न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी समेत कई मांगों पर अड़े किसानों की केंद्र सरकार से बातचीत में सहमति नहीं बन पाई है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी समेत कई मांगों पर अड़े किसानों की केंद्र सरकार से बातचीत में सहमति नहीं बन पाई है. हालांकि इन मांगों को लेकर किसानों और सरकार के बीच चार दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया. इसके चलते किसानों ने दिल्ली कूच का ऐलान कर दिया. किसानों ने साफ कर दिया कि आज यानी बुधवार को किसान पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर से दिल्ली के कूच कर देंगे. दरअसल, शंभू बॉर्डर पर हजारों की तदाद में ट्रैक्टर ट्रॉली 15 से 20 हजार की संख्या में किसान अपना डेरा डाले हुए हैं. किसानों को रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने मजबूत इंतजाम किए हैं. बॉर्डर पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है. लेकिन किसान इस बार आरपास की लड़ाई के मूड में नजर आ रहा है।

दिल्ली कूच से पहले किसान नेताओं ने एक बार फिर सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी मांगों को माने जाने की मांग की है. आज के ‘दिल्ली चलो’ मार्च पर किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि ‘हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की. हम बैठकों में शामिल हुए, हर बिंदु पर चर्चा हुई और अब फैसला केंद्र सरकार को लेना है. हम शांत रहेंगे…प्रधानमंत्री को आगे आना चाहिए और हमारी मांगों को स्वीकार करना चाहिए. 1.5-2 लाख करोड़ रुपये ज्यादा बड़ी रकम नहीं है…इन बाधाओं को हटाकर हमें दिल्ली की ओर मार्च करने की अनुमति दी जानी चाहिए।”

किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि हमने सरकार से कहा है कि आप हमें मार सकते हैं लेकिन कृपया किसानों पर अत्याचार न करें. हम प्रधानमंत्री से अनुरोध करते हैं कि वह आगे आएं और किसानों के लिए MSP गारंटी पर कानून की घोषणा करके इस विरोध को समाप्त करें… ऐसी सरकार को देश माफ नहीं करेगा… हरियाणा के गांवों में अर्धसैनिक बल तैनात हैं… हमने कौन सा अपराध किया है?… हमने आपको प्रधानमंत्री बनाया है. हमने कभी नहीं सोचा था कि ताकतें हम पर इस तरह जुल्म करेंगी… कृपया संविधान की रक्षा करें और हमें शांतिपूर्वक दिल्ली की ओर जाने दें, ये हमारा अधिकार है।

शंभू बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि हमारा इरादा किसी तरह की अराजकता पैदा करने का नहीं है… हमने 7 नवंबर से दिल्ली जाने का कार्यक्रम बनाया है. अगर सरकार कहती है कि उन्हें पर्याप्त समय नहीं मिला तो इसका मतलब है कि सरकार हमें नजरअंदाज करने की कोशिश कर रही है… ये ठीक नहीं है कि हमें रोकने के लिए इतने बड़े-बड़े बैरिकेड लगाए गए हैं. हम शांति से दिल्ली जाना चाहते हैं, सरकार बैरिकेड हटाकर हमें अंदर आने दे… नहीं तो हमारी मांगें मान लें… हम शांत हैं… अगर वे एक हाथ बढ़ाएंगे तो हम भी सहयोग करेंगे… हमें धैर्य के साथ स्थिति को संभालना होगा… मैं युवाओं से अपील करता हूं कि वे नियंत्रण न खोएं।”


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