प्रभास और कृति सेनन स्टारर फिल्म आदिपुरुष अब डायलॉग्स को लेकर विवाद में है। फिल्म को बैन करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। इसे हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने लगाया है। इसमें फिल्म के कई सीन, डायलॉग्स और किरदारों को हटाने की मांग की गई है।

विष्णु गुप्ता ने याचिका में कहा, ‘फिल्म में हमारे आराध्य देवताओं का गलत तरीके से चित्रण किया गया है, जो कि आपत्तिजनक है। इसलिए ऐसी फिल्म की स्क्रीनिंग पर रोक लगनी चाहिए।’ फिल्म 16 जून को रिलीज हुई है।

राइटर और डायरेक्टर ट्रोल, लोग बोले- मर्यादा को तार-तार किया
फिल्म के डायलॉग्स को लेकर फिल्म के राइटर और डायरेक्टर ट्रोल हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर फिल्म का बायकॉट ट्रेंड हो रहा है। लोगों का कहना है कि फिल्म में रामायण को मॉडर्न तरीके से दिखाया गया है, जो इस पौराणिक कथा की मर्यादा को तार-तार कर रहा है।

कॉन्ट्रोवर्शियल डायलॉग, जिन पर लोगों को आपत्ति है

  • कपड़ा तेरे बाप का! तेल तेरे बाप का! जलेगी भी तेरे बाप की। (हनुमानजी ने रावण के बेटे इंद्रजीत से कहा)
  • तेरी बुआ का बगीचा है क्या जो हवा खाने चला आया। (इंद्रजीत ने हनुमानजी से कहा)
  • जो हमारी बहनों को हाथ लगाएगा उनकी लंका लगा देंगे। (हनुमानजी ने रावण की सभा में कहा)
  • आप अपने काल के लिए कालीन बिछा रहे हैं। (विभीषण ने रावण से कहा)
  • मेरे एक सपोले ने तुम्हारे शेषनाग को लंबा कर दिया अभी तो पूरा पिटारा भरा पड़ा है। (लक्ष्मण के ऊपर वार करने के बाद इंद्रजीत ने कहा)

इन डायलॉग्स को लिखने वाले राइटर मनोज मुंतशिर को सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का सामना करना पड़ रहा है। लोग उनसे सवाल कर रहे हैं कि ऐसे संवाद रामायण के किस वर्जन में लिखे हैं। क्या रामायण में ऐसे शब्दों का कहीं उल्लेख है।

आदिपुरुष में दिखाए गए तथ्य रामायण और रामचरित मानस के ठीक विपरीत
हिंदू सेना की याचिका में कहा गया कि जिस तरीके से फिल्म आदिपुरुष में भगवान राम, माता सीता और हनुमान जी का चित्रण किया गया है, वो महर्षि वाल्मीकि की रामायण और तुलसीदास की रामचरितमानस के ठीक विपरीत है। ओम राउत के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म से हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है। फिल्म में जिस तरह से तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की गई है, उसे देखकर हमारा मन चिंतित और व्यथित है।

याचिका में ये भी कहा गया, ‘ये PIL उन लोगों की तरफ से भी दायर है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं या किसी कारण कोर्ट कचहरी आने में असमर्थ हैं। चूंकि भावनाएं उनकी भी आहत हुई हैं, इसलिए ये PIL उन्हें भी रिप्रजेंट करती है। आदिपुरुष की टीम को इस मामले में सूचना और प्रसारण मंत्रालय को 4 अक्टूबर तक जवाब देना था। हालांकि आज तक उनका जवाब नहीं आया।’


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