हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस विधायकों की बगावत के बाद संकट में पड़ी सुक्खू सरकार तो भले ही खतरे से उबर गई है, लेकिन राज्यसभा जिस सीट पर पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी, वो हाथ से निकल गई है।

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस विधायकों की बगावत के बाद संकट में पड़ी सुक्खू सरकार तो भले ही खतरे से उबर गई है, लेकिन राज्यसभा की जिस सीट पर पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी, वो हाथ से निकल गई है. राज्यसभा चुनाव में वोटिंग के ऐन पहले बगावत पर उतरे कांग्रेस के छह विधायकों ने पार्टी लाइन से हटकर क्रॉस वोटिंग कर दिया और बीजेपी के उम्मीदवार हर्ष महाजन को जीत दिला दी. हिमाचल में बीजेपी उम्मीदवार की जीत ने सुक्खू सरकार की कुर्सी हिला दी. हालांकि बाद में सरकार भी बच गई और कांग्रेस के बगावती विधायकों की सदस्यता भी रद्द कर दी गई. लेकिन कांग्रेस के विधायकों ने बगावती तेवर क्यों दिखाए इसका खुलासा तब हुआ जब उन्होंने अपना दर्द बयां किया।

राज्यसभा चुनाव में बाहरी नेता को टिकट देना बना कारण

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के अयोग्य विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि पार्टी की तरफ राज्यसभा चुनाव में  स्थानीय वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी कर बाहरी नेता को टिकट देना, उनकी नाराजगी का कारण बना. इसके पहले भी सुखविंदर सिंह सुक्खू के हाथों मिली बेइज्जती का शिकार होते रहे और हमने कांग्रेस हाई कमान से इसकी शिकायत तक नहीं की. लेकिन राज्यसभा चुनाव में बाहरी व्यक्ति को टिकट देने के फैसले ने हमारे सब्र को तोड़ दिया. यह अपमान की पराकाष्ठा थी. अपने और हिमाचल प्रदेश के लोगों को सम्मान और स्वाभिमान के लिए हमने बीजेपी उम्मीदवार को अपना वोट दिया. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि राजेंद्र राणा को सुक्खू सरकार के खिलाफ बगावत का मुख्य सूत्रधार माना जा रहा है. राणा हमीरपुर जिले की सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र से 3 बार को विधायक हैं. 1986 में पंजाब यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट राणा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और दो बार को मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को हराया था।

कांग्रेस आलाकमान को कराया था अवगत

राजेंद्र राणा के अनुसार मुख्यमंत्री की कार्यप्रणाली और हिमाचल कांग्रेस में पनप रही समस्याओं के बारे में कांग्रेस नेतृत्व को बता दिया गया था. मैंने खुद एक मीटिंग में हाईकमान से हस्तक्षेप कर और सुक्खू की जगह किसी और को मुख्यमंत्री बनाने की बात कही थी. मैंने हाईकमान को बताया था कि सुक्खू न तो दूरदर्शी हैं और नहीं उनके पास इतना बड़ा दिल है है कि और किसी को साथ लेकर चल सकें. हमनें यह भी साफ कर दिया था कि हम सब में से कोई सीएम पद पाने की इच्छा नहीं रखता. हम केवल अपना सम्मान और राज्य का विकास चाहते हैं।