महाराष्ट्र की सियासत में उलटफेर के बीच बिहार में सियासी हलचल तेज है. इसी बीच राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश नारायण ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की है. इसकी चर्चा सियासी गलियारे में ज्यादा हो रही है. ऐसा माना जाता है कि जेडीयू सांसद हरिवंश की पहचान नीतीश कुमार और पीएम मोदी की कड़ी के तौर पर रही है. नीतीश कुमार एनडीए से अलग हो गए मगर हरिवंश आज भी राज्यसभा के सभापति बने हुए हैं. इस मुलाकात के बाद महागठबंधन की पार्टियों और बीजेपी के बीच बयानबाजी शुरू हो गई है।

दरअसल हरिवंश को सीएम नीतीश कुमार ने जेडीयू से राज्यसभा सांसद बनाया था और फिर बीजेपी के सहयोग से उन्हें राज्यसभा में उपसभापति बनाया था. इस बीच नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया पर हरिवंश ने उपसभापति का पद नहीं छोड़ा था,जिसकी वजह से यह चर्चा होने लगी थी कि हरिवंश बीजेपी के संपर्क में हैं और आनेवाले दिनों में बड़ा कदम उठा सकते हैं. इस बीच हरिवंश ने नीतीश कुमार से मुलाकात की है और करीब डेढ घंटे तक बातचीत हुई है. हालांकि, ये मुलाकात क्यों हुई और इसको लेकर अभी तक कुछ भी स्पष्ट तौर पर कुछ सामने नहीं आया है।

ये मुलाकात इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है कि बिहार की सियासत में भी बदलाव के कयास लगाए जा रहे हैं. सीएम नीतीश कुमार का अपने विधायकों और सांसदों से वन टू वन मिलने के बाद से इस बात को और हवा मिली है. इसके पहले बीते 28 जून को बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से राजभवन जाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी के अलग-अलग मिलने से भी कड़ियां जोड़ी जा रही हैं. इसके बाद जमीन के बदले नौकरी घोटाले में चार्जशीट और सुशील मोदी द्वारा तेजस्वी यादव को बर्खास्त किए जाने की मांग से भी कड़ियों की लड़ियां जोड़ी जाने लगी हैं।

वहीं प्रशांत किशोर ने भी कहा था कि बीजेपी को जब नीतीश कुमार ने छोड़ा और उस गठबंधन से बाहर आए तो हरिवंश ने न उपसभापति के पद से इस्तीफा दिया है और न पार्टी ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा है. उनका कहना था कि मेरी जानकारी के अनुसार नीतीश कुमार का बीजेपी के साथ संपर्क हरिवंश जी के माध्यम से बना हुआ है. बता दें कि हरिवंश नारायण जेडीयू से एमपी हैं और वे दो कार्यकाल से राज्यसभा के उपसभापति हैं. जदयू ने जब एनडीए से अलग होने का फैसला किया था तब भी हरिवंश अपने पद पर बने रहे थे. बीते दिनों जदयू अध्यक्ष ललन सिंह ने हरिवंश को अपने निशाने पर लिया था, बावजूद इसके वे अभी तक उपसभापति के पद पर बने हुए हैं।


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