मुजफ्फरपुर : कभी लालू प्रसाद ने आरजेडी को ‘MY’ यानी मुसलमान और यादव की पार्टी बताया था, लेकिन अब उनके बेटे तेजस्वी यादव ने एक कदम और बढ़ाते हुए पार्टी का नया समीकरण किया है. जनविश्वास यात्रा के दौरान मुजफ्फरपुर में जनसभा को संबोधित करते हुए तेजस्वी यादव ने आरजेडी को MY के साथ-साथ BAAP की पार्टी बताया है।

‘MY’ के साथ-साथ ‘BAAP’ की पार्टी : पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने मुजफ्फरपुर के कुढ़नी में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि, छल-कपट से उनको सत्ता से बेदखल करने का काम किया गया है. मैं आप लोगों को बताने आया हूं, कि तेजस्वी यादव आज मुजफ्फरपुर में आपकी लड़ाई लड़ने के लिए आया है. यहां तेजस्वी ने अपनी पार्टी को बाप की पार्टी बताया और इसका मतलब भी समझाया।

”लोग कहते हैं कि आरजेडी माई (मुस्लिम-यादव) की पार्टी है, लेकिन हम कहते हैं कि माई (MY) के साथ हमारी पार्टी बाप की भी पार्टी है. बाप (BAAP) यानी B से बहुजन, A से अगड़ा, A से आधी-आबादी यानी महिलाएं और P से गरीब (POOR) की पार्टी है.” – तेजस्वी यादव, नेता, आरजेडी

तेजस्वी के बयान पर प्रतिक्रिया : तेजस्वी के बाप (बहुजन, अगड़ा, आधी आबादी और गरीब) की पार्टी बताने पर बीजेपी के विधायक हरि भूषण ठाकुर बचौल ने कहा आरजेडी भाई-बहन की पार्टी है. तेजस्वी के बयान पर जदयू नेता अशोक चौधरी ने भी पलटवार कर कहा है कि तेजस्वी की कथनी और करनी में है भारी अंतर है. सभी जाति-धर्म के लोगों के लिए उनकी सोच ठीक नहीं है।

तेजस्वी के BAAP का समीकरण? : हाल ही में हुई बिहार की जातीय गणना के आधार पर देखें तो पहले MY समीकरण यानी मुस्लिम और यादव की आबादी 31% ठहरती है. जबकि बहुजन की आबादी 21%, अगड़ा की संख्या लगभग 15% और आधी आबादी की कुल संख्या लगभग 5 करोड़ है. जबकि गरीब की संख्या बिहार में 95 लाख है. ऐसे में तेजस्वी यादव ने MY के साथ BAAP जोड़कर हर वर्ग को टच करने की कोशिश अपनी यात्रा के जरिए कर दी है. हालांकि बीजेपी इस आंकड़े की हकीकत आरजेडी सुप्रीमो द्वारा दिये गए नारे की भी याद दिला रही है।

जब लालू ने दिया था भूरा बाल साफ करो का नारा : कभी लालू यादव ने भूरा बाल (भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण, लाला) साफ करो का नारा दिया था. लालू यादव अपने कोर वोट बैंक एम-वाई (मुस्लिम-यादव) पर ही ज्यादा विश्वास किया करते थे. वहीं, अब तेजस्वी एक तरफ लालू-राबड़ी के शासनकाल में हुई गलतियों के लिए माफी मांगते रहे हैं तो दूसरी तरफ पार्टी के जातीय समीकरण को बदलने की कोशिश कर रहे हैं।

तेजस्वी के BAAP फॉर्मूले पर अटैक : JDU नेता अशोक चौधरी ने कहा है की अगर राजद ऐसा कर ले तो अच्छी बात है. लेकिन तेजस्वी की कथनी और करनी में बहुत अंतर है. आप याद कीजिए जब वो सरकार में थे, तो सुधाकर सिंह और कार्तिक सिंह दो सवर्ण कोटे से मंत्री बने थे और जब वो हटाए गए तो राजद ने किसी सवर्ण को मौका नहीं दिया।

”हमारे पार्टी से जब मांझी जी के बेटे ने इस्तीफा दिया हमारे नेता नीतीश जी ने फौरन अनुसूचित जाति समाज के लोगों को बुलाकर मंत्री बनाया. ये एक सोच होती है. ऐसी सोच तो तेजस्वी में कभी नहीं दिखी. फिर कैसे कहते है की सभी जाति के लिए वो एक समान नजरिया रखते हैं.”- अशोक चौधरी, पूर्व मंत्री, बिहार

‘2024 में तेजस्वी का खाता तक नहीं खुलेगा’ : वहीं BJP के पूर्व मंत्री और विधायक रामसूरत राय ने तेजस्वी की जन विश्वास यात्रा को ‘जन विश्वास घात यात्रा’ बताया है रामसूरत राय ने कहा कि ”बजट सत्र चल रहा है और इसे छोड़कर जनता के बीच गए हैं.” तेजस्वी यादव की जन्म विश्वास यात्रा का लोकसभा चुनाव पर कितना असर पड़ेगा? इसपर रामसूरत राय ने कहा कि ”बिहार में 2019 में लोकसभा चुनाव में राजद का खाता तक नहीं खुला था. इस बार भी खाता खुलने वाला नहीं है.”

‘MY से M गायब’ : AIMIM प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने कहा कि ”विश्वास अब कहा है? आरजेडी एमवाई की पार्टी कहती थी लेकिन अब MY में से M गायब हो चुका है. तेजस्वी यादव ने सीमांचल डेवलपमेंट काउंसिल बनाने का वादा किया था. लेकिन सरकार में रहने के बाद भी अपना वादा पूरा नहीं किया. सीमांचल सबसे पिछड़ा इलाका है. लेकिन सरकार का उस पर ध्यान नहीं है. यही नहीं लगातार उनकी पार्टी नेताओं की हत्या की जा रही है.”

2020 बिहार विधानसभा चुनाव : बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी ने 144 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. जिसमें माई (मुस्लिम-यादव) समीकरण का ध्यान रखते हुए 17 मुसलमानों को टिकट दिया था, यानी 12 फीसदी. वहीं 58 यादव कैंडिंडेट उतारे थे, यानी 4 फीसदी।

सीमांचल.. लालू के MY समीकरण की प्रयोगशाला रहा : वहीं बिहार का सीमांचल हमेशा से लालू यादव के माई समीकरण की प्रयोगशाला रहा है. सीमांचल में लोकसभा की चार सीटें हैं, वहीं विधानसभा की 24 सीटें हैं. यहां करीब 60 लाख मुस्लिम मतदाता ज्यादातर सीटों पर निर्णायक भूमिका में हैं. सीमांचल में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का दबदबा है. इस क्षेत्र में यादव मतदाता भी अच्छी खासी संख्या में है. इसलिए सीमांचल को लालू यादव के माई समीकरण की प्रयोगशाला कहा जाता रहा है।

जनता के बीच तेजस्वी : बिहार विधानसभा का बजट सत्र अभी चल रहा है और तेजस्वी यादव बजट सत्र की कार्यवाही में भाग नहीं ले रहे हैं. 17 महीने नीतीश कुमार के साथ सरकार में रहे और उन कामों को लेकर जनता के बीच गए हैं. नीतीश कुमार और बीजेपी पर अपनी जन विश्वास यात्रा में लगातार हमला कर रहे हैं. तो इधर तेजस्वी के गायब रहने पर बीजेपी और एनडीए के घटक दल मुद्दा बना रहे हैं।