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वन नेशन वन इलेक्शन को जेडीयू का समर्थन, केंद्र गठित हाईलेवल कमेटी को JDU ने सौंपा मेमोरेंडम

जनता दल यूनाइटेड की ओर से वन नेशन वन इलेक्शन के लिए गठित हाई लेबल कमेटी को जेडीयू ने अपना मेमोरेंडम दिया है. जेडीयू ने वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन करते हुए अपना अधिपत्र कमेटी को सौंपा है. गौरतलब है कि जेडीयू नेता संजय झा और जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने पार्टी की ओर से अपने अधिपत्र (मेमोरेंडम) पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सौंपा है।

जेडीयू 2 सितंबर, 2023 की राजपत्र अधिसूचना संख्या 211 पर सावधानीपूर्वक विचार करने और समिति के गठन के महत्व को समझने के बाद, मैं एक राष्ट्र एक चुनाव पर हमारी पार्टी के विचारों को योगदान देने के लिए दिए गए अवसर की सराहना करता हूं. जद(यू) और उसके नेता नीतीश कुमार ने 2018 में भारत के विधि आयोग द्वारा आमंत्रित सुझावों के जवाब में एक साथ चुनाव की नीति को अपना समर्थन दिया था. वर्तमान प्रस्तुतियां एक साथ चुनावों के लिए पूर्ववर्ती समर्थन के अनुरूप हैं. जदयू का मानना ​​है कि सुशासन की संरचना को मजबूत करने के लिए एक साथ चुनाव महत्वपूर्ण हैं।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस हाई लेवल कमेटी के अध्यक्ष हैं. ये प्रस्ताव से सभी अगर सहमति हुए तो 2029 से लागू हो जाएगा. यही नहीं इसके लिए दिसंबर 2026 से 15 राज्यों के विधानसभा में चुनाव भी कराए जाएंगे. इसके लिए कुछ विधानसभाओं के कार्यकाल को 6 महीने के लिए बढ़ाना भी पड़ सकता है जो कि 2029 तक हो जाएगा. इस टाइमलाइन के बाद देश में एक साथ विधानसभा और लोकसभा के चुनाव हो सकेंगे।

मंत्रिमंडल विस्तार पर BJP का बन रहा नया प्लान, जदयू में नहीं दिखेंगे बड़े बदलाव

बिहार में एनडीए की नई सरकार बनने से महज 5-6 घंटे पहले भाजपा ने सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाकर बड़ा संदेश दिया है कि लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी न सिर्फ अपना कोर वोट बैंक को मजबूत करेगा बल्कि बिहार में जातिगत गणना के आधार पर जिस समाज की संख्या सबसे अधिक है उन्हें भी बड़ा महत्त्व देगी। ऐसे में अब सभी लोगों के मन में बड़ा सवाल यह चल रहा है कि क्या भाजपा 2020 के तरह ही कैबिनेट रखेगी या कुछ  नया मंत्रिमंडल चौंकाने वाला ही होगा।

वैसे में जब इसे लेकर भाजपा के हाल के रिकॉर्ड को देखा गया तो यह समझ में आया कि इस बार भाजपा अपने मूल वोट बैंक के आलावा ओबीसी समाज पर अधिक ध्यान दे रही है। भाजपा का स्टैंड इस बार साफ़ है कि इस समाज को महत्व देकर इस बड़े वोट बैंक में सेंधमारी कर लोकसभा में 400 सीट के आस- पास पहुंचना। लिहाजा, हाल ही में तीन राज्यों में सरकार के गठन के बाद इस समाज का विशेष ख्याल रखा गया। ऐसे में बिहार में भी भाजपा मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर इसी फॉर्मूले पर विचार कर रही है। हालांकि, बिहार में ओबीसी समाज के साथ ही साथ ईबीसी समाज भी है ऐसे में इस दोनों समाज के नेता को मंत्रिमंडल में जगह मिलना तय है इसके साथ ही साथ मूल और कैडर वोट को साथ रखने के लिए इस समाज का भी मंत्रिमडल में विशेष ख्याल रखा जाएगा।

वहीं, इसे लेकर भाजपा के संगठन में शामिल एक कद्दावर नेता से संपर्क साधा गया तो उन्होंने बताया कि भाजपा इस बार कुछ बड़े बदलाव करके सबको चौंका सकता है। भाजपा इस बार बिहार में भी कुछ महीने पहले तीन राज्यों में कैबिनेट विस्तार को लेकर अपनाए गए फॉर्मूले पर विचार कर सकती है। ऐसे में जब उनकी बातों का मतलब निकाला गया तो यह पाया गया कि बिहार के नए मंत्रिमंडल से भी कई पुराने कद्दावर नेताओं की छुट्टी हो सकती है। इनकी जगह नए चेहरों की एंट्री हो सकती है। इनमें ऐसे भी नाम हैं जिनका नाम डिप्टी सीएम के लिए भी चला, लेकिन अब मंत्री भी बन जाए?

उनकी बातों का मतलब साफ़ था कि इस बार भाजपा आधे से ज्यादा नए चेहरे पर दांव लगा सकती है। इनमें भी ज्यादा संख्या अतिपिछड़े और कुशवाहा जाति से हो सकती है। 2024 के लिहाज से भी भाजपा का पूरा फोकस बिहार की 36 फीसदी अतिपिछड़ा जातियों को साधने का है। नीतीश कुमार से गठबंधन का सबसे बड़ा कारण भी इसी को माना जा रहा है। सम्राट को डिप्टी सीएम बनाकर भाजपा ने पहले ही लव-कुश समाज को मैसेज देने की कोशिश की है। इसके अलावा भाजपा कैबिनेट में इसके अलावा भाजपा कैबिनेट में 10-15 फीसदी हिस्सेदारी सवर्ण को दे सकती है।

उधर, जेडीयू के पास प्रयोग करने के लिए ज्यादा विकल्प नहीं हैं। जेडीयू की तरफ से लगभग ऐसा तय माना जा रहा है कि 2022 की तरह नीतीश कुमार एक बार फिर से पुराने चेहरे को ही रिपीट करेंगे। बिजेंद्र यादव, श्रवण कुमार और विजय कुमार चौधरी को मंत्री पद की शपथ दिलाकर नीतीश कुमार ने इसके संकेत भी दे दिए हैं। इनके अलावा संजय झा, अशोक चौधरी और लेशी सिंह की गिनती नीतीश के करीबी नेताओं के रूप में होती है, तो मंत्रिमंडल में उनका शामिल होना भी तय माना जा रहा है। इस लिहाज से जेडीयू में ज्यादा फेरबदल की संभावना दिखाई नहीं दे रही है।

बिहार में JDU Vs RJD! नीतीश का अपमान या BJP की प्लानिंग.. आखिर क्या है तकरार की असल वजह?

बिहार की सियासत एक बार फिर सुर्खियों में है, जहां सूबे के सीएम नीतीश कुमार के दोबारा भाजपा के साथ आने के कयास लगाए जा रहे हैं, जिसके चलते तमाम राजनीतिक पार्टियों में बहस तेज हो गई है।

महागठबंधन में नीतीश कुमार का सम्मान नहीं किया गया… ये बयान है जदयू विधायक गोपाल मंडल का. दरअसल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दोबारा NDA में वापसी की अटकलों के बीच शुक्रवार को जदयू विधायक मंडल का ये हैरतअंगेज कथन सामने आया है. मंडल के मुताबिक, नीतीश कुमार का अस्तित्व खतरे में है. उन्होंने कहा कि, लोग अपना अस्तित्व बचाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि, हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार जहां भी जाएंगे, हम उनका फोलो करेंगे।

मालूम हो कि, बिहार की सियासत एक बार फिर सुर्खियों में है, जहां सूबे के सीएम नीतीश कुमार के दोबारा भाजपा के साथ आने के कयास लगाए जा रहे हैं, जिसके चलते तमाम राजनीतिक पार्टियों में बहस तेज हो गई है।

उनके साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है…

इसी बीच जदयू विधायक गोपाल मंडल ने कहा कि, “हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार जहां भी जाएंगे, हम उन्हें फोलो करेंगे. लोग अपने अस्तित्व को बचाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. उनका अस्तित्व खतरे में है. उनका सम्मान नहीं किया गया; उनके साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है.” उन्होंने साथ ही कहा कि, “जद(यू) विधायक मजबूत हैं, इसलिए उन्हें तोड़ना संभव नहीं है।”

आर-पार की लड़ाई…

वहीं राजद के नेता भी इस मुद्दे पर बयानबाजी में शुमार हो गए हैं, हाल ही में पार्टी के विधायक रितल यादव ने कहा कि, “हमारे लालू प्रसाद यादव को किसी ने धोखा नहीं दिया है और न ही कोई दे सकता है. सिर्फ जनता ही उन्हें धोखा दे सकती है, वरना किसी में वो ताकत नहीं है. हम सरकार में रहें या न रहें, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, हम जनता के लिए काम करेंगे।”

नीतीश कर रहे थे महागठबंधन से बाहर आने का इंतजार…

गौरतलब है कि, आरएलजेडी प्रमुख उपेन्द्र कुशवाह ने भी दावा किया कि, नीतीश कुमार महागठबंधन से बाहर आने को उत्सुक हैं. उन्होंने कहा कि, “महागठबंधन, जद (यू) बनाम राजद में हम जो स्थिति देखते हैं, उससे यह स्पष्ट है कि नीतीश कुमार इससे बाहर आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।”

भाजपा की एक अहम बैठक कल…

बता दें कि, बिहार में सत्ता परिवर्तन की अटकलों के बीच राजधानी पटना में कल शाम गृह मंत्री अमित शाह एक भाजपा की एक अहम बैठक की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें सभी विधायकों, सांसदों और एमएलसी मौजूद रहेंगे. वहीं दूसरी ओर जदयू, आरजेडी और कांग्रेस भी सिलसिलेवार तरीके से बैठकें कर रही है।

बिहार में राजनीति गर्म, राजभवन पहुंचे नीतीश कुमार, तेजस्वी की कुर्सी पर बैठे अशोक चौधरी

बिहार में सियासी हलचल अपने चरम पर है। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बड़ा फैसला ले सकते हैं। नीतीश फिलहाल राजभवन पहुंच चुके हैं जहां वे गणतंत्र दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं। इस बीच बीजेपी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने गठबंधन की अटकलों को सही बताया है। उनका कहना है कि बिहार में बदलाव होना निश्चित है। पार्टी का हाईकमान सबकुछ तय कर चुका है। नीतीश कुमार भी प्रधानमंत्री मोदी को पसंद करते हैं,गठबंधन तय है। बिहार के सियासी घटनाक्रम के पल-पल के अपडेट के लिए इस पेज पर बने रहें।

नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा भी कार्यक्रम में पहुंचे

नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा भी राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में पहुंच गए हैं। सीएम नीतीश कुमार का अभिवादन करने के बाद विजय कुमार सिन्हा अशोक चौधरी के बगल वाली कुर्सी पर बैठे।

आरजेडी का कोई भी मंत्री राजभवन नहीं पहुंचा

राष्ट्रीय जनता दल का कोई भी मंत्री राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में नहीं पहुंचा है। हम के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी कार्यक्रम में मौजूद हैं।

तेजस्वी की कुर्सी पर लगी पर्ची हटाकर बैठे अशोक चौधरी

राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव नहीं पहुंचे। तेजस्वी यादव की कुर्सी पर लगी पर्ची को हटाकर अशोक चौधरी सीएम नीतीश कुमार के बगल में बैठे।

मुझे यकीन है कि वे शाम तक इसका खंडन कर देंगे-मनोज झा

बिहार के सियासी हलचल पर पर आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने कहा, “…9 अगस्त 2022 को जब ये गठबंधन बना तब इसकी बुनियाद की ईंट लालू यादव, नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने रखी। इस ईंट की तासीर थी कि हमें भाजपा की भय, भूख और घृणा वाली राजनीति को विराम देना है… मुख्यमंत्री(नीतीश कुमार) भी टेलीविज़न देख रहे होंगे। मुझे यकीन है कि वे शाम तक इसका खंडन कर देंगे…”

क्या फिर से पलटी मारेंगे नीतीश? PM मोदी, शाह और नड्डा के बीच बातचीत होने का दावा

लोकसभा चुनाव से पहले बिहार की सियासत में बड़े तूफान की संभावना तेज होने लगी है। बीते कुछ समय से विरक्षी दलों से नाराज चल रहे बिहार सीएम नीतीश कुमार के फिर से भाजपा के संपर्क में होने की खबरें हैं। राजद सुप्रीमो लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य भी इशारों में नीतीश पर हमला कर रही हैं। इस बीच बड़ा जावा सामने आया है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में भी नीतीश की वापसी के मुद्दे को लेकर चर्चा हो रही है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला।

पीएम मोदी, शाह और नड्डा में चर्चा

सूत्रों के हवाले से दावा किया जा रहा है कि नीतीश कुमार भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के संपर्क में बने हुए हैं। दावा किया जा रहा है कि नीतीश कुमार के मुद्दे को लेकर पीएम मोदी ने गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से करीब 3 घंटे तक चर्चा की है। अगर ये दावा सही होता है तो बिहार की सियासत में जल्द ही बड़ा बदलाव दिखाई दे सकता है।

राहुल गांधी के साथ नहीं दिखेंगे नीतीश

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 30 जनवरी को  ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के तहत कांग्रेस नेता राहुल गांधी की पूर्णिया में होने वाली रैली में नहीं शामिल होंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 30 जनवरी को नीतीश का पटना में ही कार्यक्रम है और उनका पूर्णिया की रैली में जाना संभव नहीं है। नीतीश कुमार को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं और INDI अलायंस के साथ-साथ महागठबंधन का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है।

अमित शाह ने बीते दिनों दिया था हिंट

हाल ही में एक इंटरव्यू में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से नीतीश से जुड़ा सवाल किया गया था। उनसे पूछे गया- “पुराने साथी जो छोड़कर गए थे नीतीश कुमार आदि, ये आना चाहेंगे तो क्या रास्ते खुले हैं?” इसके जवाब में अमित शाह ने कहा था- “जो और तो से राजनीति में बात नहीं होती। किसी का प्रस्ताव होगा तो विचार किया जाएगा।” बता दें कि इससे पहले भाजपा नेताओं द्वारा नीतीश से किसी भी तरह के गठबंधन को लेकर सीधे इनकार किया जाता था। हालांकि, नीतीश को लेकर अमित शाह के इस बयान ने नई सियासी चर्चा शुरू कर दी थी।

क्या बिहार में बदलेगी सरकार? नीतीश ने राज्य के बाहर के सारे कार्यक्रम किये रद्द, झारखंड की रैली भी स्थगित

बिहार की महागठबंधन सरकार में फैसले की घडी नजदीक आने का एक और बड़ा संकेत सामने आ गया है. नीतीश कुमार ने बिहार से बाहर के अपने सारे कार्यक्रम रद्द कर दिये हैं. उन्हें झारखंड से अपने चुनावी अभियान की शुरूआत करनी थी लेकिन अब कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है.

जेडीयू की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक 4 फरवरी को झारखंड के रामगढ़ में होने वाली जेडीयू की रैली रद्द कर दी गयी है. बता दें कि जेडीयू ने तय किया था कि लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए नीतीश अपने अभियान की शुरूआत झारखंड से करें. नीतीश जोहार के नाम से जदयू ने रामगढ़ में 4 फरवरी को पहली सभा कराने का फैसला लिया था. इसके बाद झारखंड के सारे प्रमंडल में उनकी सभा होनी थी. लेकिन अब 4 फरवरी की सभा रद्द कर दी गयी है.

बदली राजनीतिक परिस्थिति में फैसला

जेडीयू सूत्रों ने बताया कि बिहार की बदली राजनीतिक परिस्थितियों में ये फैसला लिया गया है. बिहार के सत्तारूढ़ गठबंधन में जिस तरह से तनाव बढ़ा है उससे किसी भी क्षण कोई बड़ा फैसला होने की संभावना जतायी जा रही है. ऐसे में नीतीश कुमार ने फिलहाल बिहार से बाहर नहीं जाने का निर्णय लिया है. उन्होंने खुद झारखंड जेडीयू के नेताओं को रामगढ़ की रैली फिलहाल स्थगित करने को कहा है.

जेडीयू के नेता ये भी बता रहे हैं कि अब ये नहीं पत चल रहा है कि आगे आने वाले दिनों में किस पार्टी के साथ रहना है. ऐसे में नीतीश किसी चुनावी सभा में जाकर बोलेंगे भी क्या. इस कारण से भी नीतीश ने झारखंड की रैली स्थगित करायी है.

CM नीतीश के कड़े तेवर के बाद लालू परिवार के होश उड़े, तेजस्वी की बहन ने पोस्ट किया डिलीट

बिहार में नीतीश कुमार और लालू परिवार के बीच विवाद में नया मोड़ आया है. लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्या ने नीतीश कुमार के खिलाफ सोशल मीडिया पर किये गये अपने बेहद आपत्तिजनकर पोस्ट को डिलीट कर लिया है. सूत्र बता रहे हैं कि लालू यादव ने खुद फोन कर अपनी बेटी को पोस्ट डिलीट करने को कहा. सकते में पड़े लालू परिवार ने अपनी पार्टी के सारे नेताओं को नीतीश कुमार के बारे में कुछ भी नहीं बोलने को कहा है.

सूत्रों के हवाले से जो खबर मिल रही है उसके मुताबिक आज जब कैबिनेट की बैठक खत्म हुई तो नीतीश कुमार अपने आवास पहुंचे. वहां उन्हें रोहिणी आचार्या के पोस्ट की जानकारी मिली. नीतीश ने उन पोस्ट को देखा और उनका चेहरा तनाव से भर गया. उसके बाद नीतीश कुमार ने कहीं फोन लगा कर करीब 15 मिनट तक बात की थी.

इसके बाद ही लालू परिवार के होश उड़े. आनन फानन में लालू यादव ने अपनी बेटी रोहिणी आचार्या को कॉल किया और उनसे अपना पोस्ट डिलीट करने को कहा. लालू यादव ने उसके बाद राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को भी फोन किया और कहा कि वे सारे नेता को निर्देश जारी करें कि नीतीश कुमार के खिलाफ कुछ नहीं बोलना है. लालू परिवार को डर सता रहा है कि नीतीश किसी भी वक्त कोई  भी फैसला ले सकते हैं.

बता दें कि नीतीश को जवाब देने आज लालू-राबड़ी की बेटी रोहिणी आचार्या मैदान में उतर आयी थी. रोहिणी आचार्या ने नीतीश कुमार पर इस तरीके से हमला बोला है, जैसा शायद ही किसी ने पहले कभी किया होगा. लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्या ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर नीतीश को जवाब दिया था. उन्होंने लगातार तीन ट्विट किये थे. पहले ट्विट में लिखा “समाजवादी पुरोधा होने का करता वही दावा है हवाओं की तरह बदलती जिनकी विचारधारा है..”रोहिणी के इस ट्विट में किसी का नाम नहीं लिखा गया था, लेकिन वे किसकी बात कर रही थी ये जगजाहिर है. रोहिणी ने एक और ट्विट किया. उसमें लिखा “खीज जताए क्या होगा जब हुआ न कोई अपना योग्य. विधि का विधान कौन टाले जब खुद की नीयत में ही हो खोट.”

लालू परिवार की बेटी ये कह रही थी कि नीतीश कुमार के परिवार में कोई राजनीति में आने के योग्य नहीं हुआ. इसलिए अब दूसरे पर बोल कर खीज मिटा रहे हैं. रोहिणी यहीं तक नहीं रूकी. उन्होंने तीसरा ट्विट भी किया था. उसमें लिखा “अक्सर कुछ लोग नहीं देख पाते हैं अपनी कमियां. लेकिन किसी दूसरे पे कीचड़ उछालने को करते रहते हैं बदतमीजियां..”

नीतीश कुमार फिर से एक्शन में, बिहार में कभी भी टूट सकता है गठबंधन, कैबिनेट की बैठक में भारी तनाव

करीब 17 महीने पहले बनी बिहार की महागठबंधन सरकार वेंटीलेटर पर आ गयी है. आज हुई ताबड़तोड़ वाकयों ने इसका सीधा संकेत दे दिया. लालू-राबड़ी की बेटी रोहिणी आचार्या ने नीतीश कुमार पर बेहद तीखा हमला बोला है. उधर, कैबिनेट की आज हुई बैठक बेहद तनावपूर्ण माहौल में हुई. सिर्फ 15 मिनट तक चली बैठक में नीतीश ने तेजस्वी से बात तक नहीं की.

कैबिनेट की बैठक में भारी तनाव

बिहार के मुख्य सचिवालय में हुई कैबिनेट की बैठक सिर्फ 15 मिनट में खत्म हो गयी. नीतीश कुमार के कार्यकाल में ये सबसे छोटी कैबिनेट की बैठक थी. एक मंत्री ने बताया कि नीतीश कुमार ने तेजस्वी समेत राजद के किसी मंत्री से कोई बात तक नहीं की. अधिकारियों ने तीन एजेंडों को रखा और उस पर सहमति की औपचारिकता निभायी गयी. नीतीश कुमार ने वहां रखे रजिस्टर पर साइन किया और निकल गये.

कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री और अधिकारी साथ मिलकर चाय-नाश्ता करते रहे हैं. लेकिन आज हुई बैठक में ऐसा कुछ नहीं हुआ. बैठक खत्म होने के बाद नीतीश कुमार बाहर निकले औऱ पहले अपने चेंबर में चले गये. नीतीश का चेंबर कैबिनेट हॉल के बगल में ही है. नीतीश तुरंत ही अपने चेंबर से निकले और घर जाने के लिए लिफ्ट की ओर बढ़ गये.

तेजस्वी से एक शब्द बात नहीं

नीतीश कुमार जब सचिवालय के पहले तल्ले पर स्थित अपने चेंबर से नीचे उतरने के लिए लिफ्ट के पास पहुंचे तो वहां तेजस्वी यादव पहले से खड़े थे. नीतीश कुमार को देख कर तेजस्वी ने हाथ जोड़े तो नीतीश कुमार ने बिना कुछ कहे हाथ जोड़ा औऱ लिफ्ट के अंदर चले गये. वहीं, मंत्री अशोक चौधरी भी खड़े थे. नीतीश कुमार ने उनकी ओर भी नहीं देखा. नीतीश सीधे नीचे उतरे और गाड़ी में बैठकर आवास की ओर रवाना हो गये.

उसके बाद तेजस्वी यादव सीढ़ियों से नीचे उतरे और मुख्य सचिवालय से रवाना हुए. फिर एक-एक कर मंत्री बाहर निकले. सब के चेहरे पर तनाव साफ साफ दिख रहा था. मंत्रियों ने मीडिया से बात करने से परहेज किया.

एक्शन में हैं नीतीश, रोहिणी के ट्विट को देखा

उधर, सीएम आवास पहुंचने के बाद नीतीश कुमार को लालू-राबड़ी की बेटी रोहिणी आचार्या के ट्विट की जानकारी दी गयी. नीतीश कुमार ने उन ट्विट का प्रिंट आउट मंगवा कर देखा. उसके बाद नीतीश कुमार के चेहरे के भाव बदल गये. सूत्रों की मानें तो ट्विट पढ़ने के बाद नीतीश कुमार ने कहीं फोन लगवाया और काफी देर तक बात की है.

रोहिणी आचार्या का तीखा हमला

दरअसल बुधवार को जेडीयू के कर्पूरी जयंती समारोह में नीतीश कुमार ने कहा था कि वे सही मायने में कर्पूरी की विचारधारा पर चल रहे हैं. इसलिए अपने परिवार से किसी को राजनीति में आगे नहीं बढाया. लेकिन कुछ लोग तो सिर्फ अपने परिवार की ही सोचते रहते हैं. लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्या ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर नीतीश को जवाब दिया है. उन्होंने लगातार तीन ट्विट किये हैं. पहले ट्विट में लिखा है “समाजवादी पुरोधा होने का करता वही दावा है हवाओं की तरह बदलती जिनकी विचारधारा है..” रोहिणी के इस ट्विट में किसी का नाम नहीं लिखा गया है, लेकिन वे किसकी बात कर रही हैं ये जगजाहिर है. रोहिणी ने एक और ट्विट किया है. उसमें लिखा गया है “खीज जताए क्या होगा जब हुआ न कोई अपना योग्य. विधि का विधान कौन टाले जब खुद की नीयत में ही हो खोट.”

लालू परिवार की बेटी ये कह रही है कि नीतीश कुमार के परिवार में कोई राजनीति में आने के योग्य नहीं हुआ. इसलिए अब दूसरे पर बोल कर खीज मिटा रहे हैं. रोहिणी यहीं तक नहीं रूकी. उन्होंने तीसरा ट्विट भी किया है. उसमें लिखा गया है “अक्सर कुछ लोग नहीं देख पाते हैं अपनी कमियां. लेकिन किसी दूसरे पे कीचड़ उछालने को करते रहते हैं बदतमीजियां..”

राहुल गांधी की पूर्णिया रैली में CM नीतीश नहीं होंगे शामिल, बिहार में सियासी हलचल तेज

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 30 जनवरी को  ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के तहत कांग्रेस नेता राहुल गांधी की पूर्णिया में होने वाली रैली में नहीं शामिल होंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 30 जनवरी को नीतीश का पटना में ही कार्यक्रम है और उनका पूर्णिया की रैली में जाना संभव नहीं है। बता दें कि बिहार की सियासत में इन दिनों नीतीश कुमार को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं और INDI अलायंस के साथ-साथ महागठबंधन का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है। दरअसल, केंद्र ने मंगलवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का फैसला किया था, जिसके के बाद नीतीश कुमार ने अपने विचारक और गुरु कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती मनाने के लिए आयोजित पार्टी की रैली में न सिर्फ पीएम नरेंद्र मोदी का आभार जताया, बल्कि परिवारवाद पर कटाक्ष भी कर दिया।

बिहार की पॉलिटिक्स में ‘ऑल इज नॉट वेल’

नीतीश कुमार का परिवारवाद पर हमला बिहार में ‘महागठबंधन’ में ‘ऑल इज नॉट वेल’ होने की अटकलों को मजबूत कर गया। अब ताजा अपडेट यह है कि नीतीश कुमार के एक-एक हमले का जवाब लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने ‘X’ पर दिया है। रोहिणी ने इशारों-इशारों में नीतीश पर ‘बदलती विचारधारा’ और ‘परिवार में किसी के योग्य न होने’ जैसी बातें लिखकर जवाब दिया है। रोहिणी ने कहीं नीतीश कुमार का नाम भले न लिया हो,  लेकिन जवाब से बहुत कुछ साफ है। दूसरी तरफ जेडीयू महासचिव केसी त्यागी ने नीतीश कुमार के कल दिये गए बयानों पर सफाई दी है। ऐसे में बिहार में सियासी हलचल और तेज होती दिख रही है और यह देखना दिलचस्प हो गया है कि ऊंट किस करवट बैठेगा।

नीतीश कुमार ने यूं परिवारवाद पर साधा था निशाना

रैली में परिवारवाद पर निशाना साधते हुए नीतीश कुमार ने कहा था, ‘आप सभी को याद रखना चाहिए कि अन्य चीजों के अलावा, कर्पूरी ठाकुर को कभी भी अपने प्रभाव का इस्तेमाल नहीं करने के लिए याद किया जाएगा। कर्पूरी जी ने कभी अपने परिवार को आगे नहीं बढ़ाया। उन्हीं से सीखकर मैंने भी आज तक अपने परिवार के किसी सदस्य को नहीं बढ़ाया है। दूसरे दलों के नेता अपने परिवार वालों को पहले आगे बढ़ाते हैं।’ बता दें कि बीजेपी भी इशारा कर चुकी है कि अगर नीतीश महागठबंधन का साथ छोड़कर उसके साथ आने पर बातचीत करते हैं तो इस पर विचार किया जाएगा। राहुल गांधी की रैली में न जाने का फैसला, परिवारवाद पर हमला और रोहिणी के ट्वीट अब नीतीश के भविष्य को लेकर काफी कुछ इशारा कर रहे हैं।

क्यों लग रही हैं नीतीश के पलटी मारने की अटकलें?

बता दें कि देश की सियासत में नीतीश कुमार एक ऐसे नेता के रूप में जाने जाते हैं जो अपने फायदे के लिए पलटी मारने में माहिर हैं। पूरे देश में शायद ही कोई ऐसा नेता होगा जो तुलनात्मक रूप से सीमित जनाधार के बावजूद इतने लंबे समय तक मुख्यमंत्री रह गया हो। बिहार में आज हुई कैबिनेट की मीटिंग के बाद कोई ब्रीफिंग नहीं हुई। वहीं, कैबिनेट की बैठक में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव काफी शांत दिखे, और किसी से कोई बात नहीं की। इन सब चीजों को देखते हुए एक बार फिर नीतीश के पलटी मारने की अटकलों ने जोर पकड़ लिया है।