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NDA या UPA-1, किसके कार्यकाल में सबसे ज्यादा ED का कहर?

क्या मोदी के कार्यकाल में ED एक्शन मोड में है? क्या यूपीए-1 के कार्यकाल में ईडी एक्शन मोड में नहीं थी? आज हम इन आंकड़ों पर नजर डालते हैं।

बिहार से लेकर झारखंड तक ईडी एक्शन मोड में नजर आ रही है. वहीं, कई अन्य राज्यों में भी ईडी की सक्रियता में तेजी देखी जा रही है. देश के कई हिस्सों में ईडी लगातार छापेमारी कर रही है. ईडी ने पहले बिहार की राजधानी पटना में पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव से पूछताछ की और फिर मंगलवार को पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से लगातार 11 घंटे तक पूछताछ की. एक तरफ पटना में ईडी की टीम लालू प्रसाद से पूछताछ कर रही थी तो दूसरी तरफ सोमवार को ही ईडी कोलकाता में राशन वितरण घोटाले में शाहजहां शेख से पूछताछ करने की कोशिश की लेकिन टीएमसी नेता अधिकारियों के सामने पेश नहीं हुए।

हेमंत सोरेन की बढ़ी मुश्किलें

साथ ही कथित भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच में ईडी बुधवार यानी आज झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से रांची में पूछताछ करेगी. बता दें कि इससे पहले सोमवार को ईडी ने सोरेन के दिल्ली आवास पर घंटों छापेमारी की और परिसर की तलाशी ली. मुख्यमंत्री के आवास की तलाशी के बाद, ईडी ने 36 लाख रुपये, एक बीएमडब्ल्यू एसयूवी और कुछ कथित आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए हैं।

मुंबई में भी दिखीं एक्शन मोड में

बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के ‘खिचड़ी घोटाले’ से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने मंगलवार (30 जनवरी) को शिवसेना (यूबीटी) नेता और सांसद संजय राउत के छोटे भाई संदीप राउत से पूछताछ की. ईडी के एक्शन मोड पर विपक्षी पार्टियां आरोप लगा रहे हैं कि ये लोक सभा चुनाव से पहले जान बुझकर किया जा रहा है ताकि पार्टियों को कमजोर किया जा सकें।

अब सवाल है कि आखिर ईडी क्या मोदी सरकार के कार्यकाल में ही एक्शन मोड में है या यूपीए 1 की सरकार में ईडी ने कार्रवाई किए थे. 2004 से 2014 तक यूपीए-1 सरकार के दौरान ईडी ने 112 छापे मारी की थी जबकि मोदी सरकार के दौरान 2014 से 2022 के बीच ईडी ने 3010 छापे मारे हैं. 2004 से 2014 तक ईडी मनमोहन सिंह सरकार के 26 नेताओं के खिलाफ जांच कर रही थी, जिनमें से 14 नेता विपक्ष में थे।

मोदी कार्यकाल में कितने नेता हैं रडार पर

मोदी सरकार के दौरान 2014 से 2022 तक, ईडी ने 121 नेताओं की जांच की, जिसमें 115 नेता विपक्षी पार्टियों से हैं. वहीं, मनमोहन सरकार के दस सालों के अंदर विपक्ष के कई नेता पर ईडी का शिकंजा 54 फीसदी था तो मोदी के कार्यकाल 2022 में 95 फिसदी विपक्षी नेता रडार पर हैं. मोदी सरकार में 2014 से 2022 तक जिन 115 विपक्षी नेताओं के खिलाफ ईडी ने जांच की, उनमें शीर्ष तीन कांग्रेस, टीएमसी और एनसीपी के नेता हैं।

CM नीतीश कुमार की आखिरी परीक्षा बाकी, बिहार विधानसभा में 10 फरवरी को होगा फ्लोर टेस्ट

नीतीश कुमार ने आठ मंत्रियों के संग सीएम पद की 28 जनवरी की शाम पांच बजे शपथ ली थी, जनता दल यूनाइटेड के एनडीए गठबंधन में शामिल होने से सत्ता पक्ष के पास अब तक 128 विधायक हैं।

बिहार के नौवें सीएम के रूप में नीतीश कुमार शपथ ले चुके हैं. उन्होंने 28 जनवरी को भाजपा-HAM के संग मिलकर नई कैबिनेट तैयार की है. अब सीएम को अपना बहुमत साबित करना होगा. इसे लेकर 10 फरवरी की तारीख को तय की गई है. सीएम नीतीश कुमार को विधासभा में साबित करना होगा कि उनकी नई सरकार बहुमत में है. उन्होंने भाजपा की अगुवाई में एनडीए गठबंधन में नई कैबिनेट तैयार की है. इसे आने वाले समय विस्तार भी किया जाएगा. नीतीश कुमार ने आठ मंत्रियों के संग सीएम पद की 28 जनवरी की शाम पांच बजे शपथ ली थी।

इस सरकार में विजय सिन्हा (डिप्टी सीएम), सम्राट चौधरी (डिप्टी सीएम), विजय कुमार चौधरी, डॉ.प्रेम कुमार, ब्रिजेंद्र प्रसाद यादव, सुमित कुमार सिंह, संतोष कुमार, श्रवण कुमार नीतीश को नई कैबिनेट में जगह दी गई है. दोनों डिप्टी सीएम को नीतीश कुमार का कट्टर विरोधी माना जाता है. विधानसभा के नए स्पीकर का भी चुनाव होना बाकी है. ये 12 फरवरी को किया जाएगा।

बिहार विधानसभा में जानें सीटों का गणित 

बिहार विधानसभा में जनता दल यूनाइटेड के एनडीए गठबंधन में शामिल होने से सत्ता पक्ष के पास अब तक 128 विधायक हैं. 2022 में एनडीए से दूरी बनाने के बाद नीतीश कुमार ने राजद से मिलकर सरकार बनाई. 78 विधायकों के साथ विधानसभा में भाजपा का दूसरा स्थान था. जदयू के पास अभी 45 विधायक हैं. वहीं जीतनराम मांझी की पार्टी HAM के पास  चार विधायक हैं।

243 सीटों वाले विधानसभा में राजद के पास 79 विधायक हैं. वहीं विधानसभा में ये सबसे बड़ी पार्टी है. इसी तरह कांग्रेस के पास 19, सीपीआई (एम-एल)+सीपीआई+सीपीआई (एम) के पास 16 विधायक मौजूद हैं. वहीं विपक्ष के पास कुल संख्या बल 114 विधायकों का है. एक विधायक एआईएमआईएम के पास है।

जानें कौन हैं कल्पना सोरेन? बड़े कारोबारी घराने से रखती हैं संबंध

देश की निगाहें झारखंड पर टिकी हैं।जमीन घोटाला मामले में मनी लॉन्ड्रिंग तहत ईडी ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही है।सोरेन कभी भी गिरफ्तार हो सकते हैं। ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चा है कि सीएम की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी पार्टी की अगुवाई करेंगी।

देश की निगाहें झारखंड की सियासत पर टिकी हुई है. यहां पर सीएम के खिलाफ ताबड़तोड़ छापेमारी हो रही है. जमीन घोटाला मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत ईडी की जांच जारी है. उनकी ​गिरफ्तारी कभी हो सकती है. ऐसे में सियासी गलियारों में यह चर्चा  है कि मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी झारखंड की गद्दी पर बैठने जा रही हैं. पिछले दो दिनों से सीएम हेमंत सोरेन लापता थे. हालांकि, सीएम दफ्तर से ईडी की पूछताछ की तारीखों के ऐलान के बाद मंगलवार को वे रांची पहुंचे. इस दौरान उन्होंने विधायकों के संग सीएम आवास पर एक बैठक भी की।

कौन हैं मुख्यमंत्री की पत्नी कल्पना सोरेन

कल्पना सोरेन के संबंध कारोबारी घराने से रहे हैं. वे ओडिशा के मयूरभंज जिला स्थित एक कारोबारी खानदान से हैं. कल्पना का जन्म रांची में हुआ था. 1976 में जन्मी कल्पना  सोरेन ने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई रांची से की थी. कल्पना सोरेन मौजूदा समय में एक स्कूल को भी चलाती हैं।

कल्पना सोरेन सात फरवरी 2006 को हेमंत सोरेन के साथ शादी के बंधन में बंधीं. उनके दो पुत्र हैं. ऐसा पहली बार है, जब कल्पना सोरेन का नाम सामने आया है. ऐसे में कल्पना सोरेन का राजनीति में आने का कोई प्लान नही है, मगर संपत्ति के मामले में वह करोड़पति हैं।

चुनाव आयोग को दी एक जानकारी के अनुसार, 2019 में हेमंत सोरेन के पास कुल 8,51,74,195 करोड़ की संपत्ति मौजूद थी. उनकी पत्नी के पास 94,85,235 लाख   रुपये का कुल कैश था. वहीं पत्नी कल्पना सोरेन के पास कई बैक अकाउंट्स में 2,55,240 रुपये की संपत्ति जमा हैं. वहीं उन्होंने कई पॉलिसी में निवेश भी किया है. उनके पास LIC और ICICI की 24 लाख की पॉलिसीज मौजूद हैं।

क्यों हो सकती है ताजपोशी 

हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी की आशंका के बीच कल्पना सोरेन को सीएम बनाए जाने की चर्चा तेज हो चुकी है. गांडेय सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक सरफराज अहमद  ने अचानक 31 दिसंबर को निजी वजहों से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद से ये कयास लगाए जा रहे थे कि इस सीट से सीएम की पत्नी कल्पना सोरेन को चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है. उस समय ऐसी चर्चा थी कि कल्पना सोरेन के लिए रास्ता बनाने के लिए ये  इस्तीफा दिया गया है।

तेजस्‍वी यादव के ईडी दफ्तर से बाहर निकलते ही ‘शेर आया… शेर आया…’ के लगे नारे, CRPF जवान ने ली सेल्फी

लैंड फॉर जॉब स्‍कैम में तेजस्‍वी यादव से ईडी ने आठ घंटों तक पूछताछ की। जब वे बाहर निकले तो सीआरपीएफ के जवान उनके साथ सेल्फी लेते दिखे। वहीं, उनके समर्थकों की भी भारी भीड़ देखने को मिली। अपने नेता के ईडी दफ्तर से बाहर आने पर समर्थकों ने खूब नारेबाजी भी की।

ईडी ने करीब 50 सवालों की लिस्‍ट तैयार कर रखी थी, जिसके आधार पर तेजस्‍वी से पूछताछ की गई। बाहर आने के बाद तेजस्‍वी के चेहरे पर कोई शिकन नहीं दिखाई दी। उनकी बाॅडी लैंग्‍वेज स्‍ट्रॉन्‍ग दिखाई दे रही थी। तेजस्‍वी ने सेल्‍फी ले रहे जवानों को मना नहीं किया और कुछ ही मिनट में अपनी गाड़ी में बैठकर वहां से रवाना हो गए।

इसके पहले दोपहर में ही उनके बड़े भाई व बिहार सरकार के पूर्व पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप व उनकी बहन मीसा भारती भी दफ्तर के बाहर पहुंचे।  बड़ी संख्‍या में राजद के कार्यकर्ता व दिग्‍गज नेता कार्यालय के बाहर डटे रहे।वहीं, बहन रोहिणी आचार्य ने उनके समर्थन में अपने एक्‍स हैंडल से पोस्‍ट कर भाई तेजस्‍वी का समर्थन किया।

इधर, राजद ने भी अपने ऑफिशियल एक्‍स हैंडल पर तेजस्‍वी संग सीआरपीएफ जवानों के सेल्फी लेने वाले वीड‍ियो को पोस्‍ट कर बिना नाम लि‍ए वि‍राधियों को घेरा।

पूर्ण‍िया में किसान चौपाल पहुंचे राहुल गांधी, खाई रोटी और आलू की सब्जी व कुल्हड़ वाली चाय

भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान पूर्णिया पहुंचने के दौरान पूर्णिया पूर्व प्रखंड के सिकंदरपुर गांव में मंगलवार को राहुल गांधी किसान चौपाल में पहुंचे। यहां सैकड़ों किसान उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। किसान चौपाल में पहुंचकर राहुल गांधी ने आलू की सब्जी और रोटी खाई। कुल्हड़ में चाय का भी आनंद लिया। किसान नेता अनिरुद्ध मेहता ने राहुल गांधी को मक्के का पौधा देकर सम्मानित किया।

उन्होंने राहुल गांधी से कहा कि यहां न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मक्के की खरीद नहीं होने से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। चुन्नी लाल उरांव ने कहा कि बाढ़ में धान की फसल बर्बाद होने पर उन्हें कहा जाता है कि यहां मुआवजे का कोई प्रविधान नहीं है।

राहुल ने सुनी किसानों की व्‍यथा

किसानों ने कहा कि एसएसबी द्वारा वर्षों पूर्व जिस जमीन का अधिग्रहण किया गया था, उस पर कोई काम नहीं किया गया है और ना ही वह जमीन किसानों को लौटाई जा रही। इस पर राहुल गांधी ने कहा कि कोई भी नेता यदि किसान और जमीन की बात करेगा तो 24 घंटों के अंदर मीडिया उसपर हमलावर हो जाएगी।

कानून के अनुसार यदि पांच वर्ष के अंदर जमीन का उपयोग नहीं किया गया तो वह वापस हो जानी चाहिए। हिंदुस्तान की सरकार जमीन अधिग्रहण बिल के कानून को तोड़ दिया। उन्होंने कहा कि इसके विरुद्ध वे संसद में आवाज उठाएंगे। उन्होंने कहा कि कसानों से जमीन लेकर अडानी जैसे बड़े उद्योगपतियों को तोहफे में दे दी जाती है। खाद-बीज के नाम पर किसानों पर दबाव दिया जाता है। उन्होंने नरेन्द्र मोदी सरकार पर तीन काले कानून लाने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि देश के सारे के सारे किसान खड़े हो गए और पीछे नहीं हटे। इसी कारण किसानों की जान बची। कहा कि सरकार ने अरबपतियों का कर्ज माफ कर दिया, लेकिन किसानों का नहीं किया। उनका 14 लाख करोड़ माफ हो रहा है और आपका कर्ज माफ करने में आनाकानी की जा रही है।

उन्होंने कहा था पिछले साल उन्होंने एक न्याय योजना पर चर्चा की थी। इसके तहत हर व्यक्ति के खाते में सरकार को पैसे डालने होते। आज सरकार किसानों का डर नहीं मिटा पा रही है। राहुल गांधी ने किसानों को उनका खोया भरोसा देने का आश्वासन दिया।

उन्होंने कहा कि जमीन अधिग्रहण बिल हम लाए थे। छत्तीसगढ़ में हमारी सरकार थी, राजस्थान में हमारी सरकार थी तो हम किसानों को सही हक देते थे। देश में जब हमारी सरकार थी तो किसानों के 75 हजार करोड़ का ऋण माफ किया गया था। उनके साथ कांग्रेस के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह, जयराम रमेश, कन्हैया कुमार तथा पूर्णिया जिला अध्यक्ष नीरज सिंह उर्फ छोटू सिंह आदि थे।

हनुमान ध्वज हटाने का विरोध करने पर 3 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज, सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी

कर्नाटक के मांड्या जिले में हनुमान ध्वज उतारे जाने के बाद विवाद खड़ा हो गया है। इस तनाव के बीच भाजपा, जेडीएस और हिंदू समर्थक समूहों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। मंगलवार को हनुमान ध्वज हटाने का विरोध करने पर तीन लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं।

सोमवार को बेंगलुरु और मांड्या में प्रदर्शन के बीच केरागोडु पंचायत पीडीओ जीवन बीएम को सरकारी नियमों का उल्लंघन करने और काम में लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया गया। मांड्या ग्राम पंचायत के सीईओ शेख आसिफ ने गांव में कई दिनों की अराजकता के बाद निलंबन आदेश पारित किया।

आदेश में क्या कहा गया?

आदेश में कहा गया कि अनुमति केवल केरागोडु गांव में भारतीय तिरंगा फहराने के लिए दी गई थी। हालांकि, पीडीओ ने न केवल लोगों को हनुमान ध्वज फहराने का मौका दिया, बल्कि इसे हटाने के लिए भी कदम नहीं उठाया।

विरोध प्रदर्शन के बीच बढ़ाई गई सुरक्षा

हनुमान ध्वज को हटाने और उसकी बहाली के खिलाफ विपक्षी भाजपा और उसके सहयोगी जद (एस) ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया जिसके बाद सोमवार को सुरक्षा बढ़ा दी गई। पुलिस ने रविवार को केरागोडु गांव में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हल्का लाठीचार्ज किया था और बाद में प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में हनुमान ध्वज की जगह राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। सोमवार को, प्रदर्शनकारियों ने ‘जय श्री राम’ के नारों के बीच भगवा झंडे थामे।

ATC की मंजूरी के बिना ही IndiGo के विमान ने भरी उड़ान, पायलट निलंबित

एयर ट्रैफिक कंट्रोल की जरूरी मंजूरी के बिना उड़ने भरने के आरोप में IndiGo के पायलट को सर्विस से हटा दिया गया है। एक सूत्र ने मंगलवार को बताया कि दिल्ली से बाकू की राजधानी अजरबैजान जाने वाली फ्लाइट 6ई 1803 ने एटीसी से जरूरी मंजूरी लिए बिना उड़ान भरी। फिलहाल इस मामले की एयरलाइन कंपनी इंडिगो जांच कर रही है।

पायलट की सर्विस निलंबित कर दी गई

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी कि सभी मामले की जांच जब तक पूरा नहीं हो जाता तब तक पायलट को सर्विस से हटा दिया गया है।

एटीसी ने पायलट को इंतजार करने की दी थी सलाह

मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा कि एटीसी ने विमान के पायलट को रनवे के लाइन में खड़े होकर इंतजार करने की सलाह दी थी, लेकिन विमान ने उड़ान भरना शुरू कर दिया और मंजूरी का इंतजार किए बिना ही उड़ान भर गया।

रेलवे लोको पायलट भर्ती की आयु सीमा में तीन वर्ष की छूट, अगस्त-सितंबर में होगी परीक्षा

रेलवे ने हाल ही में लोको पायलट पद पर भर्ती के लिए लगभग 57 सौ पदों की रिक्तियां निकाली हैं। अब आवेदकों की ऊपरी उम्र सीमा में तीन वर्ष की छूट देने की घोषणा की गई है। रेलवे का मानना है कि कोविड के दौरान कई युवा रेलवे में नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर पाए थे। उन्हें ही राहत देने के लिए अधिकतम उम्र सीमा में छूट दी जा रही है, जो सभी श्रेणी के आवेदकों के लिए होगी।

जल्द ही निकाली जाएंगी टेक्निशियन की रिक्तियां

रेलवे ने साथ ही अगले चरण की भर्ती की घोषणा भी की है। इसके लिए अगले वर्ष जनवरी में आवेदन लिया जाएगा। हालांकि टेक्निशियन की रिक्तियां जल्द ही निकाली जाएंगी।

रेलवे का कहना है कि लोकोपायलट के पदों पर भर्ती के लिए निकाली गई रिक्तियों को लेकर आवेदकों में कई तरह की भ्रांतियां देखी जा रही थीं, जिन्हें दूर करने के लिए अधिकतम उम्र सीमा में राहत देने का निर्णय लिया गया। साथ ही भर्ती प्रक्रिया निर्धारित समय सीमा में पूरी की जा सके इसके लिए टाइमलाइन भी जारी की गई है।

अगस्त-सितंबर में होगी सीबीटी परीक्षा

रेलवे की अधिसूचना के मुताबिक, सामान्य श्रेणी एवं ईडब्लूएस के अभ्यर्थी जिनकी जन्मतिथि दो जुलाई 1991 एवं एक जुलाई 2006 के बीच है, इस पद के लिए आवेदन कर सकते हैं।

इसी तरह ओबीसी अभ्यर्थी की जन्मतिथि दो जुलाई 1988 और एक जुलाई 2006 के बीच तथा एसी-एसटी की दो जुलाई 1986 एवं एक जुलाई 2006 के बीच है, इस पद के लिए आवेदन कर सकते हैं। प्रथम चरण में सीबीटी-1 की परीक्षा जून से अगस्त एवं सीबीटी-2 परीक्षा सितंबर में पूरी कर ली जाएगी। तीसरे चरण को नवंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। रेलवे की वेबसाइट से भी जानकारी ली जा सकती है।

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने ज्ञानवापी हिंदूओं को सौंपने का किया आग्रह, समाज से बड़ा दिन दिखाने की करेगा अपील

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) अब समाज में ज्ञानवापी की सच्चाई बताने के साथ सद्भाव का नया रास्ता भी तैयार करेगा। उसके द्वारा अगले माह से राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जाएगा।

एमआरएम के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहिद सईद के अनुसार, इस अभियान में मुस्लिम समाज के सामने यह स्पष्ट किया जाएगा कि किस तरह आक्रांताओं ने एक-एक कर हिंदू आस्था के केंद्रों को जानबूझ कर निशाना बनाया। उसमें से ज्ञानवापी एक है।

ऐसे में उन आक्रांताओं के साथ खुद का संबंध स्थापित करना अब के मुस्लिम समाज को उचित नहीं है, बल्कि इसे समझते हुए ऐसे स्थलों को हिंदू समाज को सौंपकर शांति व सद्भाव का नया रास्ता तैयार करना चाहिए। वैसे भी, उक्त विवादित स्थल से टूटी-फूटी और सलामत मूर्तियां मिली है। ऐसे स्थानों पर नमाज पढ़ना जायज नहीं है।

शाहिद सईद ने बताया कि यह अभियान जमीनी स्तर चलाते हुए इससे समाज के प्रबुद्ध और राष्ट्रीय स्तर के प्रभावी लोगों को जोड़ा जाएगा। इसमें एमआरएम के राष्ट्रीय पदाधिकारियों के कार्यक्रम तय होंगे तो जिला स्तर पर संगठन जुटेगा।

साथ ही मुस्लिमों के अलग- अलग वर्ग को साधने के लिए एमआरएम का बौद्धिक, युवा, मदरसा व महिला प्रकोष्ठ भी अपने-अपने स्तर पर अभियान चलाएगा। इसका निर्णय संगठन के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की 24 जनवरी को हुई इंटरनेट आधारित बैठक में लिया गया है।

इसके पहले एमआरएम ने राम मंदिर मुद्दे के साथ तीन तलाक व अनुच्छेद-370 पर मुस्लिम समाज के जागरण में अहम भूमिका निभाई थी। इन मुद्दों पर संवेदनशील दिनों में देश में सद्भाव बनाए रखने में एमआरएम की भी प्रमुख भूमिका रही थी।

राष्ट्रीय प्रवक्ता के अनुसार एमआरएम चाहता है कि आपसी भाईचारा बना रहे। समस्याओं का हल बातचीत के जरिए हो। क्योंकि, अयोध्या स्थित विवादित स्थल को लेकर तनाव का लंबा दौर सभी ने देखा है। विवाद में कई जाने भी गई। कोर्ट में दशकों तक मामला चला। इस तरह मामले को लटकाने से पेचींदगी और वैमनस्यता ही बढ़ती है।

उन्होंने कहा कि देशभर में या विवादित स्थलों के आस-पास भी कई मस्जिदें और मुस्लिम धार्मिक स्थल है, लेकिन हिंदू समाज उन सभी पर दावा नहीं कर रहा है। उनका यह दावा अकारण नहीं है। इसलिए बड़ा दिल दिखाकर उन स्थलों को हिंदुओं को सौंपकर सद्भााव का नया रास्ता निकाला जाना चाहिए। मुस्लिम समाज से हम यहीं आग्रह करेंगे।