संघर्ष की अनमोल मिसाल- पिता बेचते थे खैनी, खुद ट‍्यूशन पढ़ा पहले IIT फिर IAS का सपना साकार किया : आज हम आपको बिहार के निरंजन कुमार की कहानी सुनाने जा रहे हैं जिनके पिता खैनी बेचा करते थे. पिता के सपने को साकार करने के लिए निरंजन में जमकर मेहनत की. घर-घर जाकर ट्यूशन पढ़ाया. self-study के माध्यम से पहले आईआईटी और फिर यूपीएससी परीक्षा पास कर माता-पिता का नाम रोशन किया।

नवादा के पाकीबारा बाजार निवासी निरंजन कुमार को यूपीएससी में 535वां रैंक आया है। निरंजन को 2017 में 728वां रैंक मिला था और वे आईआरएस के लिये चुने गये थे। नौकरी के साथ-साथ उन्होंने यूपीएससी की तैयारी जारी रखी। नवादा जिले के पकरीबारां प्रखंड मुख्यालय निवासी अरविंद कुमार व यशोदा देवी पुत्र निरंजन कुमार की कहानी संघर्ष की मिसाल है। निरंजन के पिता मूल रूप से वारिसलीगंज के रहने वाले हैं और सालों से पकरीबारां में रह रहे हैं। उनकी पकरीबरावां बाजार में एक छोटी खैनी की दुकान थी।वह अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, शिक्षकों, अपने परिवार के सदस्यों, अपनी पत्नी और अपनी छोटी बेटी को देते हैं। उन्होंने 2004 में जवाहर नवोदय विद्यालय रेवार से मैट्रिक की परीक्षा पास की। 2006 में साइंस कॉलेज पटना से इंटर की परीक्षा पास की। इसके बाद उन्होंने तैयारी करके आईआईटी में सफलता हासिल की।

निरंजन ने बताया कि नियमित रूप से पढ़ाई करने से ही सफलता मिलती है। इसके लिये कड़ी मेहनत और लगन की जरूरत है। नौकरी और परिवार के समय के कारण उन्हें तैयारी के लिये ज्यादा समय नहीं मिल सका। वह नियमित रूप से केवल पांच से छह घंटे ही अध्ययन कर पाते थे। पहली बार 2017 में तीसरे प्रयास में उन्हें सफलता मिली।

कभी बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना पड़ता था तो कभी कई किलोमीटर पैदल चलकर कोचिंग के लिये जाना पड़ता था। एक छोटे से गांव के रहने वाले निरंजन कुमार ने जब यूपीएससी की तैयारी के बारे में सोचा तो यह उनके लिये आसान नहीं था। उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। पिता की एक छोटी खैनी की दुकान थी, जिससे किसी तरह घर चल रहा था। परिवार के लिये चार भाई-बहनों की शिक्षा का प्रबंध करना बहुत कठिन था, इसके बाद भी न तो परिवार ने निरंजन का साथ छोड़ा और न ही उन्होंने हार मानी।

जब निरंजन का चयन नवोदय विद्यालय में हुआ तो उनकी पढ़ाई का खर्च कुछ कम हुआ। यहां से 10वीं करने के बाद वह इंटर की पढ़ाई के लिये पटना चले गये। एक बार फिर निरंजन को पढ़ाई के लिये पैसों की जरूरत थी। इसके लिये उन्होंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया।

अपनी कोचिंग के लिये प्रतिदिन कई किलोमीटर पैदल चला। तब जाकर उसकी पढ़ाई शुरू हो सकी। 12वीं के बाद उनका IIT के लिये चयन हो गया। यहीं से परिवार को कुछ उम्मीद मिलने लगी। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद उन्हें कोल इंडिया में नौकरी मिल गई। इसके बाद निरंजन ने भी शादी कर ली, लेकिन उनका सपना आईएएस बनने का था। इसके लिये उन्होंने एक बार

निरंजन की मेहनत और संघर्ष तब सफल हुआ जब उन्होंने 2017 में यूपीएससी को पास किया। रैंक के हिसाब से उनका तब आईआरएस के लिये चयन हो गया था। हालांकि इसके बाद भी उन्होंने यूपीएससी में अच्छी रैंक हासिल करने के लिये अपनी तैयारी जारी रखी।


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