बिहार के मुंगेर में गंगा किनारे स्थित शक्ति पीठ माता चंडिका स्थान देश भर के बावन शक्तिपीठों में एक है. चंडिका स्थान में मां के बाईं आंख की पूजा होती है. मान्यता है कि राजा दक्ष की पुत्री सती के जलते हुए शरीर को लेकर जब भगवान शिव भ्रमण कर रहे थे, तब माता सती की बांई आंख यहां गिरी थी. यही वजह है कि यह बावन शक्तिपीठों में एक है और यहां मां का आंख जो पिंडी रूप में है उसके दर्शन से सभी दुख दूर होते हैं. साल के पहले दिन हजारों की संख्या में भक्त पहुंच रहे हैं. मां के नेत्र पर जल अर्पित करने के लिए राज्य के कोने कोने से लोग पहुंच रहे हैं।

शक्तिपीठ के प्रधान पुजारी नंदन बाबा ने बताया के नए साल के आगमन में शक्तिपीठ में विशेष पूजा अर्चना का आयोजन किया गया. शक्तिपीठ में 75 किलो शुद्ध घी के लड्डू का प्रसाद चढ़ाया गया है . भक्तों के लगातार पहुंचने का सिलसिला जारी है. भक्तों का नया साल अच्छा जाय इसको ले मां से मन्नत भी भक्त मांग रहे है . वहीं भक्तों ने बताया की उनका और उनके साथ सभी का नया साल अच्छे से बीते इसको ले वे आज मां चंडी के दरबार पहुंचे हैं।

इस मंदिर के बारे में यह भी मान्यता है कि यहां दानी कर्ण हर रोज सवा मन सोना दान करते थे. कर्ण के सोना दान करने से जुड़ी भी कई किवदंतियां है. कहा जाता है कि कर्ण के सोना दान करने के बारे में जब राजा विक्रमादित्य ने सुना तो वह भेष बदलकर यहां पहुंचे तो देखा महाराजा कर्ण ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान कर चंडिका स्थान स्थित खौलते तेल के कड़ाह में कूद जाते हैं और उनके मांस का चौंसठों योगिनियां भक्षण कर लेती है. इसके बाद माता उनकी अस्थियों पर अमृत छिड़क उन्हें फिर से जिंदा कर देती हैं और प्रसन्न होकर सवा मन सोना देती हैं जिसे कर्ण कर्णचौड़ा पर खड़े होकर दान कर देते थे।

 


Discover more from The Voice Of Bihar

Subscribe to get the latest posts to your email.

Adblock Detected!

Our website is made possible by displaying online advertisements to our visitors. Please consider supporting us by whitelisting our website.