रीमिंग भी की जाएगी।

हर साल बढ़ रही लोकप्रियता

बता दें कि पीएम मोदी का छात्रों के साथ ‘परीक्षा पे चर्चा’ का यह सातवां संस्करण है। इसकी शुरूत उन्होंने वर्ष 2018 से की थी, जिसके बाद हर साल यह कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। परीक्षा पे चर्चा की लोकप्रियता अब हर साल बढ़ रही है, जिसका अंदाजा इसके लिए कराए गए करोड़ों की संख्या में रजिस्ट्रेशन्स से लगाया जा सकता है।

राजद और INDI अलायंस से तनाव या कोई बड़ा प्लान, आखिर नीतीश के मन में क्या है?

बिहार की राजनीति में एक बार फिर से उलटफेर करते हुए नीतीश कुमार ने एनडीए के साथ मिलकर नई सरकार का गठन कर लिया है। इसके साथ ही नीतीश ने नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। राजनीतिक गलियारों में कोई इसे नीतीश का मास्टरस्ट्रोक बता रहा है तो वहीं कई लोग इस मुद्दे पर नीतीश कुमार की आलोचना कर रहे हैं। हालांकि, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश के इस कदम से सबसे बड़ा झटका विपक्षी दलों के गठबंधन INDI अलायंस पर पड़ा है। आज बिहार समेत देश के विभिन्न राज्यों के लोग इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि आखिर नीतीश ने इतना बड़ा फैसला क्यों किया? क्या इस कदम से नीतीश कुमार बहुत आगे का गेम खेल रहे हैं? आखिर नीतीश कुमार के मन में है क्या? आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब हमारे इस एक्सप्लेनर के माध्यम से।

INDI अलायंस के कर्ता ही अलग हुए

नीतीश कुमार औपचारिक न सही लेकिन असल मायने में विपक्षी दलों के INDI अलायंस के संस्थापक थे। उन्होंने ही बीते लंबे समय से देश के विभिन्न राज्यों में यात्रा कर के विपक्षी दलों को एकजुट कर के एक साथ केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ चुनाव लड़ने की रुपरेखा तैयार की। माना जा रहा था कि INDI अलायंस आगामी लोकसभा चुनाव में जीत भले न हासिल कर पाए लेकिन भाजपा नीत गठबंधन एनडीए को थोड़ी टक्कर तो दे ही पाएगा। हालांकि, अब नीतीश कुमार खुद ही गठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ चले गए हैं।

संयोजक न बनाए जाने से नाराज हुए नीतीश?

साल 2010 के बाद से ही नीतीश कुमार के समर्थकों की ओर से उन्हें पीएम मटेरियल का नेता कह कर संबोधित करना शुरू कर दिया गया था। 2013 में वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी को एनडीए का चेहरा बनाए जाने के बाद नीतीश खुलकर इसके विरोध में आए और एनडीए को अलविदा कह दिया। हालांकि, नीतीश पर इसका उलटा असर हुआ और वह कभी भी पीएम उम्मीदवार तक नहीं बन सके। जानकार बताते हैं कि INDI अलायंस को शुरू करने के बाद नीतीश के मन में उम्मीद थी कि उन्हें इसके प्रमुख का पद दिया जाएगा। हालांकि, दिल्ली में हुए विपक्षी दलों की बैठक में नीतीश के बजाए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर सामने रखा गया। इसके बाद से ही नीतीश के नाराज होने की खबरें सामने आने लगी। गठबंधन से अलग होने के बाद जदयू नेताओं ने भी कांग्रेस पर गठबंधन को हाइजैक करने का आरोप लगाया है।

पार्टी के ही नेता थे INDI अलायंस के खिलाफ

माना जा रहा है कि नीतीश की पार्टी जदयू के ही नेता INDI अलायंस के खिलाफ थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन की ओर से जदयू ने 17 में से 16 सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि, इस जीत में बड़ी भूमिका पीएम मोदी के चेहरे की थी। इस कारण आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी के मौजूदा सांसदों के जीत की संभावना कम ही नजर आ रही थी। जानकारी के मुताबिक, जदयू के इंटरनल सर्वे में भी सामने आ रहा था कि एनडीए के बैनर तले उनके जीत की संभावना कहीं ज्यादा है। नीतीश भी इन बातों को भांप रहे थे। कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद देकर और परिवारवाद पर निशाना साध कर नीतीश ने कुछ दिनों पहले से ही अपनी मंशा जाहिर कर दी थी।

जदयू के खत्म होने का डर तो नहीं?

साल 2022 में जदयू ने एनडीए से अलग होकर लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद का हाथ थामा और नई सरकार बनाई। हालांकि, इस नई सरकार में सीएम नीतीश के बजाए तेजस्वी यादव की वाहवाही ज्यादा देखने को मिली। चाहे शिक्षक भर्ती हो या राज्य के लिए अन्य फैसले, इनमें नीतीश के बजाए तेजस्वी का भार ज्यादा दिखा। माना ये भी जा रहा था कि जदयू का वोटबैंक राजद की ओर भी शिफ्ट होने लगा है। राजद के मंत्रियों और नेताओं की बयानबाजियों के कारण नीतीश की छवि को भी नुकसान पहुंच रहा था। इसके अलावा नीतीश को तेजस्वी और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह की नजदीकी भी रास नहीं आ रही थी। ऐसे में नीतीश को जदयू के ही दो धड़ों में बंटने की संभावना का भान हो गया। उन्होंने सबसे पहले राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्लन सिंह को अध्यक्ष पद से हटाया और पार्टी की कमान अपने हाथों में लेकर फैसले लेने शुरू किए।

नीतीश के मन में क्या है?

नीतीश कुमार बीजेपी के साथ आगे भी बने रहेंगे, इस बात की कोई गारंटी नहीं है क्योंकि नीतीश पहले भी अपने बयानों से कई बार पलट चुके हैं। हालांकि, मौजूदा राजनीतिक हालातों से ये भी तय है कि नीतीश के पास बीजेपी के अलावा कोई और विकल्प बचा नहीं है। आरजेडी से वह पहले ही कई बार नाता जोड़-तोड़ चुके हैं, वहीं बीजेपी को भी गच्चा दे चुके हैं। इंडी अलायंस के साथ भी उनका दोस्ताना नहीं चल पाया। ऐसे में नीतीश एक ऐसी राह पर चल निकले हैं, जहां अब उनके पास सरकार चलाने और पार्टी बचाने के लिए करो या मरो वाली स्थिति है।

बिहार में फिर से NDA सरकार, PM मोदी बोले- कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे

बिहार में नीतीश कुमार ने एक बार फिर से एनडीए के साथ सरकार बना ली है। नई एनडीए सरकार के शपथ लते ही पीएम नरेंद्र मोदी ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को बधाई दी है। पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में कहा कि बिहार में बनी एनडीए सरकार राज्य के विकास और यहां के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी।

पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्रियों दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने X पोस्ट में लिखा, ” बिहार में बनी एनडीए सरकार राज्य के विकास और यहां के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। नीतीश कुमार जी को मुख्यमंत्री और सम्राट चौधरी जी एवं विजय सिन्हा जी को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर मेरी बहुत-बहुत बधाई। मुझे विश्वास है कि यह टीम पूरे समर्पण भाव से राज्य के मेरे परिवारजनों की सेवा करेगी।”

नीतीश ने एनडीए के साथ फिर बनाई सरकार

गौरतलब है कि बता दें कि नीतीश कुमार ने रविवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर शाम को फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। नीतीश कुमार ने नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। उन्होंने एक बार फिर एनडीए के साथ मिलकर सरकार का गठन किया है। नीतीश के अलावा आज शाम राजभवन में 8 अन्य मंत्रियों ने भी शपथ ली है। इनमें तीन-तीन मंत्री बीजेपी और जेडीयू के हैं और एक मंत्री हम पार्टी और एक निर्दलीय है।

इंडिया गठबंधन से भी दूर हुए नीतीश

इसी के साथ बिहार में 18 महीने पुरानी ‘महागठबंधन’ सरकार का अंत हो गया। नीतीश कुमार ने इस्तीफा देने के साथ विपक्षी ‘‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’’ (इंडिया गठबंधन) से भी नाता तोड़ लिया, जिसका गठन कुछ महीने पहले लोकसभा चुनावों में भाजपा से मुकाबला करने के लिए किया गया था और उन्होंने इसमें अहम भूमिका निभाई थी।

CJI बोले- बड़ी संख्या में लोगों का कोर्ट के पास आना हमारी अहमियत का प्रमाण

28 जनवरी 2024 का दिन भारतीय संविधान के लिए बेहद ही महतवपूर्ण है। आज से 75 वर्ष पहले देश के सर्वोच्च न्यायालय की उद्घाटन बैठक की गई थी। इस दिन, मुख्य न्यायाधीश एच.जे. कानिया के नेतृत्व में संघीय अदालत के छह न्यायाधीश भारत के सर्वोच्च न्यायालय की पहली बैठक के लिए एकत्र हुए थे। वहीं रविवार को एक बार फिर से देश के सर्वोच्च न्यायालय के जज एकत्रित हुए।

इस कार्यक्रम में देश के मौजूदा चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, “न्यायपालिका को प्रभावित करने वाले संरचनात्मक मुद्दों जैसे लंबित मामलों, पुरानी प्रक्रियाओं और स्थगन की संस्कृति पर ध्यान देना चाहिए।” सीजेआई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के डायमंड जुबली ईयर के उद्घाटन पर कहा, ”कानूनी पेशे को स्थगन संस्कृति से व्यावसायिकता की संस्कृति में उभरना चाहिए।”

‘हमें चुनौतियों को पहचानने और कठिन बातचीत शुरू करने की जरूरत’

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, “एक संस्था के रूप में प्रासंगिक बने रहने की हमारी क्षमता के लिए हमें चुनौतियों को पहचानने और कठिन बातचीत शुरू करने की जरूरत है। मौखिक दलीलों का विस्तार न्यायिक परिणामों में लगातार देरी नहीं करता है।” सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की स्थापना आदर्शवाद की इस भावना के साथ की गई थी कि वह कानूनों की व्याख्या कानून के शासन के अनुसार करेगी, न कि औपनिवेशिक मूल्यों या सामाजिक पदानुक्रमों (हायरार्की) के अनुसार।

लोगों का भरोसा सुप्रीम कोर्ट पर कायम-CJI 

CJI ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को समाधान और न्याय की संस्था करार देते हुए उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में लोगों का न्यायपालिका में आना अन्याय, अत्याचार और मनमानी के खिलाफ इसकी मजबूत भूमिका को दर्शाता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों के जरिए लोकस स्टैंडी के मानकों को कमजोर करके और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नए अधिकारों के एक सेट को मान्यता देकर नागरिकों के अधिकारों को बढ़ाया है।

देश में महिलाओं को अब महत्वपूर्ण पदों पर देखा जा सकता – CJI 

सीजेआई चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि देश में महिलाओं को अब महत्वपूर्ण पदों पर देखा जा सकता है। भारत ‘सामाजिक और जनसांख्यिकीय परिवर्तन’ के दौर से गुजर रहा है। कानूनी पेशे में परंपरागत रूप से कम प्रतिनिधित्व वाली महिलाएं अब जिला न्यायपालिका की कामकाजी ताकत का 36.3 प्रतिशत हैं। सीजेआई ने कहा कि मई 2023 में लॉन्च किए गए अपग्रेड ई-फाइलिंग प्लेटफॉर्म ने 24 गुणा 7 मामलों की फाइलिंग को सरल, तेज और सुविधाजनक बना दिया है। फिजिकल फाइलिंग की तुलना में ई-फाइलिंग की हिस्सेदारी में लगातार वृद्धि के साथ अब तक लगभग 1 लाख 28 हजार ई-फाइलिंग की जा चुकी है।

ठंड के वजह से रेलवे परेशान, ट्रेनों का लेट होना जारी, देखें देरी से चल रही गाड़ियों की लिस्ट

उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड और घने कोहरे का कारण लोगों की हालत अब भी खराब चल रही है। घने कोहरा का असर ट्रेनों की आवाजाही पर भी पड़ा है। ठंड और घने कोहरे ने ट्रनों के पहिए जाम कर दिए हैं। नयी दिल्ली की ओर आने वाली ज्यादातर ट्रेने अपने समय से देरी से चल रही है। हालात ऐसे हैं कि यात्रियों को रेलवे स्टेशन पर ही रात काटनी पड़ रही है। आइए जानते हैं दिल्ली आ रही कौन सी ट्रेनें और फ्लाइट्स देरी से चल रही हैं।

ये ट्रेनें हो रही लेट

कोहरे के कारण दिल्ली आ रही विभिन्न की देरी से चलने की जानकारी सामने आ गई है। 15127 बनारस-नई दिल्ली काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस देरी से चल रही है। 20808 हीराकुंड एक्स्प्रेस तो रद्द ही कर दी गई है। 12553 सहरसा-नई दिल्ली वैशाली एक्सप्रेस देरी से चल रही है। 12275 हमसफर एक्सप्रेस देरी से चल रही है। वहीं, 12309 राजेंद्र नगर-नई दिल्ली तेजस राजधानी एक्सप्रेस भी अपने समय से देरी से चल रही है।

क्या है कोहरा का हाल?

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों में घना से बहुत घना कोहरा, पंजाब, दिल्ली, मध्य प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में मध्यम कोहरा और राजस्थान, ओडिशा और आंध्र प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में हल्का कोहरा छाया रहा है।

विजिबिलिटी का बुरा हाल

मौसम विभाग के मुताबिक, पंजाब: पटियाला-200, अमृतसर-500; दिल्ली: पालम-200, सफदरजंग-500; राजस्थान: गंगानगर, जयपुर-500 प्रत्येक; उत्तर प्रदेश: बरेली, बहराईच, गोरखपुर -25 प्रत्येक, वाराणसी, लखनऊ, सुल्तानपुर -50 प्रत्येक; बिहार: पूर्णिया-25, पटना-200, गया, भागलपुर-500 प्रत्येक; मध्य प्रदेश: ग्वेलोर-200; ओडिशा: झारसीगुडा, पुरी-500 प्रत्येक; आंध्र प्रदेश: जिजयवाड़ा-500 विजिबिलिटी दर्ज की गई है।