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कैंसर देखभाल के क्षेत्र में चुनौतियों से पार पाने के लिए भौतिक विज्ञान के विशेषज्ञों ने किया विचार-विमर्श

राजीव गांधी कैंसर संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र (आरजीसीआईआरसी) ने एसोसिएशन ऑफ मेडिकल फिजिसिस्ट्स ऑफ इंडिया (उत्तरी भाग) के 29वें वार्षिक सम्मेलन का सफलतापूर्वक आयोजन किया।

एडवांस्ड मेडिकल फिजिक्स के नजरिए से “तकनीकी विकास: कैंसर देखभाल के क्षेत्र में जड़ों का भविष्य से जुड़ाव” (टेक्नोलॉजिकल एडवांसेज: कनेक्टिंग रूट्स टू फ्यूचर इन कैंसर केयर) विषय पर आयोजित कार्यक्रम भारत में बढ़ते कैंसर की समस्या को सुलझाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल थी।

सम्मेलन ने अत्याधुनिक तकनीकों और नवीन अनुसंधान के माध्यम से कैंसर देखभाल में क्रांति लाने के लिए भौतिक विज्ञानियों की भूमिका पर प्रकाश डाला। भारत में कैंसर के बढ़ते मामलों के देखते हुए परीक्षण शुद्धता और ईलाज की प्रभावकारिता में वृद्धि के लिए नई तकनीकों और सटीक एवं प्रभावशाली तौर-तरीकों के उपयोग पर जोर दिया गया।

एम्स और आईआईटी दिल्ली सहित दुनियाभर के अग्रणी संस्थानों के सुप्रसिद्ध वक्ताओं ने कैंसर विज्ञान के क्षेत्र में उन्नति और बेहतरीन भविष्य पर जानकारियां साझा की। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के प्रोफेसर और अतिथि वक्ता डॉ डी एस मेहता ने एडवांस्ड डायग्नोस्टिक टूल्स में ऐसे संयुक्त अनुसंधान की जानकारी साझा की, जिसमें कैंसर के शीघ्र पता लगाने के लिए कृत्रिम मेधा के साथ ऑप्टिकल इमेजिंग का उपयोग किया जाता है।

वहीं मुख्य अतिथि और जीबी पंत अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ अनिल अग्रवाल ने कैंसर के मरीजों के लिए बेहतर होते परिणामों में भौतिक विज्ञानियों की महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला। “कैंसर के विरुद्ध हमारी लड़ाई में भौतिक विज्ञानियों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है, खासकर तब जब हम भारत में इस बीमारी की बाढ़ सी देख रहे हैं,”।

आयोजन समिति के चेयरमैन और आरजीसीआईआरसी में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के डायरेक्टर डॉ मुनीश गैरोला ने कार्यक्रम की सफलता पर संतोष व्यक्त किया। “इस सम्मेलन ने न केवल मेडिकल फिजिक्स के क्षेत्र के मंचों के लिए नये मापदंड स्थापित किये हैं, बल्कि तकनीकी नवाचार से भारत में कैंसर के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए स्पष्ट, कार्यवाई योग्य रणनीतियों की रूपरेखा प्रदान की है।

नवाचार के प्रति हमारी सम्मिलित विशेषज्ञता और प्रतिबद्धता न केवल आज की हमारे समक्ष चुनौतियों का समाधान कर रही है, बल्कि हम एक ऐसे भविष्य का निर्माण कर रहे हैं, जिसमें उन्नत, सटीक और सहानुभूतिपूर्ण देखभाल आम होंगी,” उन्होंने कहा।
दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान परीक्षण प्रक्रियाओं में एआई के साथ एकीकरण से लेकर प्रोटॉन थेरेपी से जुड़ी नवीनतम प्रगति और हाई-प्रिसिजन रेडियोथेरेपी तकनीकों आदि कई मुद्दों पर चर्चा हुई।

इन विचार-विमर्शों में कैंसर के ईलाज के लिए बहुमुखी प्रणाली की आवश्यकता को रेखांकित किया, यानि पूरे भारत में मरीजों के लिए बेहतर परिणामों हेतु परंपरागत मेडिकल प्रेक्टिसों के साथ भविष्य की तकनीकों का मिश्रण।

एएमपीआई-एनसी के चेयरमैन और एलएलआरएम मेरठ में मेडिकल फिजिक्स के प्रोफेसर डॉ अजय श्रीवास्तव ने जोड़ते हुए कहा, “इस सम्मेलन ने फिर से कैंसर के ईलाज में मेडिकल फिजिक्स की महत्वपूर्ण भूमिका को अग्रिम पंक्ति के रक्षक के तौर पर स्थापित किया है।

इस क्षेत्र के सबसे प्रतिभाशाली विशेषज्ञों के इस सम्मेलन में हमारी चर्चा परंपरागत सीमाओं को पार कर गई, जिसमें कैंसर की देखभाल की दिशा में नये रास्तों के निर्माण के लिए अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी और क्लीनिकल सटीकता का विलय दिखा। यहां पर दिखी जबरदस्त सहभागिता और समृद्ध परिचर्चा न केवल हमारे मिशन को सुदृढ़ किया है, बल्कि नवाचार और सहयोग के माध्यम से मरीजों के लिए परिणामों का परिदृश्य बदलने के हमारे सामूहिक संकल्प को नई ऊर्जा प्रदान की है।”

एएमपीआई-एनसी के प्रेजिडेंट डॉ एम के सेमवाल ने भी कैंसर की जांच-पड़ताल और उपचार में आयनित विकिरण के सुरक्षित एवं सटीक इस्तेमाल को सुनिश्चित करने के लिए मेडिकल फिजिसिस्टों की महत्वपूर्ण भूमिका की प्रशंसा की।

चीफ मेडिकल फिजिसिस्ट एवं रेडिएशन सेफ्टी ऑफिसर (आरएसओ) और एएमपीआई-एनसी कॉन 2024 की आयोजन समिति के सेक्रेटरी डॉ मनिंद्र भूषण मिश्रा ने कार्यक्रम में उत्साहपूर्वक भाग लेने के लिए मेडिकल फ्रैटर्निटी को धन्यवाद प्रेषित करते हुए कहा, “हम सब यहां से प्राप्त ज्ञान और गहन जानकारी को मरीजों की सेवा में उपयोग, भौतिक विज्ञान में नई पहलें और कैंसर के क्षेत्र की उन्नति की दिशा में योगदान करने के लिए सामूहिक प्राण करते हैं।”

सम्मेलन ने एक सहयोगी हब के रूप में भी काम किया, जिसने सम्बन्ध स्थापित किए और कैंसर से अधिक प्रभावी ढंग से निपटने के उद्देश्य से भविष्य की साझेदारियों के लिए मंच तैयार किया। विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों की भागीदारी के साथ इस कार्यक्रम में आधुनिक चिकित्सा उपचार की अंतर्विषयक प्रकृति और कैंसर से निपटने के लिए आवश्यक वैश्विक प्रयासों पर प्रकाश डाला गया।

मेडिकल फिजिक्स समाज की ऊर्जा से प्रभावित होकर एएमपीआई-एनसी कॉन 2024 की समाप्ति पर राजीव गांधी कैंसर संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र (आरजीसीआईआरसी) ने कैंसर देखभाल के क्षेत्र में उन्नति लाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। इस सम्मेलन से प्राप्त अंतर्दृष्टि से कैंसर उपचार प्रोटोकॉल को प्रभावित करने और नई शोध पहलों का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है, जिससे भारत के बढ़ते कैंसर संकट से निपटने में सहायता मिलेगी।

एएमपीआई-एनसी कॉन 2024 और भविष्य के कार्यक्रमों पर अधिक जानकारी के लिए कृपया www.rgcirc.org पर जायें।

आरजीसीआईआरसी के बारे में:

वर्ष 1996 में स्थापित हुआ राजीव गांधी कैंसर संस्थान और अनुसंधान केंद्र कैंसर के इलाज के लिए एशिया के प्रमुख अद्वितीय केंद्रों में गिना जाता है, जहां सुप्रसिद्ध सुपर स्पेशलिस्टों के देखरेख में अत्याधुनिक तकनीकों से विशिष्ट इलाज किया जाता है।

लगभग 2 लाख वर्ग फुट में फैले और नीति बाग में एक और सुविधा के साथ रोहिणी में 500+ बिस्तरों की वर्तमान क्षमता के साथ आरजीसीआईआरसी महाद्वीप के सबसे बड़े टर्टियरी कैंसर देखभाल केंद्रों में से एक है।

साढ़े तीन लाख (3.5) से ज्यादा मरीजों के सफल इलाज के ट्रैक रिकॉर्ड के साथ, संस्थान में अपनी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ तकनीकें जैसे पूरे शरीर की रोबोटिक सर्जरी, साइबर नाइफ, टोमोथेरेपी, ट्रू बीम (अगली पीढ़ी की इमेज गाइडेड रेडिएशन थेरेपी), इंट्रा-ऑपरेटिव ब्रैकीथेरेपी, पीईटी-एमआरआई फ्यूजन और अन्य उपलब्ध हैं।

आरजीसीआईआरसी में थ्री स्टेज एयर फिल्ट्रेशन और गैस स्केवेंजिंग सिस्टम के साथ 14 अत्याधुनिक सुसज्जित मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर और और डे-केयर सर्जरी के लिए 3 माइनर ऑपरेशन थिएटर हैं। संस्थान को लगातार भारत के सर्वश्रेष्ठ ऑन्कोलॉजी अस्पतालों में घोषित किया जाता रहा है और इसे कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।

केरल में चिकनपॉक्स का आतंक, 6 हजार से ज्यादा सामने आए मामले, जानें लक्षण और बचाव

केरल में चिकनपॉक्स के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।मामले इतने तेजी से बढ़ रहे हैं कि अब तक प्रदेश में 6 हजार से अधिक केस सामने आ गए हैं।

केरल में चिकनपॉक्स के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और जिस तरह से मामले बढ़ रहे हैं. यह देख वहां के लोग दहशत में आ गए हैं. आपको बता दें कि राज्य में अब 6 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. 9 लोगों की मौत की खबर है. मामले बढ़ते देख प्रशासन के बीच हड़कंप मच गया है और प्रशासन इसे रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है. राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश में अलर्ट घोषित कर दिया है. साथ ही मरीजों को हरसंभव इलाज उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है. प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि अगर उन्हें चिकन पॉक्स के जरा भी लक्षण दिखें तो तुरंत अस्पताल जाएं ताकि उन्हें जल्द से जल्द इलाज मिल सके।

बच्चों पर ज्यादा अटैकिंग

अब सवाल यह है कि चिकनपॉक्स फैलता कैसे है? आपको बता दें कि इसकी शुरुआत में त्वचा पर चकत्ते और बुखार होता है. अगर ये लक्षण दस दिनों तक बना रहा तो समझ लें कि व्यक्ति चिकनपॉक्स का शिकार हो गया है. चिकनपॉक्स के मामले युवाओं या अधिक उम्र के लोगों की बजाय बच्चों में ज्यादा देखे जा रहे हैं. इस बचाव के लिए बच्चों को बचपन में ही चिकनपॉक्स का टीका लगाया जाता है ताकि बच्चे इस तरह की बीमारी की चपेट में न आएं।

क्या है चिकनपाक्स के लक्षण?

  • तेज बुखार होना
  • भूख नहीं लगना
  • एकदम से थकना
  • कमजोरी होना
  • शरीर में छोटे-छोटे दाने होना

क्या है इसके बचाव?

आइए इस गंभीर बीमारी से बचाव के बारे में भी जान लेते हैं. वर्तमान में, चिकनपॉक्स से बचाव के लिए एक टीका उपलब्ध है. यह टीका 12 से 15 महीने और 4 से 6 साल की उम्र में दिया जाता है. इसके अलावा, जिन वयस्कों को अभी तक चिकनपॉक्स के खिलाफ टीका नहीं लगाया गया है, वे डॉक्टर की सलाह पर टीका लगवा सकते हैं. यह संक्रमण चिकनपॉक्स के मरीज के संपर्क में आने से भी फैलता है इसलिए कोशिश करें कि जिन लोगों को चिकनपॉक्स हुआ हो उनके संपर्क में न आएं. साथ ही ये ध्यान रखें कि साफ-सफाई में कोई कमी नहीं होनी चाहिए, हाथ और पैर साबून से धोते रहे. खांसने, छींकने के बाद हाथ जरुर साफ करें. अगर साबुन नहीं है तो आप अपने साथ सैनिटाइजर रखें।

क्रिकेट खेलते खिलाड़ी की मौत, हार्ट अटैक से 25 साल के युवक की गई जान

घटना गुना जिले के बमोरी के फतेहगढ़ कस्बे की है।क्रिकेट टूर्नामेंट मैच में मृतक दीपक की टीम की बेटिंग चल रही थी, अगले बैटसमैन के रूप में तैयार दीपक खांडेकर बैटिंग का इंतजार कर रहा था,उसी दौरान उसकी तबीयत बिगड़ गई और वह ड्रेसिंग रूम में गिर पड़ा।

कहते है मौत किसी का इंतजार नहीं करती, जब और जहां उसे आनी होती है आ ही जाती है. कुछ ऐसा ही हुआ मध्य प्रदेश में है.जहां क्रिकेट खेल रहे एक खिलाड़ी की पिच पर ही मौत हो गई.  दीपक नाम के खिलाड़ी अपनी बैटिंग का इंतजार कर रहा था. उसे क्या पता कि मौत उसका इंतजार कर रही है. जैसे ही वह बैटिंग करने के लिए ड्रेसिंग रूम से पिच पर जाने ही वाला था कि उसकी तबीयत बिगड़ने लगी और वह ड्रेसिंग रूम में ही गिर गया. आनन फानन में वहां मौजूद खिलाड़ियों ने उसे उठाया. जब तक उसे अस्पताल ले जाते तबतक उसकी मौत हो गई. 25 साल के दीपक पूरी तरह से चुस्त दुरुस्त था।

घटना गुना जिले के बमोरी के फतेहगढ़ कस्बे की है. क्रिकेट टूर्नामेंट मैच में मृतक दीपक की टीम की बेटिंग चल रही थी, अगले बैटसमैन के रूप में तैयार दीपक खांडेकर बैटिंग का इंतजार कर रहा था, कब खिलाड़ी आउट हो मैं पिच पर जाकर बैटिंग करू, लेकिन किस को क्या पता था कि अगले पल क्या होने वाला है. ड्रेसिंग रूम में बैठा दीपक अपनी ही टीम के पिच पर खेल रहे दूसरे खिलाड़ी के आउट होने का इंतजार कर रहा था उसे क्या पता वो स्वयं ही अपनी जिंदगी से आउट हो जाएगा. पलक झपकते ही अचानक सीने में दर्द हुआ और मौत के मुंह में चला गया. वहां बैठे खिलाड़ी कुछ समझ पाते उससे पहले ही चारों तरफ अफरातफरी मच गई. तुरंत  उसे वाहन में रख कर नजदीक फतेहगढ़ अस्पताल ले गए. डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, महज दो माह पहले ही उसकी शादी हुई थी. रामपुर मोहालपुर कॉलोनी का रहने वाला दीपक एक निजी कंपनी में काम करता था, पिता कृषक हैं. घटना के बाद परिवार में मातम का माहौल है. परिवार समेत पूरा गांव सदमे में है।

देश के इस राज्य में मंकी फीवर का कहर, एक महिला की हुई मौत, जानें लक्षण

कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में मंकी फीवर का कहर जारी है। इससे गुरुवार को एक महिला की मौत हो गई। मंकी फीवर के नाम से मशहूर क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (केएफडी) से 65 वर्षीय महिला की मौत हो गई। यह जिले में मंकी फीवर से होने वाली पहली मौत है। स्वास्थ्य अधिकारी इसे लेकर चिंतित हैं, क्योंकि प्रभावी टीकाकरण अभी तक उपलब्ध नहीं है।

कर्नाटक में मंकी फीवर के मामले

सिद्दापुर कस्बे के निकट जिद्दी गांव की रहने वाली महिला की हालत बुधवार को गंभीर हो गई थी। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने हाल ही में तीन जिलों के विधायकों और अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की थी, जहां बीमारी के प्रकोप के कारण स्थिति चिंताजनक हो गई है। कर्नाटक में मंकी फीवर के 103 एक्टिव मामले हैं। अब तक दो मौतें हुई हैं, जिनमें से एक-एक चिक्कमगलुरु और शिवमोग्गा जिलों में है।

क्या है मंकी फीवर होने के लक्षण?

कर्नाटक सरकार ने प्रभावी टीकाकरण के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ बातचीत की है और अधिकारियों को जल्द ही टीकाकरण होने की उम्मीद है। जिन क्षेत्रों में बीमारी का पता चला है, वहां जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है। मंकी फीवर एक टिक-जनित वायरल रक्तस्रावी बीमारी है जो मनुष्यों और अन्य प्राइमेट्स के लिए घातक हो सकती है। केएफडी के लक्षण अचानक ठंड लगना, बुखार और सिरदर्द के साथ शुरू होते हैं। शुरुआती लक्षण के तीन-चार दिन बाद उल्टी, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण और रक्तस्राव की समस्याओं के साथ गंभीर मांसपेशियों में दर्द हो सकता है।

सर्वाइकल कैंसर से जूझ रहीं ये टीवी एक्ट्रेस नहीं ले पा रही सांस, अस्पताल में हुई भर्ती

‘देवों के देव…महादेव’ , ‘एक था राजा एक थी रानी’ और झनक जैसे शोज में अपनी एक्टिंग से लोगों का दिल जीतने वालीं डॉली सोही बीते कुछ समय से  सर्वाइकल कैंसर से जूझ रही हैं। इसकी वजह से एक्ट्रेस ने काम से भी ब्रेक ले लिया है। हालांकि वो सोशल मीडिया के जरिए फैंस से जुड़ी रहती हैं और आए दिन कोई न कोई पोस्ट शेयर कर चर्चा में बनी रहती हैं। इसी बीच अब डाॅली ने हाल ही में अपने इंस्टा पर एक पोस्ट शेयर किया है, जिसे पढ़ने के बाद उनके फैंस चिंतित नजर आ रहे हैं।

डाॅली को सांस लेने में हो रही दिक्कत

बीते दिनों मीडिया रिपोर्ट्स में डॉली सोही की टीम के हवाले से  बताया गया थी कि अभिनेत्री को सांस लेने में समस्या हो रही थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं, अब हाल ही में डॉली सोही ने खुद अपने इंस्टा पर एक पोस्ट शेयर कर अपना हेल्थ अपडेट दिया है। एक्ट्रेस ने पोस्ट शेयर करते हुए  फैंस और फ्रेंड्स से अपने लिए दुआ की अपील की है। एक्ट्रेस ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि-‘ दुआएं जादू का काम करती हैं इसलिए मैं चाहती हूं कि आप सब मेरे लिए दुआ करें।’ अब एक्ट्रेस का ये पोस्ट सोशल मीडिया पर चर्चा में है। हर कोई उनके इस पोस्ट पर काॅमेंट कर उनके जल्द से जल्द ठीक होने की  दुआ कर रहे हैं और उन्हें हिम्मत रखने के लिए कह रहे हैं।

डॉली सोही का वर्कफ्रंट

डॉली सोही के वर्कफ्रंट की बात करें तो उन्हें ‘भाभी’ और ‘कलश’ जैसे शो में मुख्य भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है। उन्होंने ‘मेरी आशिकी तुम से ही’ और ‘खूब लड़ी मर्दानी…झांसी की रानी’ से टेलीविजन पर वापसी की। इसके अलावा, अभिनेत्री ‘देवों के देव…महादेव’, ‘एक था राजा एक थी रानी’ में दिखाई दीं। वहीं आखिरी बारी उन्हें टीवी शो ‘झनक’ में देखा गया था।

धूम्रपान करने वाले हो जाएं सावधान , नहीं तो बन सकते है पॉपकॉर्न लंग्स का शिकार

पॉपकॉर्न लंग्स एक आम शैली में उपयोग किया जाने वाला शब्द है, जिसका वास्तविक नाम “ब्रोन्कोलिटिस ओबलिट्रान्स” है।इसका मुख्य कारण होता है धूम्रपान।

पॉपकॉर्न लंग्स एक आम शैली में उपयोग किया जाने वाला शब्द है, जिसका वास्तविक नाम “ब्रोन्कोलिटिस ओबलिट्रान्स” है. यह एक बीमारी है जो श्वास तंत्र को प्रभावित करती है और इसका मुख्य कारण होता है धूम्रपान.धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के लंग्स में लंबे समय तक पॉपकॉर्न या विभिन्न धूम्रधारी औषधियों के उपयोग का अधिकतम रुप से अधिक संपर्क. यह रोग श्वास की प्रणाली को अधिक संकुचित और श्वास में बाधा पैदा कर सकता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत और अन्य श्वास संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।
क्या हैं पॉपकॉर्न लंग्स के लक्षण ? 

अगर आपको सांस लेने में दिक्कत हो रही है, लगातार खांसी हो रही है, और बेचैनी हो रही है. सांस लेने में तकलीफ या दर्द के साथ थकान और कमजोरी का अनुभव हो रहा हैं. बोलने में तकलीफ , छाती में दर्द का अनुभव. नियमित बुखार या फिशिंग फीवर के अलावा वजन में गिरावट जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है तो आप पॉपकॉर्न लंग्स के शिकार हो चुके हैं।

पॉपकॉर्न लंग्स होने की वजह ?
पॉपकॉर्न लंग्स अत्यधिक धूम्रपान के कारण उत्पन्न होता है जो लंग्स के श्वास तंत्र को प्रभावित करती है. धूम्रपान या धूम्रधारी औषधियों का अनियमित उपयोग लंग्स की स्वास्थ्य बिगाड़ सकता है और ब्रोन्कोलिटिस ओबलिट्रान्स की वजह बन सकता है, जिससे श्वसन की क्षमता प्रभावित होती है. इसके परिणामस्वरूप, व्यक्ति को साँस लेने में कठिनाई, खांसी, और अन्य श्वसन संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है. यह लंग्स की स्वास्थ्य को बिगाड़कर उन्हें कमजोर बना सकता है और गंभीर श्वसन संबंधित रोगों का कारण बना सकता है. इसलिए, धूम्रपान और धूम्रधारी औषधियों से दूर रहना लंग्स के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
“पॉपकॉर्न लंग्स” के उपचार की प्रक्रिया :
– “पॉपकॉर्न लंग्स” का उपचार उसकी कारणों के आधार पर किया जाता है।
– धूम्रपान या धूम्रधारी औषधियों के उपयोग को बंद करना या कम करना लंग्स के स्वास्थ्य को सुधार सकता है।
– अन्य उपचार के रूप में डॉक्टर द्वारा दी जाने वाली दवाओं का प्रयोग किया जा सकता है जो श्वसन संबंधी समस्याओं को कम करने में मदद करती हैं।
– कई मामलों में, श्वसन की प्रणाली की स्थिति के अनुसार संशोधन (थेरेपी) या श्वसन की चिकित्सा भी की जा सकती है।
– यदि रोग गंभीर हो गया है और लंग्स के बारे में संदेह हो तो चिकित्सक सिरगंधी का सुझाव देते हैं, जिसमें लंग्स की चिकित्सा के लिए अस्पताल में भर्ती किया जाता है।

कहीं नकली मावे से बनी मिठाई तो नहीं खा रहे आप? ऐसे करें पहचान

मावा एक ऐसा मिल्क प्रोडक्ट है, जिससे न जानें कितनी तरह की मिठाइयां तैयार की जाती हैं। ऐसी बहुत कम मिठाइयां हैं, जिसमें मावा न पड़ता हो।बाजार में चमकती रंग-बिरंगी मिठाई मावे से ही बनाई जाती हैं।

मावा एक ऐसा मिल्क प्रोडक्ट है, जिससे न जानें कितनी तरह की मिठाइयां तैयार की जाती हैं. ऐसी बहुत कम मिठाइयां हैं, जिसमें मावा न पड़ता हो. बाजार में चमकती रंग-बिरंगी मिठाई मावे से ही बनाई जाती हैं. लेकिन आजकल मावे में बड़ा घालमेल चल रहा है. फूड माफिया बड़े पैमाने पर नकली मावा तैयार कर रहे हैं. ये नकली मावा मार्केट में हलवाइयों को सप्लाई किया जाता है, जिससे वो मिठाइयां बनती हैं जो हम बड़े चाव से खाते हैं. नकली मावे से बनी मिठाइयों के सेवन से हम न केवल बीमार पड़ जाते हैं, बल्कि हमारे पैसों की भी बर्बादी होती है. ऐसे में हमारे सामने बड़ी चुनौती यह होती है कि असली व नकली मावे की पहचान कैसे की जाए. क्योंकि अगर हमें पहचान नहीं है तो हम भी नकली मावे को सेवन कर सकते हैं।

नकली मावा (खोया) को पहचानना कई बार मुश्किल हो सकता है, लेकिन कुछ तरीके हैं जिनसे आप असली और नकली मावा को पहचान सकते हैं।ये हैं कुछ सामान्य उपाय:

रंग: असली मावा साफ सफेद या क्रीमी होता है, जबकि नकली मावा कभी-कभी ज्यादा चमकदार और गहरा हो सकता है।

गंध: असली मावा की सुगंध आमतौर पर सादी और मिठास से भरी होती है, जबकि नकली मावा में आमतौर पर अधिक गंध होती है, जो कभी-कभी असहज हो सकती है।

टेक्स्चर: असली मावा में मुलायमी और सांतुलन होता है, जबकि नकली मावा कठोर और अनुज की तरह हो सकता है।

रूपरेखा और ग्रैनिंग: असली मावा की रूपरेखा और ग्रैनिंग सामान्यत: अच्छी और समान होती है, जबकि नकली मावा में अनियमितता हो सकती है।

पिघलाव: असली मावा गरमता में बहुत जल्दी पिघलता है, जबकि नकली मावा में पिघलाव की प्रतिक्रिया कम हो सकती है या केवल थोड़ी देर तक ही पिघलता है।

टेस्ट: असली मावा का टेस्ट मीठा और स्वादिष्ट होता है, जबकि नकली मावा अक्सर अधिक चटपटा होता है और अजीब स्वाद का हो सकता है।

इन संकेतों का ध्यान रखकर, आप असली और नकली मावा को पहचान सकते हैं. यदि आपको संदेह है, तो विश्वसनीय और प्रमुख ब्रांड के उत्पादों का चयन करना सुरक्षित हो सकता है।

शुगर के मरीजों के लिए कौन से फूड्स हैं फायदेमंद, हमेशा मधुमेह रहेगी कंट्रोल

मधुमेह, जिसे शुगर भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर रक्त शर्करा (ग्लूकोज) को ठीक से नियंत्रित नहीं कर पाता है।

मधुमेह, जिसे शुगर भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर रक्त शर्करा (ग्लूकोज) को ठीक से नियंत्रित नहीं कर पाता है. ग्लूकोज शरीर के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत है, लेकिन यदि यह रक्त में बहुत अधिक जमा हो जाता है, तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. मधुमेह एक रोग है जिसमें शरीर में इंसुलिन नामक हार्मोन का उत्पादन कम होता है या फिर उसका सही रूप से उपयोग नहीं होता है. इंसुलिन एक हार्मोन है जो शरीर के खून में ग्लूकोज को उपयोग के लिए प्रबंधित करने में मदद करता है. मधुमेह के कारण, शरीर में उचित स्तर पर ग्लूकोज का प्रबंधन नहीं हो पाता, जिसके परिणामस्वरूप ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है।

मधुमेह के मरीजों के लिए अपनी रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है।

कुछ खाद्य पदार्थ रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं और मधुमेह के मरीजों के लिए फायदेमंद होते हैं।

फल और सब्जियां

फल और सब्जियां फाइबर, विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत हैं. फाइबर रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है. फल और सब्जियां कम कैलोरी और वसा वाले होते हैं, जो वजन घटाने में मदद कर सकते हैं।

साबुत अनाज

साबुत अनाज फाइबर, विटामिन और खनिज का अच्छा स्रोत हैं. फाइबर रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है. साबुत अनाज कम कैलोरी और वसा वाले होते हैं, जो वजन घटाने में मदद कर सकते हैं।

फलियां

फलियां फाइबर, प्रोटीन, विटामिन और खनिज का अच्छा स्रोत हैं. फाइबर रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है. फलियां कम कैलोरी और वसा वाले होते हैं, जो वजन घटाने में मदद कर सकते हैं।

नट्स और बीज

नट्स और बीज फाइबर, प्रोटीन, स्वस्थ वसा, विटामिन और खनिज का अच्छा स्रोत हैं. फाइबर रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है. नट्स और बीज कम कैलोरी और वसा वाले होते हैं, जो वजन घटाने में मदद कर सकते हैं।

मछली

मछली ओमेगा-3 फैटी एसिड का अच्छा स्रोत है. ओमेगा-3 फैटी एसिड हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा है. मछली कम कैलोरी और वसा वाला होता है, जो वजन घटाने में मदद कर सकता है।

 दही

दही प्रोटीन, कैल्शियम, और प्रोबायोटिक्स का अच्छा स्रोत है. प्रोटीन रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है. कैल्शियम हड्डियों और दांतों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है. प्रोबायोटिक्स पाचन स्वास्थ्य के लिए अच्छे हैं।

अंडे

अंडे प्रोटीन, विटामिन और खनिज का अच्छा स्रोत हैं. प्रोटीन रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है. अंडे कम कैलोरी और वसा वाले होते हैं, जो वजन घटाने में मदद कर सकते हैं।

दलिया

दलिया फाइबर, बीटा-ग्लूकन, विटामिन और खनिज का अच्छा स्रोत है. फाइबर रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है. बीटा-ग्लूकन एक प्रकार का फाइबर है जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में विशेष रूप से प्रभावी होता है।

 मेथी

मेथी फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट, और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों वाला एक जड़ी-बूटी है. मेथी रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है।

 

हार्ट अटैक के बाद काम पर लौटे श्रेयस तलपड़े, डॉक्टर्स का किया धन्यवाद

श्रेयस तलपड़े ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में बात करते हुए अपने ठीक होने के बारे में जानकारी दी और बताया कि कैसे उन्होंने एंजियोप्लास्टी के बाद काम फिर से शुरू कर दिया है।

बॉलीवुड और मराठी फिल्म एक्टर श्रेयस तलपड़े को 2 महीने पहले दिल का दौरा पड़ा था और इस खबर से न सिर्फ फिल्म जगत बल्कि उनके फैंस भी सदमे में थे. 14 दिसंबर को सीने में दर्द की शिकायत के बाद एक्टर अपने घर पर गिर पड़े. इसके बाद उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया और जीवन-मौत से जूझने के बाद उनकी एंजियोप्लास्टी की गई. लेकिन अब एक इंटरव्यू में श्रेयस ने अपनी स्थिति के बारे में खुलकर बात की है और संकट के इस समय में उनके साथ खड़े सभी लोगों को धन्यवाद दिया है।

श्रेयस तलपड़े ने उनकी मदद करने वाले सभी लोगों को धन्यवाद दिया
मीडिया से बात करते हुए श्रेयस तलपड़े ने उस रात उनकी मदद करने वाले सभी लोगों को धन्यवाद दिया. उन्होंने सभी डॉक्टरों, तकनीशियनों, अस्पताल के कर्मचारियों और अनगिनत आशीर्वाद और प्यार भेजने वाले सभी लोगों को धन्यवाद दिया. उन्होंने यह भी अपडेट किया कि वह अब थोड़ा बेहतर हैं और हर दिन ठीक हो रहे हैं. खैर, एक्टर ने भी सावधानी के साथ अपना काम दोबारा शुरू कर दिया है।

शूटिंग पर वापस लौटने के बारे में बात करते हुए श्रेयस तलपड़े ने कहा कि उन्होंने अब थोड़ा काम करना शुरू कर दिया है. लेकिन वह सोचते है कि इस जीवन में लोगों का कर्ज चुकाना बहुत मुश्किल है. उन्होंने फिर सभी को धन्यवाद दिया और कहा कि वह अब बहुत खुश हैं. डॉक्टर की सलाह से चीजें आगे बढ़ने लगी हैं।

अक्षय कुमार श्रेयस को देखना चाहते थे
एबीपी के माझा कट्टा के साथ एक इंटरव्यू में, दीप्ति तलपड़े ने श्रेयस तलपड़े के स्वास्थ्य संकट के दौरान मिले सहायक इशारों का खुलासा किया. खबर आने के बाद निर्देशक अहमद खान और उनकी पत्नी देर रात अस्पताल पहुंचे. अक्षय कुमार ने श्रेयस को बेहतर अस्पताल में शिफ्ट करने की इच्छा जताते हुए लगातार उनका हालचाल लिया. अक्षय ने भी सुबह श्रेयस से खुद मिलने की जिद की. उन्होंने कहा, “उसने सुबह फिर मुझे फोन किया और कहा, “कृपया मुझे दो मिनट के लिए उससे मिलने दीजिए. मैं बस उसे देखना चाहता हूं.” मैंने कहा, “आप जब चाहें आ सकते हैं।”

श्रेयस तलपड़े का वर्क फ्रंट
श्रेयस वेलकम फिल्म सीरीज की तीसरी किस्त में नजर आएंगे. वह कलाकारों की टोली वाली फिल्म ‘वेलकम टू दिस जंगल’ का हिस्सा हैं जिसमें अक्षय कुमार, रवीना टंडन, दिशा पटानी और अन्य भी हैं।