ईरान-इजरायल के बीच हुई जंग तो कच्चे तेल के दामों में होगा मोटा इजाफा, जानें भारत पर इसका क्या होगा असर।

मिडिल ईस्ट में जंग का दौर शुरू हो गया है. ईरान और इजरायल के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है. 1 अप्रैल को सीरिया स्थित ईरान के दूतावास पर हुए इजरायली हमले का जवाब ईरान ने 13 अप्रैल को 300 मिसाइलों के जरिए दिया है. इस हमले के बाद से ही दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात खड़े हो गए हैं. माना जा रहा है कि अगर दोनों देशों के बीच जंग छिड़ी और यह लंबी चली तो इसका असर पूरी दुनिया पर देखने को मिलेगा. खास तौर पर भारत में भी इस युद्ध के गंभीर परिणाम हो सकते हैं. सबसे ज्यादा असर पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर देखने को मिलेंगे।

कच्चे तेल की कीमतों में दिख सकता है उछाल
ईरान-इजयराल वॉर का असर सीधे तौर पर क्रूड आयल (Crude Oil) मार्केट पर देखा जा सकता है. युद्ध चला तो क्रूड ऑयल यानी की कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होगी और ये बढ़ोतरी दुनिया में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा करेगी. भारत भी इस इजाफे की चपेट में आएगा. देश में पहले ही पेट्रोल-डीजल की कीमते ज्यादा हैं और लेकिन चुनावी वर्ष होने की वजह से पिछले कुछ समय से सरकारें इन्हें नियंत्रित कर रही हैं।

दो दिन में ही कच्चे तेल की कीमतें हिलीं
ईरान-इजरालय के बीच बढ़े तनाव के बीच दो दिन में ही कच्चे तेल की कीमतें हिलना शुरू हो गई है. 12 अप्रैल को कच्चे तेल की कीमतों में एक प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली थी. वहीं सोमवार यानी 15 अप्रैल को भी कच्चे तेल की कीमतों में तेजी देखी गई है. वहीं सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही लाल निशान पर कारोबार कर रहे हैं. यानी तेल की कीमतों की सीधा असर न सिर्फ शेयर मार्केट बल्कि कच्चे तेल के साथ-साथ बाजारों पर भी देखा जा रहा है।

10 फीसदी बढ़ेंगे कच्चे तेल के दाम
इजरायल और ईरान के बीच युद्ध की संभावनाएं बढ़ रही हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि कच्चे तेल की कीमतों में भी इजाफा होना तय है. अगर युद्ध हुआ तो क्रूड ऑयल के रेट में 10 फीसदी तक का इजाफा संभव बताया जा रहा है. यानी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल हो सकती है. जो मौजूदा समय में 90 डॉलर प्रति बैरल के आस-पास है. इस 10 फीसदी की बढ़ोतरी का सीधा असर भी भारत में देखने को मिलेगा।

अमेरिकी क्रूड ऑयल की बात करें तो इसमें अच्छे इजाफे की संभावना बनी हुई है. ईरान-इजरायल वॉर को लेकर अमेरिकी कच्चा तेल के दामों में 10 फीसदी का इजाफा संभव है. ये 95 डॉल प्रति बैरल पर पहुंच सकता है।

स्वेज नहर रूट हुआ ब्लॉक तो बढ़ेगी भारत की मुश्किल
कच्चे तेल की सप्लाई रूटों पर ईरान ने अपने आंखें तरेर रखी हैं. बताया जा रहा है कि ईरान ने कच्चे तेल की सप्लाई रूट्स पर अपनी मिसाइलें तैनात कर ली हैं. यही नहीं ईरान पिछले दिनों स्वेज नजर को भी ब्लॉक करने की चेतावनी दे चुका है. दरअसल स्वेज नगर के जरिए 5.5 मिलियन बैरल से ज्यादा कच्चा तेल सप्लाई होता है।

खास बात यह है भारत के लिए भी यही रूट काफी अहमियत रखता है क्योंकि बीते वर्ष यानी 2023 में भारत का 65 फीसदी कच्चा तेल इसी स्वेज नहर के रास्ते से आया था. अब अगर ईरान-इजरायल के बीच जंग होती है और ईरान अपनी चेतावनी के तहत स्वेज नहर को ब्लॉक करता है तो भारत के लिए मुश्किल बढ़ सकती है. भारत में कच्चे तेल की सप्लाई पर सीधा असर पड़ेगा।

अप्रैल में ही 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ी कीमतें
इन अटकलों के बीच ही कच्चे तेल के मार्केट में कीमतें बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है. ईरान और इजरायल के बीच तनाव की शुरुआत 1 अप्रैल को हुई थी. जब इजरायल ने सीरिया में ईरान के दूतावास पर हमला किया था. उस दौरान कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल थी जो अब तक यानी अप्रैल के 15 दिन में ही 90 डॉलर प्रति बैरल हो चुकी है. यानी 10 फीसदी से ज्यादा कीमतों में इजाफा हो चुका है।

भारत को क्रूड ऑयल बेचने वाले देश, सबसे आगे देश रूस 
भारत को कच्चा तेल बेचने वाले देशों में सबसे आगे जो देश है वह है रूस. इस देश से भारत को 1.02 लाख करोड़ बैरल तेल की सप्लाई की जाती है. जबकि इसके बाद दूसरे नंबर पर आता है इराक जो ईरान का दुश्मन देश ही है. यहां से भारत को 54.77 हजार करोड़ बैरल तेल मिलता है. इसके बाद सऊदी अरब से भी भारत को 45.64 हजार करोड़ बैरल तेल की सप्लाई की जाती है. इसी तरह यूएई से भी भारत को 14.10 हजार करोड़ बैरल तेल मिलता है वहीं इन देशों के बाद अमेरिका से भारत 12.44 हजार करोड़ बैरल कच्चा तेल खरीद रहा है।

भारत में चुनाव तक टेंशन नहीं
ईरान-इजरायल वॉर के बीच भारत पर असर की बात करें तो फिलहाल भारत में लोकसभा चुनाव है. यानी चुनावी वर्ष के बीच सरकार तेल की कीमतों के नियंत्रित कर रही है. बीते कुछ समय से देश में तेल की कीमतों में कटौती हुई है न कि बढ़ोतरी. ऐसे में माना जा रहा है कि दोनों की जंग के बीच असर तो दिखेगा लेकिन चुनाव तक भारत सुरक्षित माना जा सकता है. हालांकि चुनाव के बाद सरकार दामों को अपडेट कर सकती है।