16 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में EVM-VVPAT से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई होनी है।सुप्रीम कोर्ट में इससे जुड़ी दो याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई होगी।

ईवीएम (EVM) को लेकर विपक्ष लगातार अपनी मांग रख रहा है।उसका कहना है कि ईवीएम (EVM) के सभी वोटों की गिनती VVPAT की पर्चियों से कराई जाए।यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है. इस मामले पर सुनवाई की अगली तिथि 16 अप्रैल को तय की गई है।मार्च 2023 में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने 100 प्रतिशत ईवीएम वोटों और VVPAT की पर्चियों का मिलान करने मांग को लेकर याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच इस याचिका पर सुनवाई कर रही है।

इस दौरान समा​जिक कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल ने भी ऐसी डिमांड सुप्रीम कोर्ट के सामने रखी थी. उनकी याचिका पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था. मगर अब 16 अप्रैल को इन दोनों ही याचिकाओं पर जस्टिस खन्ना और जस्टिस दत्ता की बेंच सुनवाई करेगी।

एडीआर ने अपनी याचिका में बताया ​कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को लेकर EVM के वोटों और VVPAT की पर्चियों क्रॉस-वेरिफाई होना चाहिए. एडीआर का सजेशन है कि ये प्रक्रिया जल्द होनी चाहिए. इसे लेकर VVPAT पर बारकोड का उपयोग किया जा सकता है. ये पहली बार नहीं है कि EVM में दर्ज वोटों और VVPAT की पर्चियों से मिलान को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई है।

अब तक क्या होता रहा है

आपको बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भी 21 विपक्षी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इसमें डिमांड थी कि 50 प्रतिशत वोटों को वीवीपैट (VVPAT) से मिलान किया जाए. इस याचिका को लेकर चुनाव आयोग का सुप्रीम कोर्ट का जवाब था कि इसमें समय लगेगा. इसमें कम से कम पांच दिन का समय लग जाएगा. इसके बाद आठ अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अपना फैसला ​सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि हर लोकसभा की 5 EVM में डाले वोटों का मिलान VVPAT से करने का आदेश दिया।

इससे पहले चुनाव आयोग एक EVM में दर्ज वोटों को VVPAT की पर्चियों से मिलान करता था. बाद में 21 विपक्षी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका का दायर किया. जिसे बाद में खारिज कर दिया गया. कोर्ट का कहना था कि वो पुराने निर्णय को नहीं बदलना चाहती।

ये VVPAT क्या है?

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) ने 2013 में VVPAT यानी वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल मशीनें को आकार दिया था. दो सरकारी कंपनियां हैं, ये EVM यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें भी तैयार करती हैं. 2013 के नागालैंड विधानसभा चुनाव के दौरान VVPAT मशीनों का सबसे अधिक उपयोग हुआ था. 2014 के लोकसभा चुनाव की कुछ सीटों पर भी इन मशीनों का उपयोग किया. इसके बाद 2017 के गोवा विधानसभा चुनाव में इसे उपयोग में लाया गया।

इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में पहली बार VVPAT मशीनों का उपयोग पूरे देश में किया गया. उस चुनाव के दौरान 17.3 लाख से ज्यादा VVPAT मशीनों का उपयोग हुआ. मतदान में पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए VVPAT को सामने लाया गया था. इसे EVM से कनेक्ट किया जाता है. जब वोटर वोट को डालता है तो एक पर्ची निकल पड़ती है. इस पर्ची में उम्मीदवार का नाम और चुनाव चिन्ह अंकित होता है, जो दर्शाता कि किस पार्टी को उसने मतदान दिया है।


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