आमतौर पर ऐसे कई बच्चे होते हैं, जो बचपन में पढ़ाई में बेहद कमजोर होते हैं।इंदौर के दीपक प्रजापति भी उन्हीं बच्चों में से एक थे। जिन्हें ये कहकर स्कूल से निकाला गया था कि वह पढ़ाई में बेहद कमजोर छात्र हैं।

शिक्षक से लेकर रिश्तेदार तक उसे ये एहसास कराते कि तुम कमजोर हो। 7 साल की उम्र में जिसे कमजोर बताया आज वही बच्चा जेईई (ज्वाइंट एंट्रेंस एक्जामिनेशन) में 99.93 फीसदी अंक लाकर कमजोर कहने वालों के मुंह पर अपनी सफलता से जोरदार तमाचा जड़ा है।

दीपक का कहना है कि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में घर पर रोजमर्रा की सामग्री के लिए पिता को परेशान होना पड़ता था। पिता राम प्रजापति वेल्डर हैं, ऐसे में उन्हें कभी काम मिलता को कभी नहीं।

पिता घर से सुबह निकलते तो सीधे शाम को लौटते थे। ले दे कर महीने भर में 8 हजार रुपए कमा पाते थे। ऐसे में बड़े स्कूल में पढ़ना एक सपना बस था। एक बार स्कूल ने मुझे यह कहकर स्कूल से निकाल दिया था कि मैं पढ़ाई में कमजोर हूं और स्कूल परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाउंगा।

लेकिन दीपक हताश होकर पढ़ाई से मुंह मोड़ सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। कमजोरी से लगातार लड़ते रहे। 8-10 घंटे रोजाना पढ़ते। अपने सपनों को पूरा करने की पूरी कोशिशों में लगे रहे। परिवार ने दीपक का खूब हौसला बढ़ाया, और हर संभव मदद की।

छोटी से उम्र कक्षा 2 में स्कूल से निकाले जाने के बाद, पढ़ाई में कमजोर बात मेरे दिल पर लग गई। उन्होंने ठान लिया था कि अब पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन करना है। उन्होंने लगातार सुधार किया और मेहनत रंग लाई। 10वीं में 96 फीसदी अंक लाकर लोगों को हैरान कर दिया।

दीपक ने बताया कि वह देवास के रहने वाले हैं। लेकिन मेरी पढ़ाई के लिए माता-पिता ने इंदौर में तैयारी के लिए भेजा। दीपक उन स्टूडेंट को संदेश देना चाहते हैं जिन्हें पढ़ाई का माहौल नहीं मिल पाया।

उनका कहना है कि खराब स्थिति में निराश न हो। अपने सपनों को पूरा करने के लिए जैसे भी जब भी समय मिले तैयारी करते रहो। एक दिन सफलता जरूर मिलेगी।


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