बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से ही पूर्व सीएम जीतन राम मांझी इस कानून में ढील देने की मांग उठाते रहे हैं। सरकार में रहते हुए भी मांझी ने अपनी ही सरकार पर शराबबंदी को लेकर सवाल उठाए थे। पिछले दिनों उन्होंने गुजरात की तर्ज पर बिहार में शराबबंदी कानून को लागू करने की मांग की थी। शराबबंदी में छूट देने की मांग करने वालों में सिर्फ मांझी ही अकेले नहीं हैं। जीतन राम मांझी को अब कांग्रेस का साथ मिल गया है। बिहार कांग्रेस ने भी मुख्यमंत्री से शराबबंदी कानून पर पुनर्विचारकरने की मांग कर दी है।

दरअसल, बिहार में लागू पूर्ण शराबबंदी को खत्म करने की मांग लगातार उठती रही है। खासकर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी इसको लेकर हमेशा से आवाज उठाते रहे हैं। रविवार को मांझी ने मांग उठाई थी कि जिस तरह से गुजरात में वर्षों से शराबबंदी लागू रहने के वाबजूद वहां की सरकार ने छूट दे दी है उसी तरह से बिहार में भी शराबबंदी का गुजरात मॉडल लागू हो। मांझी ने कहा था कि शराब एक पेय पदार्थ है और जरुरत के मुताबिक उसका इस्तेमाल फायदेमंद होता है।

जीतन राम मांझी की इस मांग का राजापाकर की कांग्रेस विधायक प्रतिमा दास ने समर्थन किया है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस पर पुनर्विचार करने की मांग कर दी है।प्रतिमा दास ने कहा कि जीतन राम मांझी गुजरात मॉडल की चर्चा कर रहे हैं लेकिन बिहार में किसी मॉडल को लागू करने की जरूरत नहीं है क्योंकि बिहार मॉडल अन्य राज्यों में लागू करने की कोशिश हो रही लेकिन रही बात शराबबंदी की तो मुख्यमंत्री को शराबबंदी पर फिर से विचार करना चाहिए।

उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की है कि शराबबंदी को लेकर सभी संगठन और सभी दलों के साथ एक बार रिव्यू बैठक होना चाहिए। राज्य में शराबबंदी कानून लागू होने का बावजूद जिस तरीके से शराब माफिया का मनोबल बढ़ाता जा रहा है वह बहुत ही खतरनाक है। राज्य में पुलिस अधिकारी शराब माफिया के हमले के शिकार हो रहे हैं। पिछले 6 महीने में कई पुलिस अधिकारियों की हत्या की गई और कई जानलेवा हमले हुए, यह चिंता का विषय है। इसलिए बिहार में लागू शराब बंदी कानून पर एक बार पुनर्विचार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पुरानी कहावत है कि किसी भी चीज को ज्यादा कस के बांधिएगा तो वह टूट जाएगा।


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