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जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा

केंद्र सरकार ने मंगलवार को बिहार के पू्र्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) देने की घोषणा की। केंद्र सरकार ने आखिरी बार 2019 में भूपेन हजारिका को भारत रत्न से नवाजा था, जिसके बाद अब ये उपाधि कर्पूरी ठाकुर को दी जाएगी।

बता दें कि जननायक कर्पूरी ठाकुर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री थे। उन्हें पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत करने के लिए पहचान मिली हुई थी, जिन्हें अब मोदी सरकार ने भारत का सबसे बड़ा पुरस्कार भारत रत्न देने का एलान किया है।

मोदी सरकार ने अब तक किन हस्तियों को दिया भारत रत्न?

बता दें कि 2014 में केंद्र में आने के बाद मोदी सरकार ने अब तक सात लोगों को भारत रत्न दिया है और आठवें भारत रत्न की घोषणा की है।

सीएन आर राव और सचिन तेंदुलकर (2014)

मोदी सरकार ने 2014 में सीएन आर राव और सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न से नवाजा था।

सीएन आर राव एक प्रख्यात रसायनज्ञ हैं, जिन्होंने रसायन विज्ञान के क्षेत्र में अपना अहम योगदान दिया है।

सचिन तेंदुलकर क्रिकेट के इतिहास में मास्टर ब्लास्टर के तौर पर जाने जाते हैं। उन्होंने 16 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में डेब्यू किया था। उनके नाम सौ शतक का रिकॉर्ड है। साथ ही उन्होंने सभी प्रारूपों में 30,000 से अधिक रन बनाए हैं।

पंडित मदन मोहन मालवीय और अटल बिहारी बाजपेयी (2015)

केंद्र सरकार ने 2015 में पंडित मदनमोहन मालवीय और अटल बिहारी बाजपेयी को भारत रत्न दिया था।

पंडित मदन मोहन मालवीय बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और अखिल भारतीय हिंदू महासभा के संस्थापक थे। वह महामना के रूप में जाने जाते थे।

अटल बिहारी बाजपेयी भारत के तीन बार प्रधानमंत्री रहे थे। उन्हें 1994 में सर्वश्रेष्ठ सांसद पुरस्कार से भी नवाजा गया था।

प्रणब मुखर्जी, नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका (2019)

केंद्र सरकार ने 2019 में तीन लोगों को भारत से नवाजा था। इनमें प्रणब मुखर्जी, नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका शामिल थे।

नानाजी देशमुख का असली नाम चंडिकादास अमृतराव देशमुख था। नानाजी देशमुख शिक्षा, ग्रामीण आत्मनिर्भरता और स्वास्थ्य में योगदान देने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने भारतीय जनसंघ के नेता के रूप में कार्य किया था।

भूपेन हजारिका को सुधाकंठ (अमृत-कण्ठ) के रूप में पहचान मिली है। वह एक प्रख्यात फिल्म निर्माता, कवि, गीतकार, गायक और संगीतकार थे।

 

अब तक इन लोगों को मिला है भारत रत्न

  1. डॉ. सर्वपल्‍ली राधाकृष्‍णन: 1954 में भारत रत्‍न से सम्‍मानित. डॉ. राधाकृष्‍णन भारत के दूसरे राष्‍ट्रपति थे.

 

  1. चक्रवर्ती राजगोपालाचारी: 1954 में भारत रत्‍न से सम्‍मानित राजगोपालाचारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और अंतिम गवर्नर जनरल थे.

 

  1. डॉ. चन्द्रशेखर वेंकट रमन: 1954 में वेंकट रमन को भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया था. वह नोबेल पुरस्कार विजेता और भौतिकशास्त्री थे.

 

  1. डॉ. भगवान दास: 1955 में भारत रत्‍न से सम्‍मानित किए गए भगवान दास स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और लेखक थे.

 

  1. सर डॉ. मौक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या: 1955 में विश्वेश्वरय्या को भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया. वह सिविल इंजीनियर और मैसूर के दीवान थे.

 

  1. पं. जवाहरलाल नेहरू: 1955 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री, लेखक और स्वतंत्रता सेनानी को भारत रत्न से सम्‍मानित किया गया.

 

  1. गोविंद वल्लभ पंत: 1957 में गोविंद वल्लभ पंत को भारत रत्न दिया गया. वह स्वतंत्रता सेनानी, उप्र के पहले मुख्यमंत्री और देश के दूसरे गृहमंत्री थे.

 

  1. डॉ. धोंडो केशव कर्वे: 1957 में भारत रत्न से सम्मानित हुए केशव कर्वे शिक्षक और समाज सुधारक थे.

 

  1. डॉ. बिधान चन्द्र राय: 1958 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया. वह चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री थे.

 

  1. पुरुषोत्तम दास टंडन: 1961 में भारत रत्न से सम्मानित किए गए पुरुषोत्तम दास टंडन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और शिक्षक थे.

 

  1. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद: 1961 में भारत रत्न से सम्मानित किए गए. वह देश के प्रथम राष्ट्रपति, स्वतंत्रता सेनानी और विधिवेत्ता थे.

 

  1. डॉ. जाकिर हुसैन: 1963 में जाकिर हुसैन को भारत रत्न से सम्मानित किया गया. वह देश के तृतीय राष्ट्रपति थे.

 

  1. डॉ. पांडुरंग वामन काणे: 1963 में भारतविद और संस्कृत के विद्वान पांडुरंग वामन काणे को भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

 

  1. लाल बहादुर शास्त्री: 1966 में देश के तीसरे प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

 

  1. इंदिरा गांधी: 1971 में देश की चौथी प्रधानमंत्री को भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

 

  1. वराहगिरी वेंकट गिरी: 1975 में भारत रत्‍न से सम्‍मानित. वराहगिरी वेंकट गिरी देश के चौथे राष्ट्रपति और श्रमिक संघवादी थे.

 

  1. के. कामराज: 1976 में भारत रत्‍न से सम्‍मानित. वह स्वतंत्रता सेनानी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री थे.

 

  1. मदर टेरेसा: 1980 में भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया. मदर टेरेसा नोबेल पुरस्कार विजेता, कैथोलिक नन और मिशनरीज़ संस्थापक थीं.

 

  1. आचार्य विनोबा भावे: 1983 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और समाज सुधारक विनोबा भावे को भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया.

 

  1. खान अब्दुल गफ्फार खान: 1987 में गफ्फार खान को भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया. वह स्वतंत्रता सेनानी थे.

 

  1. मरुदुर गोपाला रामचन्दम: 1988 में भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया. गोपाला रामचन्दम अभिनेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री थे.

 

  1. डॉ. भीमराव अम्बेडकर: 1990 में भारत रत्‍न से सम्‍मानित. भीमराव अम्बेडकर भारतीय संविधान के वास्तुकार, राज‍नीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे.

 

  1. नेल्सन मंडेला: 1990 में मंडेला को भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया. वह नोबेल पुरस्कार विजेता और रंगभेद विरोधी आंदोलन के नेता थे.

 

  1. राजीव गांधी: 1991 में देश के सातवें प्रधानमंत्री राजीव गांधी को भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया.

 

  1. सरदार वल्लभ भाई पटेल: 1991 में देश के पहले गृहमंत्री और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया.

 

  1. मोरारजी भाई देसाई: 1991 में भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया. वह देश के पांचवें प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी थे.

 

  1. मौलाना अबुल कलाम आजाद: 1992 में देश के प्रथम शिक्षा मंत्री और स्वतंत्रता सेनानी को भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया.

 

  1. जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा: 1992 में देश के जाने माने उद्योगपति को भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया.

 

  1. सत्यजीत रे: 1992 में भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया. वह फिल्म निर्माता और निर्देशक थे.

 

  1. एपीजे अब्दुल कलाम: 1997 में देश के 11वें राष्ट्रपति और वैज्ञानिक को भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया.

 

  1. गुलजारीलाल नंदा: 1997 में भारत रत्‍न से सम्‍मानित. गुलजारीलाल नंदा स्वतंत्रता सेनानी थे और दो बार कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे थे.

 

  1. अरुणा आसिफ अली: 1997 में भारत रत्‍न से सम्‍मानित. वह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे.

 

  1. एमएस सुब्बालक्ष्मी: 1998 में शास्त्रीय संगीत गायिका को भारत रत्न से सम्‍मानित किया गया.

 

  1. सी. सुब्रमण्यम: 1998 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और कृषि मंत्री को भारत रत्न से सम्‍मानित किया गया.

 

  1. जयप्रकाश नारायण: 1998 में भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया. जेपी स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ थे.

 

  1. पंडित रविशंकर: 1999 में सितार वादक रविशंकर को भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया.

 

  1. अमर्त्य सेन: 1999 में नोबेल पुरस्कार विजेता और अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया.

 

  1. गोपीनाथ बोरदोलोई: 1999 में भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया. वह स्वतंत्रता सेनानी और असम के मुख्यमंत्री थे.

 

  1. लता मंगेशकर: 2001 में गायिका लता मंगेशकर को भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया.

 

  1. उस्ताद बिस्मिल्ला खां: 2001 में शहनाई वादक बिस्मिल्ला खां को भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया.

 

  1. पंडित भीमसेन जोशी: 2008 में शास्त्रीय गायक भीमसेन जोशी को भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया.

 

  1. सचिन तेंडुलकर: 2014 में भारतीय क्रिकेटर सचिन को भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया.

 

  1. सीएनआर राव: 2014 में जाने-माने वैज्ञानिक व केमेस्ट्री के विशेषज्ञ सीएनआर राव को भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया.

 

  1. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी: 2014 में भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया गया. अटल बिहारी वाजपेयी जाने-माने राजनेता, 10वें प्रधानमंत्री, कवि और पत्रकार थे.

 

  1. पं. मदनमोहन मालवीय: 2014 में शिक्षाविद और समाज सुधारक मदनमोहन मालवीय को भारत रत्‍न से सम्‍मानित किया

 

  1. प्रणब मुखर्जी: पूर्व राष्ट्रपति और राजनेता (2019)

 

  1. नानाजी देशमुख: भारतीय समाजसेवी और जनसंघ नेता (2019)

 

  1. भूपेन हजारिका: गायक (2019)

 

  1. प्रणब मुखर्जी: भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति (2019)

 

गृह मंत्रालय की वेबसाइट के इस लिंक में वर्ष 2019 तक दिए गए भारत रत्न पुरस्कारों की सूची है।

कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने पर नीतीश कुमार ने दी अपनी पहली प्रतिक्रिया

भारत सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का फैसला लिया है। कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के फैसले पर नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया भी सामने आ गई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जननायक कर्पूरी को भारत रत्न देने पर खुशी जाहिर की है। नीतीश कुमार ने कहा है कि केंद्र सरकार ने बिल्कुल सही फैसला सही किया है। जनता दल यूनाइटेड की सालों पुरानी मांग अब पूरी हो गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर की 100 वीं जयंती पर यह सर्वोच्च सम्मान दिए जाने की घोषणा दलितों, वंचितों और उपेक्षित तबकों के बीच सकारात्मक भाव पैदा करेगा। वह हमेशा से कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की मांग करते रहे हैं। आजय कर्पूरी ठाकुर को दिए जाने वाले इस सम्मान से उन्हें खुशी मिली है।

कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने पर जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय सचिव राजीव रंजन प्रसाद ने कहा, “बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कई मौकों पर ‘जननायक’ कर्पूरी ठाकुर के लिए भारत रत्न की मांग की थी। जिसे पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पूरा करने जा रही है।”

लालू की पार्टी ने क्या कहा?

राष्ट्रीय जनता दल ने जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने के निर्णय को राजद के लंबे संघर्षों की उपलब्धि बताया है। राजद के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव और चितरंजन गगन ने अलग-अलग बयान जारी कर कहा कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव के नेतृत्व में राजद काफी लंबे समय से जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न देने की मांग करता रहा है।

‘देश के करोड़ों लोगों की जीत है’

उन्होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिलना बिहार हीं नहीं बल्कि कर्पूरी ठाकुर को आदर्श मानने वाले देश के करोड़ों लोगों की जीत है। राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव लगातार इस मांग को उठाते रहे हैं। देर से हीं सही लेकिन केंद्र सरकार को करोड़ों लोगों की भावनाओं के सामने झुकना पड़ा है।

बीजेपी का बड़ा दांव, कर्पूरी ठाकुर को मिलेगा भारत रत्न, मौत के 36 साल बाद देश का सर्वोच्च सम्मान

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने बिहार के अति पिछड़ा वोटरों के लिए बडा दांव खेल दिया है. बिहार में अति पिछड़ों के मसीहा माने जाने वाले पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को केंद्र सरकार ने भारत रत्न देने का एलान कर दिया है.

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की मौत के 36 साल बाद देश का सर्वोच्च सम्मान देने का फैसला लिया गया है. 24 जनवरी को कर्पूरी जयंती है और उससे एक दिन पहले केंद्र सरकार ने ये एलान कर दिया है.

बता दें कि कर्पूरी ठाकुर स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे. वे दो दफे बिहार के मुख्यमंत्री रहेथे. लोकप्रियता के कारण उन्हें जन-नायक कहा जाता था.  कर्पूरी ठाकुर का जन्म समस्तीपुर के पितौंझिया गांव में हुआ था.. नाई जाति से आने वाले कर्पूरी ठाकुर ने अपना सामाजिक जीवन देश के स्वतंत्रता संघर्ष से शुरू किया था.

वे भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 26 महीने जेल में रहे थे. समाजवादी विचारधारा के नेता कर्पूरी ठाकुर दो दफे बिहार के मुख्यमंत्री रहे. वे वह 22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 तथा 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979  तक बिहार के सीएम पद पर रहे.

पिछड़ों को दिया था आरक्षण

कर्पूरी ठाकुर ने देश में पहली दफे पिछडों और अति पिछड़ों के लिए आरक्षण दिया था. 1978 में उन्होंने पिछडों और अति पिछडों के लिए अलग अलग आरक्षण की व्यवस्था लागू की थी. उन्होंने अति पिछड़ों के लिए 12 प्रतिशत, पिछड़ों के लिए 8 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया था.

वहीं, गरीब सवर्णों के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था की थी. कर्पूरी ठाकुर बिहार के मौजूदा दौर के राजनेताओं लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार के राजनीतिक गुरू माने जाते हैं.

राहुल गांधी के खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश, कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज

असम पुलिस ने कार्यकर्ताओं के खिलाफ लाठीचार्ज कर दिया।इसमें कई कांग्रेस कार्यकर्ता घायल हो गए हैं।वहीं, असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।

मणिपुर से चलकर भारत जोड़ो न्याय यात्रा अब असम में पहुंच गई है. असम में यात्रा के प्रवेश के साथ ही विवाद भी शुरू हो गया है. मंगलवार को गुवाहाटी में जैसे ही यात्रा प्रवेश करने की कोशिश की तो यात्रा को रोक दी गई. इस पर पांच हजार से अधिक कांग्रेसियों ने हंगामा शुरू कर दिया. कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर आरोप है कि उन्हें शहर में एंट्री नहीं मिलने पर हंगामा शुरू करने लगे और पुलिस की बैरेकेडिंग तोड़ने की कोशिश. इस पर असम पुलिस ने कार्यकर्ताओं के खिलाफ लाठीचार्ज कर दिया. इसमें कई कांग्रेस कार्यकर्ता घायल हो गए हैं. वहीं, असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं. सीएम ने डीजीपी से फोन पर बात कर राहुल गांधी के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

यह हंगामा उस समय हुआ जब मंगलवार को गुवाहाटी शहर होते हुए करीब 5000 कांग्रेस यात्रा निकालना चाहते थे. लेकिन हिमंता बिस्वा सरमा सरकार ने कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा को निकलने की अनुमति नहीं दी थी. प्रदेश सरकार ने वर्किंग डे होने की वजह से शहर में ट्रैफिक जाम होने का हवाला दिया था. सरकार ने शहर के एंट्री प्वाइंट पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया था।

प्रदेश अध्यक्ष समेत कई नेता घायल

कांग्रेस कार्यकर्ता शहर में एंट्री लेना चाह रहे थे. इसी दौरान कार्यकर्ता पुलिस के बैरिकेंडिंग्स हटाकर अंदर घुसने की कोशिश कर रहे थे. तभी पुलिस ने कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज कर दिया. इसमें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देबब्रत सौकिया समेत कई लोग पुलिस की लाठी से घायल हो गए।

कांग्रेस ने हिमंता सरमा पर किया हमला
इधर कांग्रेस ने हिमंता बिस्वा सरमा पर तीखा हमला बोला है. कांग्रेस ने कहा कि सरमा राहुल गांधी की यात्रा से डर गई है इसीलिए रोकना चाहती है. असम में हमारी एंट्री के बाद से ही ये काफिले पर लगातार हमले करवा रहे हैं. ये अपने बाउंसरों को लगाकर मारपीट करवा रहे हैं. ये यात्रा से बुरी तरह डरे हुए हैं. इसलिए वो डर गए हैं।

नीतीश कुमार मुखिया का भी चुनाव नहीं जीत सकते, बोले कुशवाहा..नरेंद्र मोदी फिर बनेंगे PM

पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLJD ने कर्पूरी ठाकुर जयंती समारोह का आयोजन किया। इस मौके पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने मुख्यमंत्री को लेकर बड़ी बात कह दी। उन्होंने कहा कि हाल यह है कि नीतीश कुमार मुखिया का भी चुनाव नहीं जीत सकते। कुशवाहा ने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री बनेंगे।

कुशवाहा ने कहा कि हमने पहले ही कहा था कि नीतीश जी आप अपनी पार्टी को बर्बाद करना चाहते हैं नहीं मानिएगा तो अपनी मर्जी कर लीजिए लेकिन हम बिहार को बर्बाद नहीं होने देंगे। जब हमारी बात नीतीश ने नहीं मानी तब बिहार को बचाने के लिए हमने रास्ता बदल लिया और अपनी अलग पार्टी बना ली।

मंच से उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि हमारी पार्टी RLJD एनडीए का हिस्सा बन गई है। उन्होंने कहा कि एनडीए में रहकर ही वे चुनाव लडेंगे और बिहार में एनडीए को सभी 40 सीटों पर जिताने का काम करेंगे। कर्पूरी जयंती पर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर सादगी के प्रतिक थे। लोगों के बीच जाकर जननायक के नाम पर वोट मांगना और सत्ता मिलने के बाद अपने घर की तिजोरी दस पुश्तों के लिए भर लेना वैसे लोग क्या कर्पूरी ठाकुर जी का मुकाबला करेंगे।

उन्होंने कहा कि अपने जीवन में जननायक ने वंचित समाज के लिए संघर्ष किया। कितना अपमानित होते थे कितना प्रताड़ित होते थे फिर भी कभी जीवन में इन्होंने हार नहीं माना। जननायक कर्पूरी ठाकुर आदर्श थे प्रेरणास्त्रोत थे। इनका योगदान इतना बड़ा था कि आने आने वाले दिनों में कभी नहीं भूलाया जा सकता।

ED के दफ्तर में कल पोते रोहित की पेशी, समर्थन में उतरे शरद पवार

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के विधायक और शरद पवार के पोते रोहित पवार के कल 24 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सामने पेशी के समय पवार गुट ED के बाहर शक्ति प्रदर्शन करेगा। सूत्रों के मुताबिक रोहित पवार के समर्थन में शरद पवार उतर गए हैं। रोहित पवार कल जब तक ईडी ऑफिस में रहेंगे तब तक शरद पवार ईडी ऑफिस के पास स्थित पार्टी दफ्तर में मौजूद रहेंगे।

ED ऑफिस छोड़ने जाएंगी सुप्रिया सुले

सुप्रिया सुले खुद रोहित पवार को कल ED ऑफिस छोड़ने जाएंगी। उनके साथ जितेंद्र अव्हाड भी मौजूद रहेंगे। कल रोहित पवार के समर्थन में बड़ी संख्या में एनसीपी के कार्यकर्ताओं को जुटने का आह्वान किया गया है।

रोहित पवार ने ED से की थी ये अपील

इससे पहले रोहित पवार ने शुक्रवार को ईडी से अनुरोध किया था कि उन्हें 24 जनवरी को नहीं, बल्कि 22 या 23 जनवरी को पूछताछ के लिए बुलाया जाए। ईडी ने कथित महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) घोटाला मामले में धन शोधन जांच के तहत राकांपा प्रमुख शरद पवार के पोते और कर्जत-जामखेड से विधायक 38 वर्षीय रोहित पवार को 24 जनवरी को पूछताछ के लिए बुलाया है। महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक धन शोधन मामला मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा की अगस्त 2019 की प्राथमिकी पर आधारित है।

ईडी ने 5 जनवरी को बारामती, पुणे, औरंगाबाद और कुछ अन्य स्थानों पर रोहित पवार के स्वामित्व वाली कंपनी बारामती एग्रो और कुछ संबंधित संस्थाओं के परिसरों पर छापेमारी की थी।

उद्धव ठाकरे ने BJP पर साधा निशाना, जानें भगवान राम को लेकर क्या कहा

शिवसेना (UBT) के राज्य अधिवेशन में उद्धव ठाकरे ने भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा। इस मौके पर उन्होंने कहा कि आज जो राम का मुखौटा पहनकर रावण घूम रहे हैं उनका मुखौटा फाड़ना है। आपने मेरी तुलना प्रभु राम से नहीं की इसलिए आपका धन्यवाद देता हूं। लेकिन वहां (अयोध्या में) एक ने आज के प्रधानमंत्री की समानता छत्रपति शिवाजी महाराज से की। यह हरगिज सही नहीं है… हो नहीं सकता। अगर छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म नहीं हुआ होता तो आज राम मंदिर नहीं बन सकता था। आज जो आप वहां जाकर बैठे हैं यह सिर्फ इसलिए मुमकिन हो पाया क्योंकि महाराष्ट्र की मिट्टी में इस तेज का जन्म हुआ था। वरना यह किसी ऐरे-गैरे का काम नहीं था।

2018 तक ठंडे बस्ते में था मामला

अयोध्या जाने को लेकर उद्धव ठाकरे ने कहा कि आपको याद होगा, 2018 में मैंने कहा था कि मैं अयोध्या में जाऊंगा और मैं गया.. मोदी आज अयोध्या गए हैं। इसके पहले वह अयोध्या नहीं गए थे। शायद प्रधानमंत्री बनने के पहले वहां गए होंगे जैसे हमारे फडणवीस कहते हैं। उन्होंने कहा कि इतने वर्षों से यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ था। पता नहीं क्या मेरे मन में आया और मैंने कहा चलिए शिवनेरी चलते हैं और शिवनेरी की मिट्टी लेकर राम जन्मभूमि हम जाएंगे। आप मानिए या ना मानें लेकिन नवंबर 2018 में मैं वहां गया था और जो मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ था, अगले ही वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने उस केस का फैसला सुना दिया।

किसी पार्टी की प्रॉपर्टी नहीं भगवान राम

उद्धव ठाकरे ने कहा कि प्रभु रामचंद्र किसी एक पार्टी की या किसी एक व्यक्ति की प्रॉपर्टी नहीं हैं। अगर आप ऐसा कहने वाले हो गए तो हमें भी भाजपा मुक्त प्रभु श्री राम करना ही होगा। सिर्फ भाजपा मुक्त राम नहीं बल्कि भाजपा मुक्त जय श्री राम करना होगा। आपको श्रेय लेना है तो लीजिए, लेकिन आप में प्रभु श्री राम का एक भी गुण है तो बताइए। प्रभु श्री राम सच बोलने वाले, वचन निभाने वाले भगवान थे, लेकिन जिस शिवसेना ने आपको सत्ता के द्वार तक पहुंचाया उसी शिवसेना से किया हुआ वादा तोड़ने वाले आप राम भक्त कैसे हो सकते हो?

शिंदे पर भी साधा निशाना

उन्होंने कहा कि जिसने हमारे भगवा की प्रताड़ना की, जिसने हमारे शिवसेना को तोड़ा फिर चाहे वह बाली (एकनाथ शिंदे) हो या फिर कोई और… उस बाली का चाहे जो मालिक (बीजेपी) हो… यह शपथ आप लीजिए उसका राजनीतिक वध हम करेंगे। सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कल का इवेंट हो गया, राम की बात हो गई। अब काम की बात करो। आपने पिछले 10 साल में क्या किया और कांग्रेस ने पिछले 75 साल में क्या किया, इसपर चर्चा होने दो। उन्होंने कहा कि हां, परिवारवाद है लेकिन यह शिव सैनिक मुझे विरासत में मिले हैं। मेरे पिता के द्वारा कमाए गए यह शिव सैनिक हैं इन्हें चोरी करके नहीं लाया गया है।

‘अभी कल्कि अवतार का आना बाकी है’, राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर ऐसा क्यों बोले तेजप्रताप यादव ?

सोमवार को अयोध्या में श्रीराम मंदिर का उद्घाटन हो चुका है। मंदिर के गर्भ गृह में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी समेत देश के तमाम दिग्गज लोग शामिल हुए थे। हालांकि, विपक्ष के ज्यादातर दलों ने इस कार्यक्रम को भाजपा का बताते हुए विरोध किया और इसमें हिस्सा नहीं लिया है। अब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेटे और बिहार सरकार में मंत्री तेज प्रताप यादव ने भी प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद बयान जारी किया है।

राम नहीं चुनाव आ रहे हैं

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद मंगलवार को तेज प्रताप यादव ने अपने X प्रोफाइल से संदेश जारी किया है। उन्होंने लिखा है- “राम नहीं आ रहे हैं ! चुनाव आ रहे हैं ! श्री राम तो हमारे मन में, हृदय में और कण-कण में विराजमान हैं पूर्व से ही।  सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री राम, विष्णु जी के अवतार हैं और भगवान विष्णु के अन्तिम अवतार “कल्कि अवतार” को कलियुग का अंत होने के बाद धर्म की पुनर्स्थापना के लिए आना बाक़ी है। सियावर रामचंद्र की जय।”

भाजपा और RSS का कार्यक्रम बना दिया गया- मनोज झा

वहीं, प्राण प्रतिष्ठा पर RJD सांसद मनोज झा ने कहा है कि राम तो अंतर्मन में हैं। राम अयोध्या में भी हैं, राम कश्मीर में भी हैं, राम बिहार में भी हैं, राम महाराष्ट्र में भी हैं। बापू के तो हर कर्म में, हर क्षण में राम थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी इतिहास के साक्ष्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने की कला के जादूगर हैं लेकिन ये कला  चलती नहीं है। राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा का काम न्यायिक प्रकिया से हुआ है लेकिन इसे भाजपा और RSS का कार्यक्रम बना दिया गया है।

लालू यादव ने किया था इनकार

बता दें कि इससे पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अयोध्या में हो रहे राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने से इनकार कर दिया था। वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बने थे।

इस राज्य सरकार के लिए नई परेशानी, आंगनबाड़ी सेविकाओं ने शुरू किया जेल भरो आंदोलन

कुछ दिनों पहले तक मराठा आंदोलन कार्यकर्ताओं का गुस्सा झेल रहे महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के लिए नई समस्या खड़ी हो गई है। राज्य की आंगनबाड़ी सेविकाओं 4 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया था। हालांकि, अब मांगों को पूरा न होते देखकर आंगनबाड़ी सेविकाओं ने मंगलवार को नागपुर में जेल भरो आंदोलन शुरू किया है। नागपुर के वैरायटी चौक पर रास्ता रोक कर आंगनबाड़ी सेविकाओं ने विरोध प्रकट किया है।

क्या हैं प्रदर्शनकारियों की मांग?

महाराष्ट्र की लगभग 60000 से अधिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सेविकाएं राज्य सरकार से ग्रेच्युटी और उन्हें सरकारी कर्मचारियों की सूची में शामिल करने की मांग कर रही हैं। सेविकाओं द्वारा पहले की तरह पर्यवेक्षिका के पद पर पदोन्नति दी जाने की मांग समेत कई अन्य मांगे भी की जा रही हैं। अपनी मांगों को लेकर उन्होंने 4 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया था। सैकड़ों की संख्या में आंगनबाड़ी सेविकाएं मंगलवार को नागपुर के वैरायटी चौक पर एकत्र हुईं और वहां पर उन्होंने रास्ता रोको आंदोलन किया एवं अपनी गिरफ्तारी दी है।

अभी कितना वेतन मिलता है?

आंगनबाड़ी कर्मचारियों को 10000 रुपये का मानदेय मिलता है, जबकि सहायिकाओं को 5500 प्रति माह मिलता है। इन सभी की मांग है कि इन्हें आंगनबाड़ी सेविकाओं को 26000 रुपये प्रतिमाह दिया जाए। वहीं, सहायिकाओं को 20000 रुपये प्रतिमाह का भुगतान किया जाए। वहीं, प्रदर्शनकारियों की मांग है कि इन्हें सरकारी कर्मचारियों का दर्जा दिया जाए और सेवानिवृत्ति के बाद इन्हें पेंशन मिले।