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कांग्रेस पर बिफरे प्रशांत किशोर, पूछा- राहुल गांधी को बिहार से क्या मतलब है?

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पटना: जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार के संदर्भ में कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर शनिवार को हमला बोला. उन्होंने सीतामढ़ी में कहा कि राहुल गांधी को बिहार से क्या मतलब है? आप बताइए जरा कि राहुल गांधी को बिहार में पिछली बार कब देखा था? बिहार के मुद्दे पर आपने कभी बोलते हुए सुना? कांग्रेस ने तो 40 सालों तक बिहार को बर्बाद किया है. यही कारण है कि बिहार की जनता ने इतनी समझदारी दिखाई कि कांग्रेस को बिहार से पूरे सिरे से काटकर फेंक दिया. आज कांग्रेस का बिहार में कोई नाम लेने वाला नहीं है. कई बार मुझसे कहते हैं कि आप कांग्रेस की शिकायत नहीं करते हैं. कांग्रेस ने जो बिहार में गलती की उसका खामियाजा उन्होंने भुगता।

प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में कांग्रेस साल 1990 तक रूलिंग पार्टी हुआ करती थी. आज कांग्रेस का पांच प्रतिशत वोट बिहार में नहीं है. बिहार में 1990 के बाद से जो 3 दल हैं. पिछले 32 सालों से बिहार को चला वो रहे हैं लालू, नीतीश और बीजेपी तो इन तीनों पर सवाल नहीं खड़ा करेंगे? तो क्या शिवसेना पर सवाल खड़ा करेंगे? आगे उन्होंने कहा कि गरीब की बात करने वाले ये बोल रहे हैं कि कर्नाटक में महिलाओं को तीन हजार रुपये देंगे।

उन्होंने कहा कि कर्नाटक की महिला ज्यादा गरीब है या बिहार की महिला ज्यादा गरीब है? अगर कर्नाटक की महिला को 3 हजार रुपये मिलना चाहिए तो कांग्रेस के लोग बिहार में सरकार में शामिल हैं तो जरा बताइए कि बिहार की महिलाओं को क्यों नहीं एक हजार भी दिलवा रहे हैं? ये किस भ्रम में आप लोग पड़े हैं इन लोगों से क्या सवाल करें?

बीपीएससी 67वीं का फाइनल रिजल्ट जारी, अमन आनंद बने टॉपर

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बीपीएससी 67वीं का फाइनल रिजल्ट जारी हो गया है. 802 पदों के लिए वैकेंसी आई थी, जिनमें 799 अभ्यर्थी उत्तीर्ण घोषित हुए हैं. 2014 उम्मीदवार साक्षात्कार के लिए हुए चयनित हुए थे. उनमें 2090 ही सम्मिलित हो पाए थे. अमन आनंद बीपीएससी टॉपर बने हैं. निकिता कुमारी दूसरे और अंकिता चौधरी तीसरे स्थान पर रही हैं।

बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अतुल प्रसाद ने बताया कि बीपीएससी 67वीं का परिणाम अभ्यर्थी www.bpsc.bih.nic.in पर देख सकते हैं. बिहार प्रशासनिक सेवा के लिए 88, बिहार पुलिस सेवा (डीएसपी) के लिए 20, राज्य टैक्स असिस्टेंट कमिश्नर के लिए 21, जेल सुपरिटेंडेट के लिए 3, सब इलेक्शन ऑफिसर के लिए 4, बिहार एजुकेशन सर्विस के लिए 12. एक्साइज अधीक्षक के लिए 2, सब रजिस्ट्रार और ज्वाइंट सब रजिस्ट्रार के 2 पदों के लिए सेलेक्शन हुआ है।

बिहार प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में अमन आनंद टॉपर बने हैं. निकिता कुमारी और अंकिता चौधरी क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं. वहीं, खालिद हयात चौथे, ऋषव आनंद पांचवें, प्रियांशु कुमार छठे, अपेक्षा मोदी सातवें, सोनल सिंह आठवें, मुकेश कुमार यादव नौवें और तरुण कुमार पांडे दसवें स्थान पर हैं।

बिहार के बड़े-बड़े पत्रकार दिखे साथ, चुनाव में अखबार, टीवी नहीं मोबाइल का दिखेगा जलवा…

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पटना: वेब जर्नलिस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के द्वारा शनिवार को दो दिवसीय परिचर्चा की शुरुआत पटना में हुई। इस कार्यक्रम में देशभर के कई दिग्गज शामिल हुए। इस कार्यक्रम का उद्घाटन बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री संजय झा के द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि वेब मीडिया के द्वारा पलक झपकते ही सूचना एवं संचार देश के कोने-कोने तक पहुंच रही है।

सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री संजय झा ने कहा कि वेब मीडिया आज सही मायने में सूचना क्रांति का प्रतीक है। वेब मीडिया के माध्यम से लोगों की पहुंच देश और दुनिया तक हो चुकी है। किसी जानकारी को प्राप्त करने के लिए उन्हें अब अधिक समय देने का इंतजार नहीं करना पड़ता है। लोगों की आवाज बहुत ही कम समय में देश और दुनिया तक वेब मीडिया के माध्यम से पहुंच जाती है। सूचना का बहुत बड़ा तंत्र बन चुका है इससे समाज में कोई कुरीतियों न फैले इसका ध्यान रखते हुए काम करना होगा।

उन्होंने आगे कहा कि सरकार और वेब मीडिया से जुड़े पत्रकारों के सहयोग से आने वाले समय में इस पर काम करना होगा। मंत्री संजय झा ने कहा कार्यक्रम समाप्त होने के बाद वेब मीडिया से जुड़े पत्रकारों मिलकर उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास करूंगा। इस कार्यक्रम में लाइफ सिटीज के एडिटर इन चीफ ज्ञानेश्वर जी, आईआईएमसी के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर (डॉ.) संजय द्विवेदी, एडिटर्स गिल्ड के पूर्व महासचिव एन.के. सिंह, कशिश न्यूज़ के संपादक अशोक मिश्रा, नेटवर्क18 समूह के समूह संपादक ब्रजेश कुमार सिंह, एबीपी नेटवर्क न्यूज़ गैदरिंग के संपादक राजीव कमल, पंजाब केसरी, बिहार/झारखंड के संपादक प्रवीण झा सहित राष्ट्रीय और स्थानीय कई पत्रकारो ने शिरकत किया।

पटना में बिना हेलमेट बाइक पर घूमने वाले करीब 8 हजार गाड़ियों पर कार्रवाई, 80 लाख का कटा चालान

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 दूर्गा पूजा के दौरान पटना की सड़कों पर बिना हेलमेट बाइक चलाने वालों का पुलिस ने इलाज कर दिया है. पटना ट्रैफिक पुलिस ने ऐसे करीब 8 हजार बाइक की पहचान कर ली है, जिन पर बिना हेलमेट के सवार होकर मेला घूमा जा रहा था. सप्तमी, अष्टमी और नवमी को पटना की सड़कों पर मौज मस्ती करने वाले ऐसे लोगों पर करीब 80 लाख का चालान काट दिया गया है.

पटना ट्रैफिक पुलिस के मुताबिक पूजा के दौरान बिना हेलमेट पटना की सड़कों पर मस्ती करने वालों को अब जुर्माने भरना होगा. ट्रैफिक पुलिस ने ट्रैफिक चेक पोस्ट और चौक चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज के आधार पर कार्रवाई की है. सिर्फ दो दिनों की सीसीटीवी कैमरे की जांच में ऐसे 7 हजार 783 बाइक की पहचान की गयी है, जिसे बिना हेलमेट पहने चलाया जा रहा था. उन पर 80 लाख 80 हजार रुपये का चालान काटा गया है.

ट्रैफिक पुलिस के मुताबिक सबसे ज्यादा चालान नवमी के दिन का काटा गया है. नवमी के दिन 35 लाख रूपये से ज्यादा का चालान काटा गया है. इसमें बिना हेलमेट वालों से लेकर बाइक पर ट्रिपल लोडिंग चलने वाले शामिल हैं. दरअसल दूर्गा पूजा के दौरान ट्रैफिक पुलिस शांत बैठी थी, लेकिन सड़कों पर लगे कैमरे काम कर रहे थे. उन्हीं कैमरों के फुटेज के आधार पर कार्रवाई की गयी है.

141 बाइक जब्त

हालांकि पटना पुलिस ने सप्तमी की देर रात से नवमी की रात तक शहर में विशेष अभियान चलाया था. ट्रैफिक एसपी पूरन झा के नेतृत्व में कई इलाकों में बाइक सवारों पर कार्रवाई की गयी. इस दौरान 141 बाइकर्स को पकड़ा गया और उनकी बाइक जब्त कर ली गयी.

पटना में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गये Ola और Uber कैब के ड्राइवर, भत्ता और सुरक्षा दिये जाने की मांग

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1500 रुपया दैनिक भत्ता, सुरक्षा, पटना में कंपनी का दफ्तर खोले जाने, ऑटो और बाइक कैब बंद किये जाने सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पटना में Ola और Uber कैब के हजारों ड्राइवर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये हैं। पटना के मिलर स्कूल ग्राउंड में अपनी गाड़ी लेकर सभी पहुंचे है पूरा ग्राउंड Ola और Uber कैब की गाड़ियों से भर गया।

मिनिमम बिजनेस गारंटी की मांग ये कर रहे हैं। जब तक इनकी मांगे नहीं मानी जाएगी तब तक ये हड़ताल पर रहेंगे। इस दौरान पटना में कैब सेवा पूरी तरह ठप रहेगी। इनके हड़ताल पर चले जाने से पटना के लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लोग ऑटो और बाइक से अपने गंतव्य स्थान तक पहुंच रहे हैं। Ola और Uber कैब चलाने वाले ड्राइवरों का कहना है कि उनके साथ कंपनी बहुत अत्याचार कर रही है। दस लाख रूपये लगाकर ये दस हजार रूपये भी नहीं कमा पा रहे हैं।

10 किलोमीटर के लिए इनकी गाड़ी बुक की जाती है और पैसेजर को पहुंचाने के बाद मात्र 100 रुपये दिया जाता है। इतनी कम राशि मिलने से वे गाड़ी का इएमआई तक नहीं दे पा रहे हैं। कभी-कभी तो कार लेकर बाहर भेजा जाता है जहां बीच रास्ते में ड्राइवर के मारपीट की जाती है। गाड़ी तक छीन लिया जाता है। यही नहीं कभी-कभी तो ड्राइवर की हत्या कर फेंक दिया जाता है। ऐसे में उनकी सुरक्षा का ख्याल रखना कंपनी की जिम्मेदारी बनती है लेकिन कंपनी पल्ला झाड़ लेती है।

कैब ड्राइवर का कहना है कि हम लोग जान हथेली पर रखकर गाड़ी चलाते हैं लेकिन कंपनी कहती है कि अपने रिक्स पर गाड़ी चलाए कुछ होगा तो कंपनी जिम्मेदारी नहीं लेगी। रंजीत ने कहा कि कस्टमर कंपलेन करता है तो उसकी बात सुनी जाती है लेकिन कंपनी हमारी बात नहीं सुनता। हमारी समस्या क्या है उसका समाधान कैसे किया जाए इसे लेकर दोनों कंपनियां कभी नहीं सोचती।

आश्चर्य इस बात की है कि दोनों में से किसी कंपनी का पटना में ऑफिस तक नहीं है। हम मांग करते हैं इतनी बड़ी कंपनी चला रहे हैं लेकिन अपना ऑफिस नहीं है सबसे पहले अपना ऑफिस खोले। ऑटो वाला खूब कमा रहा है हम दस लाख का पूंजी लगाकर नहीं कमा पा रहे हैं। कमर्शियल गाड़ी में हम लोग टैक्स देते हैं लेकिन कमाई नहीं हो पाती है। बिना टैक्स और परमिट वाले खूब कमा रहे हैं हम मुंह ताकते रहते हैं।

कैब ड्राइवर ने कहा कि ऑटो और बाइक के कारण भी बहुत परेशानी हो रही है जितना भाड़ा मिलना चाहिए उतना नहीं मिल रहा है। इन्होंने फेयर बढ़ाने की मांग की कहा कि गाड़ी का कागज बनाने में 10 हजार से ज्यादा लगता है। सरकार को टैक्स हम देते है लेकिन ऑटो वाले बिना परमिट के चलता है। ऑटो का सड़क पर चलने का अधिकार नहीं है सड़क पर चलने का अधिकार हमलोगों को मिला हुआ है। पटना में बिना परमिट का ऑटो क्यों चल रहा है।

दस किलोमीटर गाड़ी चलता है तब पांच किलोमीटर का बिल पेमेंट किया जाता है। Ola और Uber दोनों कंपनियों की मनमानी काफी बढ़ गयी है। ऑटो-बाइक को भी ओला-ऊबर पर चलाया जा रहा है और हमलोग बैठे रह जाते हैं। ड्राइवर ने कहा कि हम लोग 12 घंटे की ड्यूटी देंगे लेकिन 1500 रुपया भत्ता कर दिया जाए। किसी के साथ कोई घटना हो जाती है तब कंपनी मुआवजा दें। कैब ड्राइवरों ने कहा कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होती तब तक हड़ताल जारी रखेंगे।

पटना के बिहटा थाना पुलिस का कारनामा! आरोपी की जगह पीड़ित को ही कर लिया अरेस्ट, रातभर थाने में बिठाए रखा

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बिहार पुलिस अपनी करतूतों के कारण आए दिन चर्चा में रहती है। ताजा मामला राजधानी पटना से सामने आया है, जहां पुलिस ने आरोपी की जगह पीड़ित को ही अरेस्ट कर लिया और रातभर थाने में बिठाए रखा। मामला बिहटा थाना क्षेत्र के यमुनापुर गांव का है। दरअसल, बिहटा थाना क्षेत्र के यमुनापुर गांव में बीती रात जमीनी विवाद को लेकर दो पक्षों के बीच मारपीट की घटना हो गई थी। इस मामले में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार करने के बजाए पीड़ित को ही अरेस्ट कर थाने ले गई।

आरोपियों ने पीड़ित रोहित कुमार को जानवरों की तरह हाथ पैर बांधकर घंटों बंधक बनाए रखा लेकिन आरोपी को गिरफ्तार करने के बजाए पुलिस रोहित को ही उठाकर थाने ले गई। पुलिस ने करीब 12 घंटे तक पीड़ित को थाने में बैठाए रखा और जब मामले ने तूल पकड़ा तो लीपापोती में लग गई।

आनन-फानन में पुलिस ने मामला दर्ज किया और कार्रवाई करने की बात कह रही है। बता दें कि युवक के साथ हुई बर्बरता का वीडियो जब वायरल हुआ है। वायरल वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि कैसे लड़के को रस्सी से बांधकर रखा गया है और उसकी पिटाई की जा रही है।

बिना इंश्योरेंस की गाड़ी से चल रहे हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार; लेकिन आम लोगों का चालान काटेगी बिहार पुलिस?

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ऐसी गाड़ी की सवारी कर रहे हैं, जिसका इंश्योरेंस फेल है. नीतीश कुमार आज सहरसा के दौरे पर थे, वहां वे जिस गाड़ी पर सवार हुए उसका इंश्योरेंस फेल है. सरकारी कागजात ही बता रहे हैं कि पिछले पांच साल से उस गाड़ी का इंश्योरेंस नहीं हुआ है. बता दें कि कानून में ऐसी कोई छूट नहीं है कि मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक बिना इंश्योरेंस की गाड़ी से चल सकते हैं.

BR01CJ-0077 नंबर की गाड़ी से चले नीतीश

दरअसल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज सहरसा जिले के पंचगछिया गांव में गये थे. वे बाहुबली आनंद मोहन के दादा और चाचा की प्रतिमा का अनावरण करने और आनंद मोहन की मां से आशीर्वाद लेने उनके गांव गये थे. वैसे तो नीतीश कुमार हेलीकॉप्टर से पंचगछिया गये थे लेकिन हेलीपैड से प्रतिमा स्थल और आनंद मोहन के घर जान-आने के लिए पटना से उनकी खास बुलेटप्रूफ गाड़ी सहरसा गयी थी. नीतीश कुमार के लिए BR01CJ-0077 नंबर की सफारी गाड़ी भेजी गयी थी. हेलीकॉप्टर से उतरने के बाद नीतीश कुमार इसी गाड़ी में बैठे.

गाड़ी का इंश्योरेंस फेल

फर्स्ट बिहार ने उस गाड़ी के कागजातों की छानबीन की, जिस पर नीतीश कुमार चल रहे थे. परिवहन मंत्रालय की ओऱ से जो ऑनलाइन जानकारी मिल रही है, उसके मुताबिक BR01CJ-0077 नंबर की इस गाड़ी का इंश्योरेंस 2018 से ही फेल है. यानि पिछले पांच साल से वह गाड़ी बिना इंश्योरेंस के चल रही है, जिस पर नीतीश कुमार चल रहे हैं. हालांकि ये गाड़ी बिहार पुलिस के आईजी प्रोविजन के नाम पर खरीदी गयी है. 2017 में इस बुलेटप्रूफ सफारी गाड़ी को खरीदा गया था. उसका पॉल्यूशन सर्टिफिकेट सही है. लेकिन इंश्योरेंस 4 जून 2018 को ही फेल बताया जा रहा है.

बिहार पुलिस क्यों नहीं काट रही चालान

बता दें कि देश में लागू मोटर वाहन कानून के तहत किसी व्यक्ति को बिना इंश्योरेंस के गाड़ी चलाने का अधिकार नहीं है. 2019 में देश में लागू हुए मोटर वाहन कानून के तहत इंश्योरेंस पॉलिसी के बिना गाड़ी चलाना अवैध है. भारत सरकार ने सभी मोटर वाहनों के लिए रोड पर कानूनी रूप से ड्राइव करने के लिए थर्ड पार्टी लायबिलिटी इंश्योरेंस अनिवार्य कर रखा है. बगैर इंश्योरेंस के गाड़ी चलाने पर पकड़े जाने पर पहली दफे 2 हजार रूपये का जुर्माना या 3 साल की कैद का प्रावधान है. वहीं दूसरी दफे पकड़े जाने पर जुर्माने की राशि 4 हजार हो जायेगी.

बिहार पुलिस इन दिनों लगातार वाहनों का चालान काट रही है. दूर्गा पूजा के दौरान पटना की सड़क पर बिना हेलमेट बाइक चलाने वालों पर 80 लाख रूपये से ज्यादा का चालान काट दिया गया. सवाल ये उठ रहा है कि क्या बिहार के मुख्यमंत्री कानून से उपर हैं.

कैसी है नीतीश की गाड़ी

बगैर इंश्योरेंस की जिस गाड़ी का हम जिक्र कर रहे हैं, उसकी खासियत भी जान लीजिये. ये टाटा सफारी की बुलेटप्रूफ गाड़ी है. करीब 80 लाख की ये गाड़ी पर एके-47 राइफल औऱ मशीनगन से फायरिंग करने पर कोई असर नहीं करता. अगर इस गाड़ी के नीच हैंड ग्रेनेड विस्फोट हो जाये तो भी गाड़ी में सवार लोग सुरक्षित रहेंगे. इस विस्फोट से बचाने के लिए कई सुरक्षा प्रबंध किये गये हैं. अगर गाड़ी के टायर पंक्चर हो जायें तब भी ये गाड़ी 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 50 किलोमीटर तक सफर कर सकती है.

पटना के गांधी मैदान में कल से सजेगा किताबों का मेला, लाखों बुक बिकने को तैयार

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पढ़ाई- लिखाई के शौकीनों के लिए पटना के गांधी मैदान में पुस्तक मेले आयोजन हो रहा है. ये आयोजन साहित्य दर्पण ( पी एंड डी ) के तरफ से किया जा रहा है. पुस्तक मेले का उद्घाटन कल यानी 28 अक्टूबर दोपहर 2 बजे किया जाएगा. ये मेला 28 अक्टूबर से लेकर 8 नवंबर तक चलेगा. पटना पुस्तक मेले में सभी सांस्कृतिक धाराओं का संगम होता है. यहां अगर साहित्यकारों और पुस्तक प्रेमियों के लिए पुस्तक की दुनिया सजती है, तो रंगकर्मियों को नाट्य मंच भी प्राप्त होता है.

इस पुस्तक मेले में न केवल पुस्तकों की बिक्री होती है, बल्कि स्थानीय साहित्यकारों और रंगकर्मियों को यह मेला एक मंच भी प्रदान करता है. 9 दिनों तक चलने वाले इस साहित्यिक कुंभ में देश के नामचीन साहित्यकार पाठकों से रूबरू होंगे. करीब 200 से ज्यादा प्रकाशकों की पुस्तक मेले का आकर्षण होंगे. मेले में स्कूली बच्चों व दिव्यांगों को निशुल्क प्रवेश मिलेगा. बच्चों को अपना परिचय पत्र साथ लाना होगा.

पटना में कब हुई थी पुस्तक मेले की शुरूआत

60 के दशक में ही पटना में पहली बार एक पुस्तक प्रदर्शनी लगी थी. उसके बाद रुक-रुक कर लंबे-लंबे अंतराल के बाद पटना में पुस्तक मेले का आयोजन होता रहा. कभी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने तो कभी नेशनल बुक ट्रस्ट ने तो कभी पुस्तक व्यवसायी संघ ने पटना में पुस्तक मेले का आयोजन किया. हर बार बिहार की जनता ने अपने उत्साह से आयोजकों को फिर से पुस्तक मेला आयोजित करने के लिए बाध्य किया. फिर भी निरंतरता नहीं बन पाई थी.

अस्सी के दशक में इस बात की जरूरत महसूस की गई कि कोई एक संगठन नियमित तौर पर पटना में पुस्तक मेले का आयोजन करे, तब पटना पुस्तक मेला लगने की शुरुआत वर्ष 1985 में हुई थी. इसके बाद दूसरा पुस्तक मेला तीन वर्ष बाद वर्ष 1988 में आयोजित किया गया. इसके बाद प्रत्येक दूसरे वर्ष पुस्तक मेले का आयोजन होता रहा. वर्ष 2000 से पुस्तक मेले का प्रत्येक वर्ष आयोजन होने लगा. राज्य सरकार के निवेदन पर वर्ष 2013 में मार्च और नवंबर में यानी दो बार पुस्तक मेले का आयोजन किया गया.

जीतन राम मांझी का नीतीश सरकार पर हमला, कहा – वोट दें बिहारी, नौकरी पाएं बाहरी’… नहीं चलेगा

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बिहार में चल रही शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य अभ्यर्थियों के सफल होने के बीच बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने प्रदेश में डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग की है. शुक्रवार (27 अक्टूबर) को एक बार फिर हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी ने नीतीश सरकार पर हमला बोला है।

जीतन राम मांझी ने अपने एक्स हैंडल से लिखा, “बिहार के पढ़े लिखे युवा मजदूरी करें दूसरे राज्यों में और बिहारियों के हिस्से की सरकारी नौकरी ‘लैंड फॉर जॉब’ और ‘मनी फॉर जॉब’ के तहत आप बेच दें. बिहारी नौकरियों पर पहला अधिकार मांगे बिहारी बेरोजगार’, वोट दें बिहारी और नौकरी पाएं बाहरी, यह नहीं चलेगा. सूबे में डोमिसाइल नीति लागू हो।

बता दें कि बिहार को 2 नवंबर को 1.20 लाख नए शिक्षक मिलेंगे. ये सभी शिक्षक बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से बहाल किए गए हैं. इनमें से 12 फीसद शिक्षक बिहार से बाहर के हैं. इसका मतलब है कि लगभग 14 हजार अभ्यर्थी दूसरे राज्यों के हैं. बताया जाता है कि ये सभी प्राथमिक शिक्षक के तौर पर अनारक्षित वर्ग में चयनित हुए हैं. कहा जा रहा कि इनमें सबसे अधिक उत्तर प्रदेश के हैं. इसके अलावा झारखंड, हरियाणा समेत अन्य राज्यों के भी अभ्यर्थी नियुक्त हुए हैं।