दिल्ली में 29 अक्टूबर को जदयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक में बड़ा फैसला लिया गया. पहले ललन सिंह ने इस्तीफा दिया फिर नीतीश कुमार जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद भी बिहार की राजनीति में कयासबाजी का दौर जारी है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने पिछले दिनों जदयू के अंदर हुए उठापटक को लेकर कहा कि जिस तरह से ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटाया गया यह पृष्ठभूमि दो-तीन महीना पहले तैयार हो गया था.
जीतनराम मांझी ने कहा कि राजनीति संभावनाओं का खेल है. बिहार में जिस तरह के घटनाक्रम देखने को मिल रहे हैं, ऐसे हालत में कुछ भी हो सकता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पलटी भी मार सकते हैं
मांझी ने कहा कि हमने सुना था कि ललन सिंह और मंत्री विजेंद्र यादव इस पक्ष में थे कि तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बना दिया जाए. जबकि, जदयू के कई लोग इसका विरोध कर रहे थे. उन्होंने कहा कि मंत्री अशोक चौधरी, विजय चौधरी और संजय झा नहीं चाहते थे कि तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाया जाए. ये लोग हमेशा विरोध कर रहे थे. कुछ दिन पहले जदयू के बड़े नेताओं के बीच बहस हुई थी. इसके बाद ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई और ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाया गया.
जीतन राम मांझी ने कहा कि सुनने में तो यह भी आया है कि ललन सिंह जदयू के 11 से 12 विधायकों को तोड़ने की भी कोशिश कर रहे थे. इन सब चीजों को लेकर ही इस तरह की बात जदयू में हुई है. मांझी ने कहा कि जो कुछ हमने सुना और जो कुछ हम समझ रहे हैं उसके हिसाब से कहीं ना कहीं जदयू पार्टी के अंदर घमासान मचा हुआ था. कुछ लोग चाहते थे कि तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बने, कुछ लोग चाहते थे कि नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री रहें.
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