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कौन हैं सीता सोरेन, जिनकी वजह से पत्नी कल्पना सोरेन को सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठा सके हेमंत सोरेन

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बिहार के बाद अब झारखंड में राजनीति हलचल मची हुई है. झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेता हेमंत सोरेन को कथित जमीन घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया. वहीं, सोरेन परिवार की अनबन भी उभर कर सामने आई है.

जेएमएम के अध्यक्ष और विधायक शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन ने खुले तौर पर कहा कि वो हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी कदम का विरोध करेंगी. उनका ये बयान ऐसे वक्त में आया, जब कयास लगाए गए कि अगर हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया जाता है तो उनकी पत्नी कल्पना मुख्यमंत्री पद के लिए पहली पसंद होंगी.

क्या कहा सीता सोरेन ने?

सीता सोरेन ने कहा, ‘‘मैं पूछना चाहती हूं कि केवल कल्पना सोरेन ही क्यों, जो विधायक भी नहीं हैं और उनके पास कोई राजनीतिक अनुभव भी नहीं है.’’ दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन ने सवाल उठाया कि किस परिस्थिति में उनका (कल्पना सोरेन) नाम अगले मुख्यमंत्री के तौर पर लिया जा रहा है, जबकि पार्टी में इतने सारे वरिष्ठ नेता हैं. विधायकों की बैठक में सीता सोरेन मौजूद नहीं थीं. वह कुछ निजी कारणों से शहर से बाहर थीं.

करीब 14 साल से विधायक सीता ने कहा, ‘‘मैं उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध करूंगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी में कई वरिष्ठ नेता हैं, जिन्हें बागडोर सौंपी जा सकती है. अगर वे एक परिवार से चुनाव करना चाहते हैं तो मैं सदन में सबसे वरिष्ठ हूं और लगभग 14 साल तक विधायक रही हूं.’’

कौन हैं सीता सोरेन?

सीता सोरेन झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के बड़े बेटे दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं. वो इससे पहले भी हेमंत सोरेन सरकार पर जमीन की लूट का आरोप लगा चुकी हैं. साल 2022 में जब हेमंत सोरेन ने बीजेपी पर उनकी सरकार को गिराने के लिए गठबंधन के विधायकों को तोड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाया था, उसी समय हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन ने आरोप लगाया कि झारखंड सरकार खनिज समृद्ध राज्य में “भूमि की लूट” को रोकने में अप्रभावी रही है.

तीन बार की विधायक हैं सीता सोरेन

सीता सोरेन तीन बार की विधायक हैं और उनके पति दुर्गा सोरेन की साल 2009 में सिर्फ 39 साल की उम्र में मौत हो गई थी. सीता सोरेन ने अप्रैल 2022 में आरोप लगाया, “गुरुजी (शिबू सोरेन, झामुमो सुप्रीमो) और मेरे पति के जल, जंगल, जमीन (जल, जंगल और जमीन) के दृष्टिकोण को नष्ट किया जा रहा है. भ्रष्ट अधिकारियों को बचाया जा रहा है. लोगों को हमारी सरकार से उम्मीदें थीं, लेकिन अब वे निराश हैं.”

जेएमएम में महासचिव भी हैं सीता सोरेन

सीता सोरेन जेएमएम में महासचिव पद भी संभालती हैं. उन्होंने धनबाद एसएसपी पर इलाके में अवैध कोयला खनन और उसके परिवहन का समर्थन करने का आरोप लगाया. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व मे ट्विटर) पर केंद्रीय गृह मंत्री और ईडी को टैग करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि 2021 में अवैध खनन के कारण “राज्य को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है.”

ज्ञानवापी मामले में आया हिंदुओं के पक्ष में फैसला तो भड़के असदुद्दीन ओवैसी, कहा…’दोबारा हो सकता है 6 दिसंबर’

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वाराणसी जिला कोर्ट ने ज्ञानवापी के व्यास जी के तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने की अनुमति दी. इसे लेकर एआईएमआईएम के चीफ असददुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का उल्लंघन है. उन्होंने कहा, “आज जज साहब के रिटायरमेंट का आखिरी दिन था. 17 जनवरी को रिसीवर बैठाया. इन्होंने पूरा केस ही डिसाइड कर दिया. जब तक प्रधानमंत्री नरेंद मोदी इस एक्ट पर अपनी चुप्पी तोड़ेंगें नहीं कि वो इसके साथ हैं, तब तक ये सब चलता रहेगा.”

असददुद्दीन ओवैसी बोले, “1993 के बाद से आप खुद कह रहे हैं कि वहां कुछ नहीं हो रहा था. अपील के लिए 30 दिन का समय देना था. ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में पूजा की इजाजत देना गलत है.” बाबरी विध्वंस से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा कि हां, 6 दिसंबर दोबारा हो सकता है, क्यों नहीं हो सकता.”

जिलाधिकारी को कोर्ट ने दिया निर्देश

न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक मुस्लिम पक्ष ने वाराणसी जिला कोर्ट के फैसले को चुनौती देने का फैसला किया है. हिंदू पक्ष के वकील ने बताया कि जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट ने तहखाने में पूजा पाठ करने का अधिकार व्यास जी के नाती शैलेंद्र को दे दिया है.

उन्होंने बताया कि कोर्ट ने अपने आदेश में जिला अधिकारी को निर्देश दिया कि वादी शैलेन्द्र व्यास और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट की ओर से तय किए गए पुजारी से व्यास जी के तहखाने में स्थित मूर्तियों की पूजा और राज भोग कराए जाने की व्यवस्था सात दिन के भीतर कराएं.

गिरिराज सिंह ने कोर्ट के फैसले का किया स्वागत

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ज्ञानवापी पर कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में हिन्दू अपने ही अधिकारों से वंचित रहा हैं, माननीय न्यायालय का निर्णय स्वागत योग्य है. उन्होंने कहा था कि अयोध्या तो केवल झांकी है आगे राम की लीला बाकी है.

कैसे किसी मुख्यमंत्री को किया जा सकता है गिरफ्तार? यहां समझें पूरे नियम कानून

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झारखंड के कथित जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरने से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने उनके घर पर पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया है. इस मामले में ईडी ने कई आरोपियों को गिरफ्तार किया है जिसमें हेमंत सोरेन के करीबी भी शामिल हैं. इससे पहले हेमंत सोरेन को ईडी ने कई समन जारी किए.

ईडी उनके दिल्ली स्थिति आवास पर पहुंची थी लेकिन वो वहां पर नहीं मिले और कई घंटों तक गायब रहने के बाद अचानक से रांची में प्रकट हुए. इसके बाद ईडी की टीम ने रांची पहुंचकर उनसे पूछताछ की. मामले की गंभीरता को देखते हुए रांची के अंदर धारा 144 लागू की गई. सीएम हाउस में डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी भी पहुंचे.

इससे पहले दो तरह की आशंकाएं लगाई गईं. पहली तो ये कि ईडी उन्हें गिरफ्तार कर सकती है और दूसरी ये कि वो अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे सकते हैं. अगर वो अपने पद से इस्तीफा दे देते हैं तब तो वो एक विधायक रह जाएंगे लेकिन अगर वो अपने सीएम पद से इस्तीफा नहीं देते हैं तो मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने के कुछ कायदे कानून हैं जिन्हें फॉलो करना होता है. हालांकि हेमंत सोरेन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और अगले मुख्यमंत्री चंपई सोरेन हो सकते हैं.

मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने के नियम

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत कोई भी आरोपी दोष सिद्ध होने के बाद दोषी हो जाता है. ऐसे में उसकी गिरफ्तारी सिविल और क्रिमिनल दोनों ही मामलों में होती है. वहीं, अगर मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने की बात आती है तो इसको लेकर अलग नियम है. कोड ऑफ सिविल प्रोसेड्यूर के तहत मुख्यमंत्री के संबंध में अलग प्रावधान किए गए हैं, जिसमें विशेष स्थिति में गिरफ्तारी के नियम हैं.

Code of Civil Procedure 135 के तहत किसी भी मुख्यमंत्री या विधान परिषद के सदस्य को गिरफ्तारी में छूट दी गई है. हालांकि ये छूट सिर्फ सिविल मामलों को लेकर है. अगर किसी सीएम पर कोई क्रिमिनल मामला हो जाता है तो ये छूट लागू नहीं होती और क्रिमिनल केस के तहत गिरफ्तारी हो सकती है.

फिर भी लेनी होगी परमिशन

अगर किसी मुख्यमंत्री की क्रिमिनल केस में गिरफ्तारी होनी है तो उससे पहले सदन के अध्यक्ष से मंजूरी लेनी होगी. कुल मिलाकर विधानसभा अध्यक्ष की परमिशन के बाद ही मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जा सकता है. इतना ही नहीं इसके लिए दिनों का भी नियम बना हुआ है.

और क्या है वो नियम?

Code of Civil Procedure 135 के तहत अगर विधानसभा सत्र शुरू होने वाला है तो इसके शुरू होने के 40 दिन पहले और खत्म होने के 40 दिन बाद मुख्यमंत्री को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. साथ ही मुख्यमंत्री को सदन के अंदर से भी गिरफ्तार नहीं किया जा सकता.

हेमंत सोरेन हुए गिरफ्तार, ED ने पूछताछ के बाद किया अरेस्ट, राजभवन में सौंपा इस्तीफा

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इस वक्त झारखंड की राजधानी रांची से बड़ी खबर सामने आ रही है, जहां सूत्रों के हवाले से जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया गया है. सूत्रों के अनुसार ईडी की टीम ने जमीन घोटाला मामले में करीब 7 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद सीएम हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया गया है. वहीं इसके बाद हेमंत सोरेन राजभवन पहुंचकर राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है.

वहीं इसी बीच झारखंड में सत्ताधारी दल के विधायक राजभवन पहुंच चुके हैं. सत्ताधारी दल के सभी विधायकों ने चंपई सोरेन को अपना नेता चुन लिया है. ऐसे में चंपई सोरेन झारखंड के नए सीएम बन सकते हैं. बता दें, ईडी की टीम ने सीएम हाउस में हेमंत सोरेन से करीब 7 घंटे की लंबी पूछताछ की है.  वहीं हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद सीएम आवास, राजभवन, बीजेपी कार्यालय समेत रांची के अलग-अलग इलाकों में सुरक्षा भी बढ़ा दी गयी है.

जवाब से संतुष्ट नहीं थी ED की टीम

सूत्रों के अनुसार अब तक के पूछताछ में ED के अधिकारी हेमंत सोरेन के जवाब से संतुष्ट नहीं है. हेमन्त सोरेन ने अब तक के पूछताछ में सिर्फ हा ना में जवाब दिया है. ED के अधिकारियों ने हेमन्त सोरेन से 40 से ज्यादा सवाल पूछ गए हैं. हेमन्त सोरेन कई सवालों को सुनने के बाद ED अधिकारियों पर झल्ला गए. इस बीच रांची के कई इलाकों में धारा 144 लागू है. सीएम हाउस के बाहर भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है वहीं माइकिंग भी की जा रही है.

चंपई सोरेन बनेंगे झारखंड के नए मुख्यमंत्री, विधायक दल की बैठक में लगी मुहर

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ईडी की टीम ने 7 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद सीएम हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया गया है. वहीं अब झारखंड का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा इसकी चर्चा तेज हो गयी है. सूत्रों के अनुसार सत्ताधारी दल के विधायकों ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को चंपई सोरेन के पक्ष में अपना समर्थन पत्र सौंप दिया है. यानि कि अब हेमंत सोरेन की जगह चंपई सोरेन झारखंड के नए सीएम बन सकते हैं.

इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए जेएमएम नेता राजेश ठाकुर ने कहा कि चंपई सोरेन के नाम पर सहमति बनी है. सत्ताधारी दल के सभी विधायकों ने चंपई सोरेन को अपना नेता चुन लिया है. इस बारे में बन्ना गुप्ता ने कहा कि हमलोगों ने चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुन लिया है.

वहीं हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद सीएम आवास, राजभवन, बीजेपी कार्यालय समेत रांची के अलग-अलग इलाकों में सुरक्षा भी बढ़ा दी गयी है. बता दें, ईडी की टीम ने सीएम हाउस में हेमंत सोरेन से करीब 7 घंटे की लंबी पूछताछ की है. इसके बाद ईडी की टीम करीब बजे सीएम हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई है.

सूत्रों के अनुसार अब तक के पूछताछ में ED के अधिकारी हेमंत सोरेन के जवाब से संतुष्ट नहीं है. हेमन्त सोरेन ने अब तक के पूछताछ में सिर्फ हा ना में जवाब दिया है. ED के अधिकारियों ने हेमन्त सोरेन से 40 से ज्यादा सवाल पूछ गए हैं. हेमन्त सोरेन कई सवालों को सुनने के बाद ED अधिकारियों पर झल्ला गए. इस बीच रांची के कई इलाकों में धारा 144 लागू है. सीएम हाउस के बाहर भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है वहीं माइकिंग भी की जा रही है.

चंपई सोरेन होंगे झारखंड के नए सीएम, निशिकांत दुबे बोले कल्पना सोरेन को क्यों नहीं बना पाए

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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भूमि सौदे से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की पूछताछ के बीच बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने बुधवार (31 जनवरी) को बड़ा दावा किया. उन्होंने कहा कि चंपई सोरेन राज्य के अगले सीएम होंगे.

बीजेपी नेता निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ”चंपई सोरेन जी को विधायक दल ने अगले मुख्यमंत्री के लिए प्रस्तावित किया. हेमंत सोरेन जी कल्पना सोरेन जी को मुख्यमंत्री परिवार के विरोध के कारण नहीं बना पाए.”

दरअसल चंपई सोरेन हेमंत सोरेन सरकार में परिवहन, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री हैं. चंपई इसके अलावा जेएमएम के  उपाध्यक्ष भी हैं.

कल्पना सोरेन का किसने विरोध किया?
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की विधायक और पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन ने खुले तौर पर आज ही कहा कि वह कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी कदम का विरोध करेंगी.

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ED ने किया गिरफ्तार, राजभवन जाकर सीएम पद से दिया इस्तीफा

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इस वक्त झारखंड की राजधानी रांची से बड़ी खबर सामने आ रही है, जहां जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया गया है. सूत्रों के अनुसार ईडी की टीम ने करीब 7 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद सीएम हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया गया है. वहीं हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद सीएम आवास, राजभवन, बीजेपी कार्यालय समेत रांची के अलग-अलग इलाकों में सुरक्षा भी बढ़ा दी गयी है.

जवाब से संतुष्ट नहीं थी ED की टीम

सूत्रों के अनुसार अब तक के पूछताछ में ED के अधिकारी हेमंत सोरेन के जवाब से संतुष्ट नहीं है. हेमन्त सोरेन ने अब तक के पूछताछ में सिर्फ हा ना में जवाब दिया है. ED के अधिकारियों ने हेमन्त सोरेन से 40 से ज्यादा सवाल पूछ गए हैं. हेमन्त सोरेन कई सवालों को सुनने के बाद ED अधिकारियों पर झल्ला गए. इस बीच रांची के कई इलाकों में धारा 144 लागू है. सीएम हाउस के बाहर भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है वहीं माइकिंग भी की जा रही है.

चंपई सोरेन होंगे झारखंड के सीएम

हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी यानि कल्पना सोरेन की सीएम बनाने की चर्चा तेज हो गयी है. वहीं कल्पना सोरेन के अलावा चंपई सोरेन के सीएम बनाने की भी बात कही जा रही है. हालांकि जेएमएम प्लान बी पर भी काम कर रहा है. अब जरा प्लान भी के बारे में जानिए. दरअसल हेमंत सोरेन के प्लान भी में डिप्टी सीएम बनाने का भी प्रस्ताव है. सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक प्लान बी में झारखंड में दो उप मुख्यमंत्री होंगे.

सीएम नीतीश का लालू- तेजस्वी पर हमला, कहा – तेजस्वी बच्चा है, उसको क्या पता है;हमारे काम का क्रेडिट ले रही RJD, लालू का बिहार याद करें

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मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार चार दिन पहले तक अपने डिप्टी सीएम रहे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव और उनके पिता लालू प्रसाद यादव पर बुधवार को बरस पड़े। 17 महीने चली महागठबंधन सरकार के दौरान जातीय गणना, शिक्षक बहाली जैसे काम को लेकर आरजेडी के विज्ञापन में तेजस्वी यादव को धन्यवाद कहने से भड़के सीएम ने कहा कि उनकी नीतियों और सरकार के काम का आरजेडी जबरन क्रेडिट ले रही है। कभी तेजस्वी यादव को उत्तराधिकारी बता चुके नीतीश ने आज उन्हें बच्चा बताते हुए पूछा कि उनको क्या पता है।

नीतीश ने लालू यादव और राबड़ी देवी के कार्यकाल की याद दिलाते हुए कहा- “2005 के पहले क्या स्थिति थी। लोग शाम के बाद बाहर नहीं निकलते थे। रात में यहां से वहां नहीं जा पाते थे लोग। कोई काम नहीं हुआ उस शासन में। सारा काम 2005 के बाद हुआ। सड़कें बनीं, बड़े-बड़े भवन बने। हर घर तक पक्की सड़कें बनीं।

सीएम नीतीश ने कहा कि पहले पैदल घूमना पड़ता था। आज लोग कहीं भी गाड़ी से जा सकते हैं। आज सारा कुछ बदल चुका है।” छठी बार बीजेपी के साथ मिलकर एनडीए सरकार चला रहे नीतीश ने कहा कि उनका एक ही उद्देश्य है, बिहार का विकास करना, विकास का काम करना, इसी में लगा रहता हूं, इसी में लगा रहूंगा। पत्रकारों से उन्होंने बिहार में हुए विकास के काम का प्रचार करने की अपील भी की।

राहुल गांधी पर भड़के CM नीतीश, कहा- हमने अपने दम पर करवाई जातीय गणना, क्रेडिट ले रहा वह

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इंडिया गठबंधन पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि कोई कुछ काम नहीं कर रहा था, इसलिए हमने छोड़ दिया। यह भी तय नहीं कर रहा था कि कितनी सीटों पर चुनाव लड़ना है। अब वह लोग जानें। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि हमने दूसरा नाम बोला था, लेकिन इन लोगों ने “INDIA” नाम रख लिया।

राहुल गांधी के उस बयान पर जिसमें उन्होंने कहा था कि “जातिगत गणना हमारे कहने पर नीतीश कुमार ने कराई थी”। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि बिल्कुल गलत बात है। जातीय गणना हमने अपने दम पर करवाई है। राहुल गांधी फालतू की बात कर रहे। वह क्रेडिट ले रहा है, हमने जातिगत गणना कराया। मुख्यमंत्री ने लालू परिवार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि “2005 से पहले बिहार की हालत क्या थी, कोई निकलता नहीं था घरों से। सड़कों की हालत क्या थी कहीं कोई पुल पुलिया नहीं बनता था। तेजस्वी यादव का नाम लिए बिना कहा अभी वह बच्चा है, हम ही आए थे उसको क्या पता है!

वहीं, नीतीश कुमार ने कहा कि टीचर भर्ती को लेकर जो क्रेडिट लिया जा रहा है, वह बिल्कुल गलत है। वह मेरा विजिन था। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि बिहार के विकास के लिए हम लगातार काम कर रहे हैं और इसी विकास को आप लोग दिखाइए। बता दें कि नीतीश कुमार ने ‘महागठबंधन’ और विपक्षी दलों के ‘इंडिया’ गठबंधन से नाता तोड़ने बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर राज्य में नई सरकार बनाई, जिससे लगभग डेढ़ साल पहले उन्होंने नाता तोड़ लिया था।

वहीं, जदयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने एक बार फिर से पाला बदलने के बाद बीते रविवार को रिकॉर्ड नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने राजभवन में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा की उपस्थिति में कुमार को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।