All posts by Shailesh Kumar

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BJP विधायक ने भरे मंच पर पुलिसकर्मी को जड़ा थप्पड़, उपमुख्यमंत्री भी थे मौजूद, वीडियो वायरल

महाराष्ट्र के पुणे से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है. भाजपा विधायक सुनील कांबले को शुक्रवार को ससून अस्पताल में एक कार्यक्रम के दौरान एक पुलिस कर्मी को थप्पड़ मारते देखा गया. घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. घटना के बाद खबर है कि विधायक पर मामला दर्ज कर लिया गया है.

वायरल वीडियो में विधायक मंच छोड़ते समय अपना संतुलन खोते नजर आ रहे हैं. जल्द ही, वह गुस्से में आकर वहां खड़े ऑन-ड्यूटी पुलिसकर्मियों को थप्पड़ मार देते हैं. घटना के वक्त महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार उसी मंच पर मौजूद थे. इस कार्यक्रम में चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ और सांसद सुनील तटकरे भी उपस्थित थे.

एक रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस अधिकारी को बंडगार्डन पुलिस स्टेशन से संबद्ध बताया गया है. रिपोर्ट के हवाले से यह भी बताया गया है कि पुणे कैंटोनमेंट निर्वाचन क्षेत्र के स्थानीय विधायक होने के बावजूद, कांबले कार्यक्रम के निमंत्रण के साथ-साथ कार्यक्रम के मंच पर पृष्ठभूमि में उनके नाम का उल्लेख नहीं किए जाने से नाखुश थे.

ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों को थप्पड़ मारने के आरोप में भाजपा विधायक सुनील कांबले के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है. विधायक पर पुणे पुलिस के बंडगार्डन पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

16 साल की नाबालिग लड़की ने बिना शादी के दिया बेटी को जन्म, नाजुक हालत में इलाज जारी, जानें पूरा मामला

मध्य प्रदेश के पन्ना जिले से चौंकाने वाली खबर है. यहां बिना शादी के ही 16 साल की लड़की ने बेटी को जन्म दिया है. इस खबर के बाद जिले में हड़कंप मच गया है. बेटीको जन्म देने के बाद उसकी हालत नाजुक बताई जा रही है. उसे इलाज के लिए पन्ना जिला अस्पताल में भर्ती किया गया है. मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया. पुलिस ने आरोपी को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है. यह मामला इतना गंभीर है कि अधिकारी इस पर खुलकर कुछ नहीं बोल रहे. युवती के परिजनों ने भी पूरी तरह चुप्पी साध रखी है. चौंकाने वाली यह घटना सिमरिया थाना इलाके की है.

जानकारी के मुताबिक, हाल ही में सिमरिया थाना इलाके को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से फोन पर सूचना मिली कि एक लड़की अपनी मां के साथ चेकअप कराने आई है. उसकी उम्र 16 साल है. जांच करने पर पता चला कि वह प्रेग्नेंट है. उसके कुछ देर बाद उसने बेटी को जन्म दिया. केंद्र प्रबंधन ने पुलिस को बताया कि डिलीवरी के बाद युवती की हालत नाजुक है. उसे इलाज के लिए पन्ना जिला अस्पतार रेफर किया गया है. ये सूचना मिलते ही सिमरिया थाना इलाके की टीम अस्पताल पहुंच गई.

पुलिस को इस बात का शक

पुलिस ने शुरुआती जांच के बाद परिजनों के बयान लिए. उनके बयानों के बाद पुलिस ने आस-पड़ोस में भी पूछताछ की. इसके बाद पुलिस ने इस घटना के आरोपी को पूछताछ के बाद हिरासत में ले लिया है. पुलिस को इस बात की आशंका है कि युवती के साथ रेप हुआ होगा. इसके अलावा वह इस घटना के हर पहलू पर बारीकी से नजर रख रही है. दूसरी ओर, इस घटना की जानकारी मिलने के बाद बाल आयोग के भी सक्रिय होने की संभावना है.

पुलिस ने कही ये बात

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आरती सिंह ने बताया कि सिमरिया थाना के तहत एक नाबालिग बच्ची द्वारा बच्चे को जन्म देने का मामला आया था. इसके बाद हमने मामला पंजीबद्ध कर जांच की. जांच के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. फिलहाल जच्चा और बच्चा दोनों स्वास्थ्य बताए जा रहे हैं. हम इस मामले की गहराई से जांच कर रहे हैं.

बिहार के इस जिले के 47 गांवों की एक साथ होगी बिजली गुल, जानें वजह, देखें गांवों के लिस्ट

भोजपुर में बिजली बिल जमा नहीं करने वाले गांवों की बिजली कनेक्शन काटने की तैयारी की जा रही है.आरा डिविजन के चार प्रखंड जिसमें उदवंतनगर, संदेश, बड़हरा व कोईलवर के 47 गांवों को चिह्नित कर सूची तैयार की गई है. इन गांवों के काफी कम संख्या में उपभोक्ताओं की ओर से बिजली का बिल जमा किया जा रहा है. इसे लेकर विभाग की ओर से कार्रवाई की तैयारी की जा रही है.

हो रही है यह तैयारी

विद्युत कार्यपालक अभियंता अमरेन्द्र कुमार ने बताया कि विभाग की ओर से राजस्व संग्रह को लेकर राज अभियान चलाया जा रहा है. विशेष अभियान के तहत वैसे गांवों की सूची तैयार की जा रही है, जहां कम संख्या में उपभोक्ताओं की ओर से बिजली बिल का भुगतान किया जाता है. बड़हरा, कोइलवर, संदेश व उदवंतनगर के चिह्नित 47 गांवों की सूची में अधिकतम 24% लोग बिजली बिल का भुगतान करते हैं.

वहीं इस सूची में कई गांवों में शून्य तो कुछ गांवों में दो से चार फीसदी बिजली बिल का भुगतान किया जाता है. अगले वर्ष जनवरी के पहले सप्ताह में बिजली बिल जमा करने बालों की संख्या नहीं बढ़ी, तो कनेक्शन काटने की कार्रवाई की जाएगी.

बिजली बिल जमा नहीं करने वाले गांवों की बनी सूची

जिले के बड़हरा, कोईलवर, संदेश व उदवंतनगर प्रखंड के चिह्नित 47 गांवों की सूची में केशोपुर, देवरिया कृष्णगढ़, बड़हरा, बलुआ, बिंद टोली, नेकनाम टोला,रामपुर, मिल्की, एकोना, बबुरा, अगरपुरा, बखोरापुर, सलेमपुर, डुमरिया, कृतपुरा, सरैया, चांदी, हाजीपुर, दूबे छपरा, नथमलपुर, सकड्डी, बेलाउर बालपर, जयनगर, जनेसरा, एकौना, सलथर, दलेलगंज, पंडुरा, पिपरहियां, रामपुर, रामपुर मठिया, बेलाउर, रघुनीपुर, डिहरा, बरतिबर, जमुआंव, उदवंतनगर, सारीपुर, मिल्की, कोशडिहरा, पिंजरोईं व पनपुरा गांव के नाम शामिल हैं.

गांवों में चलेगा डोर टू-डोर जांच अभियान

राजस्व बढ़ाने को लेकर चल रहे अभियान के तहत घर-घर जाकर जांच की जायेगी. विभाग के वरीय अधिकारी गांवों में घरों में बिजली कनेक्शन है या नहीं, इसकी जांच करेंगे. कनेक्शन लेने वालों के घर मीटर की जांच के दौरान मीटर रीडरों को ओर से की गयी रीडिंग की भी जांच होगी.

मुर्गों को यहां दाने की जगह खिलाया जा रहा वियाग्रा और शिलाजीत, जानें ऐसा करने की वजह

देश में मकर संक्रांति की तैयारी जोर शोर से चल रही है. ग्रामीण आंध्र प्रदेश में भी इसकी तैयारी तेजी से चल रही है. यहां इस अवसर पर मुर्गों की लड़ाई होती है. तो ऐसे में दावेदारों को अच्छी स्थिति में रहने की जरूरत है. लेकिन एक वायरल बीमारी के कारण कई चैंपियनों को इस अवसर पर आगे बढ़ने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, हताश प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए मुर्गों को वियाग्रा और अन्य स्टेरॉयड-युक्त भोजन देना पड़ रहा है.

रिपोर्ट के अनुसार मुर्गों की लड़ाई ग्रामीण आंध्र प्रदेश में संक्रांति उत्सव का एक अभिन्न अंग है और ज्यादातर अविभाजित गुंटूर, कृष्णा और दो गोदावरी जिलों में आयोजित की जाती है. इस साल संक्रांति 14, 15 और 16 जनवरी को है, और राज्य के अंदरूनी हिस्सों में हजारों अवैध मुर्गों की लड़ाई के अखाड़े पहले से ही खुल गए हैं, जहां प्रशिक्षित मुर्गे ‘मौत की लड़ाई’ में लगे रहते हैं. जबकि दर्शक जीतने वाले मुर्गे पर दांव लगाते हैं. त्यौहारी सट्टेबाजी के दौरान सैकड़ों करोड़ रुपये का लेन-देन होता है.

बता दें कि आंध्र प्रदेश में मुर्गे ‘रानीखेत’ नामक बीमारी की चपेट में आ गए हैं, जिससे वे कमजोर हो गए हैं और लड़ने के लिए सही स्थिति में नहीं हैं. संक्रांति के लिए बहुत कम समय बचा है, तो ऐसे में कुछ मुर्गा पालकों ने मुर्गे को शिलाजीत, वियाग्रा 100 और विटामिन खिलाकर ताकत देने की कोशिश कर रहे हैं.

पशु चिकित्सा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि हार्मोन-बढ़ाने वाली दवाएं न केवल लंबे समय में पक्षियों को अपंग कर देंगी, बल्कि म्यूटेशन भी करेंगी जो मनुष्यों द्वारा ऐसी मुर्गियां खाने पर हानिकारक हो सकती हैं. हालांकि ये हार्मोन-उत्तेजक दवाएं पहली बार पक्षियों को दी जा रही हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ऐसी दवाएं वास्तव में लड़ाकू मुर्गों में लड़ाई की भावना को बढ़ाती हैं.

घर की सफाई कर रही महिला के हाथ लगा ‘खजाना’, कबाड़ में पड़ी लॉटरी टिकट से बदल गई किस्‍मत, पढ़े पूरी रिपोर्ट

भाग्य कब आपका साथ दे दे, पता नहीं होता. कब सोई हुई किस्‍मत आपको रंक से राजा बना दे, ये किस्‍मत के ही हाथ में है. कुछ ऐसा ही वाक्‍या जर्मनी में एक महिला के साथ हुआ. उसकी जीवन में एक अप्रत्याशित मोड़ तब आ गया जब क्रिसमस के लिए अपने घर की सफाई करते समय उसकी नजर 2 साल पुराने लॉटरी टिकट पर पड़ी.

रिपोर्ट के अनुसार, महिला ने फरवरी 2021 में लॉटरी सुपर 6 में भाग लिया था, लेकिन वह इसके बारे में पूरी तरह से भूल गई. उसे दराज में धूल-धक्‍कड़ के बीच कबाड़ की तरह रखा हुआ लॉटरी का यह टिकट मिला. महिला की खुशी उस समय और दोगुनी हो गई जब उसे पता लगा कि वह इस लॉटरी की विजेता है. इससे उसने 110,000 डॉलर (लगभग 91,61,449 रुपये) जीते हैं.

महिला ने इस पर कहा कि “मुझे इस पर यक़ीन नहीं हो रहा. यह एक भूले हुए खजाने को फिर से पाने जैसा लगता है.” महिला अब इस मोटी रकम से एक अच्छी छुट्टी पर घूमने जाना चाहती है.

लॉटरी अधिकारियों के पास यह टिकट आया तो वेरिफाई करने के बाद वह भी इसे देखकर चकित रह गए. यह टिकट एकदम अच्‍छी कंडीशन में था. उनका आश्चर्य तब और बढ़ गया जब सैक्सोनी-एनहाल्ट में 2021 से अभी भी $660,000 (5 करोड़ रुपये से अधिक) से अधिक की ऐसी कई लॉटरी निकलीं, जिनको कभी कोई क्‍लेम ही नही करने आया.

दिलचस्प बात यह है कि यह कहानी कोई अकेली घटना नहीं है. यूएसए टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, अरकंसास शहर के लिटिल रॉक की निवासी ल्यूसिल रॉबिन्सन ने 27 दिसंबर को अरकंसास लॉटरी से 500,000 डॉलर (41,655,000 रुपये) जीते. इससे उनका जीवन बदल गया.

रॉबिन्सन ने अपने बेटे ड्वेन जॉनसन के साथ लिटिल रॉक के 12वें स्ट्रीट मार्केट में लॉटरी टिकट पर 20 डॉलर (1,666 रुपये) खर्च करने का फैसला किया. रॉबिन्सन ने गैस स्टेशन पर ही यह टिकट लिया था. उसने इसे जॉनसन को यह जांचने के लिए सौंप दिया कि क्या वाकई उनका भाग्‍य चमकने वाला है.

देश के इस राज्य में फिर मिला सोने का बड़ा खजाना, जेवरों के ढेर देखकर फटी रह गई सभी की आंखें

राजस्थान में एक बार फिर सोने का बड़ा खजाना मिला है. आयकर विभाग ने उदयपुर में होटल कारोबारियों के ठिकानों पर छापे मारे तो वहां सोने के कई किलो जेवर देखकर वे चौंक गए. आयकर के इन छापों में बड़े पैमाने पर काली कमाई का खुलासा हुआ है. आयकर विभाग ने उदयपुर में फतेह ग्रुप, रॉकवुड और ADM ग्रुप के ठिकानों पर छापामारी की है. वहां जेवर के साथ बड़ी मात्रा में ब्लैक मनी भी सामने आई है. वहीं कारोबार में की गई करोड़ों रुपये का हेरफेर भी पाया गया है.

आयकर विभाग के सूत्रों के अनुसार इन छापों में अब तक सोने के करीब 9 किलो जेवर और 3.30 करोड़ रुपये की ब्लैक मनी जब्त की गई है. जब्त किए गए सोने के जेवरों की कीमत 5.50 करोड़ रुपये से ज्यादा है. वहीं 150 करोड़ रुपये से ज्यादा की काली कमाई के दस्तावेज जब्त किए गए हैं. रॉकवुड ग्रुप से जुड़े ठिकानों से काले कारोबार के दस्तावेज जब्त किए गए हैं.

छापामारी की इस कार्रवाई में इस ग्रुप की मुंबई और कोलकाता की कंपनियों के नाम पर बड़ा काला कारोबार सामने आया है. वहां से अब तक 80 करोड़ रुपये के काले कारोबार के दस्तावेज जब्त किए गए हैं. रॉकवुड ग्रुप के ठिकानों से जब्त डायरी में ब्लैक मनी लेन-देन के बड़े सबूत मिले हैं. रॉकवुड ग्रुप से जुड़े ठिकानों से अब आयकर टीमें लौट गई है. आयकर अधिकारी अब दस्तावेजों की गहनता से जांच करेंगे.

वहीं उदयपुर में फतेह ग्रुप पर आयकर छापों में भी भारी काली कमाई का खुलासा हुआ है. इस ग्रुप के होटल कारोबार से 28 करोड़ रुपये की ब्लैक मनी के दस्तावेज जब्त किए गए हैं. फतेह ग्रुप के माइंस कारोबार से 20 करोड़ रुपये की ब्लैक मनी के दस्तावेज जब्त किए हैं. ग्रुप के काले कारोबार में शामिल क्लाइंट के महत्वपूर्ण दस्तावेज को भी आयकर विभाग ने अपने कब्जे में ले लिया है.

ADM ग्रुप के ठिकानों से 11 करोड़ रुपये की ब्लैक मनी के दस्तावेज जब्त किए गए हैं. फतेह और ADM ग्रुप के ठिकानों से भी आयकर विभाग की टीमें लौट गई हैं. आयकर अधिकारी अब इनके दस्तावेजों को खंगालने में जुटे हैं. आयकर विभाग के सूत्रों के मुताबिक दस्तावेजों के आधार पर काले कारोबार की कड़ियों को जोड़ा जाएगा.

सैलरी दो… नहीं तो, कड़ाके की ठंड में बिना कपड़ों के बैठा यह युवक, 3 दिनों से कुछ नहीं खाया

कड़कड़ाती ठंड में एक युवक नीलम फ्लाईओवर के ऊपर कपड़े उतार के धरने पर बैठ गया. आते-जाते लोगों ने जब उसे देखा तो सभी हैरत में पड़ गए. कपड़े उतार कर इस प्रकार से धरने पर बैठने का कारण पूछते हुए जब उससे बात की गई तो बताया कि उसका नाम सुमन बाबू है. पिता का नाम नाथूराम और मां का नाम वर्षा देवी है. वह यूपी के शिकोहाबाद का रहने वाला है.

वह अकेला ही फरीदाबाद में रहता है. सुमन बाबू ने बताया कि फरीदाबाद के पांच नंबर स्थित BTW यानी बिट्टू टिक्की वाले की दुकान पर सिक्योरिटी का काम करता था, जिसे एक सिक्योरिटी सर्विस के तहत किसी तिवारी नाम के शख्स ने ड्यूटी पर रखवाया था, लेकिन 1 अक्टूबर से लेकर 25 अक्टूबर तक उसकी सैलरी नहीं दी गई और उसे निकाल दिया गया. इसलिए वह प्रदर्शन कर रहा है.

पेमेंट होने तक यहीं बैठा रहूंगा

हालांकि, वह अब दूसरी कंपनी में काम कर रहा है, लेकिन बार-बार अपनी सैलरी मांगे जाने पर भी पेमेंट नहीं मिल रही है. अपने पैसों के लिए सुमन बाबू ने एक अनोखा तरीका अपनाया और वह नीलम फ्लाईओवर के ऊपर बीच सड़क पर कपड़े उतार कर बैठ गया. बता दें कि नीलम फ्लाईओवर का एक साइड का मरम्मत का कार्य चल रहा है, जिसके चलते सुमन बाबू के धरने पर बैठने से आवागमन पर प्रभाव नहीं पड़ा. क्योंकि एक साइड का रास्ता बंद है.

तीन दिन से सिर्फ चाय-पानी

सुमन बाबू ने बताया कि उसने तीन दिन से कुछ नहीं खाया है. केवल चाय और पानी पर जीवित है. उसकी मांग है कि जिस शख्स ने उसे सिक्योरिटी पर रखवाया था, वह यहां पर आए और उसकी सैलरी दे, नहीं तो वह ऐसे ही बैठा रहेगा.

आचनक इंजीनियर के खाते में आए 19 लाख रुपये, हुआ मालामाल, जानें अब रो-रोकर क्यों है बुरा हाल

शिवपुरी शहर के रहने वाले एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के साथ 21 लाख की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. सॉफ्टवेयर इंजीनियर के शिक्षक पिता ने शुक्रवार को इसकी शिकायत कोतवाली सहित एसपी ऑफिस में दी. कोतवाली क्षेत्र के शिव शक्ति नगर के रहने वाले शिक्षक नगेंद्र रघुवंशी ने बताया कि उसका बेटा नितांत रघुवंशी सॉफ्टवेयर इंजीनियर है जो दिल्ली में रहकर नौकरी कर रहा है. वह कुछ रोज पहले ही छुट्टी लेकर घर आया था.

शिक्षक ने बताया कि उसके बेटे ने पुणे की एक सॉफ्टवेयर कंपनी को एक सॉफ्टवेयर ऑर्डर किया था. इस सॉफ्टवेयर को खरीदने के लिए उसने छोटे-मोटे लेनदेन में क्रेडिट कार्ड और बैंक खाते का इस्तेमाल किया था, लेकिन कंपनी के द्वारा उसे सॉफ्टवेयर भी उपलब्ध नहीं हुआ है.

रघुवंशी ने बताया कि इसके बाद उसके क्रेडिट कार्ड और बैंक खाते के द्वारा फ्री अप्रूव लोन के जरिये कुल 21.46 लाख रुपये की राशि काट ली गई. शिक्षक ने बताया कि बेटे के क्रेडिट कार्ड और बैंक खाते में पहले 19 लाख का लोन पास कराने के बाद राशि को बेटे के ही खाते में डाला गया. फिर उस राशि को अलग अलग खातों में ट्रांसफर कर दिया गया है. इसके अतिरिक्त बेटे के खाते में 2 लाख रुपये की राशि भी जमा थी. वह राशि भी ऑनलाइन निकाल ली  गई है.

नगेन्द्र रघुवंशी ने कहा कि बेटे के खाते और क्रेडिट कार्ड के साथ धोखाधड़ी कर जिन खातों में पैसा ट्रांसफर किया गया है, उसकी जानकारी के साथ इसकी शिकायत एसपी सहित कोतवाली में दर्ज कराई है.

दुश्मन को पलक झपकते मार गिराने वाले कमांडो क्यों नहीं पहनते अंडरवियर? जानें 65 साल पहले लड़ाई में ऐसा क्या हुआ था

कमांडो यानी सबसे खूंखार और एलीट सैनिक. दुनिया की हर फौज में इनकी खास जगह और रुतबा है. एक से बढ़कर एक अत्याधुनिक हथियार चलाने से लेकर ‘हैंड टू हैंड’ कॉम्बैट (बिना हथियार हाथ से लड़ाई) में दक्ष कमांडोज, अपने दुश्मन को पलक झपकते खत्म कर सकते हैं. ये जमीन से लेकर आसमान तक लड़ाई में माहिर होते हैं और अमूमन तब मोर्चा संभालते हैं, जब सामान्य फौज पीछे हट जाती है. ज्यादातर इन्हें ‘स्पेशल ऑपरेशन’ का जिम्मा सौंपा जाता है.

दुनिया के तमाम देशों में कमांडो को भले ही अलग-अलग नाम से जाना जाता हो लेकिन काम लगभग एक जैसा ही है. एक और बात कॉमन है- वो ये कि कमांडोज स्पेशल ऑपरेशन के दौरान अंडरवियर नहीं पहनते.

क्यों अंडरवियर नहीं पहनते कमांडो?

तो आखिर क्या वजह है जो सबसे खूंखार माने जाने वाले कमांडोज अंडरवियर नहीं पहनते? इसकी सबसे चर्चित वजह 1970 के दशक के अमेरिका और वियतनाम युद्ध से जुड़ी है. अमेरिकी फौज ने जब वियतनाम पर हमला किया तो उन्हें बहुत दुरूह परिस्थितियों से गुजरना पड़ा. ऐसी स्थिति, जो अमेरिकी सैनिकों ने कभी देखी तक नहीं थी. अमेरिका के मुकाबले वियतनाम का मौसम बहुत गर्म था और लड़ाई ज्यादातर जंगलों में लड़ी जा रही थी.

दुनिया के तमाम देशों में कमांडो को भले ही अलग-अलग नाम से जाना जाता हो लेकिन काम लगभग एक जैसा ही है. एक और बात कॉमन है- वो ये कि कमांडोज स्पेशल ऑपरेशन के दौरान अंडरवियर नहीं पहनते.

क्यों अंडरवियर नहीं पहनते कमांडो?

तो आखिर क्या वजह है जो सबसे खूंखार माने जाने वाले कमांडोज अंडरवियर नहीं पहनते? इसकी सबसे चर्चित वजह 1970 के दशक के अमेरिका और वियतनाम युद्ध से जुड़ी है. अमेरिकी फौज ने जब वियतनाम पर हमला किया तो उन्हें बहुत दुरूह परिस्थितियों से गुजरना पड़ा. ऐसी स्थिति, जो अमेरिकी सैनिकों ने कभी देखी तक नहीं थी. अमेरिका के मुकाबले वियतनाम का मौसम बहुत गर्म था और लड़ाई ज्यादातर जंगलों में लड़ी जा रही थी.

वियतनाम वॉर खत्म हुआ और अमेरिकी सैनिक वापस लौटे तो अमेरिकी मिलिट्री स्कूल में को ‘गो कमांडो’ मुहावरा खूब चर्चित हुआ.

दूसरा किस्सा

एक और किस्सा 1982 के फॉकलैंड्स वॉर से जुड़ा है. ब्रिटेन के रॉयल मरीन कमांडोज ने जब फॉकलैंड पर हमला किया तो उन्होंने कुछ ऐसा खा लिया, जिससे ज्यादातर सैनिक डायरिया की चपेट में आ गए. आला अफसरों के लिए यह बड़ी मुसीबत बन गया. सैनिकों को कहा गया कि बार-बार पैंट खोलने की झंझट से बचने के लिए बिना अंडरवियर ही रहें. इससे लड़ाई पर भी ध्यान दे पाएंगे.

तीसरा किस्सा

कमांडोज (Commando) के अंडरवियर न पहने से जुड़ा एक और किस्सा है, जो द्वितीय विश्व युद्ध से जुड़ा है. सेकेंड वर्ल्ड वॉर (Second World War) में अमेरिकी और ब्रिटिश कमांडोज, जमीन के साथ-साथ पानी में भी लड़ रहे थे. ऐसे में बार-बार अंडरवियर सुखाना संभव नहीं था. दूसरा, इंफेक्शन और जलन जैसी समस्याएं तो थी हीं. इससे बचने के लिए अंडरवियर पहनना ही छोड़ दिया. धीरे-धीरे दूसरे सैनिकों के बीच भी यह खासा लोकप्रिय हो गया.

सीरियल से चर्चित हो गया मुहावरा

अंग्रेजी का मुहावरा ‘गो कमांडो’ भी यहीं से आया है. साल 1996 में टीवी के चर्चित सीरियल ‘फ्रेंड्स’ में इस मुहावरे का पहली बार इस्तेमाल हुआ और इसके बाद यह धीरे-धीरे चर्चित होता चला गया. अब हॉलीवुड की तमाम फिल्मों, वेब सीरीज में इस मुहावरे का धड़ल्ले से इस्तेमाल मिल जाएगा.

कमांडोज की मजबूरी भी

रिपोर्ट के मुताबिक चूंकि स्पेशल फोर्सेज या कमांडोज अक्सर हफ्ते या महीनों तक ऑपरेशन में शामिल रहते हैं. कभी जंगल तो कभी पहाड़, कभी पानी और कभी उमस वाले माहौल में ऑपरेशन को अंजाम देते हैं. अक्सर बैठे-बैठे या रेंगते हुए दुश्मन तक पहुंचना पड़ता है. इस माहौल में अंडरवियर के चलते इंफेक्शन का खतरा तो रहता ही है. दूसरा- ऑपरेशन के दौरान उन्हें नहाने-धोने का वक्त नहीं मिलता. बैकपैक में इतनी जगह नहीं होती कि अंडरवियर जैसी चीज कैरी कर सकें. बहुत महत्वपूर्ण और जीवनरक्षक चीजें ही ले जाने की इजाजत मिलती है.

क्या कभी नहीं पहनते अंडरवियर?

यह ऑपरेशन के ड्यूरेशन पर निर्भर करता है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अगर कोई ऑपरेशन शॉर्ट ड्यूरेशन यानी कम समय का है तो कमांडोज अंडरवियर कैरी सकते हैं, लेकिन ऐसा लग रहा है कि ऑपरेशन लंबा खिंचेगा या युद्ध जैसी स्थिति है तो अंडरवियर न पहनने की सलाह दी जाती है.

समय के साथ बदलाव भी

हालांकि समय के साथ-साथ कमांडोज की ड्रेस बदलती रही है, जिसमें अंडरवियर भी शामिल है. अमेरिका से लेकर यूरोप तक स्पेशल फोर्सेज के लिए अब खास तरह के शॉर्ट्स या अंडरवियर बनने लगे हैं, जो लाइक्रा के बने होते हैं. ये अंडरवियर पसीना सोख लेते हैं और एंटी फंगल होते हैं. ऐसे में इंफेक्शन वगैरह का खतरा बहुत कम होता है.