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प्रशांत किशोर की 2025 विधानसभा चुनाव पर बड़ी भविष्यवाणी, लालू-नीतीश, भाजपा पर कही यह बात

जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव पर बड़ी भविष्यवाणी की है। जेडीयू, आरजेडी और भाजपा पर तंज कसते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार की जनता इनसे त्रस्त और व्याकुल है और विकल्प की तलाश कर रही है।

उन्होंने दावा किया है कि लालू, नीतीश के साथ भाजपा के गठबंधन का भी अंत होना निश्चित है क्योंकि लोग इन सबसे उब चुके हैं। पीके ने कहा है कि लोगों में छटपटाहट बहुत ज्यादा है और बिहार की जनता एक ऐ अगला लेख विकल्प खोज रही है जिससे वे ठगे न जाएं। उन्होंने यह भ कहा कि बिहार के लोग पिछले 35-40 सालों की राजनीति से बिहार परेशान हो चुके हैं।

प्रशांत किशोर ने कहा कि यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि बिहार में जातिवाद कभी खत्म नहीं होगा। दावा किया कि 16 महीनों से बिहार में पैदल चल रहे हैं, 4500 गांवों में गए हैं। हर जाति विशेष के गांवों में गए हैं। कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिला जो ये कह रहा है कि सरकार बहुत बढ़िया चल रही है, इसका विरोध क्यों कर रहे हैं। यह बात जरूर है कि जो व्यक्ति परिवर्तन चाहता है वह हमारे साथ खड़ा नहीं हो रहा है। लेकिन परिवर्तन चाहने वालों की संख्या आज के समय में विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा।

जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने बुधवार को जिले के खोदावंदपुर प्रखंड के 9 गांवों में पदयात्रा की। इस दौरान दौलतपुर के राजकीय मध्य विद्यालय में स्थानीय लोगों के साथ चर्चा की। उसके बाद दौलतपुर के बजरंग बली मंदिर से होते हुए तेतराही बाड़ा के राधा कृष्ण मंदिर में स्थानीय लोगों के साथ संवाद किया। फिर तारा बरियारपुर बरियारपुर पश्चिमी के आंगनबाड़ी सेंटर से होते हुए बरियारपुर पूर्वी से होते हुए खोदवांदपुर ब्लॉक ऑफिस प्ले ग्राउंड पहुंचे, यहीं रात्रि विश्राम किया।

लोकसभा चुनाव में बेगूसराय, बांका और मधुबनी सीट चाहती है भाकपा

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने भी लोकसभा चुनाव में तीन सीटों पर दावेदारी की है। इसमें बेगूसराय, बांका और मधुबनी शामिल है। पार्टी महासचिव डी राजा के नेतृत्व में भाकपा प्रतिनिधिमंडल ने नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव से मुलाकात कर दावेदारी का पत्र सौंप चुका है। प्रतिनिधिमंडल ने इंडिया गठबंधन की सफलता के लिए सभी घटक दलों से सकारात्मक व लचीला रुख अपनाते हुए सम्मानजनक समझौता करने की जरूरत बताई। जदयू व राजद नेताओं से डी राजा की मुलाकात के एक दिन बाद बुधवार को पार्टी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसकी जानकारी दी है।

राज्य सचिव रामनरेश पांडेय ने कहा कि भाकपा ने महागठबंधन के घटक दल के रूप में तीन सीटों पर उम्मीदवार उतारने का मन बनाया है। राज्य इकाई ने एक दर्जन सीटों पर चुनाव लड़ने की क्षमता पर पुनर्विचार करते हुए गठबंधन हित में तीन सीट पर उम्मीदवार उतारने का निर्णय लिया है।

इसलिए घटक दल सम्मानजनक समझौते के तहत बिना समय गंवाए भरोसे का माहौल पैदा करे।

राम मंदिर उद्घाटन में शामिल नहीं होगी कांग्रेस, अब इन दलों ने भी किया इनकार!

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का न्यौता ठुकराने वाली कांग्रेस अकेली पार्टी नहीं है. विपक्षी गंठबंधन के सहयोगियों में से सीपीआई(एम) पहला ऐसा दल था, जिसने कार्यक्रम में शामिल न होने की सबसे पहले घोषणा की थी।

कांग्रेस ने अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर उद्धाटन कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया है. कांग्रेस ने इसको बीजेपी और आरएसएस का इवेंट बताया है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण भेजा गया था, जिसको कांग्रेस ने एक अधूरे मंदिर का उद्धाटन कहकर शामिल होने से मना कर दिया.

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का न्यौता ठुकराने वाली कांग्रेस अकेली पार्टी नहीं

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का न्यौता ठुकराने वाली कांग्रेस अकेली पार्टी नहीं है. विपक्षी गंठबंधन के सहयोगियों में से सीपीआई(एम) पहला ऐसा दल था, जिसने कार्यक्रम में शामिल न होने की सबसे पहले घोषणा की थी. ट्रस्ट से निमंत्रण मिलने के बाद सीपीआई(एम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने राम मंदिर उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होने से साफ इनकार कर दिया था. अब कांग्रेस के निमंत्रण अस्वीकार करने पर टीएमसी और आरजेडी समेत इंडिया गठबंधन के अन्य दलों ने भी अयोध्या कार्यक्रम से दूर रहने का संकेत दिया है. कांग्रेस का कहना है कि धर्म एक बहुत निजी मामला है, लेकिन राम मंदिर बीजेपी और आरएसएस का एक राजनीतिक प्रोजेक्ट है, जिसको लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर तैयार किया गया है।

धर्म एक निजी मामला

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल न होने की घोषणा करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि देश में लाखों-करोड़ों लोग भगवान राम को पूजते हैं. धर्म एक निजी मामला है. लेकिन बीजेपी और आरएसएस ने अयोध्या में राम मंदिर के रूप में एक राजनीतिक प्रोजेक्ट तैयार किया है. यही वजह है कि लोकसभा चुनाव 2024 में राजनीतिक फायदा लेने के लिए बीजेपी और आरएसएस अधूरे मंदिर का उद्घाटन करने को तैयार हैं.  कांग्रेस नेता कहा कि राम मंदिर को लेकर 2019 में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले और करोड़ों रामभक्तों की भावनाओं का सम्मान करते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी ने सम्मानपूर्वक निमंत्रण अस्वीकार कर दिया है।

इन नेताओं ने भी किया इनकार

टीएमसी सूत्रों की मानें तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगी. सीएम ममता बनर्जी ने मंगलवार को लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मंदिर निर्माण और उद्घाटन को नौटंकी बताकर बीजेपी की आलोचना की थी. वहीं, आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुबोध कुमार महता ने कहा कि इस मामले में कांग्रेस की लाइन का समर्थन करते हैं. डीएमके प्रवक्ता टी के एस इलांगोवन ने पार्टी का रुख साफ करते हुए कहा कि पार्टी इसमें भाग नहीं लेगी, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि उसके नेतृत्व को 22 जनवरी के कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया है या नहीं. हालांकि राम मंदिर उद्घाटन में शामिल होने के लेकर आम आदमी पार्टी की तरफ से अभी तक कोई बयान नहीं आया है. सीपीआई राष्ट्रीय महासचिव डी राजा ने कहा कि उनको ईमेल से राम मंदिर उद्घाटन का निमंत्रण मिला है, लेकिन चाहे जो हो, हम नहीं जाएंगे. बीएसपी चीफ मायावती पहले ही कार्यक्रम में शामिल न होने का संकेत दे चुकी हैं. हालांकि उनका रुख अभी पूरी तरह से साफ नहीं हुआ है।

ऐतिहासिक फैसला.. भाजपा की साजिश.. चुनावी फायदा! जानें रियल शिव सेना मामले में क्या बोले महाराष्ट्र पॉलिटिक्स के दिग्गज

यह बीजेपी की साजिश है और यह उनका सपना था कि एक दिन हम बालासाहेब ठाकरे की शिव सेना को खत्म कर देंगे, लेकिन इस एक फैसले से शिव सेना खत्म नहीं होगी… स्पीकर के फैसले के बाद, शिव सेना (यूबीटी गुट) के नेता संजय राउत का बयान आया है।

विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने उद्धव ठाकरे गुट को बड़ा झटका देते हुए, शिंदे गुट को ही असली शिवसेना करार दिया है. दावा है कि संविधान, कानून और चुनाव आयोग के फैसले को ध्यान में रखते हुए ये फैसला लिया गया है. इसका मतलब है कि, एकनाथ शिंदे ही महाराष्ट्र के मुखिया की कुर्सी पर बरकरार रहेंगे… हालांकि राहुल नार्वेकर के इस फैसले के बाद, राज्य और राष्ट्र में पक्ष-विपक्ष की राजनीति का पारा चढ़ने लगा है।

स्पीकर के फैसले के बाद, शिव सेना (यूबीटी गुट) के नेता संजय राउत फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचने की बात कही, उन्होंने कहा कि, “…यह बीजेपी की साजिश है और यह उनका सपना था कि एक दिन हम बालासाहेब ठाकरे की शिव सेना को खत्म कर देंगे, लेकिन इस एक फैसले से शिव सेना खत्म नहीं होगी… हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।..”

वहीं रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के अध्यक्ष और केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. रामदास अठावले ने स्पीकर के इस फैसले को संविधान के मुताबिक करार देते हुए कहा कि, “यह उद्धव ठाकरे के लिए बहुत बड़ा झटका है. एकनाथ शिंदे सीएम बने रहेंगे और उनका गुट ही असली शिव सेना राजनीतिक पार्टी है. यह फैसला पूरी तरह संविधान के मुताबिक लिया गया है, इससे हमें लोकसभा चुनाव में फायदा होगा।”

वहीं फैसले के समर्थन में महाराष्ट्र के मंत्री और शिव सेना (शिंदे गुट) नेता दीपक केसरकर का बयान भी सामने आया, उन्होंने कहा कि, “इस फैसले से लोकतंत्र मजबूत होगा. इस फैसले की सच्चाई यह है कि पार्टी में भी लोकतंत्र होना चाहिए…यह एक ऐतिहासिक फैसला है.” केसरकर ने साथ ही कहा कि, “यह निर्णय सभी तथ्यों के विश्लेषण के बाद लिया गया. यह एक सही निर्णय है।..”

राम मंदिर का निमंत्रण ठुकराने पर बीजेपी हमलावर, ‘कांग्रेस को पछताना पड़ेगा’

केंद्रीय मंत्री पुरी ने कहा कि वो (कांग्रेस नेता) अपनी ही बयानबाजी में फंसे हुए हैं…ऐसे में उनको गंभीरता से क्यों लें।उन्होंने कहा अगर वो राम मंदिर उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल नहीं होते तो उनका इस पर पछताना पड़ेगा।

देश के विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने अयोध्या में 22 जनवरी को होने जा रहे राम मंदिर उद्घाटन का निमंत्रण ठुकरा दिया. कांग्रेस के इस फैसले पर बीजेपी ने इसको सबसे बड़ी भूल करारा दिया है.  केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता हरदीप सिंह ने कहा कि अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर उद्घाटन में शामिल न होने के फैसले पर कांग्रेस को भविष्य में पछताना पड़ेगा. उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर अपनी ”बयानबाजी” में फंसने का भी आरोप लगाया. आपको बता दें कि काग्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन को बीजेपी और आरएसएस का प्रोग्राम बताते हुए शामिल होने से इनकार कर दिया है।

कांग्रेस का फैसला बिल्कुल भी चौंकाने वाला नहीं…

केंद्रीय मंत्री पुरी ने कहा कि वो (कांग्रेस नेता) अपनी ही बयानबाजी में फंसे हुए हैं…ऐसे में उनको गंभीरता से क्यों लें. उन्होंने कहा अगर वो राम मंदिर उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल नहीं होते तो उनका इस पर पछताना पड़ेगा. बीजेपी नेता नलिन कोहली ने कहा कि कांग्रेस का फैसला बिल्कुल भी चौंकाने वाला नहीं है. क्योंकि वो तो राम के अस्तित्व को ही नकारते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों में कांग्रेस ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया. उन्होंने न केवल श्रीराम के अस्तित्व पर सवाल उठाए, बल्कि सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई में भी देरी की. ऐसे में अगर काग्रेंस राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने से इनकार करती है तो इसमें अचंभित करने वाली कोई बात नहीं है।

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में शामिल न होना उनका अपना फैसला

बीजेपी राष्ट्रीय सचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. बीजेपी नेता ने कहा कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में शामिल न होना उनका अपना फैसला है, लेकिन इसको बीजेपी का कार्यक्रम बताना बिल्कुल बेतुका बयान है और इसकी किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है. कांग्रेस के इस बयान की निंदा करते हैं. वहीं, कांग्रेस नेता जयराम रमेश का कहना है कि राम मंदिर को बीजेपी अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल कर रही है।

केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे की बहन के निधन पर संवेदना व्यक्त करने पहुंचे सैयद शाहनवाज़ हुसैन 

केंद्रीय राज्य मंत्री श्री अश्विनी चौबे जी की बहन का कुछ दिनों पूर्व दुखद निधन हो गया था। आज भागलपुर सर्किट हॉउस में आज उनसे मिलकर और संवेदना प्रकट किया।उनकी बहन के निधन का समाचार बेहद दुखद है। उन्हें और उनके परिवार को दुःख की इस घड़ी में संबल मिले।

इस अवसर पर अभय वर्मन,आलोक सिंह बंटू,ई श्रीकांत कुशवाहा,योगेंद्र मंडल,सुमन भारती, रजनीश कुमार उपस्थित रहे।

इसकी जानकारी भाजपा जिला मीडिया प्रभारी प्राणिक वाजपेयी ने दी।

कांग्रेस ने ठुकराया राम मंदिर का न्योता, समारोह में शामिल नहीं होंगे सोनिया गांधी, खड़गे और अधीर रंजन चौधरी.. ये बताई वजह

कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी 22 जनवरी को राम मंदिर कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे।

कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी 22 जनवरी को राम मंदिर कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे. पार्टी ने एक बयान जारी कर राम मंदिर मुद्दे पर कांग्रेस के रुख को लेकर अटकलों को समाप्त कर दिया, क्योंकि कई  INDIA गुट के सहयोगियों की ओर से विरोधाभासी राय आ रही थी. कांग्रेस ने कहा कि अभिषेक कार्यक्रम “स्पष्ट रूप से” आरएसएस/भाजपा कार्यक्रम बन गया है।

पार्टी द्वारा जारी बयान में कहा गया कि, “हमारे देश में लाखों लोग भगवान राम की पूजा करते हैं. धर्म एक निजी मामला है, लेकिन आरएसएस/बीजेपी ने लंबे समय से अयोध्या में मंदिर का राजनीतिक प्रोजेक्ट बनाया है. भाजपा और आरएसएस के नेताओं द्वारा अधूरे मंदिर का उद्घाटन स्पष्ट रूप से चुनावी लाभ के लिए किया गया है. 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करते हुए और भगवान राम का सम्मान करने वाले लाखों लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए, मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी ने स्पष्ट रूप से आरएसएस/भाजपा कार्यक्रम के निमंत्रण को सम्मानपूर्वक अस्वीकार कर दिया है।”

जारी बयान में आगे कहा गया कि, “22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में होने जा रहे राम मंदिर उद्घाटन समारोह का निमंत्रण, पिछले महीने, कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता  अधीर रंजन चौधरी को मिला था।“

मणिपुर सरकार ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के लिए दी इजाजत, जानें क्या शर्त रखा

मणिपुर सरकार ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा को बुधवार (10 जनवरी) को इजाजत दे दी. अधिकारी ने बताया कि सीमित लोगों की संख्या के साथ ये अनुमति दी गई है.

इससे पहले कांग्रेस ने दावा किया था कि मणिपुर सरकार ने इंफाल के पैलेस ग्राउंड से ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू करने के लिए अनुमति देने से इनकार कर दिया है. पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस यात्रा की शुरुआत के लिए इंफाल में किसी दूसरे स्थान का चुनाव करेगी.

बता दें कि मणिपुर पिछले साल मई से जातीय हिंसा की चपेट में है, जिसमें 180 से अधिक लोगों की मौत हुई है.

कांग्रेस का क्या कहना है?

कांग्रेस का कहना है यह यात्रा सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय तीनों पर केंद्रित है. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने चर्चा के लिए संसद का दरवाजा बंद कर दिया है, इसलिए लोगों की आवाज उठाने के मकसद से यात्रा निकालनी पड़ रही है.

किन राज्यों से होकर गुजरेगी?

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में 14 जनवरी से ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ मणिपुर से शुरू होने वाली है. करीब 6,700 किलोमीटर दूरी तय करके यह यात्रा 15 राज्यों से होकर मुंबई में समाप्त होगी.  ये राज्य -मणिपुर, नगालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र हैं.

बता दें कि इससे पहले राहुल गांधी ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा निकाली थी. भारत जोड़ो न्याय यात्रा को लोकसभा चुनाव को देखते हुए काफी अहम माना जा रहा है.

बिहार के राज्यपाल हुए सख्त, बोले- राजभवन के अधिकार क्षेत्र में शिक्षा विभाग नहीं करे ‘अतिक्रमण’

बिहार के शिक्षा विभाग के खिलाफ राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर ने सख्ती दिखाई है. मंगलवार (09 जनवरी) को उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग को विश्वविद्यालयों और राजभवन के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण नहीं करना चाहिए. मंगलवार को विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेंद्र आर्लेकर से मुलाकात की.

कुलपतियों ने शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों की ओर से उनके साथ किए जा रहे बर्ताव से अवगत कराया. उन्होंने राज्यपाल को बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर विश्वविद्यालयों के कार्यों में अनावश्यक हस्तक्षेप किया जा रहा है जिससे शैक्षणिक एवं अन्य गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.

राज्यपाल ने कुलपतियों को दिया आश्वासन

राज्यपाल से मुलाकात के दौरान कुलपतियों ने शिक्षा विभाग से जुड़ी अन्य परेशानियों एवं विश्वविद्यालय की समस्याओं से भी उन्हें अवगत कराया. इस पर  राज्यपाल ने कुलपतियों को इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश देते हुए समुचित कार्रवाई का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग को विश्वविद्यालयों एवं राजभवन के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं करना चाहिए.

चर्चा में है बिहार का शिक्षा विभाग

बता दें कि जब से केके पाठक ने शिक्षा विभाग की कमान संभाली है तब से ही अलग-अलग फैसलों को लेकर चर्चा है. पिछले साल (2023) दिसंबर में राज्यपाल से एमएलसी का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला था. शिक्षा विभाग के खिलाफ शिकायत की थी. राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा था.

बिहार राजभवन ने दिसंबर में ही राज्य के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी को पत्र भेजा था. हाल के दिनों में शिक्षा विभाग द्वारा पारित असंवैधानिक और निरंकुश आदेशों के खिलाफ तत्काल सुधारात्मक उपाय करने के लिए कहा था. राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू की ओर से लिखे गए उक्त पत्र के अनुसार राजेंद्र आर्लेकर ने विचार व्यक्त किया था कि विभाग इस तरह के आदेश पारित करके राज्य में शैक्षणिक माहौल को नष्ट करने पर तुला है.