ट्रेन रद्द होने पर यात्रियों ने की तोड़फोड़, रेलवे स्टेशन में जमकर कटा बवाल; 1700 विशेष ट्रेनें चला रहा

बिहार के कटिहार के लिए मंगलवार को एक विशेष ट्रेन रद्द होने के बाद पंजाब के सरहिंद रेलवे स्टेशन पर अराजक दृश्य देखा गया। ट्रेन रद्द होने से नाराज होकर ट्रेन का इंतजार कर रहे सैकड़ों यात्रियों ने रेलवे स्टेशन पर तोड़फोड़ की। उत्तर रेलवे के अधिकारियों के अनुसार, कुछ नाराज यात्रियों ने कथित तौर पर पथराव किया, जब उन्हें पता चला कि जो ट्रेन कटिहार के लिए रवाना होने वाली थी, वह रद्द कर दी गई है।

उत्तर रेलवे के सीपीआरओ दीपक कुमार ने कहा कि रैक को जोड़ने में देरी हुई और ट्रेन को सुबह 3 बजे वापस लाया गया। उन्होंने कहा कि रेलवे स्टेशन पर नियमित घोषणा की गई। दिवाली के बाद बिहार जाने वाली ट्रेनों में भारी भीड़ देखी जा रही है, क्योंकि हजारों लोग छठ पूजा के लिए राज्य वापस आ रहे हैं, जो बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। रेलवे ने कहा है कि वह दिवाली और छठ पूजा के दौरान अतिरिक्त भीड़ को देखते हुए 1,700 विशेष ट्रेनें चला रहा है। अधिकारियों के अनुसार, इन 1,700 विशेष ट्रेनों में 26 लाख अतिरिक्त बर्थ सृजित की गई हैं।

दिवाली के पटाखों ने छीनी रोशनी, 10 बच्चों समेत 13 लोग के आंख हुए खराब; जानें डॉक्टर ने क्या कहा

दिवाली पर पटाखे जलाते समय जयपुर, झुंझुनू और भरतपुर सहित राजस्थान के कई शहरों में 10 बच्चों सहित कुल 13 लोगों की कम से कम एक आंख की रोशनी चली गई। यह जानकारी डॉक्टरों दी। यह आंकड़ा यहां सवाई मानसिंह (एसएमएस) अस्पताल के नेत्र विभाग में तीन दिन की सर्जरी के बाद सामने आया, जिसमें मरीजों के कॉर्निया और रेटिना को नुकसान हुआ था।

डॉक्टरों के मुताबिक, झुंझुनू के एक बच्चे की दोनों आंखों की रोशनी चली गई, जबकि 12 अन्य ऐसे हैं, जिनकी एक आंख की रोशनी चली गई। एसएमएस अस्पताल में नेत्र रोग विभाग के एचओडी डॉ. पंकज शर्मा ने कहा, “तीन दिन (शनिवार से सोमवार) में 40 मामले सामने आए हैं। इनमें से करीब 25 मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया। 13 बड़ी सर्जरी की गई हैं। 12 लोगों की एक आंख की रोशनी चली गई। वहीं, एक मामला झुंझुनू से रेफर किया गया, जहां बम सेट करते समय घायल हुए बच्चे की दोनों आंखों की सर्जरी करनी पड़ी। ऑपरेशन के दौरान यह पाया गया कि उनकी बाईं आंख पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी, जबकि दाहिनी आंख को बचाने के लिए ऑपरेशन किया गया था।”

डॉक्टर के मुताबिक, पटाखों से लोग दो तरह से घायल होते हैं- एक तो पटाखे का एक हिस्सा गोली की तरह निकलकर लोगों को लगता है और दूसरा बारूद से जलने से।

उन्‍होंने कहा, “अगर कोई बम बहुत करीब से फटता है तो बारूद आंखों में चला जाता है। ‘अनार’ फटने का भी मामला सामने आया है, जिससे आंख का कॉर्निया जल गया। 13 मरीजों में से 10 बच्चे हैं। इनकी उम्र 15 साल से कम है। तीन वयस्क हैं। उनमें से सभी को गंभीर चोटें आई हैं। एक या दो को छोड़कर, दृष्टि वापस लाना मुश्किल है। हमने आंखों की संरचना को संरक्षित करने के लिए ऑपरेशन किए हैं।”

पार्क में सोने गए दो दोस्तों को बदमाशों ने चाकू दिखाकर लूटा, आरोपी गिरफ्तार

किराए का पैसा नहीं दे पाने पर मकान मलिक के डर से पार्क में सोने गए दो दोस्तों को चाकू मारकर लूटपाट करने वाले एक नाबालिक सहित तीन बदमाशों को न्यू अशोक नगर थाना पुलिस ने पकड़ लिया है. गिरफ्तार आरोपियों के पास से लूट गया दोनों मोबाइल, वारदात में इस्तेमाल स्कूटी बरामद हो गया है. गिरफ्तार आरोपियों की पहचान दल्लु पूरा गांव निवासी विकी(19) व संदीप (19) के तौर पर हुई है, जबकि तीसरा आरोपी नाबालिग है।

पूर्वी दिल्ली जिले की डीसीपी अमृता गुगुलोथ ने बताया कि 9 नवंबर की देर रात न्यू अशोक नगर थाना पुलिस को वसुंधरा एन्क्लेव के एक पार्क में दो लोगों को चाकू मारे जाने की सूचना मिली. सूचना मिलने पर न्यू अशोक नगर थाना पुलिस की टीम मौके पर पहुंची, घटना स्थल पर दो लोग घायल पाए गए, जिनमें से एक एजाज(26) और उसका दोस्त सुधीर(18) था. निरीक्षण के दौरान एजाज की छाती, गर्दन और पैरों सहित उसके शरीर पर 09 से अधिक चाकू के घाव पाए गए। पुलिस टीम ने घटना स्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों का विश्लेषण किया. सीसीटीवी फुटेज में तीन लड़के एक इलेक्ट्रिक स्कूटी पर भागते दिखाई दिए. सीसीटीवी के आधार पर पुलिस दल्लूपुरा गांव पहुंची. स्थानीय जांच और स्थानीय खुफिया जानकारी के बाद, आरोपी व्यक्तियों की पहचान की गई और उन्हें पकड़ लिया गया।

पूछताछ करने पर आरोपियों ने बताया कि उन्हें शराब पीने की बुरी आदत पड़ गई थी. अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्होंने पैसे छीनने / लूटने का फैसला किया. 9 नवंबर की दरम्यानी रात आरोपी संदीप ने डिलीवरी बॉय का काम करने वाले अपने पड़ोसी निकेश की स्कूटी बिना उसकी जानकारी के ले ली. वे अपने लक्ष्य की तलाश करते हुए वसुंधरा एन्क्लेव के दशमेश पब्लिक स्कूल के पास सेंट्रल पार्क पहुंचे. वहां उन्होंने दो लोगों को बैठा हुआ पाया और उन्हें चाकू दिखाकर लूट लिया. जब उनमें से एक व्यक्ति ने कुछ प्रतिरोध दिखाया, तो संदीप ने उस पर चाकू से हमला कर दिया और उन्हें लूटने के बाद, तीनों घटनास्थल से फरार हो गए।

हम तो डूबेंगे ही सनम तुम्हें भी ले डूबेंगे…कार के ऊपर आतिशबाजी कर रील बनाकर किया खतरनाक स्टंट; 5000 का चालान कटा

गाजियाबाद का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें दिवाली के दिन एक चालक ने अपने कार की छत पर रॉकेट का पैकेट लगाकर उसमें आग लगा दी। चलती कार में रॉकेट एक के बाद एक हवा में जाकर फूटता रहा और पीछे चल रही कार पर सवार वीडियो बनाता रहा।

गाजियाबाद की ट्रैफिक पुलिस ने वीडियो के आधार पर कार का 5,000 का चालान किया है। गनीमत थी कि जब वीडियो बनाया जा रहा था तब ट्रैफिक उस सड़क पर कम थी, नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता था।

मिली जानकारी के मुताबिक वेव सिटी में दो शख्स अपनी कार के ऊपर आतिशबाजी कर रील बनाते हुए अपने फॉलोवर्स को बढ़ाने के चक्कर में अपनी और दूसरों की जान भी जोखिम में डालते हुए दिखाई दिए।

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने लगा। इसके बाद गाजियाबाद ट्रैफिक पुलिस ने वीडियो का संज्ञान लिया और 5,000 का चालान किया है। सोशल मीडिया पर लोगों ने वीडियो पर कई तरीके के कमेंट्स किए हैं। लोगों ने इसे जानलेवा बताया और पुलिस से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की।

बाइक पर पटाखा लगाकर स्टंट करना पड़ा भारी, स्टंटबाजी के चक्कर में 10 युवक गिरफ्तार

तमिलनाडु के त्रिची से एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. जहां कुछ लड़के बाइक पर पटाखे जलाकर स्टंटबाजी कर रहे हैं. जैसे ही पुलिस के संज्ञान में यह वीडियो आया. पुलिस हरकत में आई और युवकों को गिरफ्तार कर लिया.

वायरल वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि युवक ने अपनी मोटरसाइकिल पर मल्टीपल शॉट्स के पटाखे लगाता है. फिर बाइक का अगला पहिया हवा में उठाकर तेज रफ्तार से चलाता है. मौके पर मौजूद कुछ लड़के इस वीडियो शूट करते हुए हैप्पी दिवाली कहते सुनाई देते हैं.

पुलिस ने बताया कि आरोपी ने 9 नवंबर को इस वीडियो को शूट किया था. जांच के दौरान पुलिस ने इंस्टाग्राम का पर ‘डेविल राइडर’ नाम से बना पेज तलाशा और वहां से बाइक सवार की पहचान कर अजय नाम के युवक को गिरफ्तार किया. जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि युवक के पास खतरनाक स्टंट करने के लिए MT15 और उसके भाई गौतम की यामाहा R15 बाइक है.

आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने आईपीसी की धारा 278, 279, 286, 336, 308, 114 और मोटर वाहन अधिनियम की धारा 184 और 188 के तहत मामला दर्ज किया है.

बिहार के इस जिले में हुआ था सहारा के मुखिया सुब्रत राय का जन्म, ₹2000 से बनाया 2.6 लाख करोड़ की कंपनी; पढ़े सफलता की कहानी

शहर के मालिक अर्थात सहारा श्री सुब्रत राय नहीं रहे. 75 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. वे कई महीनो से बीमार थे. उन्होंने मुंबई में अपनी आखिरी सांस ली. सहारा श्री के निधन की खबर सुनते ही भारत सहित देश दुनिया के उद्योग जगत में मानव सुख की लहर पसर गया. कई जाने-माने नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है. जानकारों की माने तो सहारा श्री के मालिक सुब्रत राय का करियर चुनौती भरा रहा. बिहार की एक गरीब परिवार में उनका जन्म हुआ था और ₹2000 से उन्होंने शहर नामक कंपनी का शुभारंभ किया था. बाद में यह कंपनी 2.6 लाख करोड़ की हो गई. तो आईए जानते हैं क्या है सहारा श्री की कहानी…

10 जून, 1948 को अररिया, बिहार में जन्मे सुब्रत रॉय ने किसी चमत्कार की तरह रातों-रात भारतीय फाइनेंस जगत में अपनी पहचान बनाई थी. उन्होंने कुछ ही वर्षों की सफलता के बाद एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की, जो फाइनेंस, रियल एस्टेट, मीडिया और हॉस्पिटैलिटी सहित विभिन्न क्षेत्रों तक फैला हुआ था. सन् 1978 में राय ने सिर्फ दो हजार रुपये से अपना काम शुरु किया था और बाद में कुल शुद्ध संपति 2,59,900 करोड़ तक पहुँच गई.

सहाराश्री’ कहलाने वाले देश के सबसे चर्चित कारोबारी और उद्योगपति सुब्रत रॉय सहारा इंडिया परिवार के मैनेजिंग वर्कर और चेयरमैन थे. सुब्रत रॉय ने वर्ष 1978 में सहारा की स्थापना की, और 2004 तक, उन्होंने अपनी कंपनी को देश के सबसे सफल समूहों में से एक बना दिया था. यहां तक कहा जाने लगा था कि भारतीय रेलवे के बाद सहारा ‘भारत में दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता’ है. वे संभवतः भारत के कॉर्पोरेट जगत के इतिहास की सबसे अनूठी शख्सियतों में से एक थे.

पत्रकार बृजेश मिश्रा कहते हैं कि सुब्रत रॉय सहारा एक करिश्माई व्यक्ति थे। वो भारत के उद्योग जगत के पहले सुपर स्टार थे। एक दौर था। उनकी शोहरत का सूरज कभी अस्त नही होता था। बड़े बड़े नेता लाइन लगाकर खड़े रहते थे। बॉलीवुड के सुपर स्टार उनके घर चाय वितरण करते थे।

उद्योग जगत नतमस्तक था सुब्रत रॉय के सामने। पत्रकार उन्हें सहारा प्रणाम करके गौरवान्वित महसूस करते थे। रॉय ने जिस पर भी हाथ रख दिया वो दौलत, शोहरत और ताकत की बुलंदी पर होता था। चिट फंड से लेकर एयरलाइंस तक सब धंधा किया। उनके बेटों की शादी हुई थी लखनऊ से। भारत के प्रधानमंत्री, दर्जन भर से अधिक केंद्रीय मंत्री, कितने मुख्यमंत्री, राज्यपाल और पूरा उद्योग जगत रॉय के बुलावे पर आया था।

क्रिकेट टीम के स्टार खिलाड़ी मेहमानो को खाना परोसते थे। वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम के सभी सदस्यों को अम्बे वैली को घर गिफ्ट में दिए। बड़े क्रिकेटर उनके बच्चों की शादी हो या घरेलू आयोजन बिना सहारा श्री के पूरा नहीं होता था। सुपर स्टार महोदय तो खाना परोसते थे। बेहिसाब दौलत और बेशुमार ताकत। तब सिर्फ नाम ही काफी था। सुब्रत रॉय।

लेकिन एक राजनीतिक भूल ने सुब्रत रॉय के एंपायर को लगभग धूल में मिला दिया। उनके आलोचक भी बहुत हैं जो आज भी इलजाम लगाते हैं। लेकिन वक्त बदला तो जो ताकतवर लोग रॉय के घर झाड़ू पोछा करके भी गौरव की अनुभूति करते थे उन्होंने भी पीठ दिखा दी। सुब्रत रॉय का साथ उन सबने छोड़ दिया जिन पर उन्हें बहुत भरोसा था। वो घिरते गए। जेल गए। साम्राज्य सिकुड़ता गया। कैसे तैसे जेल से निकले। कभी शान ओ शौकत का एंपायर उनके ही सामने खंडहर हो गया। किसी ने उनका साथ नहीं दिया। आज भी सेबी के पास सहारा का 25 हजार करोड़ है। लेकिन सहारा ग्रुप का पतन हो गया। वो जितने बड़े शो मैन थे आज उतनी ही खामोशी से चले गए। सर, इसीलिए कहता हूं समय से न लड़ो। आजतक कोई जीत नही पाया। जीत भी नही सकता।

भारत देश की खूबसूरती! मैं मुसलमान हूं और छठ मैया की भक्त हूं, 40 सालों से छठ मैया की कृपा से घर चलता; पढ़े स्पेशल रिपोर्ट

हम लोग बिहारी हैं. वही बिहारी जो हर साल धूमधाम से छठ पूजा का आयोजन करते हैं. दुनिया वाले भले उगते हुए सूर्य की पूजा करते हैं लेकिन हम डूबते हुए सूर्य को भी अर्क देते हैं और उन्हें नमस्कार करते हैं. छठ पूजा देश का एकमात्र ऐसा पर्व है जहां जाती और धर्म का कोई बंधन नहीं दिखता. क्या अमीर क्या गरीब, क्या राजा क्या रंक सब के सब छठ परमेश्वरी के भक्त हैं. विश्वास ना हो तो पटना सहित बिहार के किसी भी जिले में घूम कर देख लीजिए. बाद से बड़ा नशेड़ी भी खरना पूजा से लेकर छठ पूजा तक नशा नहीं करता. शिखर गुटखा या पान खाने वाला आदमी रोड पर थूक नहीं फेंकता. आज छठ पूजा के अवसर पर हम आपको कुछ मुस्लिम औरतों की कहानी बताने जा रहे हैं जो अपने आप को छठ मैया की भक्ति मानती है… पिछले 40 सालों से उनका कहना है कि छठ मैया की कृपा से उनका घर चलता है. परिवार में खुशहाली बनी रहती है…

लोक आस्था का महापर्व छठ शुरू होने में अब सिर्फ दो दिन का वक्त बचा है। छठ पर्व को लेकर तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। इसमें मिट्टी के चूल्हे का खास महत्व होता है। छठ का प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर ही बनाया जाता है।पटना के वीरचंद पटेल मार्ग के किनारे मुस्लिम समुदाय की महिलाएं हर साल यहां मिट्टी का चूल्हा बनाकर बेचती हैं। लगभग 40 सालों से यह महिलाएं छठ के लिए चूल्हा बड़े आस्था और श्रद्धा से बनाती हैं।

चूल्हा बनाने वाली कुरेशा खातून बताती हैं कि मैं पिछले 40 साल से छठ के लिए चूल्हा बना रही हूं। छठ हमारे लिए बड़ा पर्व है। इसलिए हम इतनी मेहनत करते हैं।कुरेशा ने बताया कि पहले हमारे पूर्वज इसे बनाते थे। उनके गुजरने के बाद हम बनाने लगे। हर साल 150 से 200 चूल्हे बनाती हूं। इस साल भी छठ के लिए चूल्हे बनकर तैयार हैं।

कुरेशा ने बताया कि एक चूल्हे को बनाने में लगभग एक से डेढ़ घंटे का वक्त लगता है। फिर इसकी रंगाई की जाती है। चूल्हा बनाने के बाद इसे प्रणाम करते हैं। तब ग्राहक को देते हैं।इस चूल्हे में किसी का पैर तक नहीं लगने देते। बच्चों को भी दूर बिठाते हैं, क्योंकि यह बहुत ही पवित्र त्योहार है और इसकी पवित्रता का भी ध्यान रखते हैं।

कुरेशा ने बताया कि पिछले साल यह चूल्हा 150 रुपए लेकर 400 रुपए तक में बिक रहा था, लेकिन इस साल मिट्टी के चूल्हे के दाम में कमी आई है। इस साल यह चूल्हा 100 रुपए से लेकर 200 रुपए तक में बिक रहा है।चूल्हे को तैयार करने के लिए यह सबसे पहले पुनपुन के साफ इलाके से अपनी पूंजी का इस्तेमाल कर मिट्टी मंगाती हैं। चूल्हा बनाने से पहले मिट्टी से कंकड़-पत्थर चुनकर निकालती हैं। इसके बाद पानी और गेहूं का भूसा मिलाकर मिट्टी को चूल्हे का आकार देती हैं।

फूलो खातून कहती हैं कि मेरी सास पहले चूल्हा बनाने का काम करती थी। उनके बाद मैंने शुरू कर दिया। चूल्हा बनाते हुए मुझे 20 साल हो गए। हर साल लगभग 200 तक चूल्हा बनाती हूं।छठ महापर्व होता है। हम लोगों का भी पर्व होता है तो हिंदू समाज के लोग मस्जिद में आते हैं। इसलिए हम लोग भी इसके महत्व समझते हैं। पहले मेरी मौसी भी छठ करती थीं। मेरे बेटे की तबीयत खराब हुई थी, तो हॉस्पिटल में मन्नत मांगी थी कि मेरा बेटा ठीक हो जाएगा, तो हम 5 साल सूप चढ़ाएंगे।मेरा बेटा जब डेढ़ महीने का था, तब उसका पैर टूट गया था, लेकिन छठी मैया के कृपा से वो चलने लगा तो अब सूप चढ़ा रहे हैं।

आज है भाई दूज, कैसे करें अपने भाई को तिलक, लंबी होगी आयू; जाने शुभ मुहूर्त

भाई-बहन का पवित्र रिश्ते को मनाने के उद्देश्य से भाई दूज के त्योहार का आयोजन होता है. इस साल भाई दूज का पर्व आज यानी 15 नवंबर को मनाया जा रहा है. इस दिन भाई बहनों से मिलने उनके घर जाते हैं और बहने भी भाइयों के माथे पर तिलक कर उनकी लंबी आयु की कामना करती है. उनकी आरती उतारती हैं. वहीं, भाई भी बहनों के प्रति प्यार दिखाते हुए उन्हें उपहार देते हैं. आइए जानते हैं भाई दूज की तिथि, शुभ मुहूर्त और पौराणिक महत्व के बारे में.

Bhaiya Dooj 2023: शुभ मुहूर्त

साल 2023 में भाई दूज का त्योहार 14 और 15 नवंबर दोनों दिन मनाया जाएगा. 14 नवंबर को भाई दूज का शुभ मुहूर्त दोपहर 01:10 बजे से दोपहर 03:19 बजे तक है. इस दिन शोभन योग बन रहा है, इसलिए भाई को तिलक लगाना लाभकारी होगा. 15 नवंबर को भाई को टीका करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 10:45 बजे से दोपहर 12:05 बजे तक है. 15 नवंबर को भाई को टीका करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 10:45 बजे से दोपहर 12:05 बजे तक है.

Bhaiya Dooj 2023: कहा जाता है यम द्वितीया

भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है। भाई दूज पर बहनें भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं. इस तिथि को भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है। भाई दूज के दिन बहनें भाई को तिलक करके उनके उज्जवल भविष्य और लंबी आयु की कामना करती हैं.

Bhaiya Dooj 2023: इस दिन से जुड़ी मान्यताएं

माना जाता है कि इस दिन शाम के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखती हैं. ये भाई की लंबी उम्र के लिए किया जाता है. इस समय आसमान में चील उड़ता दिखाई दे तो शुभ माना जाता है. मान्यता है कि ऐसे में भाई की आयु के लिए मांगी गई दुआ यमराज ने कुबूल कर ली. कहते हैं चील जाकर यमराज को बहनों का संदेश बताते हैं

Bhaiya Dooj 2023: भाई दूज मंत्र

भाई दूज के दिन टीका करते समय बहन को भाई के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए।

गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को। सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई आप बढ़ें, फूले-फलें।।

1 करोड़ की नौकरी करने वाला लड़का ने UPSC में लाया 1 रैंक, बना IAS अधिकारी; रिजल्ट सुन प्रेमिका को किया सबसे पहले फोन

एक लड़का जो अपनी मेहनत के दम पर आईआईटी परीक्षा में न सिर्फ पास करता है बल्कि सफलता का परचम लहराता है. आगे चलकर कैंपस सिलेक्शन में उसे एक करोड़ की नौकरी का ऑफर होता है. करियर बनाने के लिए वह नौकरी ज्वाइन भी करता है लेकिन कुछ ही महीना के बाद नौकरी में उसका मन नहीं लगता और वह रिजाइन कर लौट आता है. फिर से जमकर पढ़ने लगता है और यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने लगता है. जब रिजल्ट निकलता है तो वह ऑल इंडिया टॉपर बन चुका था. आसान भाषा में कहा जाए तो वह लड़का आईएएस अधिकारी बन चुका था. आज हम जिस लड़के की कहानी आपको सुनाने जा रहे हैं उनका नाम कनिष्क कटारिया है. जो आईआईटी इंजीनियरिंग करने के बाद विदेश में करोड़ों रुपए की सैलरी पैकेज पर नौकरी करते थे.

वह कहते हैं की मेरा नाम कनिष्क कटारिया है और मैं एक आईएएस अधिकारी हूं. आपको आश्चर्य लगेगा कि जिस दिन यूपीएससी परीक्षा में मेरा रिजल्ट निकला था. उसे दिन फोन करके इस बात की जानकारी मैंने सबसे पहले अपनी गर्लफ्रेंड को दिया था. मैं यह भी मानता हूं कि मैं जहां हूं जो भी सफलता प्राप्त कर पाया हूं उसमें मम्मी पापा के साथ—साथ गर्लफ्रेंड का भी योगदान है.

कनिष्क कटारिया बताते हैं कि वह राजस्थान के जयपुर के रहने वाले हैं. कोटा स्थित सेंट पॉल’एस सीनियर सेकेंडरी स्कूल से उन्होंने इंटर की पढ़ाई की है और इसके बाद आईआईटी जी की परीक्षा की तैयारी करने लगे. आईआईटी परीक्षा में उन्हें ऑल इंडिया रैंक 44 प्राप्त हुआ था. आईआईटी मुंबई से उन्होंने कंप्यूटर साइंस में पढ़ाई की और बीटेक की डिग्री हासिल की.

कनिष्क बताते हैं कि सैमसंग कंपनी ने उन्हें विदेश जाकर नौकरी करने का ऑफर दिया और वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनकर विदेश कमाने चले गए. वहां पर उनकी सालाना सैलरी एक करोड रुपए थी. महीने की बात करें तो ₹800000 से अधिक की सैलरी थी.

कनिष्क बताते हैं कि उनके पिताजी का नाम सावरमल शर्मा है जो खुद एक आईएएस अधिकारी रह चुके हैं. यही कारण था कि पापा ने मेरे लिए बचपन से ही सपना देखा था कि मैं भी उनकी तरह सिविल सेवा जॉइन करूं और अफसर बनू लेकिन मैंने इस बारे में कभी भी नहीं सोचा था कि आगे चलकर मुझे आईएएस बनना है।कनिष्क कहते हैं कि मुझे आज भी वह दिन याद है जब पापा ने मुझे बताए बिना यूपीएससी परीक्षा का फॉर्म भर दिया था.

कनिष्क ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि विदेश जाने से पहले उन्होंने UPSC की परीक्षा दी थी. उनके पिता ने बिना बताए उनका फॉर्म भर दिया था. कनिष्क का GS कमज़ोर था और उनका कहना है कि वो परीक्षा हॉल में सोकर वापस आ गए थे. इसी वजह से वो इस अटेम्पट को पहला अटेम्पट नहीं मानते.

खबर वही जो है सही

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