पढ़ाई- लिखाई के शौकीनों के लिए पटना के गांधी मैदान में पुस्तक मेले आयोजन हो रहा है. ये आयोजन साहित्य दर्पण ( पी एंड डी ) के तरफ से किया जा रहा है. पुस्तक मेले का उद्घाटन कल यानी 28 अक्टूबर दोपहर 2 बजे किया जाएगा. ये मेला 28 अक्टूबर से लेकर 8 नवंबर तक चलेगा. पटना पुस्तक मेले में सभी सांस्कृतिक धाराओं का संगम होता है. यहां अगर साहित्यकारों और पुस्तक प्रेमियों के लिए पुस्तक की दुनिया सजती है, तो रंगकर्मियों को नाट्य मंच भी प्राप्त होता है.

इस पुस्तक मेले में न केवल पुस्तकों की बिक्री होती है, बल्कि स्थानीय साहित्यकारों और रंगकर्मियों को यह मेला एक मंच भी प्रदान करता है. 9 दिनों तक चलने वाले इस साहित्यिक कुंभ में देश के नामचीन साहित्यकार पाठकों से रूबरू होंगे. करीब 200 से ज्यादा प्रकाशकों की पुस्तक मेले का आकर्षण होंगे. मेले में स्कूली बच्चों व दिव्यांगों को निशुल्क प्रवेश मिलेगा. बच्चों को अपना परिचय पत्र साथ लाना होगा.

पटना में कब हुई थी पुस्तक मेले की शुरूआत

60 के दशक में ही पटना में पहली बार एक पुस्तक प्रदर्शनी लगी थी. उसके बाद रुक-रुक कर लंबे-लंबे अंतराल के बाद पटना में पुस्तक मेले का आयोजन होता रहा. कभी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने तो कभी नेशनल बुक ट्रस्ट ने तो कभी पुस्तक व्यवसायी संघ ने पटना में पुस्तक मेले का आयोजन किया. हर बार बिहार की जनता ने अपने उत्साह से आयोजकों को फिर से पुस्तक मेला आयोजित करने के लिए बाध्य किया. फिर भी निरंतरता नहीं बन पाई थी.

अस्सी के दशक में इस बात की जरूरत महसूस की गई कि कोई एक संगठन नियमित तौर पर पटना में पुस्तक मेले का आयोजन करे, तब पटना पुस्तक मेला लगने की शुरुआत वर्ष 1985 में हुई थी. इसके बाद दूसरा पुस्तक मेला तीन वर्ष बाद वर्ष 1988 में आयोजित किया गया. इसके बाद प्रत्येक दूसरे वर्ष पुस्तक मेले का आयोजन होता रहा. वर्ष 2000 से पुस्तक मेले का प्रत्येक वर्ष आयोजन होने लगा. राज्य सरकार के निवेदन पर वर्ष 2013 में मार्च और नवंबर में यानी दो बार पुस्तक मेले का आयोजन किया गया.


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