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बीजेपी के लिए इतने क्यों खास हैं नीतीश कुमार, कई बार छोड़ चुके हैं दामन

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ये पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार पाला बदलेंगे।इससे पहले वो पांच बार पाला बदल चुके हैं।अगर वो सीएम पद से इस्तीफा देते हैं तो ये छठी बार होगा।

बिहार में जैसे-जैसे ठंड कम हो रही है वैसे ही यहां राजनीति गर्म हो रही है. यहां एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो गई है. नीतीश कुमार बीजेपी के साथ सरकार बनाने की तैयारी में जुटे हुए हैं. आरजेडी और जदयू की सरकार जो पिछले 3 साल से चल रही थी वो अब टूटने की कगार पर है. हलांकि, आरजेडी नेता और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का कहना है कि वो सरकार इतनी आसानी से जाने नहीं देंगे. वहीं, जदयू और बीजेपी लगातार बैठकें कर रही हैं. पटना से लेकर दिल्ली तक बीजेपी की बैठक जारी है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा का रविवार को बिहार दौरा भी हो सकता है. बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में बीजेपी के दोनों दिग्गज नेता शामिल हो सकते हैं. हालांकि, अभी इस बारे में कोई औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है. सभी की नजरें नीतीश कुमार के इस्तीफे पर है. पहले खबर आई थी कि नीतीश कुमार शनिवार की शाम अपना इस्तीफा सौंप देंगे, लेकिन जैसे-जैसे समय निकल रहा है..वैसे-वैसे पटना में सियासी पारा भी गर्म हो रहा है. अब खबर आ रही है कि नीतीश कुमार कल यानी रविवार को अपना इस्तीफा सौंपेंगे।

ये पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार पाला बदलेंगे. इससे पहले वो पांच बार पाला बदल चुके हैं. अगर वो सीएम पद से इस्तीफा देते हैं तो ये छठी बार होगा जब वो पार्टी बदलकर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. नीतीश कुमार बीजेपी का दामन कई छोड़ चुके हैं. लेकिन ऐसी क्या वजह है कि बीजेपी एक बार फिर नीतीश कुमार के साथ सरकार बनाने के लिए तैयार है. आखिर नीतीश कुमार के पास कौन सा तुरुप का इक्का है कि बीजेपी पुरानी बातों को भुलकर साथ आने को तैयार है।

जदयू और आरजेडी का जोड़

इस साल के मध्य में आम सभा चुनाव होने वाला है. ये चुनाव दिल्ली की सीट के लिए बेहद जरूरी है. इसलिए बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व इस संबंध में कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता है. बिहार की राजनीति देखें तो जदयू और आरजेडी दोनों ही बड़ी पार्टी हैं. इन दोनों पार्टियों के साथ रहने से बीजेपी की चिंता की लकीरें बढ़ जाती. ऐसे में बीजेपी चाहती है कि नीतीश कुमार उनके साथ बने रहें।

2019 का प्रदर्शन दोहराना

बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. बात 2019 के आम चुनाव की करें तो यहां एनडीए ने 40 में से 39 सीटें जीती थी. इसमें बीजेपी ने 17 सीटें तो जदयू ने 16 सीटें वहीं लोकजन शक्ति पार्टी ने भी 6 सीटों पर कब्जा किया था. वहीं वोट प्रतिशत की बात करें तो एनडीए को 54 फीसदी जिसमें जदयू के 22 थे. इसके अलावा महागठबंधन को 31 प्रतिशत वोट मिले थे.  इसी को देखते हुए बीजेपी उत्साह में है और लोकसभा चुनाव में बिहार की सभी सीटें जीतनी चाहती है. वो एक बार फिर 2019 के नतीजों को दोहरना चाहती है इसलिए नीतीश कुमार का साथ चाहती है।

साफ छवि

एक और लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं लेकिन नीतीश कुमार की छवि साफ है. उन पर अभी तक किसी तरह के आरोप नहीं लगे हैं. यही साफ छवि उन्हें लोगों के बीच खास बनाती है. इसके अलावा किसी भी पार्टी के पास ऐसा चेहरा नहीं है जो नीतीश कुमार के चेहरे को टक्कर दे पाए. इसलिए बीजेपी नीतीश कुमार का साथ चाहती है।

सरकार बचाने के लिए सभी दलों ने तैयार किया प्लान B, जानें जादूई आंकड़ा छूने की रणनीति

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तेजस्वी की कुर्सी बचाने के लिए क्या क्या नहीं किया लालू यादव ने। जरूरत पड़ी तो हर वो कुर्बानी दी, जिससे नीतीश के साथ आरजेडी की सरकार चलती रहे और तेजस्वी यादव की कुर्सी बची रहे, लेकिन अब जब नीतीश कुमार ने सियासी पलटी मारने की तैयारी कर ली है।

बिहार में सियासी हलचल के बीच तमाम पार्टियों ने प्लान B भी तैयार कर लिया है. एक तरफ़ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार NDA के साथ गठबंधन बनाने में जुटे हैं. नीतीश कुमार का बीजेपी में जाना लगभग तय हो गया है. हो सकता है तो नीतीश कुमार आज ही गठबंधन में शामिल हो जाए, लेकिन अभी इस बारे में कोई औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है. कयास लगाए जा रहे हैं कि गठबंधन पर आखिरी मुहर नीतीश कुमार को ही लेना होगा. वहीं, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने भी प्लान B तैयार किया है. अब RJD जीतनराम मांझी के सहारे बिहार पॉलिटिक्स में नया भूचाल लाना चाहती है. सूत्रों की माने तो RJD ने मांझी को सीएम बनाने तक का ऑफर तक दे दिया है. वहीं, इन अटकलों के बीच अब JDU ने भी  कल अपने विधायकों और सांसदों को बैठक भी बुलाई है. नीतीश कुमार आज बक्सर दौरे पर थे, लेकिन वो वहां पर एक मंदिर में पूजा अर्चना के बाद पटना लौट गए . वहीं, पटना में अपने विधायकों के साथ कई बैठकें भी की।

लालू यादव प्लान बी पर कर रहे काम

तेजस्वी की कुर्सी बचाने के लिए क्या क्या नहीं किया लालू यादव ने. जरूरत पड़ी तो हर वो कुर्बानी दी, जिससे नीतीश के साथ आरजेडी की सरकार चलती रहे और तेजस्वी यादव की कुर्सी बची रहे, लेकिन अब जब नीतीश कुमार ने सियासी पलटी मारने की तैयारी कर ली है. लालू-तेजस्वी भी अब इस खेल को खुलकर खेलने लगे हैं. साल 2017 में सियासी धोखा खा चुके लालू-तेजस्वी इस बार नीतीश के साथ दो दो हाथ करने के मूड में हैं. यानी वे इतनी आसानी से नीतीश कुमार की मंशा को कामयाब नहीं होेने देना चाहते. इसके लिए लालू यादव और उनकी पार्टी प्लान बी पर काम कर रही है।

राहुल ने जीतनराम मांझी से की बात

गठबंधन टूटने की हालत में तेजस्वी यादव की कोशिश सरकार बनाने की होगी. इसके लिए आरजेडी का पूरा फोकस बहुमत के आंकड़े पर है. इसके लिए वे जीतन राम मांझी पर डोरे फेंकने की कवायद कर रही..सूत्रों के मुताबिक आरजेडी जीतन राम मांझी को सीएम पद का ऑफर दे सकती है. तेजस्वी यादव स्पीकर के साथ काम कर रहे हैं. इधर जीतनराम मांझी से राहुल गांधी ने भी फोन पर बात की है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी नीतीश कुमार को फोन लगाकर बात करने की कोशिश की, लेकिन नीतीश ने बात करने से इनकार कर दिया।

लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में राबड़ी देवी को ED का समन, 9 फरवरी को दिल्ली में पेशी के लिए बुलाया

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अदालत ने इन्हें 9 फरवरी को पेशी को लिए बुलाया है।राबड़ी देवी सहित अन्य को अदालत की ओर से यह समन ऐसे वक्त में जारी किया गया है, जब बिहार में राजनीतिक उठापटक जारी है।

रेलवे में लैंड फॉर जॉब मामले को लेकर बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी की मुश्किलें बढ़ गई हैं. प्रवर्तन निदेशालय की चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व सीएम राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव, हृदयानंद चौधरी, अमित कत्याल ओर दो कंपनियों के खिलाफ समन जारी किया है. अदालत ने इन्हें 9 फरवरी को पेशी को लिए बुलाया है. राबड़ी देवी सहित अन्य को अदालत की ओर से यह समन ऐसे वक्त में जारी किया गया है, जब बिहार में राजनीतिक उठापटक जारी है।

प्रवर्तन निदेशालय इस कथित घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच करते हुए हाल ही में चार्जशीट फाइल की थी. ED ने चार्जशीट में रावड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव, ह्रदयानंद चौधरी के साथ दो कंपनियों को आरोपी बनाया है. ED ने इस मामले में 4751 पेज की चार्जशीट दायर की है।

कोर्ट ने व्यवसायी अमित कात्याल के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी किया है. कात्याल हालांकि इस मामले में न्यायिक हिरासत हैं. ईडी की चार्जशीट पर सुनवाई करते हुए राउज एवेन्यू अदालत के विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने आदेश जारी करते हुए कहा, संज्ञान लेने को लेकर पर्याप्त आधार हैं।

दरअसल, ये पूरा मामला 14 वर्ष पुराना है. इस केस में आरोप है कि तत्कालीन रेल मंत्री रहते हुए लालू प्रसाद यादव ने रेलवे में नौकरी बदले जमीन ली थी. उस समय देश में यूपीएम की सरकार थी, तब लालू प्रसाद यादव 2004 से 2009 तक रेल मंत्री रहे थे. इन आरोपों के साथ सीबीआई ने मामला दर्ज किया. सीबीआई की ओर से दर्ज मामले के अनुसार, रेलवे में ग्रुप डी के पदों पर नौकरी को लेकर पहले सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती प्रक्रिया आरंभ की गई. इसके ​बाद जमीन ट्रांसफर करवाने को लेकर उनकी नौकरी स्थाई कर दी गई. सीबीआई की ओर से दर्ज मामले के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया. इसके साथ जांच शुरू करते ही चार्जशीट फाइल की गई थी।

“सब कुछ सेट हो गया है, हम बीजेपी संग सरकार बना रहे हैं”, जदयू विधायक गोपाल मंडल का बड़ा बयान

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सूबे की राजनीति में उथल-पुथल और लुकाछिपी अब खत्म हो गई, सबकुछ अब सेट हो गया है। हम भारतीय जनता पार्टी के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं। हमारे साथ कांग्रेस के भी साथी आएंगे। यह बातें गोपालपुर के जदयू विधायक एवं सचेतक नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल ने शनिवार काे कही। गोपाल मंडल से जब पूछा गया कि नीतीश कुमार तो बीजेपी से साथ नहीं जाने वाले थे, फिर क्या हुआ? इसपर गोपाल मंडल ने कहा कि हमारे नेता को परेशान किया जा रहा था तो क्या करते?

जिस इंडिया गठबंधन की नींव उन्होंने रखी। उसमें नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को कोई पूछ नहीं रहा था। बात तो प्रधानमंत्री प्रत्याशी तक बनाने की थी लेकिन संयोजक तक बनाने में कांग्रेस नेतृत्व कतरा रहा था। जिस खड़गे को कोई जानता नहीं था, उसे आगे किया गया। ऐसे में नीतीश कुमार क्या करते।

राजद दबाव बना रही थी: गोपाल मंडल

गोपाल मंडल (Gopal Mandal) ने कहा कि इधर राजद की तरफ से उनपर दबाव बनाया जा रहा था। हमारे नेता को एक सीमा तक झुकाया जा सकता। अभी उन्हें सूबे के लिए बहुत कुछ करना था।

अंदर ही अंदर खिचड़ी पकाई जा रही थी

गोपाल मंडल ने कहा कि लेकिन अंदर ही अंदर कुछ और खिचड़ी पकाई जा रही थी। इसलिए सुशासन की सरकार देने के लिए भाजपा के साथ जाना जरूरी समझा। विधायक गोपाल मंडल ने कहा कि उन्हें भी पटना बुलाया गया है। जदयू-भाजपा जब एक हो जाएंगे तो कैसा खतरा। सरकार बेहतर चलेगी।

जदयू-बीजेपी गठबंधन होने से कानून व्यवस्था बेहतर होगी

विधायक ने कहा कि जदयू-बीजेपी गठबंधन होने से राजद की नाराजगी का कोई असर नहीं होगा। विधि-व्यवस्था बेहतर रहेगी। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव की तैयारी वह खुद बीते एक साल से कर रहे हैं।

भागलपुर संसदीय सीट से वह चुनाव लड़ने का दावा उन्होंने करते हुए कहा कि उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने की अपनी इच्छा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर जता चुके हैं। फिर एक बार मिलकर उन्हें अपनी दावेदारी देंगे। क्योंकि भागलपुर सीट हम ही गठबंधन की झोली में ला सकते हैं।

भारतीय रेलवे में खेल कोटा के तहत निकली भर्ती, कितनी है वैकेंसी, जानें सभी महत्वपूर्ण जानकारी

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रेलवे में नौकरी की तलाश कर रहे उम्मीदवारों के लिए एक अच्छी खबर है। रेलवे भर्ती सेल, पूर्व मध्य रेलवे (आरआरसी ईसीआर) ने खेल कोटा के तहत आवेदन आमंत्रित किए हैं। इस भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया चल रही है।  आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 26 फरवरी है। इच्छुक उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट ecr. Indianrailways.gov.in के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

जानकारी दे दें कि असम, मेघालय, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम, जम्मू-कश्मीर, अंडमान और निकोबार और लक्षद्वीप द्वीप समूह, लाहौल और स्पीति जिलों और हिमाचल के चंबा जिलों के पांगी उपमंडलों के आवेदकों के लिए आवेदन पत्र की अंतिम तिथि 11 मार्च है।

आरआरसी ईसीआर भर्ती 2024 रिक्ति विवरण

यह भर्ती अभियान मुख्यालय/ईसीआर हाजीपुर में खिलाड़ियों की 31 रिक्तियों और पूर्व मध्य रेलवे के 5 डिवीजनों के स्तर 1 में 25 खिलाड़ियों की रिक्तियों को भरने के लिए चलाया जा रहा है।

आरआरसी ईसीआर भर्ती 2024 आयु सीमा

इस भर्ती के लिए आवदेन करने वाले उम्मीदवार की आयु 18 से 25 वर्ष के बीच होनी चाहिए।

आरआरसी ईसीआर भर्ती 2024 आवेदन शुल्क

अप्लाई करने वाले यूआर/ओबीसी श्रेणियों के लिए  आवेदन शुल्क 500 रुपये है और एससी/एसटी/पूर्व उम्मीदवारों के लिए 250 रुपये है। अधिक जानकारी के लिए उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।

मनोज जरांगे ने मराठा आंदोलन किया खत्म, देवेंद्र फडणवीस बोले- पुलिस को मारने वालों के मुकदमें नहीं लेंगे वापस

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महाराष्ट्र में लगातार मराठा आंदोलन को लेकर हो रहा प्रदर्शन अब थम गया है। महाराष्ट्र सरकार ने मनोज जरांगे पाटिल की सभी मांगे मानते हुए इस पर अध्यादेश जारी किया है। इसके बाद मनोज जरांगे ने आंदोलन वापस लेने की घोषणा की है। मराठा आंदोलन वापस लेने पर देवेंद्र फडणवीस ने जरांगे का अभिनंदन किया साथ ही ये भी कहा जिन्होंने पुलिस को मारा है और घर जलाए हैं उनके खिलाफ मुकदमे वापस नहीं होंगे।

“कानून के हिसाब से मिलेगा कुनबियों को सर्टिफिकेट” 

नागपुर में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि जो आंदोलन चल रहा था उसका सॉल्यूशन निकल गया है। मुख्यमंत्री ने बहुत अच्छा निर्णय लिया है। मनोज जरांगे पाटिल ने भी इसको मान्यता दी है। मराठा समाज में जो कुनबी हैं, उनकी इसमें जो एंट्री आई है, उनको सर्टिफिकेट मिलना, यह कानून के हिसाब से भी सही है। उन्हें सर्टिफिकेट नहीं मिल पा रहा था, अब आसानी से मिलेगा और ये अच्छी बात है कि यह सब सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के पालन के तहत होगा।

“हिंसा करने वालों के मुकदमें नहीं होंगे वापस”

फडणवीस ने आगे कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात है कि मराठा आंदोलन के दौरान जिसने भी पुलिस वाले को मारा है या फिर किसी के घर जलाए हैं उनके खिलाफ महाराष्ट्र सरकार कोई भी केस वापस नहीं ले रही है और ना ही ऐसा प्रस्ताव है, ना ही महाराष्ट्र सरकार ने कोई निर्णय लिया है।

सीएम नीतीश पर भी बोले फडणवीस

वहीं इस दौरान महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से जब बिहार के सीएम नीतीश कुमार के संबंध में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन पहले दिन से ही चरमरा रहा है। मैं महाराष्ट्र की राजनीति देख रहा हूं, महाराष्ट्र का नेता हूं, इस पर (बिहार) आज ज्यादा कमेंट नहीं कर पाऊंगा। इस बात की खुशी है कि सभी लोग मोदी जी के नेतृत्व पर विश्वास रख रहे हैं।

जरांगे ने समाप्त की भूख हड़ताल

बता दें कि मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग कर रहे कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नवी मुंबई में उनसे मुलाकात करने के बाद शनिवार को अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर दी। जरांगे ने अपनी मांगों को लेकर एक दिन पहले भूख हड़ताल शुरू की थी। जरांगे ने मुख्यमंत्री द्वारा जूस पिलाए जाने के बाद अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल समाप्त कर दी।

Budget की तैयारी अंतिम चरण में पहुंची, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की टीम दे रही है फाइनल टच

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बजट 2024 की तैयारी अंतिम चरण में पहुंच गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों की उनकी टीम इसे अंतिम रूप दे रही है। ‘हलवा समारोह’ के बाद पूर्ण गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए नॉर्थ ब्लॉक को लॉक-डाउन में डाल दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीएमओ अधिकारियों की टीम और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की टीम के बीच बजट को लेकर दिन रात चर्चा चल रही है। ये चर्चाएं सुनिश्चित करती हैं कि प्रधानमंत्री द्वारा जमीनी हकीकतों की गहरी समझ के साथ तैयार की गई योजनाओं का जोर बजट के फाइन-प्रिंट में पर्याप्त रूप से प्रस्तुत किया जाए।

बजट तैयारी करने वाली अहम टीम

वित्त सचिव टीवी सोमनाथन, तमिलनाडु कैडर के अधिकारी, जिन्होंने वित्त मंत्रालय में शामिल होने से पहले प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में अतिरिक्त सचिव के रूप में कार्य किया, दोनों टीमों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। मंत्रालय में बजट बनाने की कवायद का नेतृत्व करने वाली वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की टीम के शीर्ष सदस्यों में राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा, आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ, निवेश और सार्वजनिक संपत्ति विभाग के सचिव तुहिन कांता पांडे, वित्तीय सेवा विभाग के सचिव विवेक जोशी और मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन शामिल हैं।

एक फरवरी के बाद घर जाने की अनुमति मिलेगी

नॉर्थ ब्लॉक में केंद्रीय बजट की छपाई के दौरान, अधिकांश अधिकारियों को बजट से पहले के दिनों में बाहरी दुनिया से बिना किसी संपर्क के कार्यालय में रहना पड़ता है। एक फरवरी को बजट पेश होने के बाद ही उन्हें घर जाने की अनुमति मिलेगी। अंतिम सप्ताह 6 महीने की बजट तैयारी अभ्यास का समापन है जिसमें कृषि, ग्रामीण विकास, उद्योग, बिजली, राजमार्ग और बंदरगाह जैसे सभी मंत्रालय अपने अनुमान तैयार करते हैं और उन्हें वित्त मंत्रालय को प्रस्तुत करते हैं। वित्त मंत्री अपनी टीम की सहायता से प्रस्तावों पर गौर करती हैं और समग्र राजकोषीय घाटे और विकास और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकारी नीतियों के साथ किए जाने वाले आवंटन को ध्यान में रखते हुए उन्हें पीएमओ के साथ निकट परामर्श में रखती हैं।

सीतारमण 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश करेंगी

सीतारमण 1 फरवरी को वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अंतरिम बजट पेश करेंगी, जिससे वह मोरारजी देसाई के बाद लगातार छठी बार संसद में बजट पेश करने वाली देश की दूसरी वित्त मंत्री बन जाएंगी। 2024 के आम चुनाव के बाद नई सरकार के गठन के बाद 2023-24 का पूर्ण बजट पेश किया जाएगा। अंतरिम बजट उस सरकार द्वारा प्रस्तुत किया जाता है जो लोकसभा चुनाव से पहले अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में होती है। अंतरिम बजट की आवश्यकता इसलिए होती है क्योंकि सरकार चलाने के लिए भारत की संचित निधि से धन निकालने के लिए संसद से नए सिरे से मंजूरी की जरूरत होती है। मौजूदा 2023-24 बजट इस वर्ष 31 मार्च तक ही वैध है।

लोकसभा चुनाव के चलते इस साल अंतरिम बजट

चूंकि इस साल अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं, इसलिए नई सरकार के सत्ता संभालने तक देश को चलाने के लिए धन की आवश्यकता होगी। अंतरिम बजट एक व्यावहारिक व्यवस्था है जो सरकार को इस अंतर को भरने में सक्षम बनाती है। अंतरिम बजट केंद्रीय बजट के समान होता है जिसमें सत्तारूढ़ सरकार संसद में अपने व्यय, राजस्व, राजकोषीय घाटे और वित्तीय प्रदर्शन और आगामी वित्तीय वर्ष के अनुमान पेश करती है। हालांकि प्रमुख कर प्रस्ताव नहीं किए गए हैं, सत्तारूढ़ सरकार कुछ करों में बदलाव कर सकती है जैसा उसने तब किया था जब उसने 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले वेतनभोगी पेशेवरों को कुछ राहत देने के लिए आयकर कटौती सीमा बढ़ा दी थी।

कोई बड़ी नीतिगत घोषणा नहीं 

सरकार अंतरिम बजट के दौरान कोई बड़ी नीतिगत घोषणा नहीं करती है जिससे पूर्ण केंद्रीय बजट पेश करने वाली अगली निर्वाचित सरकार पर वित्तीय बोझ पड़ सकता है। चुनाव आयोग की आचार संहिता के मुताबिक सरकार अंतरिम बजट में कोई बड़ी योजना शामिल नहीं कर सकती क्योंकि इससे मतदाता प्रभावित हो सकते हैं। सरकार अंतरिम बजट के साथ आर्थिक सर्वेक्षण भी पेश नहीं करती है जो मुख्य बजट पेश होने से एक दिन पहले किया जाता है।

‘बिहार में खेल होना बाकी’, नीतीश के पाला बदलने की चर्चाओं के बीच बोले तेजस्वी यादव

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बिहार में सियासी गतिरोध जारी है। कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार एक बार फिर से पाला बदलने वाले हैं। कहा जा रहा है कि वह एक बार फिर से महागठबंधन तोड़कर एनडीए में जा रहे हैं। पटना और दिल्ली में बैठकों का दौर जारी है। बीजेपी के नेता भी नीतीश के एनडीए में आने के संकेत दे रहे हैं। हालांकि यह सभी कयास ही हैं, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही यह कयास हकीकत में बदल जाएंगे।

इस बीच पटना में आरजेडी के विधायक दल की बैठक हुई। इस बैठक में आरजेडी के विधायक समेत पार्टी के कई बड़े नेता शामिल हुए। इस बैठक के दौरान उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा, “सीएम नीतीश कुमार आदरणीय थे और हैं। कई चीजें नीतीश कुमार के नियंत्रण में नहीं हैं।’महागठबंधन’ में राजद के सहयोगी दलों ने हमेशा मुख्यमंत्री का सम्मान किया है।”

अब अधिक लोग हमारे साथ- तेजस्वी

तेजस्वी यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री मेरे साथ मंच पर बैठते थे और पूछते थे, ”2005 से पहले बिहार में क्या था?” मैंने कभी प्रतिक्रिया नहीं दी। अब अधिक लोग हमारे साथ हैं। जो काम दो दशकों में नहीं हुआ, वह हमने कम समय में कर दिखाया, चाहे वह नौकरी हो, जाति जनगणना हो, आरक्षण बढ़ाना आदि हो। बिहार में अभी खेल होना बाकी है।

फैसले लेने के लिए लालू यादव अधिकृत- मनोज झा

वहीं बैठक के बाद राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि विधानमंडल की बैठक बेहद ही सार्थक हुई। उन्होंने कहा कि इस बैठक में सभी मुद्दों पर चर्चा हुई। इसमें राज्य और राष्ट्रीय मुद्दे शामिल थे। इसके साथ ही आगे होने वाले सभी फैसलों के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव को अधिकृत किया गया है। मनोज झा ने कहा कि सभी फैसले लालू यादव ही लेंगे।

“लालू यादव अपशब्द कहे तो क्या होगा”? जदयू विधायक गोपाल मंडल ने बताया नीतीश क्यों नहीं उठा रहे फोन

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बिहार की सियासी हलचल(Bihar Politics) से बड़ी खबर आई है. दरअसल, कल शाम को लालू यादव (Lalu Yadav) का फोन नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने नहीं उठाया था. सूत्रों के मुताबिक, लालू यादव ने 5 बार नीतीश कुमार को फोन मिलाया था, लेकिन उन्होंने इसका जवाब नहीं दिया था. अब जेडीयू विधायक गोपाल मंडल ने खुलासा किया है कि नीतीश कुमार ने आखिर क्यों लालू यादव का फोन नहीं उठाया? नीतीश कुमार क्यों कोई जवाब नहीं दे रहे हैं? आइए इसके बारे में जानते हैं.

लालू का फोन क्यों नहीं उठा रहे नीतीश?

भागलपुर से जेडीयू के विधायक गोपाल मंडल ने बताया कि नीतीश कुमार इसलिए फोन नहीं उठा रहे क्योंकि अगर फोन पर लालू यादव ने अपशब्द कहे तो क्या होगा? इसके साथ ही सीएम हाउस के पास अणे मार्ग की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है क्योंकि लालू यादव लठैत को भेज देंगे. अणे मार्ग पर तोड़फोड़ करवा देंगे. नीतीश को इस बात का डर है.

क्यों बढ़ाई गई सीएम हाउस की सुरक्षा?

बता दें कि बिहार में जहां एक तरफ सियासी घमासान मचा हुआ है तो वहीं सीएम आवास की भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है. जेडीयू विधायक गोपाल मंडल ने सीएम आवास की सुरक्षा बढ़ाए जाने को लेकर बड़ा बयान दिया है. गोपाल मंडल ने कहा कि बिहार के अंदर कुर्मी से ज्यादा मजबूत तो आरजेडी है. अगर एक हजार आदमी अणे मार्ग पर आ गए तो क्या नीतीश कुमार सुरक्षित रह पाएंगे. उनको राजभवन जाने ही नहीं दिया जाएगा. इसलिए सुरक्षा को बढ़ा दिया गया है.

नीतीश को सता रहा कौन सा डर?

विधायक गोपाल मंडल ने ये भी दावा किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को डर है क्योंकि वो भले आदमी हैं. लालू यादव अगर हजार लठैत को उनके आवास भेज दें तो अणे मार्ग की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी. वहीं, लालू यादव का फोन नहीं उठाए जाने पर गोपाल मंडल ने कहा कि वह फोन क्यों उठाएंगे, जब बात इधर बीजेपी से बन गई है. लालू फोन लगा रहे हैं और फोन पर ही कुछ अपमानजनक कह दिया तो इससे बेइज्जती होगी.