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ब्राह्मण-राजपूत विवाद पर मनोज झा ने तोड़ी चुप्पी, ‘ठाकुरों’ को दिया करारा जवाब

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बिहार की सत्ताधारी आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने संसद में एक कविता सुनाई। ‘ठाकुर का कुआं’ शीर्षक वाली इस कविता को लेकर जमकर बवाल देखने को मिल रहा। आरजेडी नेता को लगातार धमकियां दी जा रही। वहीं कई सियासी दलों ने भी इस मुद्दे पर मनोज झा को निशाने पर लिया। इस सियासी घमासान के बीच आरजेडी नेता ने पूरे मामले पर चुप्पी तोड़ी है।

मनोज झा ने कहा कि ‘ठाकुर का कुआं’ कविता ओम प्रकाश वाल्मीकि की लिखी गई थी। संसद में इसे पढ़ने के पहले यह साफ कहा था कि यह किसी जाति से संबंधित नहीं है। ‘ठाकुर’ उनके अंदर भी हो सकता है। उस कविता का संदर्भ महिला आरक्षण बिल में पिछड़ों को शामिल करने को लेकर था। मनोज झा ने बताया कि वे देख रहे हैं कि इस कविता पाठ के बाद पिछले 72 घंटे से लोग उन्हें बेतुकी बातें कहने के लिए फोन कर रहे हैं।

अलग-अलग संगठनों की ओर से धमकी पर आरजेडी सांसद कहा कि ये कविता ओम प्रकाश वाल्मीकि ने लिखी थी जो एक दलित बहुजन चिंतक थे। मैंने खुद कहा कि इस कविता का किसी जाति विशेष से संबंध नहीं है। ठाकुर किसी के भी अंदर हो सकता है वो किसी भी जाति का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि संसद में कविता कहने के बाद कुछ प्रतिक्रियाएं हुईं। हमने अपनी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

मनोज झा ने आगे कहा कि संसद के पटल पर मेरी कही गई बात को जो सुनेगा पूरा भाषण, वॉट्सऐप फॉरवर्ड नहीं। वो ये बात मानेगा कि इसका किसी जाति विशेष से कोई ताल्लुक नहीं था। हालांकि, उसके बाद मैं देख रहा हूं लोग अंट-शंट टेलीफोन कॉल कर रहे। एक अभी आया। इस तरह के कॉल मैं 72 घंटों में देख रहा हूं। मेरी पार्टी और मेरे राष्ट्रीय अध्यक्ष ने खुलकर सारी बात को रख दिया। इसके बाद भी इस पर विवाद हो रहा तो इसके पीछे कुछ ऐसे तत्व हैं जिनको दलित बहुजन समाज की चिंता से कोई फर्क नहीं पड़ता। जिनको ये नहीं समझना की कविता क्या थी। उसके पहले उसके बाद मैंने क्या कहा, जाहिर तौर पर समाज की ये स्थिति है तो मैं क्या करूं।

Sumit ZaaDav

Hi, myself Sumit ZaaDav from vob. I love updating Web news, creating news reels and video. I have four years experience of digital media.

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