बिहार में एनडीए की नई सरकार बनने से महज 5-6 घंटे पहले भाजपा ने सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाकर बड़ा संदेश दिया है कि लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी न सिर्फ अपना कोर वोट बैंक को मजबूत करेगा बल्कि बिहार में जातिगत गणना के आधार पर जिस समाज की संख्या सबसे अधिक है उन्हें भी बड़ा महत्त्व देगी। ऐसे में अब सभी लोगों के मन में बड़ा सवाल यह चल रहा है कि क्या भाजपा 2020 के तरह ही कैबिनेट रखेगी या कुछ  नया मंत्रिमंडल चौंकाने वाला ही होगा।

वैसे में जब इसे लेकर भाजपा के हाल के रिकॉर्ड को देखा गया तो यह समझ में आया कि इस बार भाजपा अपने मूल वोट बैंक के आलावा ओबीसी समाज पर अधिक ध्यान दे रही है। भाजपा का स्टैंड इस बार साफ़ है कि इस समाज को महत्व देकर इस बड़े वोट बैंक में सेंधमारी कर लोकसभा में 400 सीट के आस- पास पहुंचना। लिहाजा, हाल ही में तीन राज्यों में सरकार के गठन के बाद इस समाज का विशेष ख्याल रखा गया। ऐसे में बिहार में भी भाजपा मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर इसी फॉर्मूले पर विचार कर रही है। हालांकि, बिहार में ओबीसी समाज के साथ ही साथ ईबीसी समाज भी है ऐसे में इस दोनों समाज के नेता को मंत्रिमंडल में जगह मिलना तय है इसके साथ ही साथ मूल और कैडर वोट को साथ रखने के लिए इस समाज का भी मंत्रिमडल में विशेष ख्याल रखा जाएगा।

वहीं, इसे लेकर भाजपा के संगठन में शामिल एक कद्दावर नेता से संपर्क साधा गया तो उन्होंने बताया कि भाजपा इस बार कुछ बड़े बदलाव करके सबको चौंका सकता है। भाजपा इस बार बिहार में भी कुछ महीने पहले तीन राज्यों में कैबिनेट विस्तार को लेकर अपनाए गए फॉर्मूले पर विचार कर सकती है। ऐसे में जब उनकी बातों का मतलब निकाला गया तो यह पाया गया कि बिहार के नए मंत्रिमंडल से भी कई पुराने कद्दावर नेताओं की छुट्टी हो सकती है। इनकी जगह नए चेहरों की एंट्री हो सकती है। इनमें ऐसे भी नाम हैं जिनका नाम डिप्टी सीएम के लिए भी चला, लेकिन अब मंत्री भी बन जाए?

उनकी बातों का मतलब साफ़ था कि इस बार भाजपा आधे से ज्यादा नए चेहरे पर दांव लगा सकती है। इनमें भी ज्यादा संख्या अतिपिछड़े और कुशवाहा जाति से हो सकती है। 2024 के लिहाज से भी भाजपा का पूरा फोकस बिहार की 36 फीसदी अतिपिछड़ा जातियों को साधने का है। नीतीश कुमार से गठबंधन का सबसे बड़ा कारण भी इसी को माना जा रहा है। सम्राट को डिप्टी सीएम बनाकर भाजपा ने पहले ही लव-कुश समाज को मैसेज देने की कोशिश की है। इसके अलावा भाजपा कैबिनेट में इसके अलावा भाजपा कैबिनेट में 10-15 फीसदी हिस्सेदारी सवर्ण को दे सकती है।

उधर, जेडीयू के पास प्रयोग करने के लिए ज्यादा विकल्प नहीं हैं। जेडीयू की तरफ से लगभग ऐसा तय माना जा रहा है कि 2022 की तरह नीतीश कुमार एक बार फिर से पुराने चेहरे को ही रिपीट करेंगे। बिजेंद्र यादव, श्रवण कुमार और विजय कुमार चौधरी को मंत्री पद की शपथ दिलाकर नीतीश कुमार ने इसके संकेत भी दे दिए हैं। इनके अलावा संजय झा, अशोक चौधरी और लेशी सिंह की गिनती नीतीश के करीबी नेताओं के रूप में होती है, तो मंत्रिमंडल में उनका शामिल होना भी तय माना जा रहा है। इस लिहाज से जेडीयू में ज्यादा फेरबदल की संभावना दिखाई नहीं दे रही है।