बिहार में जननायक कर्पूरी ठाकुर की शताब्दी जयंती धूमधाम से मनाई गई. बिहार के लोगों के लिए खुशी इस बात की भी रही कि उनके शताब्दी जयंती के मौके पर उन्हें भारत रत्न देने का ऐलान भी केंद्र सरकार ने कर दिया. इस बीच भारत रत्न दिलाने का श्रेय लेने की होड़ और खुद को कर्पूरी ठाकुर का वारिस और पैरोकार बताने की जंग भी जारी रही. आरजेडी की ओर से आयोजित कार्यक्रम में लालू यादव ने खुद को कर्पूरी का असल वारिस बताया तो वहीं जेडीयू के कार्यक्रम में सीएम नीतीश ने खुद को कर्पूरी का सच्चा पैरोकार बताया।

कर्पूरी जयंती पर गर्म रही सियासतः जेडीयू द्वारा आयोजित कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने साफ तौर से कहा कि कर्पूरी ठाकुर परिवारवाद के खिलाफ थे, मैंने भी अपने बेटे को कभी आगे नहीं बढ़ाया मैनें अपने भाई यानी उनके बेटे रामनाथ ठाकुर को आगे बढ़ाया. नीतीश कुमार के इस बयान से ये तो साफ हो गया कि उन्होंने लालू यादव के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने खुद को कर्पूरी ठाकुर का असली वारिस बताया. हालांकि राजनीतिक विश्लेषक रवि उपाध्याय का कहना है कि यह बात सही है कि कर्पूरी ठाकुर ने अपनी विरासत लालू प्रसाद यादव को सौंप थी. शुरुआती दौर में उन्होंने कर्पूरी ठाकुर के बताए रास्ते पर चलने की कोशिश की लेकिन बाद के दिनों में वह रास्ते से भटक गए।

‘हमारे प्रयासों से ही मंडल कमीशन आया’: लालू प्रसाद यादव को नेता विरोधी दल बनाया गया था. कर्पूरी ठाकुर के कारवां को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी लालू प्रसाद यादव के कंधों पर थी, लालू प्रसाद यादव ने सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ी और गरीबों को बराबरी का हक दिलाने के लिए संघर्ष किया. आपको बता दें कि उस समय लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार एक साथ थे. बाद में दोनों के रास्ते अलग-अलग हो गए. राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने दवा कि हमारे प्रयासों से ही मंडल कमीशन आया, जननायक कर्पूरी ठाकुर का यह सपना भी था लालू ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिले इसके लिए हम लंबे अरसे से संघर्ष कर रहे थे।

लालू यादव ने किया विरासत का दावाः कर्पूरी ठाकुर की 100 वीं जयंती पर लालू यादव ने दावा किया कि कर्पूरी ठाकुर ने जब अंतिम सांस ली थी तब मैं उनके साथ था. उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि मैंने कभी भी सिद्धांत के साथ समझौता नहीं किया. कई लोगों ने तो सांप्रदायिक शक्तियों से हाथ मिलाया, लेकिन हमारे नेता ने कभी भी सांप्रदायिक शक्तियों से हाथ नहीं मिलाया. हालांकि कर्पूरी के सिद्धांतों पर चलने की दुहाई देने वाले राजद नेताओं ने सही रूप में जननायक को आत्मसात नहीं किया. बाद में लालू प्रसाद यादव के रास्ते अलग हो गए और धन अर्जित करने में लग गए. परिवार के कई लोगों को राजनीति में महत्वपूर्ण जगह दी. भ्रष्टाचार के मामले में भी लालू प्रसाद यादव कटघरे में रहे।

भारत रत्न पर श्रेय लेने की मची होड़ः जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती जेडीयू ने भी पूरे उत्साह के साथ मनाया. इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हम कांग्रेस और यूपीएस सरकार से भी मांग कर रहे थे, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने जननायक को भारत रत्न दिया, इसके लिए हम उन्हें धन्यवाद करते हैं. नीतीश ने बगैर नाम लिए हुए कहा कि कुछ लोग तो राजनीति में परिवारवाद को बढ़ावा देने में लग गए हैं. जदयू का दावा है कि कर्पूरी ठाकुर के सिद्धांतों पर ही पार्टी का गठन किया गया. वो शराबबंदी के हिमायती थे और उन्हीं के सिद्धांतों के हिसाब से नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी किया. इसके अलावा नीतीश कुमार ने कभी भी परिवारवाद को बढ़ावा नहीं दिया ना ही उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे।

‘तेजस्वी यादव में कौन सा गुण नहीं है’

नीतीश के परिवारवाद के बयान का जवाब देते हुए राष्ट्रीय जनता दल के नेता और शिक्षा मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि तेजस्वी यादव में कौन सा गुण नहीं है. जिसके चलते वह सफल राजनीतिज्ञ नहीं हो सकते क्या सिर्फ लालू प्रसाद यादव के पुत्र होने के चलते उन पर परिवारवाद का आरोप लगेगा. नीतीश कुमार के बयान को लेकर तेजस्वी यादव ने भी अपने अंदाज में उन्हें जवाब दिया तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारी पार्टी ने कभी सांप्रदायिक शक्तियों से हाथ नहीं मिला लेकिन कुछ लोगों ने तो घुटने टेक दिए।

“ये आप लोग कह रहे हैं, नीतीश कुमार ने किसी का नाम नहीं लिया. अगर ये आप का सवाल है तो हम पूछते हैं कि तेजस्वी यादव में कौन सा गुण नहीं है. जिसके चलते वह सफल राजनीतिज्ञ नहीं हो सकते, क्या सिर्फ लालू यादव के पुत्र होने के चलते उन पर परिवारवाद का आरोप लगेगा”- आलोक मेहता, शिक्षा मंत्री व आरजेडी नेता

लालू प्रसाद यादव ने शुरुआती दौर में कर्पूरी ठाकुर के बताए रास्ते पर चलने की कोशिश की. बात के दिनों में वह रास्ते से भटक गए. नीतीश कुमार ने कारवां को आगे बढ़ाया और शराबबंदी को लागू करने का काम किया. परिवारवाद से नीतीश कुमार का दूर-दूर तक नाता नहीं है. नीतीश कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप भी नहीं लगे. जाहिर तौर पर नीतीश कुमार जननायक के कारवां को आगे बढ़ने का काम कर रहे हैं”- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक

जेडीयू-आरजेडी दोनों के अपने-अपने दावे

जननायक कर्पूरी ठाकुर सादगी के प्रतीक माने जाते थे. मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री रहने के बाद भी जननायक झोपड़ीनुमा घर में रहते थे और अपने राजनीतिक जीवन में परिवार के किसी भी सदस्य को उन्होंने मौका नहीं दिया. जननायक परिवारवाद के विरोधी थे. शराबबंदी को लेकर भी जननायक में पहल की थी. वह जिंदगी भर अति पिछड़ा दलित और शोषण को बराबरी का अधिकार मिले इसके लिए संघर्ष करते रहे. आज उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का दावा जेडीयू और आरजेडी दोनों कर रही है।


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