बक्सर: जब से बीजेपी ने बक्सर लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे की जगह मिथिलेश तिवारी को कैंडिडेट बनाया है, तब से स्थानीय स्तर पर विरोध शुरू हो गया है. एक तरफ जहां अश्विनी चौबे के समर्थक उनका विरोध कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ ‘बाहरी उम्मीदवार’ की मुखालफत हो रही है. इस बीच आज मिथिलेश तिवारी आज से बक्सर में चुनाव प्रचार का आगाज करेंगे.

“आज जनसेवक को सही मायनो में जनसेवा करने का आधार मिल गया है. यह मेरा सौभाग्य है कि मोदी जी के सिपाही के तौर पर मुझे बक्सर की सेवा करने का मौका मिला है. आज बक्सर की पावन भूमि को नमन करते हुए और इसकी सेवा करने की संकल्प लिए आपका सेवक आपके द्वार आ रहा है. साथ, समर्थन और आशीर्वाद बनाए रखिएगा.”- मिथिलेश तिवारी, बीजेपी प्रत्याशी, बक्सर लोकसभा सीट

स्वागत समारोह से नेताओं की दूरी: बक्सर बीजेपी का अंतर्कलह खुलकर सामने आ गया है. वर्तमान सांसद अश्विनी कुमार चौबे को बेटिकट करने के बाद भी कार्यकर्ताओ का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है. यही कारण है कि बीजेपी के बक्सर लोकसभा सीट के नए उम्मीदवार मिथिलेश तिवारी के पहुंचने से पहले ही पार्टी के कई बड़े नेताओं ने उनके स्वागत कार्यक्रम से दूरी बनाने का एलान किया है. पुराने कार्यकर्ताओं का आरोप है कि क्षणिक लाभ लेने के लिए कुछ लोग खुद को बक्सर का बादशाह बताने की कोशिश में लगे हैं, जबकि जमीन पर जनता के बीच उनकी कोई औकात नहीं है. जब पहली बार अश्विनी कुमार चौबे बक्सर चुनाव लड़ने आए थे तो जो लोग आज मसीहा बन रहे हैं, वही लोगों ने भितरघात करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी.

नए प्रत्याशी को लेकर कार्यकर्ताओं में नाराजगी: बीजेपी के वर्तमान जिलाध्यक्ष से लेकर पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओ से जब पत्रकारों ने बात की तो विरोध में अधिक लोग नजर आए. वर्तमान जिलाध्यक्ष भोला सिंह की मानें तो सही समय पर मीडिया को सब कुछ बताया जाएगा. वहीं पूर्व के कई जिलाध्यक्ष से लेकर उपाध्यक्ष और पुराने कार्यकर्ताओं की भी अलग-अलग राय है, जिससे स्पष्ट हो गया है कि मिथलेश तिवारी को लेकर बक्सर बीजेपी के लोग असहज हैं. उनको इस बात की चिंता सता रही है कि जैसे भागलपुर से आकर अश्विनी कुमार चौबे बक्सर से चुनाव जीतकर गायब रहते थे, वही हालात फिर होने वाले हैं.

क्या कहते हैं पार्टी के नेता?: बीजेपी में चल रहे अंतर्कलह को लेकर राजपूत समाज से आने वाले पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष राजवंश सिंह ने कहा कि जो लोग विरोध कर रहे हैं, वह आरजेडी फंडिंग वाले तथाकथित बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता हैं लेकिन उससे पार्टी की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता है. वहीं जब उनसे पूछा गया कि राजपूत समाज और भूमिहार समाज के कई बड़े नेताओं की नराजगी को कैसे दूर करेंगे, क्या उनकी पार्टी में पुनः वापसी होगी? जिसके बाद उन्होंने चुप्पी साध ली.

निलंबित नेताओं की घर वापसी?: वहीं, राजपूत समाज से ही आने वाले पूर्व जिलाध्यक्ष राणा प्रताप सिंह और भूमिहार समाज के निवर्तमान जिलाध्यक्ष माधुरी कुंवर को अश्विनी कुमार चौबे का विरोध करने के आरोप में बिना कारण बताए आनन-फानन में 8 महीने पहले पार्टी से निष्कासित कर दिया गया, जिन्हें वापस लाना भी एक बड़ी चुनौती है.

वेट एन्ड वाच की स्थिति में बड़े नेता: पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं की मानें तो आखिर क्यों कभी भागलपुर तो कभी गोपालगंज के प्रत्याशी को पार्टी जबरदस्ती थोप देती है. क्या ऐसे नेताओं का अपने क्षेत्र में कोई जनाधार नहीं है कि 500 किलोमीटर दूर चुनाव लड़ने आ जाते हैं. बक्सर के लोग अब ऐसे नेताओं का झोला नहीं ढोएंगे. 2009 में जो स्थिति लालमुनि चौबे का हुआ था, वही इस बार मिथिलेश तिवारी का होगा.

विरोध के कारण चौबे का टिकट कटा: पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं की मानें तो स्थानीय कार्यकर्ताओं के भारी विरोध के कारण ही वर्तमान सांसद सह केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे को पार्टी बेटिकट कर दिया है. बक्सर के 40 हजार से अधिक कार्यकर्ताओ ने नमो ऐप से लेकर अन्य माध्यम से अश्विनी कुमार चौबे का विरोध कर अपना संदेश देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचा था, जिसका परिणाम रहा कि अश्विनी कुमार चौबे का टिकट कट गया.