बिहार शिक्षक भर्ती: बिहार में बेरोज़गारों के साथ बदसलूकी का ज़िम्मेवार कौन? 8 लाख से भी ज्यादा लोग नौकरी लेने पहुँचे

बिहार से चौंकाने वाली तस्वीरें आईं। पटना, जहानाबाद, आरा, नालंदा, हाजीपुर जैसे कई शहरों में अफरा-तफरी है। रेलवे स्टेशनों पर, बस अड्डों पर, मंदिरों में, सड़कों पर, जबरदस्त भीड़ है, जैसे कोई मेला  लगा हो। हर जगह लोग चादर बिछाकर बैठे हुए हैं क्योंकि बिहार में बिहार लोक सेवा आयोग का इम्तेहान हो रहा है और 8 लाख से ज्यादा नौजवान नौकरी की उम्मीद में इम्तेहान देने पहुंचे हैं। लेकिन किसी शहर में युवाओं को सिर छुपाने की जगह नहीं मिल रही है। हजारों युवा स्टेशन पर बैठे हैं, कुछ मंदिर में रुके हैं, कोई बस स्टेशन पर चादर बिछाकर वक्त काट रहा है और बहुत से छात्र तो परीक्षा केंद्र के आसपास सड़क पर ही बैठे हैं। होटलों में जगह नहीं हैं, इतने होटल हैं नहीं कि इतने सारे युवाओं के ठहरने का इंतजाम हो सके। सरकार ने कोई इंतजाम किया नहीं, टेंट तक नहीं लगवाए कि परीक्षा देने आए पहुंचे छात्र धूप और बारिश से बचने के लिए उनका सहारा ले सकें। इसी चक्कर में ज्यादातर लड़के लड़कियों ने प्लेटफॉर्म पर ही रात गुजारी। इन नौजवानों और उनके परिवार वालों की तकलीफ सुनेंगे तो अंदाजा होगा कि सरकार और नेता कितने संवेदनहीन हैं, अफसर कितने बेपरवाह हैं और भीड़ की तस्वीरें देखेंगे तो समझ आएगा कि बेरोजगारी का आलम क्या है।

पटना से जो तस्वीरें आईं, उन्हें देखकर अफसरों से, मंत्रियों से सवाल पूछे गए तो जवाब मिला कि सरकार सिर्फ इम्तेहान करवाती है, परीक्षा केंद्रों की व्यवस्था करती है, सरकार का काम परीक्षा देने के वालों को ठहराने का इंतजाम करवाना नहीं हैं। बात सही है। लेकिन सवाल ये है कि सरकारी नौकरी के लिए फॉर्म भरवाए गए, युवाओं से फीस ली गई। सरकार को ये पता था कि कितनी संख्या में उम्मीदवार आने वाले हैं। तो फिर क्या ये देखना सरकार का काम नहीं है कि अगर उम्मीदवार आएंगे तो रहेंगे कहां ? क्योंकि परीक्षा  सिर्फ एक दिन नहीं हैं, तीन दिन तक इम्तहान होने हैं। अलग-अलग शिफ्ट में होने हैं। सोचिए, जिन छात्रों ने पूरी रात प्लेटफॉर्म पर जाग कर गुजारी हो, वो अगले दिन परीक्षा केंद्र तक किस हाल में पहुंचेंगे, फिर कैसे परीक्षा देंगे? और अगले दिन के इम्तहान के लिए चौबीस घंटे कहां गुजारेंगे? नीतीश कुमार के सुशासन की पटना रेलवे स्टेशन का हाल देखकर आपको समझ आ जाएगी। पटना जंक्शन रेलवे स्टेशन की तस्वीरें शिक्षक नियुक्ति परीक्षा से 10 घंटे पहले की हैं। नौजवानों की ये भीड़ शिक्षक बनने की उम्मीद में पहुंचे लोगों की है। चूंकि सुबह दस बजे पहली शिफ्ट का इम्तहान था इसलिए एक रात पहले से ही छात्र पटना पहुंचने लगे, और कुछ ही घंटों में पटना रेलवे स्टेशन पर हजारों की भीड़ जमा हो गई।

रात 12 बजे से बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से परीक्षार्थी पटना पहुंचने लगे थे। रात को पटना रेलवे स्टेशन का एक नंबर प्लेटफॉर्म खचाखच भरा हुआ था। इनमें से कुछ लोग ऐसे थे, जिन्हें पटना शहर में होटल नहीं मिला, या मिला भी तो इतना महंगा कि उसका किराया दे पाना इनके लिए मुश्किल था। इसलिए ये लोग रात गुजारने के लिए रेलवे स्टेशन पर ही ठहरे, जबकि कुछ लोग ऐसे थे, जो दूसरे राज्यों से पहले पटना पहुंचे। उनका सेंटर पटना के आसपास के शहरों में था, उन्हें वहां पहुंचना था लेकिन न पटना में ठहरने की जगह थी, न आगे जाने के लिए कोई साधन था। इसलिए वे भी सुबह होने के इंतजार में स्टेशन पर ही रुक गए। आलम ये था कि लोग प्लेटफॉर्म पर चादर डालकर बैठे रहे, लेटे रहे। नौकरी की उम्मीद में बड़ी संख्या में लड़कियां और महिलाएं भी पहुंची थीं। उनके साथ परिवार के सदस्य भी थे। कुछ महिलाओं की गोद में छोटे-छोटे बच्चे थे। सबको रात स्टेशन पर ही काटनी पड़ी।

बिहार में 1 लाख 70 हजार 461 शिक्षकों की बहाली होनी है। इनमें 80 हजार शिक्षकों की नियुक्ति प्राथमिक स्कूलों में होनी है। 57 हजार 618 भर्तियां उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में होनी है और 32 हजार 916 शिक्षकों के पद माध्यमिक स्कूलों में भरे जाने हैं। इसके लिए बिहार लोक सेवा आयोग बिहार के कई शहरों में 2 चरणों में परीक्षा करवा रहा है। गुरुवार को इम्तेहान का पहला दिन था। इसके बाद शनिवार को फिर परीक्षा होनी है। करीब पौने दो लाख पदों के लिए 8 लाख से ज्यादा युवाओं ने फॉर्म भरा है। परीक्षा के लिए पूरे बिहार में 859 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। पटना में सबसे ज्यादा 40 परीक्षा केंद्र बनाए गए। इसलिए पटना में भीड़ सबसे ज्यादा थी। जब हर तरफ अफरा तफरी मची तो पटना के डीएम चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि सरकार का काम इम्तेहान करवाना है, लेकिन उम्मीदवारों के ठहरने का कोई इंतजाम कराना सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, और न ही प्रशासन को सरकार की तरफ से इस तरह का कोई निर्देश मिला है। पटना जैसा हाल जहानाबाद और आरा में भी था। होटल मालिकों ने कमरों के किराये बढ़ा दिये। मुज़फ्फरपुर में बारिश हो रही थी, छात्र सड़क पर थे, किसी तरह परीक्षा केंद्र पहुंचे तो वहां भी पानी भरा हुआ था। आलम ये था कि नौकरी की उम्मीद में पहुंचे लड़के लड़कियां पानी में भींगते हुए, जूते चप्पल हाथ में लेकर, दो-दो फीट पानी से गुजर कर परीक्षा केंद्र पहुंचे।

नालंदा में 32 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। यहां सुबह से बारिश भी हो रही थी। परीक्षा केंद्रों के आसपास के इलाके में पानी भरा हुआ था जिसकी वजह से ट्रैफिक जाम हो गया। सुबह जब हज़ारों युवा परीक्षा केंद्रों के लिए निकले तो उन्हें बारिश, जलभराव और ट्रैफिक जाम, तीनों का सामना करना पड़ा।  कई परीक्षार्थी वक्त पर नहीं पहुंच पाए। इन लोगों को परीक्षा केंद्र के हॉल में घुसने से रोक दिया गया। बहुत से नौजवान तो वहीं बैठकर रोने लगे। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने माना कि परीक्षा देने वालों की संख्या ज्यादा है, इसलिए दिक्कतें हुई, लेकिन बड़ी बात ये है कि उन्होंने बिहार के लोगों से नौकरी का जो वादा किया था, उसे पूरा कर रहे हैं, इसकी तारीफ होनी चाहिए। बिहार बीजेपी के अध्यक्ष सम्राट चौधरी का कहना है कि जब 80 हजार स्टूडेंट्स पहले ही STET की परीक्षा पास कर चुके हैं, तो फिर उन्हें नौकरी देने के लिए BPSC की तरफ से परीक्षा क्यों कराई जा रही है, इस परीक्षा का कोई मतलब ही नहीं है। जिन्होंने STET की परीक्षा पास की है, उन्हें सीधे नौकरी मिलनी चाहिए। मैं ये सब देखकर आहत हूं, कि नौकरी के लिए इम्तिहान देने आए लड़के लड़कियों को इस कदर बदइंतजामी का सामना करना पड़ा। किस बेहाली में एग्जाम देने पड़े। समझ नहीं आया कि अधिकारियों की संवेदना कहां मर गई थी। कार्यकुशलता भले ही न हो लेकिन इंसानियत तो होनी चाहिए।

क्या अपने देश के नौजवानों के प्रति बिहार के नेताओं और अफसरों की कोई जिम्मेदारी नहीं है? घर जब कोई बच्चा परीक्षा देने जाता है तो माता पिता उसे रात में आराम से सुलाते हैं, सुबह दही-पेडा खिलाकर, भगवान के आगे हाथ जोड़कर परीक्षा के लिए भेजते हैं। बिहार में स्टेशन पर रात बिताकर, बुरी तरह धक्के खाकर, बिना खाए पिए परीक्षा में बैठने वाले ये युवक युवतियां कितने मजबूर, कितने बेबस होंगे, कितने दुखी होंगे, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। क्या इनका गुनाह ये है कि ये शिक्षक बनना चाहते हैं? शिक्षकों की भर्ती तो दूसरे राज्यों में भी होती है, वहां भी परीक्षाएं होती हैं, लेकिन इस तरह के हालात तो कभी नहीं बनते। आखिर बिहार में ही ऐसा क्यों होता है? बिहार में पौन दो लाख शिक्षकों के पद खाली क्यों हैं? कब से खाली हैं? अचानक एक साथ इतने पदों की भर्ती क्यों करनी पड़ी कि 8 लाख लोग परीक्षा देने पहुंच गए? असल में पहले बिहार में शिक्षकों की भर्ती सेन्ट्रल टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट और स्टेट टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट में रैंकिंग के आधार पर होती थी। लाखों नौजवान ये परीक्षा पास करके नियुक्ति पत्र मिलने का इंतजार कर रहे थे। 6 साल से नीतीश की सरकार ने भर्ती नहीं की और इस साल अचानक फैसला कर दिया कि अब सीटैट या एसटैट के जरिए भर्ती नहीं होगी। शिक्षकों की भर्ती BPSC के जरिए की जाएगी। इसके खिलाफ छात्रों ने कई बार आंदोलन किया, पुलिस की लाठियां खाईं लेकिन नीतीश कुमार अपनी ज़िद पर अड़े रहे।

चूंकि तेजस्वी यादव ने 10 लाख नौकरियां का वादा कर दिया था, इसलिए आनन-फानन में शिक्षकों की भर्ती शुरू की गई। पौने दो लाख पदों के लिए  परीक्षा का आयोजन किय़ा गया। आठ लाख से ज्यादा नौजवानों ने फॉर्म भर दिया। सरकार ने इतनी बड़ी संख्या में नौजवानों को परीक्षा केंद्र तोआवंटित कर दिए लेकिन उनके लिए कोई और इंतजाम नहीं किया। बड़ी बात ये है कि रेलवे ने छात्रों की संख्या को देखते हुए 5 स्पेशल ट्रेन चलाने का फैसला किया लेकिन नीतीश कुमार की सरकार सोती रही और नतीजा ये हुआ कि हजारों लोग स्टेशन पर रात गुजराते दिखे। हजारों छात्र ऐसे थे जो बारिश में भीगकर, कई-कई किलोमीटर पैदल चलकर परीक्षा केंद्र तक पहुंचे, लेकिन उनमें से बहुतों को घुसने नहीं दिया गया। क्या कोई बताएगा कि बिहार में परीक्षा देने आए इन नौजवानों के साथ इस बदसलूकी का जिम्मेदार कौन है? मंत्री और अफसर जो चाहें बहाना बनाएं, छात्र-छात्राएं इम्तिहान देने के लिए बिहार आए, उनके रहने-ठहरने का इंतजाम और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है, जिसमें नीतीश कुमार की सरकार पूरी तरह फेल हुई।

केके पाठक का असर, 75% अटेंडेंस नहीं होने पर छात्रों को नहीं देने दिया जाएगा परीक्षा, राजभवन का आदेश जारी

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार की शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए केके पाठक को जिम्मेवारी सौंपते हैं और आईएएस अधिकारी के के पाठक इस अभियान को सफल बनाने के लिए दिन रात एक कर देते हैं. इस दौरान शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए केके पाठक कई बार नियमों का पालन करते हुए अधिकारियों को फटकार लगाते हैं तो कई बार नियम को तोड़ते हुए विश्वविद्यालय के बड़े बड़े अधिकारियों पर एक्शन लेते हैं. मामला राजभवन तक पहुंचता है और बिहार के शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच टकराव शुरू हो जाता है. इसी बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्यपाल विश्वनाथ आर्लेकर से मिलने जाते हैं और अगले ही दिन राजभवन से एक आदेश जारी होता है. इस आदेश के अनुसार विश्वविद्यालय अर्थात कॉलेज में पढ़ने वाले कोई छात्र जिनकी हाजिरी 75% से कम होगी परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाएगा।

राज्य के सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्रों की 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य होगी। राजभवन की ओर से इस बाबत बुधवार की रात सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को निर्देश जारी किए गए हैं। 75 प्रतिशत उपस्थिति नहीं होने पर विद्यार्थियों को परीक्षा फॉर्म भरने नहीं दिया जाएगा। उन्हें परीक्षा में किसी सूरत में शामिल होने का मौका नहीं मिलेगा।

राजभवन ने 75 फीसदी उपस्थिति नहीं होने के बावजूद परीक्षा फॉर्म भरने की अनुमति देने पर नाराजगी जताई है। राजभवन की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि ऐसी जानकारी मिल रही है कि कम उपस्थिति के बाद भी छात्र-छात्राओं का परीक्षा फॉर्म भरवा कर उन्हें परीक्षा में शामिल होने का मौका दिया जा रहा है। ऐसा नहीं होना चाहिए। राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू की ओर से सभी कुलपतियों को लिखे गए पत्र में 75 प्रतिशत उपस्थिति को अनिवार्य करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा है कि उपस्थिति 75 प्रतिशत से कम है तो परीक्षा में शामिल होने के लिए फॉर्म जमा नहीं कराएं। यदि कोई उचित कारण नहीं है तो ऐसे छात्रों को परीक्षा में शामिल होने की इजाजत न दें। राजभवन की ओर से विश्वविद्यालयों को इस आदेश का पालन हर हाल में सुनिश्चित करने को कहा गया है।

हरकत में विवि पर लक्ष्य दूरछात्रों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालयों के स्तर से भी प्रयास शुरू किए गए हैं। फिर भी अधिकतर कॉलेजों में यह संतोषजनक नहीं है। इस बीच 75 फीसदी उपस्थिति नहीं होने के बावजूद विश्वविद्यालय और कॉलेजों में परीक्षा फॉर्म भराए जाने के मामले में सामने आ रहे थे। इसी वजह से राजभवन ने छात्रों की उपस्थिति को 75 प्रतिशत करने का निर्देश दिया गया है।

शिक्षा विभाग ने भी उठाये कई कदम

विश्वविद्यालय व कॉलेजों में पठन-पाठन का बेहतर वातावरण निर्माण को लेकर शिक्षा विभाग और राजभवन की ओर से हाल के महीने में कई कदम उठाये गए हैं। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के निर्देश पर लगातार कॉलेजों और विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया जा रहा है। निरीक्षण के दौरान सभी कॉलेजों में विद्यार्थियों की उपस्थिति कम मिल रही थी। पिछले दिनों उच्च शिक्षा की निदेशक रेखा कुमारी ने भी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को उपस्थिति बढ़ाने का निर्देश दिया था। कॉलेजों में उपस्थिति की रिपोर्ट राजभवन को भी भेजी जा रही थी।

शिक्षा विभाग और राजभवन के विवाद को CM नीतीश ने दिया विराम, कहा – सबकुछ ठीक चल रहा है…कही कोई दिक्कत नहीं

बिहार में राजभवन और शिक्षा विभाग का मामला लगातार तूल पकड़ते जा रहा था। जिसको लेकर बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने इसपर विराम लगा दिया है। इस पूरे मामले पर पूछे जाने पर सीएम नीतीश ने साफ-साफ कह दिया कि ऐसी कोई बात नहीं है कोई टकराव की स्थिति नहीं है। सब कुछ बढ़िया से चल रहा है। हम 2 दिन पहले राजभवन गए थे राज्यपाल से मिलकर आए हैं। कोई इधर-उधर नहीं कर रहा है।

सीएम नीतीश ने आगे कहा की बिहार में शिक्षक का बहुत अच्छा बहाली हो रहा है। हम सबके हित में कम कर रहे हैं। राज भवन और शिक्षा विभाग में कोई दिक्कत नहीं है, कोई प्रॉब्लम की बात नहीं है। सब कुछ ठीक चल रहा है और आगे भी ठीक चलेगा। मिलजुल कर सब काम हो रहा है। बहुत अच्छे ढंग से कम हो रहा है। अगर कहीं भी कुछ खाली रहता है तो उसे मिलकर पूरा किया जाएगा। हम लोग पढ़ाई के पक्ष में है। इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है। सब ठीक चल रहा है।

आपको बताते चले कि बिहार में राज्य भवन और शिक्षा विभाग आमने-सामने हो गए था। यह मामला तब शुरू हुआ था जब विश्वविद्यालय के कुलपति के वेतन को केके पाठक ने रोक दी थी। इसके बाद राज भवन के तरफ से इसका विरोध जताया गया था। और विरोध जताते हुए राज्य भवन की तरफ से शिक्षा विभाग को पत्र लिखा गया था। इसके बाद शिक्षा विभाग भी काफी आक्रोशित हो गया गया था। यह टकराव उतना बढ़ गया था की बात विज्ञापन तक पहुंच गई थी। इस पूरे मसले को लेकर राजभवन के तरफ से कुलपतियों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। इसके बाद शिक्षा विभाग भी विज्ञापन जारी कर दिया था। इसके बाद राज भवन और शिक्षा विभाग का मामला तूल पकड़ लिया था लेकिन आज सीएम नीतीश ने इस पूरे मामले पर विराम लगा दिया है और कहां है कि सब कुछ ठीक है दिक्कत की कोई बात नहीं है।

नीतीश अचानक पहुंचे पार्टी कार्यालय , सुचना मिलने पर ललन सिंह भागे भागे पहुंचे

बिहार की राजधानी पटना के राजनीतिक गलियारे में कुछ अलग ही देखने को मिला . पटना में बीपी मंडल की जयंती को लेकर राजकीय कार्यक्रम का आयोजन हुआ . जिसमे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल हुए. कार्यक्रम के बाद नीतीश कुमार अचानक जेडीयू कार्यालय पहुंच गए . हालांकि इसकी जानकारी नीतीश कुमार ने किसी को नहीं दी और न ही उनका पहले से यहां जाने का कोई कार्यक्रम था।

बता दें सीएम नीतीश कुमार पार्टी कार्यालय पहुंचकर अलग-अलग कमरों में घूमने लगे. हालांकि नीतीश कुमार जब पार्टी कार्यालय पहुंचे तो पटना में रहने के बावजूद राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह पार्टी ऑफिस नहीं पहुंचे थे . इसी बीच जब ललन सिंह को जानकारी मिली कि नीतीश कुमार पार्टी ऑफिस पहुंच गए हैं तो वह भागे-भागे जेडीयू कार्यालय पहुंचे।

हालांकि तब तक नीतीश कुमार पार्टी दफ्तर के एक हाल में बीपी मंडल के चित्र पर माल्यार्पण करने के बाद निकलने लगे थे . नीतीश कुमार गाड़ी में बैठ चुके थे. तभी उन्होंने ललन सिंह को भागते हुए आते देखा और मुस्कुराते हुए उनकी क्लास लगा दी . नीतीश कुमार ने ललन सिंह को देखकर अपनी गाड़ी से उतरे और मुस्कुराते हुए कहा कि आप अपने कमरे में ही बैठिए . हम आपके कमरे में गए थे . लेकिन आप आए ही नहीं थे . इस पर ललन सिंह ने कहा कि 4-5 मिनट में यहां कार्यक्रम था . हम 12 बजे पहुंच गए . वहीं नीतीश कुमार ने कहा कि हम तो बोले कि चलो तो जरा यहां बहुत दिन हो गया है, देखें कौन-कौन लोग है।

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने सीएम नीतीश को घेरा, कहा- लालू यादव को फंसाया किसने…

लालू यादव के मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को लेकर सीएम नीतीश ने प्रतिक्रिया दी है। इस दौरान नीतीश कुमार ने केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा और ईडी और सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि विपक्षी दल के जो भी नेता हैं उनको सीबीआई और ईडी के द्वारा परेशान करवाया जा रहा है।

वहीं, सीएम नीतीश के इस बयान पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने जमकर पलटवार किया है। सम्राट चौधरी ने साफ – साफ कह दिया की सीएम नीतीश ने लालू यादव को फंसाने का काम किए हैं।। सम्राट चौधरी ने नीतीश कुमार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि लालू यादव को किसने फसाया है, किसने सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाया है और उनको कौन जेल भेजवाया है। लालू यादव को जेल भेजवाने के पीछे नीतीश कुमार का बड़ा हाथ रहा है। सीएम नीतीश को शर्म आनी चाहिए। उन्हीं के पार्टी के नेता ललन सिंह और राजद के नेता शिवानंद तिवारी ने सीबीआई को लालू यादव के खिलाफ कागज दिए थे। सबने मिलकर लालू यादव को फसाया है। इन्हीं लोगों ने लालू यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाया था । इन लोगों ने ही सीबीआई और इनकम टैक्स को बुलाया। तो इन लोगों से सीएम नीतीश क्यों नहीं बोलते।

सम्राट चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। नीतीश कुमार ने चारा घोटाले मामले में लालू प्रसाद यादव को जेल भिजवाया था। सबको फसाने का काम नीतीश कुमार करते हैं। अगर आज भी रेलवे घोटाले मामले में लालू प्रसाद जेल जा रहे हैं तो वह भी नीतीश बाबू का कृपा है। सबको नीतीश कुमार फांसते हैं। नीतीश कुमार जी पहले चार्ज सीट करवाते हैं और फिर जेल भेजवाते हैं और फिर गुहार लगाते हैं कि इनको माफी दे दिया जाए।

जदयू का आरोप है कि बीजेपी जातीय जनगणना को रोकना चाहती है, इस सवाल पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि जब बिहार में एनडीए की यानी हमारी सरकार थी और उसी सरकार में हमारी 16 मंत्री हुआ करते थे, हम लोगों ने कैबिनेट में पूरे रूप से जातीय जनगणना करवाने की समर्थन किया था। और आंख बंदकर नीतीश कुमार पर भरोसा करके जातीय जनगणना करवाने की शुरुआत की थी। सीएम नीतीश भ्रम फैलाने में मास्टर है । वह बिहार में सुशासन स्थापित नहीं कर पा रहे हैं। सम्राट चौधरी ने आगे कहा कि बिहार में लॉ एंड ऑर्डर पूरी तरह से फेल है। लोग अब नहीं डरते हैं। इन सब से डायवर्सन के लिए जातीय जनगणना का कार्ड खेल रहे हैं। जातीय जनगणना में पूर्ण रूप से बिहार बीजेपी ने अपना समर्थन दिया है। और आगे भी जारी रहेगी।

नीतीश के मंत्री सुमीत का बड़ा बयान , इंडिया से एनडीए घबरा गई है

पटना : आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर देश में राजनीति अपने जोश में है. सभी नेता एक दूसरे के ऊपर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे है. इसी बिच बिहार सरकार के मंत्री सुमीत सिंह ने तमाम विपक्षी दलों का गठबंधन इंडिया को लेकर कहा कि विपक्षी दलों का नया बना गठबंधन इंडिया का अगला बैठक मुंबई में होने वाला है. जिसमे इंडिया का संयोजक चुना जायेगा . वहीं कहा कि इसकी पहली बैठक पटना में हुआ था और दूसरी बेंगलुरु में हुआ. अब तीसरी बैठक मुंबई में होना है जिसमें इंडिया का संयोजक चेहरा बताया जाएगा।

बता दें कि मंत्री सुमीत सिंह ने कहा कि बिहार में विपक्षी गठबंधन का जो फाउंडेशन दिया है जिसमे पूरे देश के विपक्ष एकजुट हो गए है. वहीं कहा कि इस गठबंधन का मुख्य स्वरूप मुंबई में तय किया जाएगा . साथ ही कहा कि अभी तक का दोनों बैठक बहुत सकारात्मक रही है. कोई उम्मीद नहीं कर रहा था कि एक साथ सब लोग बैठेंगे . लेकिन नीतीश कुमार ने पुरे देश में घूम कर सभी विरोधी दलों को एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिए है. जिसके बाद एनडीए वाले घबरा गए है।

वहीं कहा कि पुरे देश में एनडीए को सिर्फ 31 प्रतिशत वोट मिला है, जिससे देश में सरकार बना है. अब आप सोचिए कि बाकी का 61 प्रतिशत वोट एक साथ जुट जाये तो एनडीए का क्या होगा . साथ ही कहा कि इंडिया गठबंधन जैसे बना उसके बाद एनडीए घबरा गया . जो पिछले 10 सालों में कोई बैठक नहीं किये थे . हालांकि जिस दिन हम लोगों ने बेंगलुरु में बैठक किया उसके बाद एनडीए के लोगों ने बैठक किया और कहा कि उनके साथ देश के 36 पार्टियां है. वहीं कहा कि अगर उनके साथ 36 पार्टियां है तो लिस्ट जारी करें और बताये की उनके साथ कौन है।

आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत, जानिए जमानत याचिका पर कब होगी अगली सुनवाई

पटना: इस वक्त की बड़ी खबर आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव से जुड़ी आ रही है, जहां आज सुप्रीम कोर्ट से लालू यादव को बड़ी राहत मिली है। राजद प्रमुख की जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई हुई है। सीबीआई के विरोध के बावजूद भी लालू प्रसाद की जमानत तत्काल रद्द नहीं हुई है और कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख मुकर्रर कर दी है।

इस मामले पर अब अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी। लालू यादव 17 अक्टूबर तक वे बाहर ही रहेंगे। सुनवाई के दौरान एक बार फिर लालू प्रसाद की तरफ से स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया गया है तो CBI ने लालू प्रसाद की तरफ से दी गई दलील का विरोध किया है। लालू प्रसाद के वकील की तरफ से ये दलील दी गई है कि आरजेडी चीफ लालू प्रसाद का इसी साल किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है लिहाजा अभी उनकी तबीयत ठीक नहीं है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद सुनवाई की अगली तारीफ 17 अक्टूबर मुकर्रर कर दी है।

आपको बताते चले कि, लालू यादव चारा घोटाला के पांच मामलों में दोषी हैं। हालांकि आदि सजा पूरी होने के बाद झारखंड उच्च न्यायालय ने उनको जमाना दे दी थी जिसके बाद उन्होंने सिंगापुर जाकर अपना किडनी ट्रांसप्लांट करवाया था। लालू यादव पर चाईबासा, देवघर, डोरंडा, दुमका चारा घोटाला मामले में केस दर्ज है।

केके पाठक की राह पर चले राज्यपाल विश्वनाथ आर्लेकर, बिहार के विश्वविद्यालयों को जारी किया सख्त फरमान

बिहार के विश्वविद्यालयों में इन दिनों कुलपति की भर्ती निकली है. यह भर्तियां पटना विश्वविद्यालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (दरभंगा), कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय (मुजफ्फरपुर), जय प्रकाश विश्वविद्यालय (छपरा), बीएन मंडल विश्वविद्यालय (मधेपुरा) और आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय (पटना) के लिए निकाली गई हैं. फिलहाल इसके लिए आवेदन की प्रक्रिया जारी है।

बता दें कि विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर नोटिफिकेशन पहले ही जारी किया जा चुका है. बिहार सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुलपति (वीसी) पद के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 13 सितंबर है. राज्यपाल सचिवालय द्वारा जारी विज्ञापनों में आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 27 अगस्त निर्धारित की गई है. आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि को छोड़कर, दोनों विज्ञापनों में पदों के लिए नियम और शर्तें लगभग समान हैं।

बिहार के विश्वविद्यालयों को 75 प्रतिशत से कम उपस्थिति वाले विद्यार्थियों को परीक्षा में नहीं बैठने देने का निर्देश दिया गया है. बिहार के राज्यपाल एवं कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों (वीसी) को इस संदर्भ में एक पत्र जारी किया है. इस पत्र में निर्देश दिया गया है कि जिन विद्यार्थियों की उपस्थिति 75 फीसदी से कम हो, उनका परीक्षा फॉर्म स्वीकार नहीं किया जाये।

JDU के इस बड़े नेता ने माना तेजस्वी यादव हैं मुख्यमंत्री के लिए काबिल, सीएम नीतीश और लालू यादव को लेकर किया बड़ा दावा

भागलपुर: आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के बयान के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर तेजस्वी यादव एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं. वहीं, इस मुद्दे पर जेडीयू के विधायक गोपाल मंडल ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनने लायक तो हैं. इसमें कोई दो मत नहीं है और बनना भी चाहिए।

आगे गोपाल मंडल ने कहा की लालू यादव खुद मुख्यमंत्री थे. इसके बाद उन्होंने पत्नी को मुख्यमंत्री बनाया अब बेटा लायक हुआ है तो कोशिश में हैं कि वो मुख्यमंत्री बने, लेकिन जब तक नीतीश कुमार हैं तब तक तो वो नहीं बन सकते हैं. नीतीश कुमार तो उन्हें मौखिक ताज तो पहना ही चुके हैं।

नीतीश कुमार के बाद जेडीयू में मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार के सवाल पर गोपाल मंडल ने कहा कि लालू यादव के पास वोट ज्यादा है. जेडीयू के किसी नेता को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा और उनके पास वोट ही नहीं होगा तो वह मुख्यमंत्री कैसे बनेंगे. उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव के पास वोट है और तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनना चाहिए।

वहीं, नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए जेडीयू नेता ने कहा कि नीतीश कुमार पूरी दुनिया को चला रहे हैं. नीतीश कुमार के पास पूरे देश के वोट है. पूरे देश के विपक्षी पार्टियों को उन्होंने एक कर दिया है. बीजेपी अकेले है, ये नीतीश कुमार के ब्रेन का कमाल है।

खबर वही जो है सही

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