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राजस्थान विधानसभा रिजल्ट: लाल डायरी, पेपर लीक या कन्हैयालाल? किस कारण से अशोक गहलोत को मिली हार

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राजस्थान में 25 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती जारी है। अगर रुझानों को देखें तो भाजपा राज्य में स्पष्ट बहुमत के साथ जीत की ओर बढ़ रही है। कांग्रेस पार्टी और राज्य के सीएम अशोक गहलोत लगातार राज्य में सत्ता बरकरार रखने की बात कह रहे थे। हालांकि, ये परिणाम उनके लिए झटका साबित हो रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि आखिर कांग्रेस इस विधानसभा चुनाव में कहां कमजोर पड़ गई। क्या थे वे मुद्दे जिस कारण अशोक गहलोत अपनी कुर्सी बचाने में नाकामयाब रहे? आइए जानते हैं इन सवालों के जवाब हमारे इस एक्सप्लेनर के माध्यम से।

बहुमत की ओर भाजपा

साल 2018 में सत्ता में आने वाली कांग्रेस पार्टी 2023 के विधानसभा चुनाव में जीतने का दावा कर रही थी। हालांकि, भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिलता दिखाई दे रहा है। अगर रुझानों को देखें तो भाजपा राजस्थान विधानसभा चुनाव में 110 से अधिक सीटें जीतती दिखाई दे रही हैं। इसके अलावा कई निर्दलीय भी चुनाव जीत रहे हैं जो कि भाजपा के संपर्क में बताए जा रहे हैं। बता दें कि राजस्थान में 199 सीटों के लिए चुनाव हुए हैं। इसलिए बहुमत का आंकड़ा 100 सीट है। इसलिए भाजपा को सरकार बनाने में कोई भी मुश्किल दिखाई नहीं दे रही।

नहीं चली कांग्रेस की गारंटी

कर्नाटक में जीत से प्रेरणा लेते हुए सीएम अशोक गहलोत ने कांग्रेस पार्टी की ओर से राजस्थान विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जनता के लिए कई गारंटियां लॉन्च की थी। इन गारंटियों में महिलाओं को सालाना 10 हजार रुपए, 2 रुपये प्रति किलो की दर से गोबर खरीदी, 500 रुपए में गैस सिलेंडर, ओल्ड पेंशन स्कीम, बीमा और छात्रों के लिए भी कई बड़े वादों का ऐलान किया गया था। हालांकि, इन मुद्दों ने भी कांग्रेस को जीत नहीं दिलाई।

पेपर लीक से कन्हैयालाल तक

राजस्थान में बीते लंबे समय से सरकार भर्ती के पेपर लीक का मुद्दा गरम रहा है। इस मुद्दे को भाजपा ने भी खूब भुनाया और कांग्रेस को घेरे रखा। इसके अलावा उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या के बाद कांग्रेस पर राज्य में तुष्टिकरण की राजनीति करने के भी आरोप लगे। इन सभी के अलावा भाजपा की ओर से कांग्रेस पर राज्य में भ्रष्टाचार के आोरोप लगाए गए। सीएम गहोत बार-बार ईडी की कार्रवाई का विरोध करते रहे लेकिन उन्हें इसका कोई भी फायदा नहीं मिला।

गुटबाजी और लाल डायरी

राजस्थान कांग्रेस पर 5 साल के कार्यकाल में गुटबाजी पूरी तरह से हावी रही। सचिन पायलट और अशोक गहलोत के समर्थक लगातार एक दूसरे पर हमलावर रहे। आखिर में केंद्रीय नेतृत्व की ओर से डैमेज कंट्रोल की कोशिश भी हुई लेकिन तब तक शायद काफी देर हो चुकी थी। इसके अलावा पूरे चुनाव में लाल डायरी का मुद्दा बार-बार सामने आता रहा। गहलोत के मंत्री रहे राजेंद्र गुढ़ा ने लाल डायरी में सरकार के अवैद्ध हिसाब होने की बात कही थी। भाजपा की ओर से इस लाल डायरी के मुद्दे को पूरे चुनाव में जोर शोर से उठाया गया। इसके अलावा टिकट बंटवारे से भी कई पार्टी नेता नाखुश हो गए।

भाजपा ने झोंकी पूरी ताकत

पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत भाजपा के पूरे केंद्रीय नेतृत्व ने राजस्थान में अपनी ताकत झोंक दी थी। पीएम मोदी ने अपनी लगभग हर रैली में गहलोत सरकार पर भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण के आरोप लगाए थे। पीएम मोदी ने अपनी एक रैली में ये तक कह दिया था कांग्रेस राजस्थान की संस्कृति को ही खत्म करने पर उतारू हो गई। इसके अलावा भाजपा ने किसी एक चेहरे के बजाय राज्य में सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला किया और कई सांसदों को भी मैदान में उतार दिया। इन मुद्दों ने पार्टी को राजस्थान में बड़ी बढ़त दिलवाई।

विधानसभा रिजल्ट: मध्य प्रदेश में बड़ी जीत की तरफ भाजपा, राजस्थान में भी बीजेपी आगे

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2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों का सेमीफाइनल माने जा रहे 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में वोटिंग संपन्न हो चुकी है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में आज मतगणना का दिन है जबकि मिजोरम में 4 दिसंबर को वोटों की गिनती की जाएगी। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी एवं कांग्रेस के बीच जोरदार लड़ाई देखने को मिल सकती है जबकि तेलंगाना में BRS और कांग्रेस के बीच असली मुकाबला होगा।

शेखावत ने गहलोत पर कसा तंज, कहा- जादूगर का जादू खत्म हो गया है

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर तंज कसते हुए कहा है कि सूबे में ‘जादूगर का जादू खत्म हो गया’ है। बता दें कि राजस्थान में बीजेपी रूझानों में कांग्रेस से काफी आगे चल रही है।

मध्य प्रदेश में बंपर जीत की ओर बढ़ी BJP, रूझानों में काफी पीछे छूटी कांग्रेस

मध्य प्रदेश की सभी 230 सीटों के रूझान सामने आ चुके हैं। 147 सीटों पर बीजेपी और 81 सीटों पर कांग्रेस ने बढ़त बनाई हुई है। 2 सीटों पर अन्य आगे हैं। इस तरह देखा जाए तो BJP ने एक बड़ी जीत की ओर कदम बढ़ा दिए हैं।

राजस्थान की सभी सीटों के रूझान आए, BJP ने कांग्रेस को छोड़ा पीछे

राजस्थान की सभी 199 सीटों के रूझान सामने आ चुके हैं। 107 सीटों पर बीजेपी आगे है और रूझानों में बहुमत का आंकडा़ पार कर चुकी है। वहीं, कांग्रेस ने 88 और अन्य से 4 सीटों पर बढ़त बनाई हुई है।

राजस्थान के रुझानों में भाजपा बहुमत के पार, वसुंधरा राजे 10 हजार वोटों से आगे; सचिन पायलट पीछे

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राजस्थान में सूरज की उगती किरणों के साथ ईवीएम के लॉक खुल चुके हैं और वोटों की गिनती जारी है। दिन चढ़ने के साथ ही ये तय होता जाएगा कि राजस्थान की सत्ता में अगले पांच साल तक किसका सियासी सूरज चमकने वाला है और किसका सितारा ढलेगा। सुबह 8 बजे पहले पोस्टल बैलेट के वोटों की गिनती की गई और इसके बाद अब ईवीएम मशीनों के वोटों की काउंटिंग जारी है। प्रदेश में इस बार कुल 75.45 प्रतिशत मतदान हुआ है। 199 विधानसभा क्षेत्रों के लिए 36 मतगणना केंद्र बनाए गए हैं जिसमें 1121 एआरओ की ड्यूटी लगाई गई है। राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक बार फिर जीत का दावा कर रहे हैं वहीं, बीजेपी जनता के मन को जीतकर चुनाव जीतने की कोशिश में हैं।

84 सीटों पर कांग्रेस, 100 पर बीजेपी आगे

शुरुआती रुझानों में राजस्थान की 199 सीटों में से 100 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी आगे चल रही है। वहीं, कांग्रेस ने भी 84 सीटों पर बढ़त बना रखी है। शुरुआती रुझानों में दोनों पार्टियों के बीच कांटे का मुकाबला नजर आ रहा है।

राजस्थान में 6 निर्दलीय आगे

राजस्थान में 6 निर्दलीय आगे चल रहे हैं। शिव विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र भाटी आगे चल रहे हैं।

हॉट सीट सांसद वाली

  • सवाई माधोपुर से बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा सबसे आगे
  • दूसरे नंबर पर बीजेपी की बागी आशा मीणा और कांग्रेस के मौजूदा विधायक दानिश अबरार तीसरे नंबर पर
  • बीकानेर पूर्व सिद्धी कुमारी 1200 वोटों से आगे दूसरा राउंड
  • नोखा से विधायक बिहारी विश्नोई आगे 6500 वोटों से रामेश्वर डूडी पीछे
  • कोलायत से अंशुमान सिंह आगे मंत्री भंवर सिंह पीछे 3500 वोटों से

झोटवाड़ा से राज्यवर्धन सिंह राठौड़ पीछे

राजस्थान में सीटों का क्या हाल है?

  • जोधपुर की लोहावट से बीजेपी के गजेंद्र सिंह खींवसर 146 वोट से आगे चल रहे हैं।
  • कोटा उत्तर से कांग्रेस शांतिकुमार धारीवाल, कोटा दक्षिण से बीजेपी संदीप शर्मा, सांगोद से बीजेपी हीरालाल नागर और रामगंज मंडी से बीजेपी मदन दिलावर आगे चल रहे हैं।
  • बीजेपी नेता राज्यवर्धन सिंह राठौड़ झोटवाड़ा विधानसभा सीट पर पीछे चल रहे हैं। कांग्रेस का युवा चेहरा अभिषेक चौधरी 6 हजार वोटों से आगे चल रहे हैं।
  • सचिन पायलट भी टोंक सीट से पीछे चल रहे हैं।

झालरापाटन से वसुंधरा राजे 10161 वोटों से आगे

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की दिग्गज नेता वसुंधरा राजे झालरापाटन में 10161 वोटों से आगे चल रही हैं।

  • मालपुरा बीजेपी के कन्हैयालाल ने 1574 मतों से आगे
  • देवली उनियारा में बीजेपी के विजय बैंसला 1820 मतो से आगे
  • बहरोड़ के चौथे राउंड की समाप्ति पर बीजेपी के जसवंत यादव 3866 मतों से आगे
  • चितौड़गढ़ विधानसभा सीट पर चंद्रभान सिंह निर्दलीय प्रत्याशी को मिली बढ़त, 558 वोटो से चंद्रभान आगे

अब साथ नहीं सचिन-सारा, लोग हैरान-परेशान, पूछ रहे हैं ये सवाल?

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राजस्थान की सियासत का बड़ा नाम और कांग्रेस पार्टी के लोकप्रिय चेहरे सचिन पायलट इस वक्त पर्सनल कारणों की वजह से सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं।

दरअसल 31 अक्टूबर को जैसे ही सचिन पायलट ने टोंक विधनसभा सीट से कांग्रेस उम्‍मीदवार के रूप में नामांकन पत्र दाखिल किया वैसे ही लोगों को पता चला कि वो तलाकशुदा हैं क्योंकि चुनावी एफिडेविट में सचिन ने अपनी पत्नी के नाम के आगे ‘तलाकशुदा’ लिखा था।

 

 

पत्नी के नाम के आगे ‘तलाकशुदा’ लिखा

 

 

जिसके बाद से तो ये बात सुर्खियां बन गई। लोग को एकदम से झटका लगा, हर कोई केवल यही सोच रहा है कि सचिन ने कि जिसे पाने के लिए ना जाने कितनी परेशानियां झेली थीं उससे वो अलग कैसे हो गए?

 

दोनों की 19 साल की शादी टूट गई

 

पायलट और उनकी पत्नी सारा अब्दुल्ला तो लोगों के लिए मिसाल थे, फिर ऐसा क्या हुआ कि दोनों की 19 साल की शादी टूट गई।

 

सारा क्यों अलग हुए? कब अलग हुए?

 

साल 2018 के हलफनामे में सचिन पायलट ने अपनी पत्नी का नाम सारा पायलट लिखा था, इसका मतलब ये हुआ कि दोनों अलग बीते पांच सालों में हुए हैं और अगर नामांकन पत्र सामने नहीं आया होता तो ये बात किसी को पता भी नहीं चलती। सचिन और सारा क्यों अलग हुए? कब अलग हुए? अब तक इस बात का खुलासा क्यों नहीं हुआ? लोगों के मन में यही सारे सवाल चल रहे हैं।

 

दोनों ने शादी के लिए पापड़ बेले थे

 

दरअसल सचिन पायलट और सारा अब्दुल्ला की शादी बहुत मुश्किलों से हुई थी, दोनों ने एक होने के लिए बहुत पापड़ बेले थे। मालूम हो कि सचिन पायलट कांग्रेस के कद्दावर नेता राजेश पायलट के बेटे हैं।

 

विदेश में पढ़ाई के दौरान मोहब्बत परवान चढ़ी

 

सचिन को मोहब्बत हुई जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला की बेटी सारा अब्दुल्ला से, दोनों मिले तो एक फैमिली फंक्शन में थे लेकिन दोनों की मोहब्बत परवान तब चढ़ी विदेश में पढ़ाई के दौरान।

 

दोनों की शादी में धर्म बना था दीवार

 

सचिन वार्टन स्कूल ऑफ द यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया से एमबीए कर रहे थे और सारा भी वहीं थीं। इस दौरान दोनों में घनिष्ठता बढ़ी और दोनों एक-दूसरे को चाहने लगे। एमबीए के बाद तो सचिन इंडिया वापस आ गए और सारा वहीं रह गईं, ऐसे में दोनों को समझ आ चुका था कि अब दोनों का अलग रहना मुश्किल है, दोनों ने शादी करने का फैसला किया और सारा के इंडिया वापस आते ही दोनों ने अपने परिवारवालों को अपने रिश्ते की बात बता दी लेकिन दोनों को अंदाजा नहीं था कि दोनों की शादी की बात सुनकर परिवारवालों को करंट लग जाएगा।

 

साल 2004 में सचिन-सारा की शादी हुई थी

 

धर्म की वजह दोनों ही के परिवारवालों ने इस शादी के लिए मना कर दिया था लेकिन सचिन-सारा का प्यार पक्का था और इसी वजह से दोनों ने अपनी फैमिली को मनाने की ठानी, जिसमें सचिन तो सफल हो गए लेकिन सारा अपने घरवालों को नहीं मना पाई थीं। इसलिए साल 2004 में सचिन-सारा की शादी में सारा के घर से कोई भी शामिल नहीं हुआ था।

 

बच्चों की कस्टडी सचिन पायलट के पास

 

हालांकि अब्दुल्ला परिवार ने बाद में दोनों की शादी को स्वीकार कर लिया था। इस शादी से सचिन-सारा के दो बच्चे आरान और विहान हैं, जिनकी कस्टडी सचिन पायलट के पास है।

 

दोनों बच्चे पिता के पास हैं

 

आमतौर पर तलाक के मामले में बच्चों की कस्टडी मां को मिल जाती है लेकिन इस केस में दोनों बच्चे पिता के पास हैं जो कि एक और चौंकाने वाली बात है। आरन और विहान अभी छोटे हैं और स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं।

 

सार्वजनिक इवेट से दूर रहती हैं सारा

 

आमतौर पर सारा और उनके बच्चे राजनीति के आयोजनों से काफी दूर रहते थे। सारा बहुत ही कम किसी सार्वजनिक इवेट में सचिन पायलट के साथ दिखाई देती थीं इसलिए किसी के भी दिमाग में नहीं आया था कि सचिन पायलट मौजूदा दौर में सिंगल हैं।

 

राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान है

 

फिलहाल सचिन-सारा के अलग होने का कारण लोग बेसब्री से जानना चाहते हैं, हालांकि सच्चाई केवल सचिन-सारा को ही पता है और वो कब सामने आएगी, इस बारे में फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता है। आपको बता दें कि राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान है और इसके नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे।