दानापुर रेल मंडल के अंतर्गत बक्सर रेलवे स्टेशन पर बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां नियमित ठहराव वाली एक ट्रेन को प्लेटफार्म की बजाय मेन लाइन पर लाकर खड़ा कर दिया गया। सामान्य तौर पर ट्रेन संख्या 02351 पटना-आनंद विहार सुपरफास्ट स्पेशल को अप में प्लेटफार्म संख्या दो पर खड़ा होना था।

प्लेटफार्म नंबर दो के व्यस्त रहने पर यह ट्रेन तीन नंबर पर खड़ी होती। लेकिन, संबंधित कर्मचारी ने ट्रेन को प्लेटफार्म पर ले जाने वाली लूप लाइन की बजाय थ्रू लाइन पर जाने का प्वाइंट बना दिया। इससे यह ट्रेन प्लेटफार्म नंबर एक और दो के बीच मेन लाइन पर जाकर खड़ी हो गई।

इससे ट्रेन में सवार होने और उतरने वाले यात्रियों में अफरातफरी मच गई। इधर, रेलवे अधिकारियों के भी हाथ-पांव फूलने लगे। बाद में किसी तरह यात्री प्लेटफार्म से नीचे उतरकर मेन लाइन तक पहुंचे और किसी तरह ट्रेन में सवार हुए। ऐसी ही परेशानी ट्रेन से उतरने वालों को भी हुई।

दो की बजाय 10 मिनट रुकी ट्रेन

यह ट्रेन अपने निर्धारित समय शाम चार बजे की बजाय पांच मिनट की देरी से पटना जंक्शन से खुली थी। दानापुर से 23 मिनट और आरा से 50 मिनट विलंब से खुलने के बाद यह ट्रेन एक घंटे तीन मिनट की देरी से शाम 6.28 बजे बक्सर स्टेशन पहुंची।

परिचालन विभाग की ओर से बड़ी गलती को देखते हुए यह ट्रेन दो मिनट की बजाय 10 मिनट तक बक्सर में ही खड़ी रही। नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कुछ अधिकारियों ने बताया कि यात्रियों की सहूलियत के लिए ऐसा किया गया।

स्टेशन प्रबंधक राजन कुमार ने बताया कि उन्हें इस बारे में पता नहीं है। स्टेशन पर तैनात कर्मचारियों से पूछकर ही बता पाएंगे। इसके बाद कई बार काल करने पर भी उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया।

आधा घंटे तक डुमरांव में रुकी रही श्रमजीवी

डुमरांव रेलवे स्टेशन की पश्चिमी गुमटी के पास भीषण जाम के कारण श्रमजीवी एक्सप्रेस रविवार को आधे घंटे तक खड़ी रही। यह ट्रेन 41 मिनट की देरी से दोपहर 12.42 बजे डुमरांव पहुंची थी। इस वक्त पश्चिमी गुमटी पर भीषण जाम लगा था।

इससे कुछ ही देर पहले राजेंद्रनगर-लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस बक्सर की तरफ रवाना हुई थी। इस ट्रेन के जाते ही पश्चिमी गुमटी पर वाहनों का तांता लग गया। जब काफी कोशिशों के बाद भी गेटमैन गेट बंद करने में असमर्थ रहा, तो जीआरपी ने आकर मदद की।

इसके बाद गुमटी बंद हुई और ट्रेन दोपहर 1.13 मिनट पर आगे रवाना हुई। इधर, रेलवे के कुछ अधिकारियों ने बताया कि आगे लोकमान्य तिलक के फंसा होने के कारण श्रमजीवी को खोलने में देरी हुई।