उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री मामले में राहुल गांधी की प्रतिक्रिया आई सामने

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की तृणमूल कांग्रेस सांसद द्वारा मिमिक्री किए जाने के मामले में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने बताया है कि उन्होंने जो वीडियो रिकॉर्ड किया था, वह उनके फोन में है। इसके साथ ही, कांग्रेस समेत विपक्षी सांसदों को सदन से सस्पेंड किए जाने को लेकर मीडिया पर निशाना साधा है। राहुल ने दो टूक कहा है कि 150 सांसदों को बाहर फेंक दिया गया, लेकिन मीडिया में उस पर कोई चर्चा नहीं हो रही है।

वायनाड से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, ”वहां पर सांसद बैठे थे और मैंने उनका वीडियो लिया। मेरा वीडिया फोन में है। हमारे 150 सांसदों को बाहर फेंक दिया। उसके बारे में मीडिया में कोई चर्चा नहीं हो रही है। अडानी, राफेल पर कोई बात नहीं हो रही है। बेरोजगारी और महंगाई भी मुद्दा नहीं है। हमारे सांसद दुखी हैं और बाहर बैठे हैं। लेकिन आप तो मिमिक्री की बात कर रहे हैं।”

बता दें कि संसद में पिछले दिनों हुई सुरक्षा चूक मामले में कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष सदन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग कर रहा है। इसको लेकर कई दिनों से लोकसभा और राज्यसभा में विपक्षी सांसद हंगामा कर रहे थे, जिसके बाद तख्तियां दिखाने और सदन की अवमानना करने को लेकर कुल 143 सांसदों को शीतकालीन सत्र से सस्पेंड कर दिया गया। बाद में निलंबन के खिलाफ विरोध में संसद परिसर में विपक्षी सांसदों ने प्रदर्शन किया, जिस दौरान टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने उपराष्ट्रपति धनखड़ की मिमिक्री की। इस दौरान कई सांसद हंसते हुए दिखाई दिए, जबकि राहुल गांधी मिमिक्री का वीडियो बनाते दिखे। बीजेपी समेत पूरे एनडीए ने उपराष्ट्रपति की मिमिक्री करने और उसे रिकॉर्ड किए जाने का विरोध किया है।

PM उम्मीदवार पर जदयू बोली- सिर्फ नीतीश ही प्रधानमंत्री बनकर सभी को साथ लेकर चल सकते हैं

दिल्ली में हुई इंडी गठबंधन की चौथी बैठक से पहले जेडीयू मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पीएम उम्मीदवार के लिए सर्व गुण संपन्न बता रही थी लेकिन मंगलवार को हुई बैठक में विपक्ष के साझा पीएम उम्मीदवार के तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम प्रस्तावित किए जाने के बाद जेडीयू को बड़ा झटका लगा है। इसको लेकर एक तरफ जहां बीजेपी हमलावर हो गई है तो वहीं जेडीयू को अब भी उम्मीद है कि नीतीश को नेतृत्व का मौका मिलेगा और वे ही पूरे देश को साथ लेकर चल सकते हैं।

कल तक सीएम नीतीश को पीएम मटेरियल बताने वाले बिहार सरकार के मंत्री जमा खान ने बैठक में खरगे का नाम प्रस्तावित करने पर कहा कि पूरे देश की आम जनता में नीतीश कुमार को लेकर ललक थी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विकास पुरुष हैं और उनकी छवि बहुत अच्छी है। नीतीश कुमार की छवि को देखते हुए सभी लोगों उम्मीद थी कि उनके नेतृत्व में ही चुनाव होगा। अगर नीतीश कुमार के नेतृत्व मे चुनाव होता है तो परिवर्तन की लहर रहेगी।

नीतीश कुमार को पीएम उम्मीदवार प्रस्तावित नहीं करने पर बीजेपी हमलावर हो गई है। बीजेपी के यह कहने पर की नीतीश कुमार को दूध की मक्खी की तरह निकालकर फेंक दिया गया है, इसपर जमा खान ने कहा कि बीजेपी के लोग तो कुछ न कुछ बोलते ही रहते हैं, यह कोई नई बात नहीं है। वो लोग तो ऐसी भाषा का इस्तेमाल ही करते रहते हैं जिससे उन्हें मजा मिलता है। वो लोग जो बोलते हैं उसका जवाब हमलोगों को नहीं देना है। बीजेपी के लोगों को 2024 में जवाब मिल जाएगा।

वहीं इंडी गठबंधन को लेकर बीजेपी विधायक नीरज कुमार बबलू द्वारा कुत्ता की तरह लड़ने की बात कहने पर मंत्री ने कहा कि यह राजनीति की संस्कारी भाषा नहीं है। बोलते हैं तो बोलते रहें, ऐसे लोगों को समय जबाव देगा। नीतीश कुमार के नेतृत्व में परिवर्तन की लहर बहेगी। नीतीश कुमार को किसी चीज की लालच नहीं है। उन्होंने कभी नहीं कहा है कि उन्हें कुछ बनना है। उनका एक ही लक्ष्य है कि जिन लोगों ने देश के लिए कुर्बानी दी उनके इतिहास को नहीं मिटाया जाए।

मंत्री जमा खान ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि नीतीश कुमार ही हैं जो प्रधानमंत्री बनकर पूरे देश को साथ लेकर चल सकते हैं। सबकी बराबरी की बात और सबको सम्मान नीतीश कुमार ही दिला सकते है, इसमें कोई शक नहीं है। वहीं बेगूसराय में शराब माफिया द्वारा दारोगा की हत्या किए जाने पर मंत्री ने कहा कि अपराध पर चाहे जितना भी अंकुश लगा दिया जाए अपराध होते रहेंगे लेकिन रही बात कार्रवाई की तो कार्रवाई हो रही है और अपराधी किसी भी हालत में नहीं बचेंगे।

CM नीतीश के नाराजगी के बीच विदेश जाएंगे तेजस्वी यादव, कोर्ट में ऑस्ट्रेलिया जाने की मांगी अनुमति

बिहार में सरकार चला रहे नीतीश और लालू-तेजस्वी के बीच विवाद के बीच बड़ी खबर सामने आ रही है। बिहार के उपमुख्यमंत्री ने इस नराजगी के बीच कोर्ट से विदेश जाने की अनुमति मांगी है। रेलवे में कथित लैंड फॉर जॉब घोटाले में दिल्ली की राउज एवेन्य कोर्ट आज सुनवाई  हुई । इस सुनवाई के दौरान बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के तरफ से कोर्ट से ऑस्ट्रेलिया की यात्रा की अनुमति मांगी गई है। जिसपर कोर्ट  22 दिसंबर को सुनवाई करेगी।

वहीं , रेलवे में नौकरी के बदले जमीन मामले में दिल्ली की अदालत आरजेडी सुप्रीमों लालू यादव, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ आज राऊज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले में लालू परिवार समेत 17 आरोपी हैं। इस मामले में सीबीआई ने लालू परिवार के खिलाफ चार्जशीट फाइल की थी। तेजस्वी पर आरोप है कि लालू यादव जब रेल मंत्री थे तो उनके नाम पर नौकरी के बदले कुछ संपत्तियां लिखवाई गई थी। अब लैंड फॉर जॉब मामले में अब अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी।

इसके तेजस्वी यादव के वकील ने कोर्ट में बुधवार को एक नई अर्जी डाली। उन्होंने अदालत से तेजस्वी का पासपोर्ट रिलीज करने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगले महीने तेजस्वी यादव ऑस्ट्रेलिया जाना चाहते हैं, इसकी अनुमति दी जाए। कोर्ट इस अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा। इससे पहले अक्टूबर महीने में भी तेजस्वी ने सीबीआई कोर्ट में पासपोर्ट रिलीज करने की अर्जी दाखिल की थी। कोर्ट ने उनकी अर्जी को स्वीकार करते हुए उन्हें विदेश दौरे की अनुमति दी थी। इसके बाद तेजस्वी यादव एक हफ्ते के लिए जापान दौरे पर गए थे। यह पूरी तरह सरकारी कार्यक्रम था।

मालूम हो कि, सीबीआई का आरोप है कि लालू यादव 2004 से 2009 के बीच जब रेल मंत्री थे तो नौकरी देने के नाम पर घोटाला हुआ। आरोप है कि रेलवे में नौकरी लगवाने के बदले आवेदकों से जमीन और प्लॉट लिए गए। सीबीआई ने जांच के बाद लालू यादव, उनकी बेटी मीसा भारती, बेटे तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी के खिलाफ केस दर्ज किया। आरोप है कि लालू यादव ने रेलवे में नौकरी के नाम पर आवदकों से अपने परिजनों के नाम पर जमीनें लीं। इस मामले में कुछ 17 लोगों को आरोपी बनाया गया है। लालू यादव परिवार के साथ कई बार कोर्ट में पेश हो चुके हैं। अभी फिलहाल लालू यादव का परिवार जमानत पर है।

आपको बताते चलें कि, लैंड फॉर जॉब मामला उस वक्त का है जब यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में लालू यादव रेल मंत्री थे। आरोप लगे है कि उन्होने जमीन के बदले में फर्जी तरीके से नौकरी दी। जिसकी जांच सीबीआई कर रही है।  जांच की शुरुआत 18 मई 2022 को हुई थी। जब सीबीआई ने 16 नामजद समेत अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

INDIA गठबंधन की बैठक में गुस्सा हुए CM नीतीश, इस नेता ने मांगा हिंदी भाषण का इंग्लिश ट्रांसलेशन

इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस की मंगलवार को दिल्ली में बैठक बुलाई गई। इसके बाद अब जो इस बैठक से जानकारी निकल कर सामने आ रही है। उसके मुताबिक़ इस बैठक में बिहार से शामिल हुए जदयू के नेता नीतीश कुमार न सिर्फ नाराज हुए बल्कि इस बैठक में शामिल हुए एक नेता भड़क गए।

दरअसल, दिल्ली की बैठक में नीतीश ने अपनी बातों को रखना शुरू किया और सीएम नीतीश कुमार ने अपनी पूरी बातों को हिंदी में रखा। उसके बाद इस बैठक में शामिल डीएमके नेता और पार्टी के कोषाध्यक्ष टीआर बालू ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार  के भाषण का इंग्लिश ट्रांसलेशन मांग लिया। जसिके बाद सीएम नीतीश कुमार भड़क गए और अपनी नाराजगी जाहिर कर दी।

बताया जाता है कि, दिल्ली की बैठक में जब बिहार के सीएम नीतीश कुमार को अपनी बात रखने को कहा गया तो पहले से नाराज नीतीश कुमार ने अपनी बात हिंदी में कहनी शुरू कर दी। लेकिन, नीतीश के भाषण के दौरान तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और डीएमके पार्टी के नेता टीआर बालू  काफी अहसज दिखें। इसके बाद टीआर बालू ने अपने दूसरे तरफ बैठे राजद सांसद मनोज झा को इशारा करते हुए पूछा कि – क्या आप नीतीश के भाषण का इंग्लिश  में अनुवाद कर सकते हैं।

उसके बाद टीआर बालू ने जैसे ही मनोज झा से भाषण का अनुवाद करने की अपील की तो इसके लिए मनोज झा ने नीतीश से इसकी अनुमति मांगी। जिसके बाद बिहार के मुख्यमंत्री इस बात पर भड़क गए।  उन्होंने कहा कि हम अपने देश को हिंदुस्तान कहते हैं. हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है।  हमें यह भाषा आनी चाहिए।  नीतीश के इतना कहने पर CPI नेता डी राजा ने आग में पानी डालने का काम किया और कहा कि- भाषा के मुद्दे को बीच में नहीं लाना चाहिए। उसके बाद यह मुद्दा शांत हो गया।

मालूम हो कि , INDIA की बैठक में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने पीएम पद के उम्मीदवार के नाम को लेकर चर्चा की।  इस दौरान ममता बनर्जी ने मल्लिकार्जुन खड़गे को पीएम पद का उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव रखा। ममता की ओर से खड़गे को पीएम उम्मीदवार घोषित किए जाने पर आप नेता अरविंद केजरीवाल ने ममता का समर्थन किया। इसके बाद जो सूत्रों से जानकारी मिली है उसके अनुसार नीतीश कुमार काफी नाराज हो गए और जब उन्हें बोलने का मौका मिला तो हिंदी में अपनी बात रखने और जब उनकी बातों का अनुवाद करने को  कहा गया तो वो भड़क गए।

उधर, विपक्षी एकजुटता के बीच INDIA की बैठक में राम मंदिर का मुद्दा भी उठाया गया। सूत्रों के मुताबिक बैठक के दौरान बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने राम मंदिर का मुद्दा उठाया और कहा कि बीजेपी इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि INDIA  को इस मामले पर बीजेपी से मुकाबला करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

गिरिराज सिंह बोले- CM नीतीश कुमार पर हो कानूनी कार्रवाई, जल्द खत्म हो शराबबंदी कानून

बिहार के बेगूसराय जिले में शराब माफिया का आतंक देखने को मिला है। अवैध शराब लेकर जा रहे तस्करों ने बिहार पुलिस के एक दारोगा को कार से कुचलकर मार डाला। इस हमले में होमगार्ड का एक जवान भी घायल हुआ है, जिसका अस्पताल में इलाज चल रहा है। यह घटना मंगलवार रात नावकोठी थाना इलाके में हुई। नावकोठी में एसआई पद पर तैनात खमास चौधरी की मौत हो गई। पुलिस ने कार चालक को हिरासत में ले लिया है, उससे पूछताछ की जा रही है। इसके बाद इस घटना को लेकर बेगुसराय सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का गुस्सा फूट पड़ा है और उन्होंने नीतीश कुमार पर ही एक्शन लेने की बात कह डाली है।

केंद्रीय मंत्री और बेगुसराय सांसद गिरिराज सिंह ने कहा कि- शराबबंदी के गलत नीतियों के कारण और नीतीश कुमार के जिद्द के कारण आज हजारों लोगों को जेल जाना पड़ रहा है। इनकी इस नीतियों के कारण कुछ बेगुनाह को भी जेल जाना पड़ा। कई लोगों की शराब माफियों ने हत्या कर दी है। आज इसी का प्रभाव है कि बेगुसराय में एक दारोगा को शराब माफिया ने कुचल डाला है। इसके लिए जिम्मेदार नीतीश कुमार हैं। यदि कोई कानून है तो नीतीश कुमार पर कानून का शिकंजा कसना चाहिए। नीतीश कुमार आप अपनी जिद्द छोड़ें और इस पर बैठक पर वापस से विचार करें।

मालूम हो कि, इससे पहले बिहार के सीएम रहे जीतन राम मांझी का कहना है, अगर उनकी सरकार आई तो बिहार में शराबबंदी समाप्त कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि शराबबंदी में जो बंदी हैं उनमें 80 प्रतिशत दलित हैं।  ये वो लोग हैं जो एक पौआ पीकर शाम को घर जाते हैं। इन लोगों को इन्होंने जेल में बंद कर रखा है। इसके साथ उन्होंने कहा कि जीतन राम मांझी ने कहा, 500 रुपये कमाने वाला 2-3 हजार रुपये कहां से देगा। इसलिए वो जेल चला जाता है। सीएम नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा, आपका ये मद्य निषेध सही से नहीं चल रहा है. मेरी सरकार आएगी तो हम लोग या तो गुजरात की तर्ज पर शराबबंदी को लागू करेंगे या यूं ही छोड़ देंगे।

क्या बिहार में 29 दिसंबर को खेला होगा? जेडीयू ने बुलायी बड़ी बैठक; CM नीतीश ले सकते है बड़ा फैसला

बिहार में सरकार चला रहे नीतीश और लालू-तेजस्वी के बीच विवाद के बीच बड़ी खबर सामने आ रही है. नीतीश कुमार ने 29 दिसंबर को दिल्ली में पार्टी की बड़ी बैठक बुला ली है. वैसे जेडीयू ने पहले से ही 29 दिसंबर को राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक बुलायी थी, लेकिन अब दूसरा फैसला लिया गया है. पार्टी के सभी सांसदों, विधायकों के साथ साथ छोटे-बड़े 200 से ज्यादा नेताओं को दिल्ली बुलाया गया है. चर्चा ये है कि उस दिन कोई बडा फैसला होने जा रहा है.

जेडीयू की बदली रणऩीति

जेडीयू सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी ने 29 दिसंबर को दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के साथ-साथ राष्ट्रीय पर्षद की भी बैठक बुला ली है. मंगलवार को I.N.D.I.A गठबंधन की बैठक के बाद ये फैसला लिया गया. बता दें कि जेडीयू के पार्टी संविधान के मुताबिक किसी भी बडे फैसले को राष्ट्रीय पर्षद से मुहर लगवायी जाती है. जेडीयू के एक नेता ने बताया कि 29 दिसंबर को दिल्ली में पहले राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक होगी और उसके बाद राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलायी गयी है. इसका मतलब ये है कि राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में पहले कोई बड़ा फैसला लिया जायेगा और उस पर राष्ट्रीय पर्षद की बैठक में मुहर लगवायी जायेगी.

ये सारा घटनाक्रम मंगलवार को दिल्ली में I.N.D.I.A की बैठक होने के बाद हो रहा है. I.N.D.I.A  की बैठक के बाद नीतीश कुमार ने दिल्ली में ही अपने किचन कैबिनेट के लोगों के साथ बैठक की. ललन सिंह से लेकर संजय झा वहां मौजूद थे. उन सबों से बातचीत के बाद 29 दिसंबर को पार्टी के तमाम छोटे-बड़े नेताओं को दिल्ली बुला कर राष्ट्रीय पर्षद की बैठक करने का फैसला लिया गया. राष्ट्रीय पर्षद की बैठक में सभी राष्ट्रीय पदाधिकारी, कार्यकारिणी सदस्य, प्रदेश के पदाधिकारी,  दोनों सदनों के सांसद, विधायक, विधानपार्षद, जिलाध्यक्ष और प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य शामिल होंगे.

RJD से विवाद के बाद क्या नीतीश लेंगे बड़ा फैसला

अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या नीतीश कुमार अब बड़ा फैसला लेने जा रहे हैं. चर्चा इसलिए भी ज्यादा गर्म है क्योंकि लालू-तेजस्वी से नीतीश कुमार का विवाद अब खुल कर सामने आ गया है. मंगलवार को दिल्ली में I.N.D.I.A की बैठक के दौरान नीतीश कुमार की लालू-तेजस्वी से सही से दुआ-सलाम तक नहीं हुई. नीतीश कुमार की सीट लालू प्रसाद यादव के बगल में थी. लेकिन पूरी बैठक में नीतीश कुमार ने लालू यादव से कोई बात नहीं की. लालू-तेजस्वी नीतीश कुमार से अलग बैठक में पहुंचे औऱ वैसे ही वहां से रवाना हुए. नीतीश कुमार भी अपने कुनबे के साथ अलग बैठक में पहुंचे थे. नीतीश और लालू-तेजस्वी में से कोई बैठक के बाद हुए प्रेस कांफ्रेंस में शामिल नहीं हुआ.

सूत्रों के मुताबिक I.N.D.I.A की बैठक में ममता बनर्जी औऱ अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाने का प्रस्ताव दिया था. नीतीश और उनकी टोली को इससे बड़ा झटका लगा. बैठक में नीतीश को संयोजक जैसा कोई पद देने पर भी कोई चर्चा नहीं हुई. I.N.D.I.A की बैठक में मौजूद एक नेता ने फर्स्ट बिहार को बताया कि नीतीश पूरी बैठक के दौरान अलग थलग ही नजर आये. पूरी बैठक में वे शायद ही एक-दो लाइन बोले.

10 दिनों से नीतीश का तेजस्वी ने कर रखा है बहिष्कार

उधर, बिहार में अलग खेल हो रहा है. तेजस्वी यादव ने पिछले 10 दिनों से नीतीश कुमार के सारे कार्यक्रमों का बहिष्कार कर रखा है. तेजस्वी वैसे किसी कार्यक्रम में नहीं शामिल हो रहे हैं, जिसमें नीतीश कुमार जा रहे हैं.  क्रमवार समझिये कि बिहार में कौन सा खेल चल रहा है. 12 दिसंबर को पूर्वी चंपारण के केसरिया बौद्ध स्तूप में पर्यटन विभाग का कार्यक्रम था. सरकार ने अखबारों में विज्ञापन छपवाया कि इस कार्यक्रम में नीतीश और तेजस्वी दोनों मौजूद रहेंगे. कार्यक्रम भी पर्यटन विभाग का था, जिसके मंत्री खुद तेजस्वी यादव हैं. लेकिन तेजस्वी यादव अपने ही विभाग के इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए.

13 को फिर से वही नजारा

13 दिसंबर को सीतामढ़ी में पुनौरा धाम मंदिर में विकास कार्यक्रमों का शिलान्यास होना था. ये कार्यक्रम भी पर्यटन विभाग का था, जिसके मंत्री तेजस्वी यादव हैं. सरकार ने फिर से विज्ञापन छपवाया कि इस कार्यक्रम में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दोनों मौजूद रहेंगे. लेकिन तेजस्वी कार्यक्रम में नहीं गये. उसी दिन पूर्व मंत्री स्व. रघुनाथ झा और शिवहर सर्किट हाउस के उद्घाटन का भी कार्यक्रम था. कार्यक्रम स्थल पर लगे बैनर में नीतीश के साथ तेजस्वी का नाम भी छपा था लेकिन बिहार के डिप्टी सीएम उस कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुए.

डिप्टी सीएम ने इन्वेस्टर्स मीट का बहिष्कार किया

सबसे बड़ा खेल 13 और 14 दिसंबर को पटना में हुए इन्वेस्टर्स मीट में हुआ. बिहार सरकार ने इस कार्यक्रम को लेकर बड़ी बड़ी बातें की थी. सरकार द्वारा तय कार्यक्रम के मुताबिक 13 दिसंबर को डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को देश-विदेश से जुटे उद्योगपतियों के साथ बातचीत का एक सेशन करना था. लेकिन तेजस्वी यादव वहां पहुंचे ही नहीं. 14 दिसंबर को फिर अखबारों में विज्ञापन छपा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उद्योगपतियों को संबोधित करेंगे और तेजस्वी यादव भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे. लेकिन तेजस्वी यादव ने 14 दिसंबर को भी इनवेस्टर्स मीट का बहिष्कार कर दिया.

15 को नीतीश को आइना दिखाया

बता दें कि 13-14 को पटना के ज्ञान भवन में हुआ इन्वेस्टर्स मीट उद्योग विभाग का कार्यक्रम था. उद्योग विभाग राजद के कोटे में है. लेकिन तेजस्वी अपने ही कोटे के विभाग के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए. 15 दिसंबर को उन्होंने अलग मैसेज दे दिया. देश-विदेश के उद्योगपतियों की जुटान का बहिष्कार करने वाले तेजस्वी यादव 15 दिसंबर को एक आईटी कंपनी के छोटे से ऑफिस का उद्घाटन करने पहुंच गये. तेजस्वी यादव ने बिना कहे ही ये संदेश दे दिया कि उन्हें सिर्फ नीतीश कुमार के कार्यक्रम से परहेज है.

ऐसा ही खेल 16 दिसंबर को देखने को मिला. 16 दिसंबर को नीतीश कुमार पटना के पीएमसीएच का निरीक्षण करने पहुंचे. पीएमसीएच के नये भवन का निर्माण हो रहा है, नीतीश कुमार पहले से कार्यक्रम तय करके वहां गये थे. ये स्वास्थ्य विभाग का कार्यक्रम था, जिसके मंत्री तेजस्वी यादव हैं. लेकिन इस कार्यक्रम में तेजस्वी यादव ही नहीं पहुंचे. उसी दिन नीतीश कुमार ने अशोक राजपथ में बन रहे डबल डेकर पुल का निरीक्षण किया. ये पथ निर्माण विभाग का काम है. इस विभाग के मंत्री तेजस्वी यादव हैं. तेजस्वी इसमें भी गैरहाजिर रहे.

18 दिसंबर को नीतीश कुमार ने जनता दरबार लगाया. इस जनता दरबार में जिन विभागों की समस्याओं को सुना जाना था, उसमें पथ निर्माण, ग्रामीण कार्य और पर्यटन विभाग शामिल था. इन तीनों विभागों के मंत्री तेजस्वी यादव हैं. तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री के जनता दरबार में शामिल होने के बजाय दिल्ली रवाना हो गये.

29 दिसंबर को खेला होगा?

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या बिहार के महागठबंधन में अब बड़ा खेल होने जा रहा है. आसार इसके ही नजर आ रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक लालू और तेजस्वी अब नीतीश कुमार पर दबाव बना रहे हैं. दबाव मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने से लेकर अगले लोकसभा चुनाव में जेडीयू को 7-8 सीटों पर सिमटा देने का है. लेकिन नीतीश अड़ गये हैं.  अब नीतीश कुमार ने 29 दिसंबर को पार्टी की बड़ी बैठक बुला ली है. अब आगे क्या होगा ये देखना दिलचस्प होगा.

Breaking News:लैंड फॉर जॉब्स मामले में लालू-तेजस्वी को ED का समन

लैंड फॉर जॉब्स केस में लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को ईडी का समन जारी किया गया है। तेजस्वी यादव को 22 दिसंबर तो लालू प्रसाद यादव को 27 दिसंबर को हाजिर होने के लिए कहा गया है।

तेजस्वी यादव अपनी पत्नी के साथ क्रिसमस की छुट्टियों के लिए ऑस्ट्रेलिया जाना चाह रहे हैं. लेकिन आज बड़ी खबर सामने आ गयी है. रेलवे में जमीन के बदले नौकरी लेने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी ने पूछताछ के लिए तेजस्वी यादव को हाजिर होने को कहा है. उनके पिता लालू प्रसाद यादव को पूछताछ होने का नोटिस जारी किया गया है.

दिल्ली से ईडी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक तेजस्वी यादव को 22 दिसंबर को पूछताछ के लिए हाजिर होने का समन भेजा गया है. वहीं लालू प्रसाद यादव को 27 दिसंबर को पेश होने को कहा गया है. ईडी का कहना है कि रेलवे में जमीन के बदले नौकरी देने के मामले में नये तथ्य सामने आये हैं. इसके आधार पर तेजस्वी यादव के साथ साथ लालू प्रसाद यादव से पूछताछ होना जरूरी है. लिहाजा दोनों को पूछताछ के लिए हाजिर होने का समन जारी किया गया है.

क्या महागठबंधन में सब ठीक नहीं? CM नीतीश की जेडीयू ने 29 दिसंबर को बड़ी बैठक बुलायी

बिहार में सरकार चला रहे नीतीश और लालू-तेजस्वी के बीच विवाद के बीच बड़ी खबर सामने आ रही है. नीतीश कुमार ने 29 दिसंबर को दिल्ली में पार्टी की बड़ी बैठक बुला ली है. वैसे जेडीयू ने पहले से ही 29 दिसंबर को राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक बुलायी थी, लेकिन अब दूसरा फैसला लिया गया है. पार्टी के सभी सांसदों, विधायकों के साथ साथ छोटे-बड़े 200 से ज्यादा नेताओं को दिल्ली बुलाया गया है. चर्चा ये है कि उस दिन कोई बडा फैसला होने जा रहा है.

जेडीयू की बदली रणऩीति

जेडीयू सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी ने 29 दिसंबर को दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के साथ-साथ राष्ट्रीय पर्षद की भी बैठक बुला ली है. मंगलवार को I.N.D.I.A गठबंधन की बैठक के बाद ये फैसला लिया गया. बता दें कि जेडीयू के पार्टी संविधान के मुताबिक किसी भी बडे फैसले को राष्ट्रीय पर्षद से मुहर लगवायी जाती है. जेडीयू के एक नेता ने बताया कि 29 दिसंबर को दिल्ली में पहले राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक होगी और उसके बाद राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलायी गयी है. इसका मतलब ये है कि राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में पहले कोई बड़ा फैसला लिया जायेगा और उस पर राष्ट्रीय पर्षद की बैठक में मुहर लगवायी जायेगी.

ये सारा घटनाक्रम मंगलवार को दिल्ली में I.N.D.I.A की बैठक होने के बाद हो रहा है. I.N.D.I.A  की बैठक के बाद नीतीश कुमार ने दिल्ली में ही अपने किचन कैबिनेट के लोगों के साथ बैठक की. ललन सिंह से लेकर संजय झा वहां मौजूद थे. उन सबों से बातचीत के बाद 29 दिसंबर को पार्टी के तमाम छोटे-बड़े नेताओं को दिल्ली बुला कर राष्ट्रीय पर्षद की बैठक करने का फैसला लिया गया. राष्ट्रीय पर्षद की बैठक में सभी राष्ट्रीय पदाधिकारी, कार्यकारिणी सदस्य, प्रदेश के पदाधिकारी,  दोनों सदनों के सांसद, विधायक, विधानपार्षद, जिलाध्यक्ष और प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य शामिल होंगे.

RJD से विवाद के बाद क्या नीतीश लेंगे बड़ा फैसला

अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या नीतीश कुमार अब बड़ा फैसला लेने जा रहे हैं. चर्चा इसलिए भी ज्यादा गर्म है क्योंकि लालू-तेजस्वी से नीतीश कुमार का विवाद अब खुल कर सामने आ गया है. मंगलवार को दिल्ली में I.N.D.I.A की बैठक के दौरान नीतीश कुमार की लालू-तेजस्वी से सही से दुआ-सलाम तक नहीं हुई. नीतीश कुमार की सीट लालू प्रसाद यादव के बगल में थी. लेकिन पूरी बैठक में नीतीश कुमार ने लालू यादव से कोई बात नहीं की. लालू-तेजस्वी नीतीश कुमार से अलग बैठक में पहुंचे औऱ वैसे ही वहां से रवाना हुए. नीतीश कुमार भी अपने कुनबे के साथ अलग बैठक में पहुंचे थे. नीतीश और लालू-तेजस्वी में से कोई बैठक के बाद हुए प्रेस कांफ्रेंस में शामिल नहीं हुआ.

सूत्रों के मुताबिक I.N.D.I.A की बैठक में ममता बनर्जी औऱ अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाने का प्रस्ताव दिया था. नीतीश और उनकी टोली को इससे बड़ा झटका लगा. बैठक में नीतीश को संयोजक जैसा कोई पद देने पर भी कोई चर्चा नहीं हुई. I.N.D.I.A की बैठक में मौजूद एक नेता ने फर्स्ट बिहार को बताया कि नीतीश पूरी बैठक के दौरान अलग थलग ही नजर आये. पूरी बैठक में वे शायद ही एक-दो लाइन बोले.

10 दिनों से नीतीश का तेजस्वी ने कर रखा है बहिष्कार

उधर, बिहार में अलग खेल हो रहा है. तेजस्वी यादव ने पिछले 10 दिनों से नीतीश कुमार के सारे कार्यक्रमों का बहिष्कार कर रखा है. तेजस्वी वैसे किसी कार्यक्रम में नहीं शामिल हो रहे हैं, जिसमें नीतीश कुमार जा रहे हैं.  क्रमवार समझिये कि बिहार में कौन सा खेल चल रहा है. 12 दिसंबर को पूर्वी चंपारण के केसरिया बौद्ध स्तूप में पर्यटन विभाग का कार्यक्रम था. सरकार ने अखबारों में विज्ञापन छपवाया कि इस कार्यक्रम में नीतीश और तेजस्वी दोनों मौजूद रहेंगे. कार्यक्रम भी पर्यटन विभाग का था, जिसके मंत्री खुद तेजस्वी यादव हैं. लेकिन तेजस्वी यादव अपने ही विभाग के इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए.
13 को फिर से वही नजारा

13 दिसंबर को सीतामढ़ी में पुनौरा धाम मंदिर में विकास कार्यक्रमों का शिलान्यास होना था. ये कार्यक्रम भी पर्यटन विभाग का था, जिसके मंत्री तेजस्वी यादव हैं. सरकार ने फिर से विज्ञापन छपवाया कि इस कार्यक्रम में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दोनों मौजूद रहेंगे. लेकिन तेजस्वी कार्यक्रम में नहीं गये. उसी दिन पूर्व मंत्री स्व. रघुनाथ झा और शिवहर सर्किट हाउस के उद्घाटन का भी कार्यक्रम था. कार्यक्रम स्थल पर लगे बैनर में नीतीश के साथ तेजस्वी का नाम भी छपा था लेकिन बिहार के डिप्टी सीएम उस कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुए.

डिप्टी सीएम ने इन्वेस्टर्स मीट का बहिष्कार किया

सबसे बड़ा खेल 13 और 14 दिसंबर को पटना में हुए इन्वेस्टर्स मीट में हुआ. बिहार सरकार ने इस कार्यक्रम को लेकर बड़ी बड़ी बातें की थी. सरकार द्वारा तय कार्यक्रम के मुताबिक 13 दिसंबर को डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को देश-विदेश से जुटे उद्योगपतियों के साथ बातचीत का एक सेशन करना था. लेकिन तेजस्वी यादव वहां पहुंचे ही नहीं. 14 दिसंबर को फिर अखबारों में विज्ञापन छपा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उद्योगपतियों को संबोधित करेंगे और तेजस्वी यादव भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे. लेकिन तेजस्वी यादव ने 14 दिसंबर को भी इनवेस्टर्स मीट का बहिष्कार कर दिया.

15 को नीतीश को आइना दिखाया

बता दें कि 13-14 को पटना के ज्ञान भवन में हुआ इन्वेस्टर्स मीट उद्योग विभाग का कार्यक्रम था. उद्योग विभाग राजद के कोटे में है. लेकिन तेजस्वी अपने ही कोटे के विभाग के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए. 15 दिसंबर को उन्होंने अलग मैसेज दे दिया. देश-विदेश के उद्योगपतियों की जुटान का बहिष्कार करने वाले तेजस्वी यादव 15 दिसंबर को एक आईटी कंपनी के छोटे से ऑफिस का उद्घाटन करने पहुंच गये. तेजस्वी यादव ने बिना कहे ही ये संदेश दे दिया कि उन्हें सिर्फ नीतीश कुमार के कार्यक्रम से परहेज है.

ऐसा ही खेल 16 दिसंबर को देखने को मिला. 16 दिसंबर को नीतीश कुमार पटना के पीएमसीएच का निरीक्षण करने पहुंचे. पीएमसीएच के नये भवन का निर्माण हो रहा है, नीतीश कुमार पहले से कार्यक्रम तय करके वहां गये थे. ये स्वास्थ्य विभाग का कार्यक्रम था, जिसके मंत्री तेजस्वी यादव हैं. लेकिन इस कार्यक्रम में तेजस्वी यादव ही नहीं पहुंचे. उसी दिन नीतीश कुमार ने अशोक राजपथ में बन रहे डबल डेकर पुल का निरीक्षण किया. ये पथ निर्माण विभाग का काम है. इस विभाग के मंत्री तेजस्वी यादव हैं. तेजस्वी इसमें भी गैरहाजिर रहे.

18 दिसंबर को नीतीश कुमार ने जनता दरबार लगाया. इस जनता दरबार में जिन विभागों की समस्याओं को सुना जाना था, उसमें पथ निर्माण, ग्रामीण कार्य और पर्यटन विभाग शामिल था. इन तीनों विभागों के मंत्री तेजस्वी यादव हैं. तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री के जनता दरबार में शामिल होने के बजाय दिल्ली रवाना हो गये.

29 दिसंबर को खेला होगा?

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या बिहार के महागठबंधन में अब बड़ा खेल होने जा रहा है. आसार इसके ही नजर आ रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक लालू और तेजस्वी अब नीतीश कुमार पर दबाव बना रहे हैं. दबाव मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने से लेकर अगले लोकसभा चुनाव में जेडीयू को 7-8 सीटों पर सिमटा देने का है. लेकिन नीतीश अड़ गये हैं.  अब नीतीश कुमार ने 29 दिसंबर को पार्टी की बड़ी बैठक बुला ली है. अब आगे क्या होगा ये देखना दिलचस्प होगा.

संसद से दो और सांसद सस्पेंड, हंगामे की वजह से अब तक 143 सांसदों पर कार्रवाई

संसद की सुरक्षा में चूक और विपक्षी सांसद के निलंबन के मामले पर आज फिर संसद के दोनों सदनों में हंगामा हुआ। लोकसभा ने सदन की अवमानना के मामले में विपक्षी सदस्यों- सी थॉमस और ए एम आरिफ को संसद सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किया।

मिली जानकारी के अनुसार, लोकसभा सांसद सी थॉमस और AM आरिफ ने सदन में तख्तियां दिखाई और हंगामा किया। इसकी वजह से इन पर कार्रवाई की गई।

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