पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी पीओके। साल 1947 के बाद से भारत इसे अपना अभिन्न अंग मानता है तो वहीं पाकिस्तान ने इस टुकड़े पर अपना कब्जा जमा रखा है। वहां के लोगों पर अपनी हुकूमत चलाता है। लेकिन इस बार पीओके भारत और पाकिस्तान के नहीं बल्कि भारत और ब्रिटेन के बीच तनातनी का विषय बन गया है। ऋषि सुनक की सरकार की ओर से ब्रिटिश हाई कमिश्नर ने 10 जनवरी को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का दौरा किया। ब्रिटिश हाई कमीश्नर जेन मैरिएट यहां मीरपुर आई थीं। दूसरी ओर भारत ब्रिटिश उच्चायुक्त के इस दौरे से खफा है। विदेश मंत्रालय ने इसका कड़ा विरोध दर्ज कराया है। विदेश सचिव ने भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त के साथ इस मामले पर कड़ी नाराजगी जताई है।

ब्रिटिश उच्चायुक्त का पीओके दौरा भारत को पसंद नहीं आया

दरअसल, ब्रिटिश उच्चायुक्त जेन मैरिएट ने बीते 10 जनवरी 2024 को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर मीरपुर का दौरा किया। जैन मैरिएट के इस दौरे से भारत नाराज है। भारत के विदेश सचिव ने दिल्ली में बैठे ब्रिटिश उच्चायुक्त के साथ इस मामले पर कड़ी नाराजगी जताई है। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भारत ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश भारत का हमेशा से अभिन्न अंग रहे हैं, हैं और रहेंगे।
मैरिएट ने दौरे के जायज ठहराया
भारत के विरोध का ब्रिटिश उच्चायुक्त जेन मैरिएट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। उन्होंने अपने पीओके में स्थित मीरपुर के इस दौरे को सही ठहराते हुए कहा कि 70% ब्रिटिश पाकिस्तानी मूल के लोग मीरपुर से हैं। बता दें कि जेन मैरिएट पाकिस्तान में ब्रिटेन की उच्चायुक्त हैं। बता दें कि इससे पहले अक्टूबर में पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत डोनाल्ड ब्लोम ने पीओके के मुजफ्फराबाद का दौरा किया था। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने इसी तरह का विरोध जारी किया था। यही नहीं, अमेरिकी राजदूत की पीओके के गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों के साथ बातचीत की तस्वीरों ने भी भौहें उठा दीं थीं। तब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि हमें अमेरिकी राजदूत की पीओके में यात्रा और बैठकों के बारे में आपत्ति है और हमने वही बताया है।