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12वीं व ग्रेजुएशन में हुए थे फेल, आज IAS ऑफिसर बन रचा इतिहास, पढ़े अनुराग कुमार की कहानी

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हमारे देश में एक आम धारणा है कि, अगर कोई छात्र पढ़ाई में कमजोर होता है या उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता या फिर वह पढ़ाई से दूर भागता है, तो उसे कमजोर छात्र माना जाता है। समाज से लेकर माता पिता तक सोचते हैं, कि यह पढ़ाई करके कुछ बन नहीं सकता, इसलिए इसे कोई ऐसा काम दिया जाए, जिसमें इसे पढ़ाई नहीं करनी पड़े। साथ ही एक आम धारणा यह भी है कि जो लोग पढ़ाई में हमेशा से होशियार होते हैं, वहीं लोग यूपीएससी में सफलता प्राप्त कर आईएएस व पीसीएस अधिकारी बनते हैं।

इन दोनों बातों को झुठला कर आम छात्रों को रास्ता दिखाने का काम किया है आईएएस अफसर कुमार अनुराग ने। इनकी सफलता देखकर अगर आप जीरो से यूपीएससी की तैयारी शुरू करके कड़ी मेहनत करेंगे तो आप भी सफलता प्राप्त कर सकते हैं। अनुराग कभी ग्रेजुएशन में फेल हो गए थे, लेकिन इस असफलता ने उन्‍हें सफलता का रास्‍ता दिखाया और उन्होंने आईएएस बनने की ठानी। इस फैसले ने उनकी जिंदगी बदल दी। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अनुराग ने अपने विश्वास और मेहनत से लगातार दो बार यूपीएससी की परीक्षा पास की और वर्ष 2018 में 48वीं रैंक हासिल कर आईएस बने।

अनुराग 12वीं में मैथ व ग्रेजुएशन में हुए थे फेल

बिहार के कटिहार जिले के रहने वाले अनुराग की आठवीं तक की पढ़ाई हिंदी मीडियम से हुई। जिसके बाद उन्हें अंग्रेजी मीडियम में दाखिला दिला दिया गया और इस दौरान उन्हें काफी दिक्कतें आईं। अनुराग ने बताया कि वह शुरू से एक एवरेज स्टूडेंट थे, लेकिन अगर एक बार वह मन में कुछ करने का निश्चय कर लेते तो उसे हासिल करके ही दम लेते थे। इन्होंने अपनी दसवीं की पढ़ाई के लिए खूब मेहनत किया और उसमें 90% अंक हासिल किया।

वहीं 12वीं कक्षा में यह मैथ्स प्री बोर्ड के एग्जाम में असफल हो गए। इन्होंने फिर एक अलग उत्साह से तैयारी की और 90 फीसदी से ज्यादा अंक हासिल किये। इसके बाद उन्हें दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में दाखिला मिल गया। अनुराग की जिंदगी में यह ऐसा दौर था जब वो एक छोटे शहर से देश की राजधानी में आए थे, यहां पर उनका मन पढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं लगता। वे मौज मस्ती में जीने लगे। नतीजा यह हुआ कि वे अपनी ग्रेजुएशन में कई सब्जेक्ट में फेल हो गए। इसके बाद जब उन्हें घर से डांट पड़ी तो उन्होंने किसी तरह ग्रेजुएशन की और पोस्ट ग्रेजुएशन में दाखिला ले लिया।

लगातार दो बार पास की यूपीएससी परीक्षा

अनुराग ने अपनी इस असफलता से बहुत बड़ा सबक सीखा। इसलिए वे सुधर गए और फिर से पढ़ाई पर ध्‍यान देने लगे। पोस्ट ग्रेजुएशन के दौरान अनुराग ने यूपीएससी परीक्षा के लिए तैयारी करने का फैसला किया। जब उनकी पीजी की पढ़ाई पूरी हुई, उसी समय वे पूरे समर्पण और मेहनत के साथ यूपीएससी की तैयारी शुरू दी। अनुराग कहते हैं कि, उन्हें पता था कि उनमें कमी है और सफल वही होता है, जो अपनी कमियों को स्वीकार करके खुद को सुधारने की कोशिश करता है। अनुराग ने भी यही किया। खूब मेहनत से पढ़ाई की, नोट्स बनाएं, जमकर टेस्ट दिए। परीक्षा के हर पहलू को ठीक से समझा और नतीजा यह हुआ कि अपने पहले ही प्रयास में अनुराग साल 2017 में सेलेक्ट हो गए.

आज कहां हैं अनुराग कुमार?

अनुराग की रैंक 677 थी, लेकिन उन्‍हें IAS बनना था, इसलिए इस रैंक के साथ मिलने वाले पोस्‍ट से वे संतुष्ट नहीं हुए और फिर से अपनी तैयारी में जुट गए। उन्‍होंने अगले साल 2018 की यूपीएससी सीएसई परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 48वीं हासिल कर ली। इस तरह कुमार अनुराग का आईएएस बनने का सपना पूरा हो गया। अनुराग को बिहार कैडर मिला है, वे अभी बेतिया जिले में सहायक जिला अधिकारी के पोस्‍ट पर तैनात हैं।

पेट में बच्चा और सिर पर UPSC की परीक्षा, दर्द में भी दिए पेपर और बन गई टीचर से सीधे कमिश्नर

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दोस्तों यूपीएससी की परीक्षा पास कर लेना उतना आसान नहीं होता इस परीक्षा में देश भर के बच्चे बैठते है। यह परीक्षा अपने आप में सबसे कठिन और कड़ा एग्जाम माना जाता है । अभी के समय के हर युवाओं की सपना होता है कि वो आईएस बने वह भी यूपीएससी की परीक्षा पास करें । लेकिन आज हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में बताने जा रहे है। जिसके पेट में बच्चा था लेकिन उसके बाद भी वह हार नहीं मानी और आखिर में उसको सफलता मिल ही गया। और बता दे कि उसने दो बार असफल होने के बाद भी नहीं मानी हार तीसरी बार में पास की यूपीएससी की सफलता।

 

दरअसल हम बात कर रहे है हरियाणा के इज्जर जिले के रहने वाली पूनम दलाल दहिया के बारे में जिसने अपने कठिन परस्थिति गर्भवती होने के बाबजूद भी नहीं मानी हार और पूरा किया अपना सपना आज पूनम दलाल देश के उन हजारों महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई है। जो सोचती है कि महिलाए कुछ नहीं कर सकती जी हना दोस्तों ऐसी महिला जो गर्भवती होने के बाद भी नहीं मानी हार जिद मेहनत लगन से पाई सफलता।

वहीँ आपको बता दे कि यूपीएससी में सिलेक्ट होने से पहले पूनम दलाल हरियाणा में डीएसपी के पद पर भी रही हैं। फिलहाल वह इंकम टैक्स विभाग में अस्सिटेंट कमिश्नर के पद पर कार्यरत हैं।

यहां बात कर रहे हैं हरियाणा के झज्जर जिले की रहने वाली पूनम दलाल दहिया की। जिन्होंने गर्भवती होते हुए भी यूपीएससी की परीक्षा दी और उसे पास करने का अपना सपना पूरा कर लिया। पूनम दलाल दहिया देश की उन हजारों महिलाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं हैं, जोकि जरा सी मुश्किल आते ही हौंसला छोड़ देती हैं। मगर पूनम दलाल ने अपने जज्बे और हौंसले को कभी कम नहीं होने दिया।

पूनम दलाल तीन बार परीक्षा दी बता दे कि पहली बार में उसको कम रैंक आया उसके वजह से उसे रेलवे में आरपीएफ की रैंक मिली जिसे वो स्वीकार नहीं कि उसने फिर से तैयारी करने का मन बना लिया फिर दूसरी बार में उसको उतना अच्छा रैंक नहीं मिला और उसे रेलवे का रैंक मिला ये इसको भी ठुकड़ा दी और एक बार और फिर से तैयारी में जुट गई लेकिन तीसरी बार में इसका सपना पूरा हो गया और इसे कमिश्नर के पद पर नौकरी मिला।

नौकरी और बच्चे की जिम्मेदारी के साथ किया UPSC का तैयारी, IAS अधिकारी बन बुशरा बानो ने रचा इतिहास

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“मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है” ये पंक्तियां यूपी के कन्नौज की बुशरा बानो (Bushra Bano) पर बिलकुल सटीक बैठती हैं। अगर आपके सपनों में जान है तो परिस्‍थतियां कभी आपके पैरों की बेड़ी नहीं बन सकतीं और इस बात को सही साबित कर दिया बुशरा बानो ने। फुल टाइम जॉब, शादीशुदा जिंदगी और बच्चे की जिम्मेदारियों के साथ सबसे कठिन मानी जाने वाली यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा दूसरे ही प्रयास में पास कर ली और बिना कोचिंग के आईएएस अधिकारी बनकर इतिहास रच दिया।

बुशरा बानो की कहानी प्रेरित करती है और संसाधनों के अभाव और परिस्थितियां अनुकूल ना होने का रोना रोने वालों के सामने उदाहरण पेश करती है। बुशरा बानो मैनेजमेंट ग्रेजुएट और पोस्‍ट ग्रेजुएट हैं और उसके बाद उन्‍होंने पीएचडी भी की है। बेहतरीन शिक्षा प्राप्‍त करने के बाद उनकी कोल इंडिया लिमिटेड में नौकरी लग गई। बुशरा की शादी पीएचडी के दौरान ही 2014 में मेरठ के असमर हुसैन से हो गईं। इसके बाद यूपीएससी में जाने का विचार मन में आया। बच्‍चे हुए लेकिन यूपीएससी का विचार मन में ही रहा।

फुल टाइम जॉब, शादीशुदा जिंदगी और बच्चे की जिम्मेदारियों के बीच बुशरा ने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। उन्‍होंने इन सब जिम्‍मेदारियों के बीच से तैयारी के लिए वक्‍त निकाला और अपनी मेहनत एवं जुनून के बल पर दूसरे प्रयास में सफलता हासिल कर ली। UPSC 2018 की परीक्षा में 277वीं रैंक हासिल करने वाली बुशरा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट रही हैं। 2016 से तैयारी कर रही बुशरा का UPSC 2017 रिजल्ट में नाम नहीं आया था।

बुशरा के विषयों की बात करें तो मैनेजमेंट उनका ऑप्शनल सब्जेक्ट था। उनका मानना है कि यूपीएससी के दौरान ऑप्शनल का चुनाव बेहद सोच समझ कर करना चाहिए। यूपीएससी की तैयारी कर रहे युवाओं के ल‍िए बुशरा कहती हैं कि कही सुनी बातों पर यकीन करने की बजाय तैयारी की रणनीति खुद तैयार करें। ऑप्शनल सब्जेक्ट का चुनाव काफी सोच समझकर करें।

दो साल के बच्चे के साथ नौकरी की, फिर भी IAS बन बुशरा बानो बनी मिशाल

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बुशरा बानो ने UPSC परीक्षा में सफलता ऐसी स्थितियों में पाई जो किसी भी कैंडिडेट के लिए आदर्श नहीं मानी जाती. परीक्षा प्रतियोगी सबकुछ छोड़कर दिन रात केवल परीक्षा की तैयारी में लगे रहते हैं तब भी वो सफल नहीं होते.

वहीं बुशरा बानो जैसे प्रतियोगी भी होते हैं जो शादी, घर-परिवार, बच्चा और फुल टाइम नौकरी के साथ इस परीक्षा में सफलता भी हासिल करते हैं. बुशरा बानो उन महिलाओं के लिए भी बड़ा प्रेरणास्त्रोत हैं जिन्हें लगता है कि शादी और खासकर बच्चे के बाद करियर के सभी द्वार लगभग बंद ही हो जाते हैं. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए अपने इंटरव्यू में बुशरा बानो ने ऑप्शनल विषय मैनेजमेंट की तैयारी के विषय में खुलकर बात भी की साथ ही ऑप्शनल चुनने के दौरान किन बातों का ध्यान भी रखें.

हमेशा से रही हैं मैनेजमेंट की छात्रा 

अगर बुशरा बानो के एजुकेशनल बैकग्राउंड की हम बात करें तो उन्होंने शुरू से मैनेजमेंट विषय से ही पढ़ाई की है. MBA करने के बाद बुशरा बानो ने मैनेजमेंट से ही PHD की और जिस समय UPSC परीक्षा दी उस समय वे इसी विषय से पोस्ट डॉक्टोरल भी कर रही थी. इसके साथ ही बुशरा बानो कोल इंडिया में असिस्टेंट मैनेजमेंट के पद पर काम भी कर रही थी. परीक्षा की तैयारी के दौरान बुशरा बानो ने कभी नौकरी नहीं छोड़ी और बच्चे और जॉब दोनों के साथ ही समय निकालकर पढ़ाई भी की.

बुशरा बानो का मैनेजमेंट ऑप्शनल लेने का कारण यह साफ था कि उनका इसी विषय का बैकग्राउंड है और इस विषय पर उनकी अच्छी पकड़ भी है. हालांकि मैनेजमेंट विषय का कोर्स बहुत ही लेंदी है (साथ ही स्कोरिंग भी) लेकिन बुशरा बानो ने चूंकि पहले से ही बहुत कुछ पढ़ा हुआ था इसलिए उन्हें बहुत समस्या भी नहीं हुई.

बुशरा बानो अपने अनुभव से कहती हैं कि किसी भी विषय को ऑप्शनल चुनते समय कई बातों का विशेष ध्यान भी रखना चाहिए. जैसे पहले तो ऑप्शनल अपने हिसाब से और अपनी स्ट्रेंथ के हिसाब से ही चुनें, किसी की भी कही सुनी बातों में न आएं. कौन सा विषय कठिन है, कौन सा स्कोरिंग है, किस का सिलेबस ज्यादा है या किसमें अच्छे अंक नहीं प्राप्त होते है, ऐसी बहुत सी सलाह आपको भी दी जाएगी लेकिन आप अपनी क्षमताओं, पसंद और पकड़ के हिसाब से ही अपना निर्णय भी लें.

बुशरा बानो आगे कहती हैं कि जो इस परीक्षा में टॉप करते हैं उनके अक्सर ऑप्शनल में बहुत ही अच्छा अंक प्राप्त होते हैं. इसलिए दिमाग में हमेशा यह बात याद रखिए कि यह विषय बहुत महत्वपूर्ण है और आपको लंबे समय तक पढ़ना भी है. इसलिए वही विषय चुनें जिसमें आपको रुचि हो और जिसमें आप अच्छा स्कोर भी कर सकें.

प्यार में धोखे के बाद बना IAS अधिकारी, एक्टिंग के कारण छोड़ा DM का पद, पढ़े सफलता की कहानी

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अभी तक आपने ऐसा सिर्फ फिल्मों में देखा होगा कि प्रेमिका की बेवफाई के बाद प्रेमी सरकारी नौकरी की तैयारी में जुट गया हो. लेकिन हमारे सामने ऐसा एक जीता-जागता उदाहरण भी है. आईएएस अभिषेक सिंह को पढ़ाई के दौरान उनकी प्रेमिका ने धोखा दे दिया था. इस धोखे से वे इतना आहत हुए कि दोगुनी तैयारी के साथ यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में जुट गए और उसमें सफल होकर ही माने.

आईएएस अभिषेक सिंह का जन्म 22 फरवरी 1983 को उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुआ था. अभिषेक ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बी.कॉम की पढ़ाई की है. उनके पिता आईपीएस अधिकारी रह चुके हैं और चाचा यूपी पुलिस में डिप्टी एसपी पद से रिटायर हो चुके हैं. उनकी छोटी बहन डेंटिस्ट हैं और भाई एमएनसी में जॉब करते हैं. IAS अभिषेक सिंह की पत्नी दुर्गा शक्ति नागपाल भी आईएएस अधिकारी हैं.

आईएएस अभिषेक सिंह कॉलेज के दिनों में किसी से बेइंतहा प्यार करते थे. उससे धोखा मिलने के बाद उन्होंने सुसाइड तक करने के बारे में सोचा था. इतनी बुरी तरह से टूटने के बाद भी उन्होंने किसी तरह से खुद को संभाला और यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में जुट गए. आईएएस बनने के बाद भी अभिषेक सिंह का म्यूज़िक और एक्टिंग के प्रति लगाव बना रहा.

एक ऐसा शख्स जो ऐक्टिंग करने का शौक रखता है लेकिन बन जाता है IAS, फिर कैसे पूरा होता है एक्टिंग का सपना? आज हम आपको अभिषेक सिंह की कहानी बताने जा रहे हैं जो न सिर्फ आईएएस अधिकारी बने बल्कि अपने अंदर एक्टिंग के गुण को पहचानते हुए बाद में अभिनेता के तौर पर भी काम किया. अभिषेक सिंह की पत्‍नी दुर्गा शक्ति नागपाल भी आईएएस अधिकारी हैं। अभी यूपी के बांदा में डीएम हैं। अभिषेक सिंह कहते हैं कि मैं और दुर्गा शक्ति पहले से ही एक-दूसरे को जानते थे। दोनों में पारिवारिक रिश्‍ते थे। दोनों ने यूपीएससी क्रैक करने के बाद लव कम अरेंज मैरिज की।

अभिषेक सिंह ने आईएएस छोड़ने के बाद दिए पहले इंटरव्‍यू में इश्‍क-मोहब्‍बत, ब्रेकअप दर्द, यूपीएससी की तैयारी व बॉलीवुड से जुड़े कई सवालों के खुलकर जवाब दिए हैं।

यूपी के जौनपुर के रहने वाले फायरब्रांड अफसर रहे अभिषेक सिंह का यह इंटरव्‍यू जाने-माने पत्रकार शुभंकर मिश्रा ने लिया है। इंटरव्‍यू में अभिषेक सिंह की कॉलेज लाइफ के प्‍यार से लेकर बॉलीवुड में करियर बनाने तक के सवाल पूछे गए हैं।

अभिषेक सिंह कहते हैं कि ”मैं 19 साल का था तब फर्स्‍ट ईयर की पढ़ाई कर रहा था। एक युवती को बेपनाह मोहब्‍बत करता था। ब्रेकअप हुआ तो लगा कि इसके बिना कैसे जी पाऊंगा? मेरे पास ब्रेकअप के दर्द से उबरने के लिए पढ़ाई के अलावा रास्‍ता नहीं था।”

अभिषेक सिंह कहते हैं कि इसका जवाब इस पर निर्भर करता है कि आपने कितनी शिद्दत से इश्‍क किया है। मेरे लिए ब्रेकअप के दर्द से निकलना ज्‍यादा मुश्किल था। उसके बाद तो राह आसान हो गई थी। मैं क्लियर हो चुका था कि मुझे जिंदगी को किस दिशा में लेकर जाना है।

बकौल अभिषेक सिंह, इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि बिहार के परिवारों में यूपीएससी को लेकर जबरदस्‍त माहौल है। दूसरी वजह ये भी है बिहार ने ज्‍यादा बिजनेस व विकास नहीं देखा। ऐसे में दूसरे रोजगार की बजाय यूपीएससी की ओर ज्‍यादा जाते हैं।

अभिषेक सिंह कई एक्‍ट्रेस के साथ नजर आते हैं, मगर लोग अक्‍सर पूछते हैं कि अभिषेक सिंह अपनी पत्‍नी दुर्गा शक्ति के साथ कम क्‍यों आते? इस पर अभिषेक सिंह कहते हैं कि मेरी वाइफ मीडिया के सामने आना बहुत ज्‍यादा पसंद नहीं करतीं। ऐसा ही नेचर मेरे पिता व माता का है।

मेरी पत्‍नी मेरा सपोर्ट सिस्‍टम

अभिषेक सिंह कहते हैं कि बाकी अन्‍य एक्‍टर्स की तरह अगर मेरी पत्‍नी भी शूटिंग के सेट पर आए तो मुझे बहुत अच्‍छा लगेगा। मेरी पत्‍नी मेरा सपोर्ट सिस्‍टम है। मैं कुछ भी एक्टिंग करता हूं तो सबसे पहले उनको ही भेजता हूं। फिर उनके सुझाव से और भी बेहतर करने की कोशिश करता हूं। उन्‍हें ‘काली-काली जुल्‍फों’ गाने में मेरा डांस काफी पसंद आया।

UPSC परीक्षा पास कर पहले बना IAS अधिकारी, एक्टिंग के लिए छोड़ी IAS की नौकरी, पत्नी भी है जिला अधिकारी

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एक ऐसा शख्स जो ऐक्टिंग करने का शौक रखता है लेकिन बन जाता है IAS, फिर कैसे पूरा होता है एक्टिंग का सपना? आज हम आपको अभिषेक सिंह की कहानी बताने जा रहे हैं जो न सिर्फ आईएएस अधिकारी बने बल्कि अपने अंदर एक्टिंग के गुण को पहचानते हुए बाद में अभिनेता के तौर पर भी काम किया. अभिषेक सिंह की पत्‍नी दुर्गा शक्ति नागपाल भी आईएएस अधिकारी हैं। अभी यूपी के बांदा में डीएम हैं। अभिषेक सिंह कहते हैं कि मैं और दुर्गा शक्ति पहले से ही एक-दूसरे को जानते थे। दोनों में पारिवारिक रिश्‍ते थे। दोनों ने यूपीएससी क्रैक करने के बाद लव कम अरेंज मैरिज की।

अभिषेक सिंह ने आईएएस छोड़ने के बाद दिए पहले इंटरव्‍यू में इश्‍क-मोहब्‍बत, ब्रेकअप दर्द, यूपीएससी की तैयारी व बॉलीवुड से जुड़े कई सवालों के खुलकर जवाब दिए हैं।

यूपी के जौनपुर के रहने वाले फायरब्रांड अफसर रहे अभिषेक सिंह का यह इंटरव्‍यू जाने-माने पत्रकार शुभंकर मिश्रा ने लिया है। इंटरव्‍यू में अभिषेक सिंह की कॉलेज लाइफ के प्‍यार से लेकर बॉलीवुड में करियर बनाने तक के सवाल पूछे गए हैं।

अभिषेक सिंह कहते हैं कि ”मैं 19 साल का था तब फर्स्‍ट ईयर की पढ़ाई कर रहा था। एक युवती को बेपनाह मोहब्‍बत करता था। ब्रेकअप हुआ तो लगा कि इसके बिना कैसे जी पाऊंगा? मेरे पास ब्रेकअप के दर्द से उबरने के लिए पढ़ाई के अलावा रास्‍ता नहीं था।”

अभिषेक सिंह कहते हैं कि इसका जवाब इस पर निर्भर करता है कि आपने कितनी शिद्दत से इश्‍क किया है। मेरे लिए ब्रेकअप के दर्द से निकलना ज्‍यादा मुश्किल था। उसके बाद तो राह आसान हो गई थी। मैं क्लियर हो चुका था कि मुझे जिंदगी को किस दिशा में लेकर जाना है।

बकौल अभिषेक सिंह, इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि बिहार के परिवारों में यूपीएससी को लेकर जबरदस्‍त माहौल है। दूसरी वजह ये भी है बिहार ने ज्‍यादा बिजनेस व विकास नहीं देखा। ऐसे में दूसरे रोजगार की बजाय यूपीएससी की ओर ज्‍यादा जाते हैं।

अभिषेक सिंह कई एक्‍ट्रेस के साथ नजर आते हैं, मगर लोग अक्‍सर पूछते हैं कि अभिषेक सिंह अपनी पत्‍नी दुर्गा शक्ति के साथ कम क्‍यों आते? इस पर अभिषेक सिंह कहते हैं कि मेरी वाइफ मीडिया के सामने आना बहुत ज्‍यादा पसंद नहीं करतीं। ऐसा ही नेचर मेरे पिता व माता का है।

मेरी पत्‍नी मेरा सपोर्ट सिस्‍टम

अभिषेक सिंह कहते हैं कि बाकी अन्‍य एक्‍टर्स की तरह अगर मेरी पत्‍नी भी शूटिंग के सेट पर आए तो मुझे बहुत अच्‍छा लगेगा। मेरी पत्‍नी मेरा सपोर्ट सिस्‍टम है। मैं कुछ भी एक्टिंग करता हूं तो सबसे पहले उनको ही भेजता हूं। फिर उनके सुझाव से और भी बेहतर करने की कोशिश करता हूं। उन्‍हें ‘काली-काली जुल्‍फों’ गाने में मेरा डांस काफी पसंद आया।

बिहार के सात आईएएस अधिकारियों को सचिव स्तर में प्रोन्नति

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बिहार के सात आईएएस अधिकारियों को सचिव स्तर में प्रोन्नति दी गई है। सामान्य प्रशासन विभाग की ओर स सोमवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई।

लघु जल संसाधन विभाग के विशेष सचिव डॉ. आशिमा जैन, शिक्षा परियोजना निदेशक कार्तिकेय धनजी, मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी प्रणव कुमार, ईखायुक्त गिरिवर दयाल सिंह, भविष्य निधि निदेशालय की निदेशक नीलम चौधरी, पश्चिम चंपारण के बंदोबस्त पदाधिकारी सुरेश चौधरी और ग्रामीण कार्य के विशेष सचिव संजय दुबे को सचिव स्तर में प्रोन्नति दी गई है।

UPSC की तैयारी के दौरान दोस्‍ती, बाद में रचा ली शादी, पढ़े पति पत्नी की IAS बनने की कहानी

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राजस्‍थान के आईएएस घनश्‍याम मीणा वर्तमान में यूपी के यूपी के फ़िरोज़ाबाद म्युनिसिपल कमिश्नर हैं. वह 2015 बैच के आईएएस हैं और उनकी पत्‍नी वर्ष 2017 बैच की आईएएस हैं और वर्तमान में यूपी के अयोध्‍या की मुख्‍य विकास अधिकारी हैं, लेकिन इसके पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्‍प है. कहते हैं न कोई यूं ही नहीं कोई मुकाम हासिल कर लेता, उसके पीछे काफी मेहनत होती है, जो पर्दे के पीछे रह जाती है और कम ही लोग उसकी तह तक पहुंच पाते हैं.

घनश्‍याम मीणा आईएएस बनने के संघर्ष को खुलकर बताया और साथ ही उन्‍होंने यह भी बताया कि कैसे सिविल सर्विसेज के दौरान ही उनकी मुलाकात अनीता से हुई, जो बाद में चलकर उनकी हमसफर बन गईं. घनश्‍याम मीणा बताते हैं कि वह 7 भाई बहन हैं और उनकी पढ़ाई लिखाई जयपुर में ही हुई उनके परिवार में पढ़ाई को हमेशा से प्राथमिकता दी गई. यही कारण है कि उनके भाई बहनों में सभी अच्‍छे पदों पर हैं. कोई डॉक्‍टर, कोई इंजीनियर तो अकाउंटेंट ऑपिफसर है. इसके पीछे की वजह वह यह बताते हैं कि चूंकि उनके पिताजी एडिशनल कमिश्‍नर थे, तो उनका फोकस पढ़ाई को लेकर हमेशा रहता था.

घनश्‍याम कहते हैं बिड़ला सीनियर सेकेंडरी स्‍कूल पिलानी से 10वीं 12वीं की पढ़ाई करने के बाद बिट्स पिलानी से इंजीनियरिंग किया. वह बताते हैं कि वर्ष 2009 में इंजीनियरिंग पासआउट होने के बाद देश दुनिया में मंदी का दौर आया, जिसकी वजह से नौकरियां नहीं मिल रही थीं. ऐसे उन्‍होंने तय किया कि वह सिविल सर्विसेज की तैयारी करेंगे और आईएएस बनेंगे.

तैयारी के लिए वह दिल्‍ली चले गए. 2010 में उन्‍होंने यूपीएससी की परीक्षा दी, लेकिन प्री भी क्‍लियर नहीं हुआ. इसी दौरान घनश्‍याम ने राजस्‍थान पीसीएस का फॉर्म भरा और पहले ही प्रयास में उन्‍होंने पीसीएस की लिखित परीक्षा पास कर ली. पीसीएस के इंटरव्‍यू की तैयारी के लिए उन्‍हें जोधपुर जाना पडा. यहीं उनकी मुलाकात दो अन्‍य दोस्‍तों के साथ अनीता से भी हुई. इंटरव्‍यू की तैयारी सब साथ करने लगे.आखिरकार अनीता और घनश्‍याम का सेलेक्‍शन राजस्‍थान वाणिज्‍य कर विभाग में हो गया. दोनों की पोस्टिंग जयपुर में ही हो गई लेकिन घनश्‍याम के मन में आईएएस बनने का ख्‍वाब पल रहा था. ऐसे में वह और अनीता दोनों यूपीएससी की तैयारी में जुटे रहे. वर्ष 2013 में घनश्याम का प्री मेंस क्‍लियर हो गया और इंटरव्‍यू कॉल हो गया, लेकिन फाइनल रिजल्‍ट में उनका सेलेक्‍शन नहीं हुआ.

घनश्‍याम कहते हैं कि वाणिज्‍य कर विभाग में नौकरी करते हुए तैयारी करना आसान नहीं था. शाम 5 बजे ऑफिस से आने के बाद रात में 11 बजे तक, उसके बाद सुबह 1 बजे से 7 बजे तक वह पढ़ाई करते थे. वर्ष 2014 में उन्‍होंने रणनीति बदली और इस बार उनका सेलेक्‍शन हो गया. ट्रेनिंग के लिए उन्‍हें मसूरी भी दिया गया. घनश्‍याम बताते हैं कि वर्ष 2015 में अनीता का यूपीएससी प्री क्‍लियर हो गया. ट्रेनिंग के बाद वह अनीता की तैयारी कराते. 8 दिसंबर को यूपीएससी मेंस की परीक्षा थी और 22 नवंबर को शादी ऐसे में तैयारी काफी मुश्‍किल था लेकिन आखिरकार सफलता मिली और अनीता को इंटरव्‍यू कॉल आ गई. इस परीक्षा में अनीता को आईआरएस कैडर मिल गया लेकिन अनीता ने 2016 में दिल्‍ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी की और 350 वीं रैंक के साथ उन्‍हें आईएएस कैडर मिल गया.

घनश्‍याम कहते हैं कि यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में तीन बातें अहम हैं पहली है सामूहिक तैयारी, दूसरी ईमानदारी के साथ प्रयास. जो भी अभ्‍यर्थी इसे अपनाएगा उसे सफलता जरूर मिलेगी.

UPSC की तैयारी के लिए छोड़ी नौकरी, पिता से पड़ी डांट, 83वीं रैंक के साथ बनीं IAS

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यूपीएससी सीएसई में AIR 83वीं रैंक हासिल करने वाली IAS अधिकारी निधि सिवाच ने बताया कि कैसे उन्होंने दो असफल प्रयासों के बाद खुद को उठाया और अपनी तैयारी की रणनीति बदलकर सफलता हासिल की।

हौसले बुलंद हों, तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता, राह में आने वाली असफलताएं भी नहीं। इस बात को सच साबित कर दिखाया आईएएस निधि सिवाच ने। दो बार UPSC की परीक्षा में फेल होने के बावजूद, उन्होंने अपनी हर असफलता व गलती से सीख ली। वह पूरे विश्वास के साथ आगे बढ़ीं और महज़ एक साल की अथक मेहनत में ही, सफलता (IAS Success Story) हासिल कर IAS अधिकारी बन गईं।

अपने तीसरे प्रयास में, उन्होंने 83वीं रैंक प्राप्त की। कैसे दो असफल प्रयासों के बाद, उन्होंने खुद को उठाया और अपनी तैयारी की रणनीति बदलकर सफलता प्राप्त की, खुद बता रही हैं आईएएस अधिकारी निधि सिवाच।

अपने सपने को पूरा करने का जुनून और निधि का अपने ऊपर विश्वास ही था, जिसके कारण उन्होंने फिर से परीक्षा की तैयारी करने के लिए अपनी जमी-जमाई नौकरी छोड़ दी। इससे पहले संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में, वह दो बार असफल प्रयास कर चुकी थीं।

माता-पिता चाहते थे, इंग्लिश मीडियम में पढ़ें बच्चे

सीएसई-2018 में, 83वीं अखिल भारतीय रैंक हासिल करने वाली निधि सिवाच (28) ने द बेटर इंडिया को बताया, “यह एक बड़ा जोखिम था। ऐसा करने के लिए मुझे अपनी ज़िंदगी को होल्ड पर रखना पड़ा, लेकिन मुझे खुशी है कि अंत में इसका परिणाम भी उतना ही अच्छा मिला।”

उन्होंने अपने जीवन के कुछ शुरुआती साल फरीदाबाद में बिताए। बाद में उनके माता-पिता परिवार के साथ गुरुग्राम में आकर रहने लगे। ताकि निधि और उनके भाई-बहनों को अच्छी स्कूली शिक्षा मिल सके। अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़ाना उनकी माँ की जिद थी। वह कहती हैं, “मेरी माँ स्कूल नहीं जा सकीं और पिता भी अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए थे। शायद इसी कारण, वे चाहते थे कि हम सभी भाई-बहन अच्छे से पढ़ाई करें।”

वह कहती हैं, “भले ही हमारे शुरुआती साल मुश्किल भरे रहे, लेकिन उन्होंने हम सभी भाई-बहनों को कभी इसकी भनक तक नहीं लगने दी। हमने अपने माता-पिता को मेहनत करते हुए देखा है। मेरी माँ न केवल हमारी और घर की देखभाल करती थीं, बल्कि दुकान में मेरे पिता का हाथ भी बंटाती थीं।”

सेना में जाना चाहती थीं निधि

निधि ने, सोनीपत (हरियाणा) के दीनबंधू छोटूराम विश्वविद्यालय, से मकैनिकल इंजीनियरिंग की है। वह हमेशा से ही बहुत मेहनती छात्रा रहीं। वह बताती हैं, “मैं जानती थी कि शिक्षा ही वह जरिया है, जिससे मैं अपनी और अपने परिवार की जिंदगी बेहतर बना सकती हूं। इसलिए मैंने हमेशा स्कूल में अच्छे अंक लाने के लिए बहुत मेहनत की।”

पढ़ाई-लिखाई में माता-पिता ज्यादा मदद नहीं कर सकते थे। इसलिए निधि खुद से ही पढ़ाई किया करती थीं। उन्होंने बताया, “मैं जो कुछ भी सीखती थी, उसे अपने भाई-बहनों को भी सिखाना होता था। इसलिए मैं, हर चीज़ सौ प्रतिशत सही और ठीक से सीखने की कोशिश करती थी।“

दरअसल, निधी पहले सेना में जाना चाहती थीं। उनका कहना है, “मैं गुरुग्राम में पली-बढ़ी हूं। वहां से ऐयर फोर्स स्टेशन बहुत पास था। मैं यह देखते हुए बड़ी हुई कि अफसरों का कितना रसूख़ और मान-सम्मान होता है। क्योंकि, मैंने मकैनिकल इंजीनियरिंग की है, तो मेरे पास कई विकल्प थे। मैं लॉजिस्टिक, फ्लाइंग या फिर प्रशासनिक शाखा, कहीं भी जा सकती थी।“ निधी ने दसवीं की परीक्षा में 95 प्रतिशत और 12वीं कक्षा में 90 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे।

थोड़ा था, थोड़े और की तलाश थी

साल 2015 में कैंपस प्लेसमेंट के जरिए, निधि को हैदराबाद में टेक महिन्द्रा में काम करने का मौका मिला। उन्होंने बताया, “मेरे पास दो और नौकरियों के भी ऑफर थे, इनमें से एक गुरुग्राम में थी। लेकिन मेरे पिता चाहते थे कि मैं टेक कंपनी में काम करुं, तो मैं हैदराबाद आ गई। मुझे यहां तक पहुंचाने के लिए मेरे माता-पिता दोनों ने कड़ी मेहनत की थी, इसलिए मैं उन्हें ना नहीं कहना चाहती थी।”

निधि हैदराबाद चली तो गईं, लेकिन उनका मन कभी भी हैदराबाद और सॉफ्टवेयर की नौकरी में नहीं लगा। वह किसी भी तरह अपने माता-पिता का दिल नहीं दुखाना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने नौकरी करने से इंकार नहीं किया।

वह उस समय एयरफोर्स कॉमन एडमिशन टेस्ट (AFCAT) देने के लिए पूरी तरह तैयार थीं। पर्सनैलिटी इंटरव्यू की तैयारी के दौरान उनके मन में यूपीएससी का विचार आया । वह बताती हैं, “इंटरव्यू ले रहे भारतीय वायुसेना के अधिकारी ने सुझाव दिया कि मैं वहां जाने की बजाय यूपीएससी परीक्षा में बैठूं। आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तारीख में केवल तीन दिन बचे थे। मैंने अपने भाग्य पर भरोसा किया और विश्वास के साथ आगे बढ़ गई।” आवेदन पत्र जमा करने के बाद, जैसा कि उन्हें बहुत अच्छे से पता था, उनका जीवन बिल्कुल बदल सा गया।

छोड़नी पड़ी नौकरी

साल 2016 में, अपने पहले प्रयास के लिए निधि के पास सिर्फ तीन महीने की तैयारी का समय था। वह कहती हैं, “उस पहले प्रयास में करंट अफेयर्स के कई प्रश्न थे और मुझे अच्छे से याद है कि मैं अपने प्रदर्शन से खुश थी। ज़रुरत पड़ने पर फिर से प्रयास करने का आत्मविश्वास मेरे अंदर आ गया था।” इस परीक्षा के बारे में उन्होंने किसी को नहीं बताया था।

निधि ने कहा, “भले ही मैंने परीक्षा पास नहीं की। लेकिन सिर्फ तीन महीने की तैयारी में मेरा स्कोर 96 था। इससे मेरी हिम्मत बढ़ गई।” निधि ने टेक महिन्द्रा में नौकरी करते हुए, पूरे जोश और समर्पण के साथ 2017 की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। वह कहती हैं, “नौकरी करते हुए तैयारी के लिए समय निकालना मुश्किल था। भले ही मैं सुबह की शिफ्ट में नौकरी करती थी, लेकिन कई बार कोई न कोई काम आ जाने पर मुझे ऑफिस में लंबे समय तक रुकना पड़ जाता था। जिससे मेरी पढ़ाई पर असर पड़ रहा था।”

2017 में पेपर काफी मुश्किल था और नौकरी की व्यस्तता के चलते निधि को सफलता नहीं मिल पाई। निधि के लिए यह समय काफी महत्वपूर्ण था। निधि ने बताया, “मेरी शादी की बात भी चल रही थी। लेकिन मेरे कहने पर, मेरे पिता मुझे एक साल और देने के लिए तैयार हो गए। जब तक कि मैं पूरे 25 साल की न हो जाऊं। मुझे पता था कि इसके बाद यकीनन वह मेरी शादी करा देंगे।” निधि के अनुसार, अपनी पसंद का काम करने के लिए एक साल और मिल जाने पर उन्होंने नौकरी छोड़ने और अपने तीसरे प्रयास पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया।

रिस्क से निकला सफलता का रास्ता

दूसरे प्रयास के बाद, उसी शाम निधि को एहसास हुआ कि ऐसे तो वह कभी परीक्षा पास नहीं कर पाएंगी। आंखों में आंसू लिए उन्होंने अपने पिता को फोन किया। वह बताती हैं, “मुझे याद है, मैने उन्हें बताया था कि मैं परीक्षा में अच्छा करना चाहती हूं। मुझे अपनी नौकरी छोड़नी पड़ेगी, ताकि तैयारी पर अपना पूरा ध्यान दे सकूं। मेरे इतना कहते ही वह भड़क गए। वह कहने लगे कि नौकरी पाने के लिए लोग कितना संघर्ष करते हैं और मैं हूं कि नौकरी छोड़ना चाहती हूं। इस मुद्दे पर उनसे बात करना काफी मुश्किल था, लेकिन बात तो करनी ही थी।”

अगले 10 दिनों तक निधि के पिता उनसे बात करने के लिए तैयार नहीं थे। निधि के जन्मदिन पर उनका मन बदला। उन्होंने फ़ोन किया और नौकरी छोड़कर परीक्षा की तैयारी करने की अनुमति दे दी। वह बताती हैं, “उनका फोन आना मेरे लिए राहत की बात थी। उनकी सहमति मेरे लिए बहुत मायने रखती है।” नवंबर 2017 में नौकरी छोड़, अपने सारे सामान के साथ निधि वापस अपने माता-पिता के पास, गुरुग्राम आ गईं।

यह उनके जीवन के लिए बिल्कुल नए अध्याय की तरह था। वह परिवार के पास थीं और शुरु के 15 दिन तो बस वह घर में ही रच बस गईं। वह कहती हैं, “घर पर होना मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी। यहां मैं काफी सुरक्षित महसूस कर रही थी और मुझे सपोर्ट भी मिल रहा था। मैंने दिसंबर 2017 से प्रीलिम्स की तैयारी शुरू कर दी।” निधी अब नए सिरे से तैयारी करने के लिए तैयार थीं। लगातार अभ्यास और अध्ययन के जरिए वह न केवल परीक्षा पास करने में सफल रहीं, बल्कि अपने तीसरे प्रयास में उन्होंने 83वीं रैंक भी हासिल की।

पहली बार पिता को रोते देखा

निधी कहती हैं, “माँ को तो यकीन था कि मैं परीक्षा पास कर लुंगी और वह इसका जश्न भी मनाना चाहती थीं, लेकिन मेरे पिता संशय में थे। परिणाम देखे बिना, वह कुछ भी मानने के लिए तैयार नहीं थे। रिज़ल्ट देखकर वह रोने लगे। मैंने उन्हें पहली बार रोते हुए देखा था। उस दिन मैंने उनके अंदर गर्व और खुशी की भावना देखी।”

निधि ने UPSC की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए दिए कुछ टिप्स

पढ़ाई शुरू करने से पहले एक बुनियादी चेक लिस्ट बनाएं कि आपको क्या-क्या करना है। इसमें अख़बार पढ़ना और परीक्षा से लगभग डेढ़ साल के पहले का सब कुछ पढ़ना भी शामिल है। यह भी सुनिश्चित करिए कि आपकी करंट अफ़ेयर्स की तैयारी बिल्कुल अप टू डेट हो।

एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों को अपना मार्गदर्शक बनाएं। प्रीलिम्स में अर्थशास्त्र विषय के लिए आर्थिक सर्वेक्षण और बजट की जानकारी काफी मदद करती है।

प्रीलिम्स से पहले समय-समय पर मॉक टेस्ट देते रहें। निधि हर दिन एक मॉक पेपर हल करती थीं। वह इसके लिए लगभग ढाई घंटे का समय देती थीं।

यूपीएससी नोटिफिकेशन को ज़रुर पढ़ें, चाहे वह कितनी भी लंबी क्यों न हो। ज्यादातर तैयार किए गए प्रश्न सीधा अधिसूचना से ही होते हैं। इससे उम्मीदवारों को यह समझने में मदद मिलेगी कि वह आपसे क्या चाहते हैं?

पहले दो प्रयासों में निधि क्यों असफल रहीं, इसके बारे में वह बताती हैं, “उस समय मेरी तैयारी काफी असंगत थी। मैं रोजाना अखबार नहीं पढ़ती थी। एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों को भी सिर्फ सरसरी निगाह से ही पढ़ा था और न ही किसी मॉक टेस्ट को हल करने का प्रयास किया। ये बहुत बड़ी गलतियां थीं, जिन्हें मैंने अपने आखिरी प्रयास में सुधारा।”