इस बार छठ पूजा को लेकर मंजूषा साड़ी व सूप की मांग बढ़ गयी है। देश के विभिन्न जगहों पर साड़ियां व सूप भेजी गयी हैं। भागलपुर के बुनकर बड़े पैमाने पर कॉटन व सिल्क में मंजूषा उकेरी है। जो दिखने में काफी खूबसूरत है। मुख्य रूप से यह साड़ी दिल्ली, कोलकाता व झारखंड भेजी गयी।

बुनकर कल्याण समिति के पूर्व सदस्य अलीम अंसारी ने बताया कि दुर्गापूजा के समय ही मंजूषा वाली साड़ियां की मांग आयी थी। जिसको एक सप्ताह पहले ही दूसरे राज्यों में भेजा गया। कई साड़ियां में मंजूषा प्रिंट उकेरी गयी है। इसकी कॉटन साड़ी की कीमत 800 से 1500 रुपये हैं। कुछ साड़ियां सिल्क में तैयार हुई उसकी कीमत चार हजार से छह हजार रुपये है।

वहीं लोदीपुर के बुनकर भोला प्रसाद ने बताया कि मंजूषा साड़ी की मांग हाल-फिलहाल काफी बढ़ गयी है। हाथ की बुनाई वाली सिल्क साड़ी की कीमत अधिक पड़ती है। साड़ियां में मंजूषा हाथ वर्क होने से यहां के मंजूषा कलाकारों से भी रोजगार मिला है। मंजूषा गुरु मनोज पंडित ने सिल्क साड़ियां के कारण यहां मंजूषा कलाकारों को अच्छा काम मिल रहा है। एक-एक साड़ियां में मंजूषा उकेरने में पांच-पांच दिन लग जाता है और मजूदरी के रूप में 25 सौ रुपये तक कीमत मिलती है।

500 मंजूषा सूप तैयार अमेरिका भेजा गया

भागलपुर के हुनरमंद बुनकरों ने 500 मंजूषा वाली सूप भी तैयार किया। इस सूप की मांग देश-विदेश में खूब हुई। मंजूषा गुरु ने बताया कि कुछ सूप अमेरिका भी भेजी गयी। इसके अलावा दिल्ली में 200 से ऊपर सूप भेजी गयी। कुछ सूप जो बचा है उसकी मांग स्थानीय स्तर पर हो रही है। कई रिश्तेदारों ने भी इसकी मांग की है। उन्होंने बताया कि सूप को तैयार करने में दो से तीन घंटे का समय लगता है। उधर, कलाकार अनुकृति ने भी अपने रिश्तेदारों के लिए सूप में मंजूषा उकेरी है। उन्होंने बताया कि छठ पूजा पर अब इस तरह की सूप की मांग बढ़ रही है।


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