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राज्य में मध्याह्न भोजन खाने वाले बच्चों की संख्या में अक्टूबर में 11 लाख से अधिक की कमी आई है। मध्याह्न भोजन योजना निदेशालय में जिलों से प्राप्त रिपोर्ट में यह जानकारी मिली है।

अक्टूबर में प्रतिदिन औसतन 69 लाख 72 हजार बच्चों के ध्याह्न भोजन खाने की रिपोर्ट मिली। वहीं अन्य महीनों में यह संख्या 81-82 लाख के करीब हुआ करती थी।

मध्याह्न भोजन योजना निदेशालय में प्रतिदिन आईवीआरएस (इनटरैक्टिव व्वॉयस रिस्पांस सिस्टम) के माध्यम से मिड डे मील खाने वाले बच्चों की संख्या ली जाती है। इस माध्यम में स्कूल के प्रधानाध्यापक अपने मोबाइल के माध्यम से रिपोर्ट भेजते हैं। इसी के आधार पर पूरे माह के लिए औसतन प्रतिदिन मध्याह्न भोजन खाने वालों की संख्या प्राप्त होती है। हालांकि, प्रतिदिन 55-56 हजार स्कूलों से ही रिपोर्ट आईवीआरएस सिस्टम से आती है। शेष करीब 15 हजार स्कूलों की रिपोर्ट विभिन्न कारणों से नहीं आ पाती है। इस तरह 55-56 हजार स्कूलों की रिपोर्ट बताती है कि मध्याह्न भोजन खाने वाले 11 लाख बच्चे घट गए हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है बच्चों का स्कूलों से नाम काटा जाना। शिक्षा विभाग के निर्देश पर तीन सितंबर, 2023 से लगातार 15 दिनों तक नहीं आने वाले बच्चों के नाम काटने का सिलसिला शुरू हुआ है। अब तक 22 लाख 71 हजार बच्चों के नाम काटे गये हैं। इनमें प्रारंभिक स्कूलों (कक्षा एक से आठ) के 18 लाख 61 हजार बच्चे शामिल हैं। वहीं चार लाख दस हजार माध्यमिक-उच्च माध्यमिक (कक्षा नौ से 12) के बच्चों के नाम कटे हैं। मालूम हो कि मिड-डे मील भी प्रारंभिक स्कूलों के बच्चों को ही दिये जाते हैं।

निदेशालय के पास इस साल जुलाई में औसतन 80.63 लाख, अगस्त में 82.48 लाख और सितंबर में औसतन 90 लाख बच्चों के प्रतिदिन मिड-डे मील खाने की रिपोर्ट आई थी। वहीं, अक्टूबर में यह 11 लाख से भी अधिक घट गया। पदाधिकारी बतातें हैं कि रिपोर्ट 55-56 हजार स्कूलों की इस व्यवस्था में आती है। पर, सभी 70 हजार स्कूलों के बच्चों के शामिल करने पर यह आंकड़ा अक्टूबर के पहले एक करोड़ से अधिक पहुंचती थी।


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