पटना: अयोध्या में 5 सदियों के वनवास के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अपने दिव्य बाल स्वरूप में नये मन्दिर में प्रतिष्ठित हुए तो पटना के महावीर मन्दिर में भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। सोमवार सुबह से ही अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर महावीर मन्दिर में दर्शन और प्रसाद चढ़ाने के लिए भक्तों की कतार लग गयी।

अयोध्या रामजन्मभूमि से महावीर मन्दिर के विशेष लगाव के कारण बड़ी संख्या में भक्त हनुमानजी के दो विग्रहों और राम दरबार के दर्शन-पूजन को पहुंचे। सोमवार देर शाम तक कुल लगभग 2 लाख से ज्यादा भक्तों के महावीर मन्दिर आने का अनुमान किया गया है। इस बीच महावीर मन्दिर में सुबह 9 बजे से सीता-राम की प्रतिमा के सामने सीताराम नाम संकीर्तन शुरू हुआ जो रात्रि 9 बजे तक चला।

महावीर मन्दिर परिसर जय श्रीराम के जयघोष से गूंजता रहा। महावीर मन्दिर में अयोध्या रामजन्मभूमि के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के लाइव प्रसारण के लिए विशाल एलईडी स्क्रीन लगाया गया था। महावीर मन्दिर परिसर में बड़ी संख्या में भक्त दिनभर अयोध्या के पूरे कार्यक्रम के लाइव प्रसारण को देखकर हर्षित-प्रफुल्लित होते रहे।

अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद दोपहर 2 बजे से महावीर मन्दिर में आए भक्तों के बीच हलवा प्रसाद का वितरण किया गया। शाम 6 बजे से महावीर मन्दिर प्रांगण में दीप उत्सव मनाया गया। लंका विजय के बाद जब मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अयोध्या नगरी लौटे थे तो जिस प्रकार अयोध्या वासियों ने पूरे नगर में दीपक जलाकर उत्सव मनाया था, उसकी एक झलक महावीर मन्दिर में दिखायी दी।

पूरा मन्दिर परिसर दीयों की रौशनी से जगमगा उठा। महावीर मन्दिर की ओर से मन्दिर प्रांगण में 5100 दीए जलाए गये। 1100 दीपों से महावीर मन्दिर प्रांगण में जय सिया राम की आकृति के साथ स्वास्तिक चिह्न और तीर-धनुष की जगमग आकृति बनायी गयी। इसके अलावा पूरे मन्दिर परिसर को नीचे से ऊपरी और पर दीपों से जगमग किया गया। सभी देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के सामने घी के दीपक जलाये गये। भक्तों ने भी अपनी ओर से दीए जलाए। इस अवसर पर लगभग 9 हजार किलो नैवेद्यम की बिक्री हुई।

महावीर मन्दिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल श्रीराम जन्मभूमि पर रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित थे। सोमवार को श्रीराम जन्मभूमि पर आयोजित प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में वे उपस्थित रहे। आचार्य किशोर कुणाल ने अयोध्या के इतिहास पर ‘अयोध्या रिविजिटेड’ और ‘अयोध्या बियोंड एड्यूस्ड एविडेंस’ नामक दो पुस्तकें लिखीं हैं।

1600 पृष्ठों की इन पुस्तकों का कंटेंट इलाहाबाद हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक चली कानूनी लड़ाई में ऐतिहासिक साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया गया। सर्वोच्च न्यायालय में निर्णायक बहस के दौरान आचार्य किशोर कुणाल ने ऐतिहासिक और पौराणिक तथ्यों के आधार पर वह चर्चित नक्शा तैयार कराया जिससे यह साबित हो सका कि विवादित ढांचे के बीचो-बीच रामलला का प्राकट्य स्थान है।

यह नक्शा रामजन्मभूमि के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के लिए बहुत महत्वपूर्ण कड़ी साबित हुआ और अंततः श्रीराम जन्म भूमि पर रामलला के भव्य मन्दिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ। 9 नवंबर 2019 को सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आते ही महावीर मन्दिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने राम मन्दिर निर्माण में 10 करोड़ रुपये की सहयोग राशि देने की घोषणा की थी। 2 अप्रैल 2020 को श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का खाता खुलते हीे दो करोड़ रुपये की पहली किश्त दे दी गई थी।

प्रत्येक वर्ष इतनी ही सहयोग राशि दी जाती रही। अयोध्या के रामजन्मभूमि पर नये मन्दिर में रामलला के प्रतिष्ठित होने के ठीक एक दिन पूर्व रविवार को 2 करोड़ रुपये की अंतिम किश्त देने के साथ ही 10 करोड़ का योगदान पूरा हो गया। 19 नवंबर को राम मन्दिर निर्माण की कानूनों अड़चन दूर होने पर आचार्य किशोर कुणाल ने रामलला के दर्शनार्थियों के लिए निःशुल्क राम रसोई की घोषणा की थी।

1 दिसंबर 2019 को विवाह पंचमी के दिन से श्रीराम जन्म भूमि के नजदीक अमावा राम मन्दिर परिसर में महावीर मन्दिर की ओर से निःशुल्क राम रसोई का संचालन शुरू हो गया। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन सोमवार से यह रामरसोई दोपहर के साथ शाम में भी शुरू कर दी गयी है। महावीर मन्दिर की राम रसोई में राम भक्तों को 9 प्रकार के शुद्ध शाकाहारी व्यंजन बिहारी शैली में पूछ-पूछकर खिलाया जाता है। इसका पूरा खर्च महावीर मन्दिर की आय से वहन किया जाता है।


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