महेंद्र सिंह धोनी की बायोपिक ‘एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ 2016 में रिलीज़ हुई थी। उस ब्लॉकबस्टर बॉलीवुड फिल्म के निर्माता भी यह दावा नहीं कर सकते कि उन्होंने धोनी से जुड़ी हर ‘अनकही’ कहानी को कवर किया है। धोनी को लेकर अभी भी कई राज ऐसे हैं जो किसी को नहीं पता। धोनी को लेकर भारत के पूर्व कीपर-बल्लेबाज सैयद सबा करीम ने बड़ा खुलासा किया है।

पावर हिटर एमएस धोनी की पहली छाप

सैयद सबा करीम ने कहा कि पहली बार जब मैंने एमएस धोनी को देखा तो यह रणजी ट्रॉफी में उनका दूसरा वर्ष था। वह बिहार के लिए खेलते थे। मैंने उन्हें बल्लेबाजी और कीपिंग करते हुए देखा था, और मुझे अब भी याद है कि जब वह बल्लेबाजी कर रहे थे, तो उनमें वह प्रतिभा थी जो हमने बाद में भी देखी थी। विकेटकीपिंग के लिए जो फुटवर्क होना चाहिए उसमें थोड़ी कमी दिखी। हमने उस समय उनके साथ इस पर काम किया था और एमएस धोनी की महानता इसी में है कि उन्हें जो सिखाया गया था वह आज भी याद है। जब हम बातचीत करते थे, तो वह इसके बारे में बात करते थे। यह एमएस के करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ था जहां वह वास्तव में आगे बढ़े।

धोनी के लिए निर्णायक साल था 2004

सबा करीम ने कहा, ‘2004 में पाकिस्तान ए और केन्या ए की त्रिकोणीय श्रृंखला में उनके प्रदर्शन ने धोनी को भारतीय टीम में तेजी से जगह दिलाई। धोनी ने शानदार शतक बनाकर राष्ट्रीय टीम के चयनकर्ताओं को यह विश्वास दिलाया कि वह इस स्तर पर खेलने के लिए काफी अच्छे हैं। और बाकी सबकुछ इतिहास है। दूसरा निर्णायक मोड़ केन्या में भारत ‘ए’, पाकिस्तान ‘ए’ और केन्या के बीच त्रिकोणीय श्रृंखला थी। एमएस धोनी को खेलने का मौका इसलिए मिला क्योंकि दिनेश कार्तिक राष्ट्रीय टीम में शामिल हो रहे थे। वहां एमएस ने विकेटकीपिंग अच्छी की और बैटिंग तो पूछो ही मत!

गांगुली ने धोनी को खेलते नहीं देखा था

सौरव गांगुली तब भारतीय टीम के कप्तान थे और करीम ने पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष के साथ धोनी के बारे में हुई बातचीत को याद किया। वहां से यह उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ था और उसके बाद, उनका नाम चर्चा में था। मुझे यह भी याद है कि मैं उस समय कलकत्ता में था और सौरव (गांगुली) कप्तान थे। मैं उनसे मिलने गया और मैंने उनसे कहा कि एक ऐसा कीपर है जिसे भारतीय टीम में आना चाहिए क्योंकि वह बहुत अच्छी बल्लेबाजी कर रहा था। दुर्भाग्यवश, हमारे पाकिस्तान दौरे से ठीक पहले सौरव ने एमएस को खेलते हुए नहीं देखा था और उन्हें उस दौरे के लिए नहीं चुना गया था।

विशाखापत्तनम में खेली धमाकेदार पारी

हालांकि, धोनी का धमाकेदार प्रदर्शन कुछ महीने बाद 2003-04 में भारत के ऐतिहासिक पाकिस्तान दौरे के बाद आया जहां पार्थिव पटेल भारत की पहली पसंद के कीपर-बल्लेबाज थे। धोनी ने दिसंबर 2004 में बांग्लादेश दौरे पर डेब्यू किया, लेकिन ज्यादा प्रभावित नहीं कर सके। जब उन्हें विशाखापत्तनम में पाकिस्तान के खिलाफ एकदिवसीय मैच में नंबर 3 पर बल्लेबाजी करने के लिए भेजा गया तो उन्होंने विश्व मंच पर धूम मचा दी। दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने 123 गेंदों पर 148 रन बनाए और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

शानदार रहा धोनी का अंतरराष्ट्रीय करियर

बाद में गांगुली ने खुलासा किया कि चैलेंजर सीरीज के दौरान जब उन्होंने धोनी को नेट्स पर देखा तो उन्होंने उन्हें ऊपरी क्रम में भेजने का फैसला किया। उनके स्ट्रोकप्ले ने उन्हें आश्वस्त किया कि धोनी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी इसे दोहरा सकते हैं। उन्होंने 17000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय रन बनाने और 2007, 2011 और 2013 में आईसीसी ट्रॉफियां हासिल करने के बाद 2020 में संन्यास ले लिया।


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