पुरी में निकलने वाली भगवान जगन्नाथ की विश्वप्रसिद्ध रथयात्रा का मंगलवार रात्रि को शुभारंभ हो जाएगा। आज रात्रि 10.04 बजे भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलदाऊ के साथ बाहर रथ भ्रमण पर निकलेंगे। रथ अगले दिन बुधवार को सायं 7.09 बजे भगवान के मायके (मौसी के घर) पहुंचेंगे। यहां पर वे नौ दिनों तक रुकेंगे और उसके बाद वापिस अपने धाम लौट आएंगे।

खिचड़ी और फलाहार का लगता है भोग

रथयात्रा के पहले दिन भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलदाऊ को भोजन में खिचड़ी परोसी जाती है। इसके बाद वे फलाहार भोजन भी करते हैं। अगले दिन सुबह भगवान स्नान कर गुंडिचा मंदिर में प्रवेश करते हैं। यहां पर वे नौ दिनों तक रुक कर वापिस अपने मंदिर में आ जाते हैं।

इस मुहूर्त में होता है भगवान की नई मूर्ति का उद्घाटन

हिंदू पंचांग के अनुसार जिस वर्ष में दो आषाढ़ माह आते हैं, उसी वर्ष भगवान की प्रतिमा भी बदली जाती है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार प्रत्येक 12 से 15 वर्षों में ऐसा एक बार होता है। उस दौरान मंदिर के बाहर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी जाती है ताकि कोई भी अंदर प्रवेश न कर सकें।

पुजारी की आंखों पर बांधी जाती है पट्टी (Jagannath Rath Yatra 2023)

मंदिर में प्रचलित परंपरा के अनुसार देव प्रतिमाओं में ब्रह्म पदार्थ होता है। जब भी प्रतिमा बदली जाती है तो प्रतिमा बदलने वाले पुजारी की आंखों पर एक पट्टी बांध दी जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि वह ब्रह्म पदार्थ को न देख सकें। पुजारी बंद नेत्रों से ही इस ब्रह्म पदार्थ को पुरानी प्रतिमा से बाहर निकाल कर नई प्रतिमा में स्थापित कर देता है। इस प्रकार निर्मित की गई प्रतिमा को मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित किया जाता है।


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