मामले में बयान जारी करते हुए राज्य के स्वामित्व वाली डॉयचे बान ने कहा कि, लंबी दूरी की केवल 20% ट्रेनें चल रही थीं।बर्लिन जैसे शहरों में कम्यूटर ट्रेनों का परिचालन भी ठप पड़ा है।

जर्मनी के रेलवे स्टेशनों पर सन्नाटा पसरा हुआ है, यहां आज यानि बुधवार सुबह से तीन दिवसीय ट्रेन हड़ताल शुरू हो गई है, जिसके कारण हर मिनट लाखों लोग परेशान हो रहे हैं. बता दें कि अचानक शुरू हुई इस ट्रेन स्ट्राइक के पीछे की मूल वजह, देश के ट्रेन ड्राइवरों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संघ और राज्य के स्वामित्व वाले मुख्य रेलवे ऑपरेटर के बीच काम के घंटों और वेतन को लेकर विवाद बताया जा रहा है. फिलहाल आमजन आवाजाही के लिए ट्रेन के दूसरे विकल्पों की तलाश कर रहे हैं…

गौरतलब है कि, मामले में बयान जारी करते हुए राज्य के स्वामित्व वाली डॉयचे बान ने कहा कि, लंबी दूरी की केवल 20% ट्रेनें चल रही थीं. बर्लिन जैसे शहरों में कम्यूटर ट्रेनों का परिचालन भी ठप पड़ा है. इसका असर, देश भर के कई छोटे-बड़े शहरों पर पड़ रहा है. इस तीन दिवसीय ट्रेन हड़ताल से सबसे ज्यादा परेशान, आम यात्री हो रहे हैं, जो बस, कार यात्रा या फ्लाइट से लेकर लंबी दूरी के लिए ट्रेन के दूसरे विकल्प खोजने में लगे हुए हैं।

क्यो हो रही हड़ताल.. क्या है मांग?

दरअसल ट्रेन ड्राइवरों की इस स्ट्राइक के पीछे मुख्य दो मांगे हैं, जिसमें पहली वेतन वृद्धि है और दूसरी वेतन कटौती के बगैर, शिफ्ट श्रमिकों के काम करने के घंटों को प्रति सप्ताह 38 से घटाकर 35 घंटे किया जाना है. उनका तर्क है कि, इससे रेलवे के लिए नई भर्तियां आएंगी. हालांकि परिवहन मंत्रालय इसके लिए बिल्कुल भी राजी नहीं है. उनका कहना है कि, ट्रेन ड्राइवरों की ये मांग व्यावहारिक रूप से पूरी नहीं की जा सकती है।

खैर, फिलहाल जर्मनी के परिवहन मंत्री वोल्कर विसिंग ने दोनों पक्षों से बातचीत करने का आह्वान किया है. साथ ही दोनों पक्षों को साथ लेकर चलने की बात कही है।


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