मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गए हैं। इधर, बिहार में ‘खेला’ शब्द हर तरफ से खेल में है। सत्तारूढ़ जनता दल यूनाईटेड के साथ भारतीय जनता पार्टी भी बहुमत हासिल करने को आश्वस्त है। जदयू-भाजपा के मंत्रियों के साथ हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा-सेक्युलर के प्रमुख जीतन राम मांझी भी अब दुहरा रहे हैं कि 12 फरवरी को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई सरकार बहुमत हासिल कर लेगी। सत्तासीन मंत्री कह रहे कि बहुमत हासिल करना अगर खेला है, तो वह खेल जीत लेंगे। लेकिन, इन सबके बीच कहीं न कहीं कोई सियासी खिचड़ी जरूर पाक रही है। यही वजह है कि नीतीश कुमार ने विधानमंडल बजट सत्र से पहले अपने विधायकों की बैठक बुलाई है।

दरअसल, बिहार में गठबंधन की नई सरकार को विधानमंडल में बहुमत साबित करना है। एवं नीतीश कुमार ने एक बड़ा फैसला लिया है नीतीश कुमार नया फैसला लिया है कि 11 फरवरी को जदयू विधायक दल की बैठक आयोजित होगी। बैठक में जदयू के सभी विधायकों को अनिवार्य रूप से शामिल होने का निर्देश दिया गया।

मिली जानकारी के अनुसार, जदयू की बैठक शाम 5:00 बजे विजय चौधरी के आवास पर बुलाई गई है। यह बैठक फ्लोर टेस्ट से पहले बुलाई गई है इसका मतलब यह साफ निकल जा रहा है नीतीश कुमार अपने विधायकों को एकजुट करना चाहते हैं। इसकी वजह है कि बिहार में नयी बनी एनडीए सरकार के बहुमत साबित करने से पहले संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी है।

बिहार विधानसभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने आज चौंकाने वाला एलान कर दिया।उन्होंने अपने खिलाफ आये अविश्वास प्रस्ताव की कोई जानकारी नहीं की बात कहते हुए कहा है कि वे कुर्सी नहीं छोडेंगे। यानि 12 फरवरी को जब नीतीश कुमार विश्वास मत पेश करेंगे तो उस दौरान राजद के अवध बिहारी चौधरी कुर्सी पर जबरन बने रहेंग। जाहिर है उनकी बातों से बड़े संकट के आसार नजर आने लगे हैं।


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