दो दिन हुए जब ललन सिंह की जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से विदाई हो गयी थी. ललन सिंह के पद छोड़ने को लेकर तरह-तरह की चर्चायें सियासी गलियारे में हो रही हैं. कहा ये जा रहा है कि वे जेडीयू के अध्यक्ष पद पर रहकर नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाने और तेजस्वी यादव को सीएम बनाने की प्लानिंग रच रहे थे. अब ललन सिंह ने अपनी जुबानी अपने पद छोड़ने की कहानी बतायी है. ललन सिंह ने कहा है-मैंने जबरस्ती राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ा है. नीतीश जी इसके लिए कतई तैयार नहीं थे, वे तो कह रहे थे कि अगर मैंने इस्तीफा दिया तो वे दीवार में माथा फोड़ लेंगे।

ललन सिंह की कहानी पढ़िये

ललन सिंह ने एक न्यूज चैनल को इंटरव्यू दिया है. उसमें अपने त्याग पत्र की कहानी सुनायी है. ललन सिंह ने कहा-“मैं तो उस समय भी अध्यक्ष नहीं बनना चाहता था जब आरसीपी सिंह ने इस्तीफा दिया. 30 जुलाई 2021 को पहली बार जेडीयू का अध्यक्ष बना. उस समय जब नीतीश कुमार ने जब इसका प्रस्ताव किया तो मैंने साथ साफ साफ कह दिया था कि मुझे छोड़ दीजिए. नीतीश जी बार-बार दबाव बनाने लगे.”

नीतीश जी ने 5 दिनों तक बात नहीं की

ललन सिंह ने कहा है-“मैं तो 2021 में ही हाथ जोड़कर नीतीश कुमार से कह रहा था कि मुझ पर दबाव मत दीजिए. इसके बाद नीतीश कुमार नाराज हो गए. उन्होंने मुझसे पांच दिनों तक बात ही नहीं की थी. मैंने उनके दबाव पर 2021 में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को स्वीकार कर लिया, मेरी कोई इच्छा नहीं थी.”

2022 में भी मना किया था

ललन सिंह ने इस इंटरव्यू में कहा है-“2022 में फिर से पार्टी का सांगठनिक चुनाव हुआ. 2022 के दिसंबर में पार्टी की सदस्यता के बाद चुनावी प्रक्रिया चल रही थी, राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गयी थी. पार्टी की ओर से चुनाव पदाधिकारी अनिल हेगड़े थे. अनिल हेगड़े ने मुझसे कहा कि नीतीश जी ने कहा है कि आप राष्ट्रीय अध्यक्ष के नामांकन फार्म पर दस्तखत कर दीजिए।

मैंने उस समय भी कहा कि मुझे अध्यक्ष बनने की इच्छा नहीं है इसलिए दस्तखत नहीं करूंगा. इसके बाद नीतीश कुमार ने मुझे बुलाया और कहा कि आप नामांकन नहीं करेंगे तो प्रस्तावक के तौर पर किसी और के नामांकन फार्म पर साइन नहीं करूंगा. 2022 में भी नीतीश जी के दबाव पर मैं अध्यक्ष बना.”

ललन सिंह ने कहा कि पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के कारण मुझे अपने लोकसभा क्षेत्र में जाने में लगातार परेशानी हो रही थी. अगर पार्टी के काम में लगा तो क्षेत्र का काम प्रभावित होता था. अगर क्षेत्र में रहा तो पार्टी का काम प्रभावित होता था. इसलिए मैंने बार-बार चाह रहा था कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का काम छोड़ दूं।

नीतीश ने कहा-माथा फोड़ लूंगा

ललन सिंह ने कहा है-“2022 के बाद मैंने कई बार मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि आपका आदेश पर इतने दिनों तक पार्टी को चला लिया. अब मुझे इस पद से मुक्त कर दीजिए. मेरी बात पर नीतीश जी गुस्सा हो गये थे. उन्होंने मुझसे कहा कि अगर अध्यक्ष पद छोड़ने की बात करिएगा तो हम दीवार में माथा फोड़ लेंगे. उनकी बात सुनकर मैं चुप हो गया था.”

ललन सिंह ने कहा-“लेकिन मैंने क्षेत्र के काम के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को छोड़ने का फैसला ले लिया था. पिछले दिनों मैंने अकेले में एक दिन मुख्यमंत्री से विनती किया कि चुनाव आ गया है और क्षेत्र में जाने का समय नहीं मिलता है. लगातार क्षेत्र में नहीं रहेंगे तो मेरा चुनाव प्रभावित हो जाएगा. मैंने नीतीश जी को समझाया कि मैं ना तो पार्टी को समय दे पा रहा हूं और ना क्षेत्र की जनता को. दोनों के साथ गलत हो रहा है इसलिए मुझे अब इस पद से मुक्त कर दीजिए. इस पर उन्होंने कहा कि जब आप इतना आग्रह कर रहे हैं और आपका चुनाव हैं तो हट जाइए. लेकिन हम किसी और को अध्यक्ष नहीं बनाएंगे बल्कि खुद जिम्मेदारी संभालेंगे.”

ललन सिंह ने दावा किया कि अध्यक्ष पद से इस्तीफे की सारी प्रक्रिया मेरी सहमति से और नीतीश कुमार की इच्छा से हुई. मैंने लोकसभा चुनाव से पहले इसलिए इस्तीफा दिया कि मुझे भी तो चुनाव लड़ना है. अध्यक्ष पद पर रहते हुए मुझे कई राज्यों का दौरा करना पड़ता और मैं अपने क्षेत्र मुंगेर में समय नहीं दे पाता।

मैंने बनायी थी राजद से समझौते की रणनीति

ललन सिंह ने 2022 में नीतीश के पलटी मारने की भी कहानी बतायी. उन्होंने कहा कि राजद ने 2022 में नीतीश कुमार को महागठबंधन बनाने का ऑफर दिया था. नीतीश कुमार उस समय बीजेपी द्वारा किये जा रहे अपमान से आहत थे. इसलिए उन्होंने उस ऑफर को स्वीकार कर लिया. ललन सिंह ने कहा कि एनडीए से निकलकर महागठबंधन बनाने का ऑफर राजद की ओर से आया तो नीतीश कुमार ने मुझे बात करने के लिए अधिकृत किया था।

मैंने कोई साजिश नहीं रची

ललन सिंह ने कहा कि वे समता पार्टी बनाने वालों में से हैं. बाद में समता पार्टी जेडीयू बनी. जिस पार्टी को मैंने 1995 में खड़ा किया, उसे मैं ही कैसे तोड़ सकता हूं. ये सब भाजपा प्रायोजित मीडिया का प्रचार है कि मैं पार्टी तोड़ कर तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनवा रहा था. ऐसी खबर चलाने वालों को मैं लीगल नोटिस देने जा रहा हूं।

ललन सिंह ने उस दौर की भी चर्चा की जब वे नीतीश कुमार से अलग हो गये थे. उन्होंने कहा कि 2010 से 2013 तक मेरा नीतीश कुमार से मतभेद रहा फिर भी मैं किसी दूसरी पार्टी में नहीं गयी. 2010 में नीतीश कुमार से अलग होने के बाद मैं 2013 में वापस नीतीश कुमार के साथ आ गया था. मैं उस समय भी वापस इसलिए लौटा था क्योंकि जेडीयू मेरा अपना घर था और अपना घर छोड़कर किराये के घर में रहने का आदि नहीं हूं।