1 मार्च यानी आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जन्मदिन है. 1 मार्च 1951 को नालंदा जिले के हरनौत कल्याण बिगहा में नीतीश कुमार का जन्म हुआ था, सीएम आज 73 वर्ष के हो गए हैं. मुख्यमंत्री कभी भी अपने जन्मदिन पर किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं होते हैं, इसलिए इस बार भी कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं हो रहा है, लेकिन उनके चाहने वाले उन्हें अपने-अपने तरीके से बधाई दे रहे हैं।

73 साल में 9 बार सीएम बनने का रिकॉर्ड: आरसीपी सिंह जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तो उन्होंने 1 मार्च को विकास दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया था, लेकिन अब आरसीपी सिंह पार्टी में नहीं हैं. पार्टी नेता और कार्यकर्ता अपनी खुशी से मुख्यमंत्री का जन्मदिन सेलिब्रेट करते हैं. 73 साल की उम्र में नीतीश कुमार ने 9 वीं बार मुख्यमंत्री की शपथ लेकर रिकॉर्ड बनाया है।

सीएम ने अपने विजन से बिहार को सुधारा: नीतीश कुमार पहली बार साल 2000 में सीएम की गद्दी पर बैठे थे. उन्होंने अपने विजन से बिहार को बीमार राज्य से बाहर निकाल कर विकास करने वाले राज्य की श्रेणी में खड़ा कर दिया है. नीतीश कुमार के पिछले दो दशक में लिए गए फैसले, न केवल बिहार में बल्कि बिहार से बाहर भी चर्चा में रहे हैं।

राजनीति से पहले बने थे इंजीनियर: नीतीश कुमार 2000 में मुख्यमंत्री बनने से पहले जेपी आंदोलन में काफी सक्रिय रहें. 1972 में बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से विद्युत इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी. कुछ समय बिहार राज्य बिजली बोर्ड में इंजीनियर के रूप में काम भी किया, लेकिन उसके बाद राजनीति में आ गये. छात्र राजनीति से लेकर नीतीश कुमार बिहार की मुख्य राजनीतिक धारा में प्रवेश किये।

लालू से राहें जुदा कर बनाई अपनी पहचान: 1990 के दशक में जब लालू प्रसाद यादव की बिहार की सत्ता में एंट्री हुई तो नीतीश कुमार भी उनके साथ थे, लेकिन लालू प्रसाद यादव से मतभेद होने के बाद बिहार की राजनीति में अपनी अलग पहचान बनानी शुरू की और इसमें बीजेपी ने पूरा सहयोग दिया. 2000 में बहुमत नहीं होने के कारण कुछ दिन के लिए ही मुख्यमंत्री बने थे. 2005 में दोबारा जब विधानसभा का चुनाव हुआ तो उसमें नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए को पूर्ण बहुमत मिली थी और उसके बाद से नीतीश कुमार लगातार बिहार में मुख्यमंत्री बने हुए हैं।

कभी महागठबंधन तो कभी एनडीए के साथ आए नीतीश: बीच के कुछ महीना को छोड़ दें जिसमें जीतन राम मांझी को नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री बना दिया था. 2015 में नीतीश कुमार लालू प्रसाद यादव के साथ एक बार फिर से चले गए थे और बिहार विधानसभा में प्रचंड जीत के बाद महागठबंधन की सरकार बनाई थी, लेकिन 2017 में NDA में वापसी हो गयी. 2019 लोकसभा चुनाव और 2020 विधानसभा चुनाव में एनडीए के साथ ही रहे थे, लेकिन 2022 में एक बार फिर से नीतीश कुमार ने पाला बदल लिया और लालू प्रसाद यादव की पार्टी के साथ बिहार में सरकार बना ली।

सुशासन बाबू के नाम से हुए मशहूर: लेकिन इस साल जनवरी में नीतीश कुमार ने एक बार फिर से पाला बदलकर एनडीए में शामिल होने का फैसला लिया और अब बिहार में एनडीए का नीतीश कुमार नेतृत्व कर रहे हैं. लोकसभा चुनाव को लेकर पिछले दिनों खूब चर्चा में भी रहे, क्योंकि विपक्षी दलों को एकजुट करने का अभियान चलाया था लेकिन उसमें नीतीश कुमार को सफलता नहीं मिली. मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार ने बिहार की 2005 से ही तस्वीर बदलनी शुरू कर दी थी. शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली और उससे भी बढ़कर कानून व्यवस्था में आमूल-चूल सुधार किया और इसी कारण नीतीश कुमार को विकास पुरुष सुशासन बाबू जैसे नाम से जाने जाना लगा. लेकिन लगातार पाला बदलने के कारण नीतीश कुमार पलटू राम और भी कई तरह के नामों से चर्चित हुये।

सीएम का राजनीतिक कार्यकाल: सीएम 1985 में पहली बार विधायक बने, 1989 में पहली बार सांसद बने. उसके बाद 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में भी सांसद बने. 1998 में केंद्र में रेल मंत्री और 1990 में केंद्र में कृषि और सहकारिता राज्य मंत्री बने, 2000 में फिर से केंद्र में कृषि मंत्री बनाए गए और 2001 में फिर से रेल मंत्री बनाए गए. 2000 में पहली बार 3 मार्च से 10 मार्च तक 7 दिनों के लिए मुख्यमंत्री बने. नवंबर 2005 में बिहार में फिर से मुख्यमंत्री बने और उसके बाद कुछ महीने छोड़ दें तो लगातार मुख्यमंत्री बने हुए हैं।

बिहार के विकास के लिए सीएम की योजनाएं: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कई फैसले और योजना चर्चा में रही, जिनमें से पंचायत में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण, प्रारंभिक विद्यालयों में महिलाओं को 50% आरक्षण, पुलिस सेवा और फिर सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35% आरक्षण, इंजीनियरिंग मेडिकल कॉलेज में नामांकन में 33% आरक्षण, बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू करना,लोक सेवा अधिकार कानून बनाना है।

गरीबों को मिला योजना का लाभ: वहीं हर घर नल का जल और हर घर बिजली योजना, लड़कियों के लिए साइकिल और पोशाक योजना, जल जीवन हरियाली अभियान और सात निश्चय योजना, सरकारी कामकाज में पारदर्शिता के लिए मंत्रियों, अधिकारियों की हर साल संपत्ति का ब्योरा जारी करना. वहीं लोहिया, जेपी कर्पूरी ठाकुर और बाबा साहब के रास्ते पर चलने का इनका दावा रहा है राजनीति में भी उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों की एंट्री नहीं होने दी इनका एकमात्र बेटा है, जो इंजीनियर है लेकिन वह भी राजनीति से दूर है।

बिहार में सुशासन की सरकार में बदलाव: अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में नीतीश जब रेल मंत्री और कृषि मंत्री थे तो उस समय भी इन्होंने कई बड़े फैसले लिए थे, जो काफी चर्चा में रहा. तत्काल रेल टिकट बुकिंग स्कीम की शुरुआत की थी, रेलवे में सुरक्षा कोष की शुरुआत की थी, कई ट्रेनों की शुरुआत की थी.बिहार में मुख्यमंत्री के रूप में इनका न्याय के साथ विकास कानून का राज जिसे सुशासन कहा गया।