नालंदाः हस्तकर्घा के लिए मशहूर कपिल देव प्रसाद का आज सुबह अचानक निधन हो गया. वो 70 वर्ष के थे. कुछ दिन पहले ही उन्होंने हर्ट सर्जरी कराई थी. उनके निधन से नालंदा में शोक की लहर दौड़ गई है. अप्रैल 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के दरबार हाल में देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया था।

नहीं रहे पद्मश्री कपिल देव प्रसाद: कपिल देव प्रसाद की मौत की खबर मिलते ही बात आग की तरह फैल गई और लोगों में मायूसी छा गई. नालंदा मुख्यालय बिहारशरीफ के बसवन बीघा गांव निवासी कपिल देव प्रसाद की पहचान इसलिए है, क्योंकि उन्होंने अपने पूर्वजों से सीखे हुनर को लोगों में बांटकर रोजगार का एक माध्यम विकसित किया था. उन्होंने 52 बूटी हस्तकर्घा से देश भर में अपनी अलग पहचान बनाई थी।

बावन बूटी हस्तकर्घा से बनाई पहचानः बावन बूटी मूलत: एक तरह की बुनकर कला है, जो सूती या तसर के कपड़े पर हाथ से एक जैसी 52 बूटियां यानि मौटिफ टांके जाने के कारण इसे बावन बूटी कहा जाता है. 52 बूटियों में बौद्ध धर्म-संस्कृति के प्रतीक चिह्नों की बहुत बारीक कारीगरी होती है. बावन बूटी में कमल का फूल, बोधि वृक्ष, बैल, त्रिशूल, सुनहरी मछली, धर्म का पहिया, खजाना, फूलदान, पारसोल और शंख जैसे प्रतीक चिह्न ज्यादा मिलते हैं. बावन बूटी की साड़ियां सबसे ज्यादा डिमांड में रहती हैं, वैसे इस कला से पूर्व परिचित लोग बावन बूटी चादर और पर्दे भी खोजते है।

5 अगस्त 1955 हुआ था जन्मः कपिल देव प्रसाद का जन्म 5 अगस्त 1955 को हुआ था. इनके पिता का नाम हरि तांती और माता जी का नाम फुलेश्वरी देवी था. कपिल देव प्रसाद के दादा शनिचर तांती ने बावन बूटी की शुरुआत की थी, फिर पिता हरि तांती ने सिलसिले को आगे बढ़ाया. कपिल देव प्रसाद जब 15 साल के थे, तभी उन्होंने इसे रोजगार के रूप में अपना लिया था. साल 2017 में आयोजित हैंडलूम प्रतियोगिता में खूबसूरत कलाकृति बनाने के लिए देश के 31 बुनकरों को राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया था. इनमें नालंदा के कपिलदेव प्रसाद भी शामिल थे।


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