कमांडो यानी सबसे खूंखार और एलीट सैनिक. दुनिया की हर फौज में इनकी खास जगह और रुतबा है. एक से बढ़कर एक अत्याधुनिक हथियार चलाने से लेकर ‘हैंड टू हैंड’ कॉम्बैट (बिना हथियार हाथ से लड़ाई) में दक्ष कमांडोज, अपने दुश्मन को पलक झपकते खत्म कर सकते हैं. ये जमीन से लेकर आसमान तक लड़ाई में माहिर होते हैं और अमूमन तब मोर्चा संभालते हैं, जब सामान्य फौज पीछे हट जाती है. ज्यादातर इन्हें ‘स्पेशल ऑपरेशन’ का जिम्मा सौंपा जाता है.

दुनिया के तमाम देशों में कमांडो को भले ही अलग-अलग नाम से जाना जाता हो लेकिन काम लगभग एक जैसा ही है. एक और बात कॉमन है- वो ये कि कमांडोज स्पेशल ऑपरेशन के दौरान अंडरवियर नहीं पहनते.

क्यों अंडरवियर नहीं पहनते कमांडो?

तो आखिर क्या वजह है जो सबसे खूंखार माने जाने वाले कमांडोज अंडरवियर नहीं पहनते? इसकी सबसे चर्चित वजह 1970 के दशक के अमेरिका और वियतनाम युद्ध से जुड़ी है. अमेरिकी फौज ने जब वियतनाम पर हमला किया तो उन्हें बहुत दुरूह परिस्थितियों से गुजरना पड़ा. ऐसी स्थिति, जो अमेरिकी सैनिकों ने कभी देखी तक नहीं थी. अमेरिका के मुकाबले वियतनाम का मौसम बहुत गर्म था और लड़ाई ज्यादातर जंगलों में लड़ी जा रही थी.

दुनिया के तमाम देशों में कमांडो को भले ही अलग-अलग नाम से जाना जाता हो लेकिन काम लगभग एक जैसा ही है. एक और बात कॉमन है- वो ये कि कमांडोज स्पेशल ऑपरेशन के दौरान अंडरवियर नहीं पहनते.

क्यों अंडरवियर नहीं पहनते कमांडो?

तो आखिर क्या वजह है जो सबसे खूंखार माने जाने वाले कमांडोज अंडरवियर नहीं पहनते? इसकी सबसे चर्चित वजह 1970 के दशक के अमेरिका और वियतनाम युद्ध से जुड़ी है. अमेरिकी फौज ने जब वियतनाम पर हमला किया तो उन्हें बहुत दुरूह परिस्थितियों से गुजरना पड़ा. ऐसी स्थिति, जो अमेरिकी सैनिकों ने कभी देखी तक नहीं थी. अमेरिका के मुकाबले वियतनाम का मौसम बहुत गर्म था और लड़ाई ज्यादातर जंगलों में लड़ी जा रही थी.

वियतनाम वॉर खत्म हुआ और अमेरिकी सैनिक वापस लौटे तो अमेरिकी मिलिट्री स्कूल में को ‘गो कमांडो’ मुहावरा खूब चर्चित हुआ.

दूसरा किस्सा

एक और किस्सा 1982 के फॉकलैंड्स वॉर से जुड़ा है. ब्रिटेन के रॉयल मरीन कमांडोज ने जब फॉकलैंड पर हमला किया तो उन्होंने कुछ ऐसा खा लिया, जिससे ज्यादातर सैनिक डायरिया की चपेट में आ गए. आला अफसरों के लिए यह बड़ी मुसीबत बन गया. सैनिकों को कहा गया कि बार-बार पैंट खोलने की झंझट से बचने के लिए बिना अंडरवियर ही रहें. इससे लड़ाई पर भी ध्यान दे पाएंगे.

तीसरा किस्सा

कमांडोज (Commando) के अंडरवियर न पहने से जुड़ा एक और किस्सा है, जो द्वितीय विश्व युद्ध से जुड़ा है. सेकेंड वर्ल्ड वॉर (Second World War) में अमेरिकी और ब्रिटिश कमांडोज, जमीन के साथ-साथ पानी में भी लड़ रहे थे. ऐसे में बार-बार अंडरवियर सुखाना संभव नहीं था. दूसरा, इंफेक्शन और जलन जैसी समस्याएं तो थी हीं. इससे बचने के लिए अंडरवियर पहनना ही छोड़ दिया. धीरे-धीरे दूसरे सैनिकों के बीच भी यह खासा लोकप्रिय हो गया.

सीरियल से चर्चित हो गया मुहावरा

अंग्रेजी का मुहावरा ‘गो कमांडो’ भी यहीं से आया है. साल 1996 में टीवी के चर्चित सीरियल ‘फ्रेंड्स’ में इस मुहावरे का पहली बार इस्तेमाल हुआ और इसके बाद यह धीरे-धीरे चर्चित होता चला गया. अब हॉलीवुड की तमाम फिल्मों, वेब सीरीज में इस मुहावरे का धड़ल्ले से इस्तेमाल मिल जाएगा.

कमांडोज की मजबूरी भी

रिपोर्ट के मुताबिक चूंकि स्पेशल फोर्सेज या कमांडोज अक्सर हफ्ते या महीनों तक ऑपरेशन में शामिल रहते हैं. कभी जंगल तो कभी पहाड़, कभी पानी और कभी उमस वाले माहौल में ऑपरेशन को अंजाम देते हैं. अक्सर बैठे-बैठे या रेंगते हुए दुश्मन तक पहुंचना पड़ता है. इस माहौल में अंडरवियर के चलते इंफेक्शन का खतरा तो रहता ही है. दूसरा- ऑपरेशन के दौरान उन्हें नहाने-धोने का वक्त नहीं मिलता. बैकपैक में इतनी जगह नहीं होती कि अंडरवियर जैसी चीज कैरी कर सकें. बहुत महत्वपूर्ण और जीवनरक्षक चीजें ही ले जाने की इजाजत मिलती है.

क्या कभी नहीं पहनते अंडरवियर?

यह ऑपरेशन के ड्यूरेशन पर निर्भर करता है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अगर कोई ऑपरेशन शॉर्ट ड्यूरेशन यानी कम समय का है तो कमांडोज अंडरवियर कैरी सकते हैं, लेकिन ऐसा लग रहा है कि ऑपरेशन लंबा खिंचेगा या युद्ध जैसी स्थिति है तो अंडरवियर न पहनने की सलाह दी जाती है.

समय के साथ बदलाव भी

हालांकि समय के साथ-साथ कमांडोज की ड्रेस बदलती रही है, जिसमें अंडरवियर भी शामिल है. अमेरिका से लेकर यूरोप तक स्पेशल फोर्सेज के लिए अब खास तरह के शॉर्ट्स या अंडरवियर बनने लगे हैं, जो लाइक्रा के बने होते हैं. ये अंडरवियर पसीना सोख लेते हैं और एंटी फंगल होते हैं. ऐसे में इंफेक्शन वगैरह का खतरा बहुत कम होता है.


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